Mohobbat toh Mohobbat hai - 7 in Hindi Love Stories by Vandana thakur books and stories PDF | मोहब्बत तो मोहब्बत है - Part-7

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मोहब्बत तो मोहब्बत है - Part-7

अश्विन खन्ना यानि आकाश के चाचा जी और मुंबई के जाने-माने एडवोकेट उन्होंने कई बड़े-बड़े केस लड़े थे और आज तक कोई भी ऐसा केस नहीं था जो वह हारे हो अश्विन आकाश से काफी ज्यादा प्यार करते थे यह बात अविनाश भी बेहद अच्छे से जानता था अश्विन गुस्से में सूरज के साथ भी काफी कुछ कर सकते थे इस कारण अविनाश बार-बार सूरज को कुछ भी जल्दबाजी में करने से रोक रहा था ।

अश्विन को देखकर आकाश के चेहरे पर एक लंबी मुस्कान आ गई वहीं अश्विन ने एक नजर आकाश की तरफ देखा जो कि काफी ज्यादा जख्मी था आकाश को इस हालत में देखकर अश्विन की त्यौरिया चढ़ गई, अविनाश ने अपना सिर झटक दिया वही सूरज के चेहरे पर गंभीर भाव आ गए थे ।

अश्विन आए और सूरज के सामने कुछ पेपर्स रखते हुए उनसे कहा-: मिस्टर सूरज मल खानी आप जानते भी हैं आपने किसे अरेस्ट किया है और किस जुर्म में अरेस्ट किया है आपने,,,?

" मिस्टर अश्विन आपका इंतजार था मुझे, मुझे पता है आप अपने भतीजे को यहां से ले जाने आए हैं पर मैं आपको इसे ले जाने नहीं दूंगा,,, और जुर्म काफी संगीन है आपके भतीजे का, इन्होंने एक लड़की की जिंदगी बर्बाद कर दी है उसे प्यार का झांसा देकर उसे प्रेग्नेंट किया उसके बाद उसके बच्चे को अपनाने से मना किया किसी और लड़की के साथ संबंध बनाए और उस प्रेग्नेंट लड़की को जान से मारने की कोशिश भी की है आपके भतीजे ने,,,,!!

" कोई सबूत है आपके पास इन सब बातों का कि मेरे भतीजे नहीं यह सब किया है देखिए इंस्पेक्टर मलकानी आप यह पेपर रीड कीजिए आकाश की जमानत के पेपर हैं यह और आकाश को इज्जत के साथ यहां से बाहर निकालिए वरना,,,,,,,,!!!

" क्या वरना मिस्टर अश्विन खन्ना,,,क्या करेगे आप,,,, मैं नहीं निकाल रहा आकाश को इस जेल के पीछे से, यह इस चारदीवारी में कैद रहने लायक ही है, इन जैसे जानवरो को बाहर छोडना खतरे से खाली नही है...."

" इंस्पेक्टर,,,,,,,,,,,,,,, बहुत ज्यादा बोल रहे है आप, अभी तक आप यहां खडे है वही अपनी खुशकिस्मती समझिए और अब अगर आपने जरा भी कुछ कहा तो आप की रिटायरमेंट की डेट 1 साल बाद नहीं अभी ही होगी, और आपकी बेटी तो पूरे शहर मे मशहूर कर दूंगा,,,समझे आप...!!

" गलती आपके भतीजे की है मेरी बेटी की कोई गलती नही है और आप अगर यह सोचते है कि पैसो की ताकत को दिखाकर अगर मुझे डरा धमका देगे, तो आप गलत है मिस्टर खन्ना,,, मै आकाश को उसकी गलती की सजा देकर ही रहूंगा....!!!

अश्विन कुछ कहते तभी अविनाश ने अश्विन से कहा-: अंकल,, आकाश गलत है इस वक्त, आपको उसके गलत मे उसका साथ नही देना चाहिये, इसनें हिती की जिंदगी बर्बाद कर दी,,, आप गलत कर रहे है यह,,,,!!!

" तुम तो चुप ही रहो अविनाश मैं तुम्हारे से बात करूंगा, तुम इन दौ कोड़ी के लोगों का साथ दे रहे हो अपने बचपन के दोस्त और उसकी दोस्ती को ठुकरा कर,,,!!!

" जो गलत,,,,अविनाश इतना ही कह पाया कि तभी एक जोरदार थप्पड उसके गाल पर पडता है, अविनाश ने गाल पकड लिया, अविनाश ने नजरे उठाकर सामने देखा तो वहां दिव्यप्रताप बेहद सख्त चेहरे के साथ अविनाश को देख रहे थे ।

" तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई अविनाश, अश्विन से इस तरह बात करने की, वह जानता है क्या गलत है और क्या सही,,,,!! और इन सब में आकाश में की कोई गलती नहीं है,,,,!! गलती, इनकी बेटी की है, इंस्पेक्टर साहब तो रिटायर होने वाले है इन्होने अपनी बेटी को संस्कार ही ऐसे दिये है कि बडे घर के बेटो को फंसाओ और ऐश करो, तो इन सब में......!!!!

" मिस्टर चौहान,,,,अपनी जुबान को लगाम दिजिये, क्या बकवास कर रहे है आप....!!! सूरज का चेहरा गुस्से से तिलमिला उठा ।

" दिव्यप्रताप बिल्कुल सही कह रहे हैं,,,,आपने ही अपनी बेटी क सही संस्कार दिये होते तो आज आपको यह दिन नही देखना पडता....!!!

" डैड,,,,अंकल आप दोनो क्या बोल जा रहे हो,,, एक लडकी के केरेक्टर और एक पिता की परिवरिश पर उंगली कैसे उठा सकते है आप दोनो.....!!!

" तुम ज्यादा मत बोलो और चलो मेरे साथ,,,,,!! बहुत ज्यादा बोलने लगे हो तुम,,,,,,!!! दिव्यप्रताप ने इतना कहा, फिर अविनाश को हाथ पकड लिया, अविनाश ने अपना हाथ छुडाने की कोशिश की पर दिव्यप्रताप ने ओर कसकर हाथ पकड़ लिया ।

" अगर तुम चाहते हो मैं इससे ज्यादा इनकी बेइज्जती ना करू, तो चुपचाप यहां से चलो वरना तुम जानते हो मैं क्या कर सकता हूं....!!! दिव्यप्रताप ने अविनाश को धमकाते हुए कहा ।

अविनाश ने सूरज की तरफ देखा जो गुस्से से अश्विन को घूर रहे थे । सूरज ने अविनाश के चेहरे उनकी तरफ नजरें घुमाया और अपनी पपलकें झपका दी । जैसे वो उसे जाने का कह रहे हो, अविनाश, सूरज को अकेला छोड़कर नहीं जाना चाहता था पर अब उसके पास कोई रास्ता भी नहीं बचा, क्योंकि वह अपने पिता को अच्छी तरह से जानता था वह जो कहते थे वह जरूर पूरा करते थे । अविनाश चुपचाप दिव्यप्रताप के साथ वहां से निकलकर बाहर चला गया ।

वही अश्विन ने सूरज से कहा-: आपके पास आखिरी मौका है या तो आप चुपचाप आकाश को छोड़ दीजिए या फिर मैं जबर्दस्ती निकलवाना भी जानता हूं,,,,,,!!!

सूरज अपनी जिद पर अडे रहे, तो अश्विन ने किसी को कॉल किया ।

अश्विन ने जैसे ही कॉल रखा तभी सूरज के मोबाइल पर एक बजती है ।

कमिश्नर का कॉल सूरज के पास आता है सूरज कॉल रिसीव करते हैं, सामने से कमिश्नर, कॉल रिसीव करते ही सूरज पर बरस पडते है, सूरज उन्हें समझाने की काफी कोशिश करते हैं पर कमिश्नर सूरज की एक बात भी सुनने को राजी नहीं थे ।

अश्विन, सूरज को देख कर इसी मुस्कान रहते हैं कुछ देर बाद सूरज कॉल कट करते हैं,,,,!

वही पुलिस स्टेशन के बाहर कमिश्नर की कार आकर रूकती है ।

कमिश्नर तेजी से पुलिस स्टेशन के अंदर आते हैं । सभी पुलिसवाले कमिश्नर सर को देखकर उन्हें सलूट करते हैं ।

पुलिस कमिश्नर सूरज के पास आते हैं और उसके चेहरे पर एक पेपर मारते हुए उसे कहते हैं-: यह लो तुम्हारा रिटायर मेन्ट लेटर तुम्हारी जॉब खत्म होती है सूरज मलखानी....!! अब आराम करिये आप घर पर बीस साल कानून की खूब सेवा की है आपने, अब आप घर पर रहिए.....!!!

सूरज कमिश्नर की बात सुनकर हैरान सा उन्हे देखने लगता है ।

" सर मेरा रिटायरमेन्ट तो अभी छः महिने बाद होना है तो,,,,, अभी......!!!

" नही,,,अब पुलिस डिपार्टमेंट को आपकी कोई जरूरत नहीं है अब आप घर ही थी अपनी बेटी को संस्कार दिजिये, ताकि वो आपके चेहरे पर कालिख ना पोतने का काम दोबारा ना करे, क्योकि एक बार तो पोत ही चुकी है.....!!! कमिश्नर ने सूरज पर तंज कसते हुए कहा ।

" सर,,,,, मेरी बेटी ने कुछ नही किया है,,,, सब इनके बिगडे हुए भतीजे आकाश खन्ना ने किया है, संस्कार तो इन्हीं देने चाहिए अपने बच्चों को, दूसरों के घर की इज्जत के साथ खिलवाड करने से पहले एक बार नही सोचते है....!!

कमिश्नर ने सूरज को फटकार लगाते हुए उसे चुप कराया और उनके हाथ मे रिटायरमेन्ट लेटर पकडाकर उन्हें पुलिस स्टेशन से बाहर कर दिया ।

वही अश्विन, आकाश को जैल से निकलवाकर उसे घर ले आये, जहां उसका स्वागत किया गया ।

हिती को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज मिलने के कुछ दिनों बाद उसकी शारीरिक चोट तो ठीक हो गई थी पर उसके दिल पर लगी हुई चोट आकाश का उसके दिल को दिया हुआ जखम अभी भी वैसा का वैसा ही था ।

हिती नें जैसे तैसे करके खुद को सम्भाला क्योंकि वह अपनी आंखों के सामने सूरज और गीता को और टूटा हुआ नहीं देख सकती थी, हिती का परिवार बिल्कुल अकेला पड़ चुका था, हिती सूरज और गीता का सहारा थी वही गीता और सूरज हिती सहारा थे ।

अविनाश और मान्या ने भी कॉल्स और मैसेज पर उससे बात करने की कोशिश की थी पर हिती को मोबाइल का कोई होश ही नही था । वो बस रात-रातभर रोकर गुजारा करती और दिन मे बिल्कुल गुमसुम बैठी रहती, ना तो सूरज से कुछ कहती और ना गीता से बात करती,,, वो अपने ही अन्दर खुद को मार रही थी ।