bun in Hindi Classic Stories by Anand Tripathi books and stories PDF | गोखुर

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गोखुर

शामू अपने बरामदे में ऐसे तन के बैठा था जैसे की मानो उसको लॉटरी लगी हो। बघिया और हीरा दोनो ही एक खटिया के लिए ऐसे लड़ झगड़ रहे की मानो किसी चुनाव में एक सीट के दो उम्मीद वार। उस दिन घर में बहुत खुशियां थी। जैसे कोई दुलहन अभी पग धरे हो,या फिर किसी के घर कोई नवजात , या फिर बहुत पुराने अड़ियल मेहमान का घर से अलविदा कह देना। इतनी खुशी इंद्र को भी न हो जितनी की शामु को थी। शामू एक 8 साल का छोटा बच्चा था। फूस के एक छोटे घर में उसका छोटा सा परिवार रहता था। पिता चकरधारी को अपनी मूछ पर ताव देकर बात करने की आदत थी। और बाघिया और हीरा जो है वो दो बहने है। उस दिन सुबह चक्रधारी लाठी और लालटेन लेकर चल दिए। और सब ठठरी बांध कर सोते रहे। लेकिन शामू जाग रहा था। क्योंकि उसको पता था। की उस दिन उसके यहां गाय आने वाली थी। बहुत दिन हो गए थे घर छाछ की धार देखे। सभी लोग घर की चौपाल में मक्की के मुरमुरे दरोर रहे थे। तभी अचानक जानवर को बंबाने की आवाज चौक से सुनाई दी सब तो शांत थे किंतु शामू खटिया की डोरी तोड़ कर भागा और चौक की ओर दौड़ पड़ा। अचानक देखा कि चक्रधर गाय लेकर आते है। शामू ने लपक डोरी थामी कभी उसका थन देखे कभी कोई सवाल चक्रधारी से करे। घर पहुंचते ही हीरा और बाघिया दोनों भी टूट पड़े मानो जन्म की बिछड़े थे। जानकी चक्रधारी की पत्नी दौड़कर मेलिया से पसावन बना लाई। और गाय की आने की खबर शामूं ने गांव भर को दे डाली। मानो इतनी खुशी कभी न हुई। गऊ के पैर पड़ते ही घर अंगना चौपाल सब कुछ स्वाधीन हो गया। दिन बीते और घर की तस्वीर और तकदीर दोनो बदली। लेकिन कहानी वही की एक दूसरे का सुख भला किसी से क्या देखा जाता है ? नही , तो बात ये थी कि चक्रधारी का पड़ोसी फरखू जाति का मल्हार वो एक दिन शाम को आ धमका और शामूं से कहता है क्या रे तेरे घर आज गैया ने छटाक दूध भी न दिया क्या ? भोला शामू कहता की, नही चच्चा लागत है आज कुछ भिनक गई तो का न जाने दूधवे नाही दिहिस है,,
बस इतना सुनकर फरखू बहुत चिढ़ा और चला गया। बड़बड़ाते हुए कहता की वैसे तो बहुत डिंग देते की ऐसा है वैसा है लेकिन एक लुटिया दूध कहा देने को तो उनसे वो तक न हो सका। बस मन में धर कर कशक बनी रही।
चक्रधारी आए शामू ने उनसे सारी बात कही। बाद में चक्रधारी ने शामू को समझाकर और उसके हाथो दूध भिजवा दिया। जाओ दे आओ ,,
लेकिन फरखु ने शामू का दूध लेकर और टेढ़ी नाकों भेज दिया। एक रात फरखू अपने छपरे में से निकल टहल कर रहा था तभी अचानक उसकी नजर चक्रधारी के बरामदे में खड़ी गाय पर जा अड़ी और मन में ठान लिया कि गाय को वहां से निकल कर अगले दिन बेच देगा। फरखु का मन बैमानी के कुंडले में गिर गया। और वह आगे बढ़ा जैसे ही उसने गाय खोली और लेकर चला। लेकिन अचानक गाय का खुर उसकी फरखू के टांगो। में फंस गया और फरखू बुरी तरह चोट से प्रभावित हो गया। रात में जब वह कराहने लगा। तो चक्रधारी की नींद खुली और झट उन्होने देखा की गाय अपने स्थान से अलग खड़ी थी। और फरखू के ऐड़ी से खूं की धार बंधी थी। चक्रधारी ने तुरंत उठ कर गऊ को अलग किया। और फरखू को पट्टी बांधी। फिर फरखू ने माफी मांगी। की कुछ भी हो लेकिन गाय के खुर ने मुझे एक बुराई से बचा लिया। जिसका दोष मैं स्वयं पर मढ़ने वाला था।