Apang - 55 in Hindi Fiction Stories by Pranava Bharti books and stories PDF | अपंग - 55

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अपंग - 55

55

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" उन्होंने मेरे डैडी की इतनी सेवा की थी कि डैडी का मन हो आया कि उन्हें उनसे शादी कर लेनी चाहिए लेकिन उनके पति ने तलाक देने से इंकार कर दिय | बिना तलाक के वो शादी तो कर नहीं सकते थे लेकिन उन दोनों को आपस में प्यार हो गया था| उनका मेरे डैडी के उनसे फिज़ीकल रिलेशंस रहने लगे और कुछ दिनों बाद मैं माँ के गर्भ में आ गया।"

रिचार्ड बार-बार लम्बी साँसे ले रहा था जो बिलकुल भी बनावटी नहीं थीं |

"माँ के पति तो पहले से ही डैडी की प्रॉपर्टी के लिए माँ को उनके पास भेजते थे | वह आदमी यह तो सोच भी नहीं सकता था कि एक अमेरिकी आदमी बिना पढ़ी-लिखी औरत से शादी करने की बात कर सकता है ! उसने मेरी माँ को तलाक तो नहीं दिया लेकिन अपनी कम्युनिटी में बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी |उसने एक दिन मौका देखकर माँ को धक्का भी दे दिया। माँ, गिर पड़ीं और उन्हें बहुत चोट आई, लगा उनका बच्चा नहीं बचेगा| मुझे बचना होगा इसीलिए डैडी वहाँ पहुँच गए थे | माँ को जल्दी से हॉस्पिटल ले जाया गया जहाँ उनकी सर्जरी करनी पड़ी | मैं तो इस दुनिया में आ गया पर मेरी माँ इस दुनिया से चली गई | " वह फिर से एक बच्चे की तरह फूट-फूटकर रोने लगा था और उसके आँसू फिर से ऐसे बहने लगे मानो जैसे कोई छोटी सी धारा फूट चली हो |

'क्या-क्या रहस्य लेकर जीता है इंसान !' भानु को आज महसूस हुआ कि रिचार्ड उससे कहीं ज़्यादा दुखी था, कितनी पीड़ा थी उसके दिल में !दोनों की आँखों से आँसुओं का बहना बंद ही नहीं हो रहा था | दोनों एक दूसरे से ऐसे चिपक गए थे जैसे कभी भी न बिछुड़ेंगे |

"अच्छा ! तुम्हारी माँ का पति-उसका क्या हुआ ?"जब भानु थोड़ी चैतन्य हुई, उसने पूछा |

"वो पकड़ा गया, उसे सज़ा हो गई, यहाँ तुम जानती हो रूल्स कितने स्ट्रिक्ट हैं पर मेरी माँ तो मुझसे छीन गई न भानु ? बचपन से मैं प्यार को तरसा हूँ | डैडी ने फिर शादी ही नहीं की, मुझे पढ़ाया-लिखाया और इतना बड़ा बिज़नेस मेरे हाथों में देकर इस दुनिया से चले गए |" रिचार्ड चुप हो गया जैसे अचानक किसी ने बोलते हुए स्पीकर की तार काट दी हो | एक सन्नाटा सा दोनों के बीच में पसरने लगा | कुछ देर बाद फिर से रिचार्ड ने कहा ;

"जब तुम्हें देखा, तुम प्रेग्नेंट थीं, नुझे तुम्हारी तरफ़ एक्ट्रेक्शन तो था ही --तुम्हें देखकर मुझे अपनी माँ की याद आती थी | मैं तुम्हारी तरफ़ ज़्यादा एट्रेक्ट होता गया --आई डोंट अंडरस्टेंड हाऊ पीपल कैन थिंक अबाउट बॉडी ओनली ? देयर इज़ ए फ़्लैश ऑफ़ पीस व्हिच इज़ नोन 'हार्ट' !" और रिचार्ड चुप हो गया | आज वह पीस ऑफ़ फ़्लैश और भी ज़ोर से धड़कने लगा था |

"तुमने राजेश से भी बात की थी न ?"

"हाँ, मैंने राजेश से बहुत बार बोला कि उसे अपनी पत्नी का ध्यान रखना चाहिए, पता नहीं वह किस मिट्टी का बना है --" रिचार्ड ने अफ़सोस करते हुए कहा |

"इट्स ओके --क्यों सोचना उसके लिए जो इस फीलिंग को ही समझ नहीं सकता | फॉरगेट रिचार्ड। अब ज़िंदगी को अलग तरीके से शुरू कर ही चुकी हूँ मैं --बस, एक ही चिंता है, माँ-बाबा की !"

"मैंने तुम्हारी प्रेग्नेंसी के टाइम मैंने राजेश का बिहेवियर देखा था न और मैं तुम्हें खो नहीं सकता था --उसको तुम्हारी कोई केयर ही नहीं थी और वह कुछ भी कर सकता था इसीलिए मैंने उस समय तुम्हारा ध्यान रखा था |"थोड़ी देर में फिर धीरे से बोला ;

"मैं खुद नहीं समझ पा रहा कि क्या यह प्यार है जो मैं तुम्हारे लिए इतना परेशान हो जाता हूँ ?मुझे लगता है --हम सब अपने से ही प्यार करते हैं | हम वही करते हैं जो हमारे लिए ठीक होता है | " अचानक वह उठकर खड़ा हो गया ;

"आई मस्ट मेक ए मूव ---" वह उठकर खड़ा हो ही चुका था, भानु भी खड़ी हो गई | रिचार्ड ने उसे अपने आलिंगन में ले लिया और पहली बार एक हल्का सा चुंबन देकर, अपनी आँखें नीची करके वह वहाँ से निकल गया | आज तो वह बच्चे को भी नहीं मिलकर गया |

रिचार्ड निकल गया तो भानुमति को अजीब सी फीलिंग हुई | उसकी स्नेहिल छुअन भानु के भीतर तक उतर गई | उस रात भानु को नींद नहीं आ सकी | रात को उठकर उसने लिखा ;

इस नीले समुद्र और

नीले आकाश पर

आम आदमी के लाल-गाढ़े

ख़ून से लिखे हुए

वो रहस्य हैं --

जो समुद्र की उछालों के साथ

गुम होकर --

बरसात के पानी के साथ

नीचे बरस पड़ते हैं --

औ---र---

हम सबको इनमें

डूबना पड़ता है ---

फिर से समुद्र की उछालों में

खो जाने के लिए --

हम एक और 'नाम'

एक और परिभाषा ढूंढते हैं --

और फिर से

नाकाम हो जाते हैं --