Secret Admirer - Part 70 in Hindi Love Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | Secret Admirer - Part 70

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Secret Admirer - Part 70

जितनी जल्दी हो सके वोह बचने के लिए उठ खड़ी हुई क्योंकि वोह कबीर का सामना नहीं कर सकती थी। लेकिन उतनी ही जल्दी से कबीर उठा और उसे पीछे से बाहों में भर लिए।

"मैं डर गई थी। बहुत ज्यादा डर गई थी। मुझे खुद पर ही कंट्रोल नही रहा यह देख कर की आप मुझसे नफरत करेंगे, मुझे जाने के लिए कह देंगे।" अमायरा कबीर की बाहों में रो पड़ी थी और कबीर ने उसे रोने दिया।

"मत डरो। मैं रहूंगा यहां। हम रहेंगे यहां हमेशा साथ।"

"आप मुझसे नफरत नही करेंगे अगर आपको मेरी वजह से उन्हे अपनी जिंदगी से जाने देना पड़े तो?"

"मैं उसके मेरे बीच रिश्ते को जाने दे रहा हूं जिसे मैं कबसे पकड़े बैठा था, जिद्दी की तरह यह मानने को तैयार ही नहीं था की वोह जा चुकी है। मैं देख ही नहीं सका की जिस अतीत को मैं इतने कस कर पकड़े हुए था उसकी वजह से मैं इतना अंधा हो गया की तुम्हे कितना दर्द देता रहा तुमसे तुम्हारा प्यार मांग कर पा रेप अतीत को जाने दिए बिना। हां शुरुवात में थोड़ी दिक्कत हो सकती है की उसे हमारी बातों में ना लाऊं पर मैं हमारे रिश्ते के साथ इंसाफ नहीं कर पाऊंगा अगर मैं अपने अतीत को पीछे ना छोडूं तो। और मेरा यकीन करो अमायरा, मैं चाहता हूं की हमारा रिश्ता हो। वोह भी पागलों की तरह। तुमने कहा था की तुम्हे मेरी ज़रूरत ऑक्सीजन की तरह है, पर मेरे लिए तुम ही मेरा ऑक्सीजन हो। वोह जिसके बिना मैं नही रह सकता।" कबीर बोलते बोलते रुक गया ताकि वोह अमायरा को समय दे सके यह समझने के लिए की वोह क्या कह रहा है।

"तुमने मुझे अभी तक नही बताया है की तुम्हे बर्थडे गिफ्ट पर क्या चाहिए। पर मेरे पास कुछ है तुम्हारे लिए।"

"क्या?" अमायरा ने आंखों में आंसू लिए पूछा।

"एक वादा। की मैं हमारे रिश्ते को बाकी सभी से ऊपर रखूंगा। मैं कभी भी तुम्हे अकेला फील नहीं होने दूंगा। इसलिए नही की बस तुम्ही मेरी जिंदगी के लिए आखरी ऑप्शन हो। बल्कि इसलिए क्योंकि तुम मेरी जिंदगी हो, मेरी जीने की वजह। तुम्ही हो वोह जिसने मुझे जीना सिखाया है, प्यार करना और खुश रहना सिखाया है। मैं वादा करता हूं की मैं तुम्हारी जिंदगी में इतनी खुशियां भर दूंगा की तुम भूल ही जाओगी की रोते किस तरह से हैं।" कबीर ने उस से वादा किया और अमायरा जानती थी कबीर को कह रहा है वोह सच है। कबीर की आंखें ही सब कुछ कह रही थी की अमायरा उसके कहे पर भरोसा कर सकती थी।

"और हां क्योंकि तुमने भी मुझे मेरे बर्थडे पर उस प्रीजरेबल किस के अलावा कुछ नही दिया था, इसलिए मैं आज तुमसे भी कुछ मांगना चाहता हूं।"

"क्या?" अमायरा ने पूछा, उस किस की याद दिलाते ही अमायरा शर्मा गई थी।

"मुझे तुम्हारा ट्रस्ट चाहिए। पूरा भरोसा। तुम्हारा मुझ पर विश्वास।"

"मैं आप पर भरोसा करती हूं। लेकिन मुझे अपनी किस्मत पर बिलकुल भी भरोसा नही है। मुझे जिंदगी में जितनी भी खुशियां मिली वोह ज्यादा दिन तक नही टिकी। मुझे तोह यकीन ही नहीं हो रहा की आप अभी तक मेरे साथ हैं।" अमायरा ने धीरे से कहा और पलट कर कबीर से लिपट गई।

"मैं हूं। हमेशा रहूंगा। और हम हमेशा खुश रहेंगे। हम और हमारी एक छोटी सी फैमिली। पर मेरी एक शर्त है। मैं ही अपने दोनो बच्चों के नाम रखूंगा, क्योंकि मुझे इस बात पर तुम पर बिलकुल भी भरोसा नही है की तुम उन्हे कोई सेंसिबल नाम दोगी।" कबीर ने चिढ़ाया और अमायरा उसकी बाहों ने मुस्कुरा गई।

"आपको लगता हैं मैं उनके लिए कोई बुरे नाम सोचूंगी?" अमायरा ने मस्ती में कबीर के सीने पर हल्का सा मरते हुए पूछा।

"बिलकुल। उन्हे उनके नाम से पूरी जिंदगी रहना है, और यह एक सीरियस बात है। मैं तुम्हे उनके नाम खराब नही करने दे सकता।"

"ठीक है, देखा जायेगा जब होंगे।" अमायरा ने जवाब दिया।

"इसका मतलब तुम तैयार हो हमारे बच्चों को लाने के लिए?" कबीर ने फिर चिढ़ाया और इस बार अमायरा ने मुस्कुराते हुए कबीर के सीने में अपना मुंह छुपा लिया। कबीर ने भी उसे कस कर बाहों में भर लिया इस संतुष्टि के साथ की फाइनली उसने अमायरा का दिल जीत ही लिए।


«»«»«»«»«»

उस बातचीत के बाद से अगले कुछ दिन तक अमायरा के चेहरे से मुस्कुराहट हटने का नाम ही नही ले रही थी। उसे बहुत शांति मिली थी। सब उसकी खुशी को देख पा रहे थे और इतना समझने की कोशिश कर रहे थे की कुछ तोह हुआ अमायरा को, कुछ तोह यह छुपा रही है, पर अमायरा किसी को भी कुछ बताने से इंकार देती थी।
इन दिनो अमायरा शादी की तैयारियों ने काफी बिजी रहने लगी थी की उसे शायद ही समय मिलता था कबीर से बात करने के लिए। पर रात तोह उनकी होती थी। दोनो एक दूसरे की बाहों में चैन और सुकून से अपने दिन भर की बातें एक दूसरे को बताते थे और सो जाते थे। दोनो ने अभी तक एक दूसरे से उस एक महीने के वक्त के फैसले के बारे में कुछ डिस्कस नही किया था। क्योंकि दोनो ही जानते थे की अब उस बारे में बात करने का कोई सवाल ही नही है। कबीर जनता था की जो दीवारे अमायरा ने अपने इर्द गिर्द खड़ी कर रखी थी वोह सभी उसने तोड़ दी हैं। पर फिर भी वोह अमायरा को किसी भी चीज़ के लिए ज्यादा फोर्स नही करना चाहता था। कबीर खुश था की अमायरा अपनी पुरानी फॉर्म में लौट आई है, हमेशा मुस्कुराते रहना और अगर कबीर उसका चेहरा पड़ना जनता है तो उसका चेहरा साफ साफ कहता था की वोह उससे प्यार करती है। बस अभी तक अपने प्यार का इजहार नही कर पाई थी या फिर यूं कहो की शर्मा रही थी।

आज उनतिस्वा दिन था और कबीर बिलकुल भी घबरा नही रहा था। जबकि अमायरा ने अभी तक नही कहा था की वोह उससे प्यार करती है, पर कबीर जनता था की वोह करती है। वोह बस अपने ऑफिस से घर लौटा था जब उसने अपनी मॉम को अमायरा और इशिता को कुछ कहते सुना।

"बस एक ही हफ्ता बचा है साहिल की शादी को। मुझे तोह बहुत ही घबराहट हो रही है। अभी भी सारे इन्विटेशंस नही भेजे गए हैं। और हमसे गिफ्ट्स की भी कैलकुलेशन में मिस्टेक हो गई। अब हम कुछ और गिफ्ट्स भी खरीदने हैं। अमायरा यह तुम्हारी जिम्मेदारी है की दो से तीन दिन में तुम्हे यह सारे काम करने हैं। आज थर्सडे है। तुम्हारे पास तीन दिन है। यह सब सन्डे तक पूरा कर लो। वैसे भी शादी के सारे फंक्शंस तो मंडे से शुरू होंगे।"

"अमायरा यह नहीं कर सकती मॉम।" कबीर ने कमरे में घुसते हुए कहा और सभी लेडीज़ उसे देखने लगीं।

"क्यों?" सुमित्रा जी ने गुस्से से पूछा और अमायरा हैरान नज़रों से कबीर को घूरा।

"क्योंकि हम दोनो कल अगले तीन दिनों के लिए सिंगापोर जा रहें हैं। वहां मेरी एक कॉन्फ्रेंस है जो मुझे अटेंड करने है और सभी लोग अपनी फैमिली के साथ इनवाइट हैं।"

"पर घर में शादी है। तुम ऐसे कैसे जा सकते हो?"

"हम तीन दिनों में वापिस आ जायेंगे मॉम। ज्यादा से ज्यादा सन्डे की शाम तक। और वैसे भी फंक्शंस तोह मंडे से शुरू हो रहें हैं ना, सही कहा ना?"

"पर कबीर तैयारियों का क्या?"

"मुझे पूरा यकीन है की आप सब यह सब बहुत आसानी से तीन दिनों के लिए मैनेज कर सकते हैं बिना अमायरा के। तुम क्या कहती हो इशिता?"

"हां.... हां बिलकुल भईया। मैं कर लूंगी। इट्स ओके मॉम। हम मैनेज कर लेंगे। तुम जाओ अमायरा।" इशिता ने मज़े लेते हुए कहा और अपनी हँसी छुपा ली।

"ग्रेट। फिर तो सब तै हो गई गया। कम ऑन अमायरा, हरी अप। तुम्हे पैकिंग भी करनी है। हम कल सुबह जल्दी निकलेंगे। और मुझे अपना पासपोर्ट दे देना। मुझे जरूरत है।" कबीर ने अमायरा की तरफ इशारा करते हुए कहा और अमायरा ने अपना सिर हिला दिया।

दोनो कमरे से बाहर चले गए और पीछे सब के चेहरे पर एक शरारती मुस्कुराहट थी सिवाय सुमित्रा जी के। सुमित्रा जी एक्सक्यूज़ बोल कर कबीर के पीछे चली गई।

"कबीर। मुझे तुमसे एक मिनट बात करनी है।"

"हां बिलकुल मॉम। तुम जाओ अमायरा और समान पैक करो। मैं बस अभी आता हूं।" अमायरा दोनो मां बेटे को अकेला छोड़ कर अपने कमरे में चली गई।

"यह सब क्या है कबीर? तुम्हारी कोई जिम्मेदारी नहीं है अपने छोटे भाई के प्रति? कभी कभी मुझे लगता है की तुमको जो मैं एक्स्ट्रा पैंपर करती हूं उससे तुम जिद्दी बन गए हो।" सुमित्रा जी गुस्से से बोली। वोह बहुत ज्यादा घबराई हुई थी आने वाली शादी को लेकर और तैयारियों को लेकर। लेकिन कबीर उन्हे देख कर मुस्कुरा रहा था। उसके बाद उसने अपनी मॉम को गले लगा लिया और उन्हे चौंका दिया।

"आई लव यू मॉम। मैं बस आप को यूहीं थैंक यू नही कह सकता, वोह काफी नही होगा मुझे इतना पैंपर करने के लिए। अगर आप मुझसे आंख बंद करके इतना प्यार नही करती, तोह मुझे अमायरा कभी नही मिलती। तोह थैंक यू।" कबीर ने कहा और सुमित्रा जी के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कुराहट आ गई।

"तुम उससे बहुत प्यार करते हो।"

"बहुत ज्यादा और भी ज्यादा। यह सब सिर्फ आपकी वजह से हुआ है। और अब उसका बर्थडे है मॉम। परसो। आपको नही लगता की मुझे उसके लिए उसका बर्थडे सेलीब्रेट करना चाहिए, जो की उसके लिए हमेशा यादगार रहे।"

"पर हम उसका बर्थडे यहां नही मना सकते क्या?"

"हां कर सकते है, पहले मैंने ऐसी ही प्लानिंग की थी। पर आपको लगता है की वोह सच में सेलिब्रेट करेंगे जब उसके आस पास इतना सारा काम होगा? वोह हमें एक छोटी सी पार्टी भी नही रखने देगी, यह सोच के की बाकी सब बिज़ी हैं और उसकी वजह से सब का टाइम खराब होगा।" कबीर ने समझाया और सुमित्रा जी सोचने लगी।

"हां तुम ठीक कह रहे हो। ठीक है फिर तुम दोनो जाओ। पर सिर्फ इसलिए क्योंकि यह सब तुम सिर्फ मेरी बहु को खुश करने के लिए कर रहे हो।" सुमित्रा जी ने एक मुस्कुराहट के साथ धमकाते हुए कहा।

"थैंक यू मॉम।" कबीर ने एक बार फिर अपनी मॉम को सीने से लगा लिया और फिर अपने कमरे की ओर चला गया।

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"यह सब क्या था?" अमायरा ने पूछा जैसे ही कबीर कमरे में घुसा तब ही।

"क्या? मैने सबको बताया। की तुम्हे मेरे साथ कांफ्रेंस अटेंड करने है। इसमें कौन सी बड़ी बात है? बस मुझे अपना पासपोर्ट देदो।"

"मैं... उह्ह्....मेरे पास पासपोर्ट नही है।" अमायरा के झटका देने वाला खुलासा किया और कबीर शॉक्ड।

"क्या? ऐसा कैसे हो सकता है की तुम्हारे पास पासपोर्ट नही है? किसके पास पासपोर्ट नही होता?" कबीर इस बात से नाराज़ हो गया था। "और कुछ महीनों पहले तुम मॉम और डैड के साथ दुबई नही गई थी एक शादी में? तुम मुझसे अब झूठ क्यों बोल रही हो?"

"मैं आपसे कोई झूठ नही बोल रही हूं। आपको मुझसे पूछना चाहिए था कोई भी प्लान बनाने से पहले। यह कुछ महीनों पहले ही एक्सपायर हो गया था। मुझे रिन्यू कराने के लिए टाइम ही नही मिला।" अमायरा ने झेपते हुए स्वीकार कर लिया।

"तुम इतनी कैरलेस कैसे हो सकती हो, अमायरा। और एक मिनिट। क्या इशिता जानती है इस बारे में?"

"हां। और मॉम भी जानती है। उन्होंने मुझे कुछ महीने पहले याद भी दिलाया था लेकिन मैं फिर भूल गई।"

"यह हमारी शादी के बाद हुआ था ना?"

"हां।"

"और तुमने उसे रिन्यू कराने पर ध्यान ही नही दिया। वाउ। अमेजिंग। अब सब जान जायेंगे की मैं झूठ बोल रहा था।"

"क्या? झूठ? मैं कुछ समझी नहीं? क्या हम सिंगापोर नही जा रहे थे?" अमायरा अब कन्फ्यूज्ड हो गई थी।

"एक्चुअली में तुम्हारे बर्थडे को सेलिब्रेट करने के लिए कुछ प्लान कर रहा था, सिंगापोर का नही, लेकिन उसके आस पास के ही जगह का, शायद माल्डिव्स, सेशल्स या कोई भी जगह जहां का वीजा हम आसानी से मिल जाए। पर तुम्हारी बेवकूफी की वजह से सब बर्बाद हो गया।" कबीर अब इरिटेट हो गया था।

"ओह....कर हमे कहीं और जाने की क्या जरूरत है? हम यहां फैमिली के साथ क्यूं सेलिब्रेट नही कर सकते?"

"क्योंकि मैं तुम्हारे साथ रहना चाहता हूं। सिर्फ तुम्हारे साथ। क्या तुम्हे यह बात समझ नही आती? और अगर तुम यहीं रही, तोह फोकट की वैडिंग प्लैनर बन कर रह जाओगी।" कबीर ने नाराज़ होते हुए कहा।

"ऐसा मत कहिए। यह हमारे फैमिली की बात है।" अमायरा कबीर की शांत करने की कोशिश कर रही थी।

"कोई फर्क नही पड़ता। हम फिर भी जा रहें हैं। अपना बैग पैक कर लो तीन दिनों के लिए।"

"पर कहां?"

"तुम्हे पता चल जायेगा। अब समय बरबाद मत करो। मुझे भी अपना बैग पैक करना है। और हां, वहां पर शायद बीच हो सकता है, तोह उसी के हिसाब से पैक करना।" कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा और अपने अलमीरा को खोल कर खड़ा हो गया, अपना बैग पैक करने के लिए। साथ ही साथ उसकी उंगलियां उसके फोन पर चल रही थी कुछ जरूरी अरेंजमेंट्स के लिए, ट्रैवल के लिए जो वोह अगली सुबह करने वाले थे।

अमायरा ने भी मुस्कुराते हुए झट से अपना बैग पैक कर लिया। क्योंकि इस वक्त वोह इस कंडीशन में नही थी की कबीर को वोह मना कर सके।

एस यूजुअल दोनो ने अपना काम खतम किया और सुकून से एक दूसरे की बाहों में सो गए।

«»«»«»«»

अगली सुबह वोह दोनो बस निकलने ही वाले थे। अमायरा सब जरूरी सामान चैक कर रही थी की कहीं कुछ छूट न जाए तभी उनके कमरे का दरवाज़ा किसी ने नॉक किया। अमायरा ने दरवाज़ा खोला, सामने उसकी मॉम नमिता जी खड़ी थी। अमायरा को उनको देख कर अटपटा लगने लगा। कबीर बस कुछ सेकंड पहले ही अपने कमरे से बाहर गया था जब उसे इशान ने बुलाया था।

"क्या मैं तुमसे कुछ पल बैठ कर बात कर सकती हूं, अमायरा?"

"हां मॉम। आपको पूछने की क्या जरूरत है मॉम। पर हम बस अभी निकलने ही वाले थे।"

"मैं जानती हूं। मैं ज्यादा समय नहीं लूंगी। मैं बस तुम्हे तुम्हारे बर्थडे के लिए विश करने आई थी। तुम कल यहां नही रहोगी। इसलिए मैने सोचा क्यों न आज ही विश करदूं।"

"थैंक यू मॉम।" अमायरा ने जवाब दिया। उसे अभी भी अपनी मॉम के सामने ऑकवर्ड लग रहा था।

"मैं जानती हूं की तुम अभी भी मुझसे गुस्सा हो। मैं दोषी हूं तुम्हारी, पर अगर हो सके तोह प्लीज मुझे माफ करदो। कम से कम तुम्हारे बर्थडे पर, मेरी यही दुआ है की तुम्हे तुम्हारा सुकून वापिस मिल जाए, अब तुम्हे किसी और चीज़ की जरूरत नहीं है।"

"आपके कहने का क्या मतलब है?"

"अब तुम्हारे पास कबीर है। क्या उसके अलावा किसी और की या किसी और चीज़ की चाहत है? अब अगर कोई और गिफ्ट तुम्हे दिया जाए तोह कंपेयर करने पर सब छोटा ही पड़ेगा?"

"आप यह कहना चाहती हैं की क्योंकि आपने मुखेकाबिर दिया तोह मुझे आपका शुक्रगुजार होना चाहिए?" अमायरा उत्तेजित हो उठी थी और नमिता जी मुस्कुरा पड़ी थी।

"नही। थैंक यू तोह मुझे कहना चाहिए की मैने तुम्हे उससे शादी करने को कहा। मैं नही जानती की तुम कभी भी मुझे माफ कर भी पाओगी या नही, मुझ पर भरोसा कर भी पाओगी या नही, पर अगर कर सको तोह, मैं आज तुमसे कुछ कहना चाहती हूं। तुमने मुझसे पूछा था की मैने तुम्हे क्यूं नही रोका कबीर से शादी करने से। वोह इसलिए क्योंकि मैने महसूस किया की जिंदगी भर तुम्हारे साथ अनफेयर रही, हर उस चीज़ के लिए मना कर दिया जो तुमने चाहा, फाइनली शायद कुछ ऐसा दे दूं जो तुम को हमेशा लुभाता आया, जिसे तुमने हमेशा एडमायर किया, तुम्हारा सीक्रेट एडमायरर।

"आप क्या बात कर रहीं हैं मॉम, मैं कुछ समझी नहीं।" नमिता जी ने अमायरा को चौंका दिया था।

"तुम्हे क्या लगता है?" नमिता की ने वापिस सवाल किया।

"मुझे नही पता।" अमायरा का गला अचानक सूख गया था।

"तुमने मिहिर से ब्रेकअप क्यूं किया था, अमायरा?"

"आपके और मेरे बीच अब उसकी बात कहां से आ गई? यह सब पास्ट की बातें हैं।"

"तुमने उससे ब्रेकअप इसलिए कर लिया था, क्योंकि कबीर ने जो स्टैंडर्ड तुम्हारे दिमाग में सेट किया था एक अच्छे लाइफ पार्टनर के बारे में वोह मिहिर कभी भी मैच नही कर सकता था।

"यह सच नहीं है।"

"मैं शायद तुम्हारे साथ अनफेयर रही, लेकिन मैं तुम्हारी मां हूं बेटा। मुझे उम्मीद थी की तुम दोनो शादी के बाद जरूर प्यार में पड़ोगे और कोई भी चीज़ मुझे इतनी खुशियां नही दे सकती जितना फाइनली तुम्हे यह देख कर की तुम्हारे पास वोह है जो तुमने सच में चाहा। जो तुम्हारे दिल ने चाहा वो फाइनली तुम्हारे पास है तो अब कन्फ्यूज्ड मत बनो। इन खुशियों को अपनी बाहें खोल कर गले लगा लो। हमेशा खुश रहो मेरी बच्ची। हैप्पी बर्थडे।" नमिता जी ने अपनी बेटी अमायरा के माथे को प्यार से चूम लिया और फिर कमरे से बाहर चली गई। उनके पीछे कमरे में रह गई हैरान अमायरा।

अभी यह क्या हुआ?

यह मॉम किस बारे में बात कर रहीं थी?

उन्हे यह सब कैसे पता?

उन्हे यह सब कैसे पता चल सकता है, जब मैने आज तक यह किसी से शेयर ही नही किया, कभी भी नही?

बल्कि खुद के साथ भी नही।









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कहानी अभी जारी है...
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