Apang - 54 in Hindi Fiction Stories by Pranava Bharti books and stories PDF | अपंग - 54

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अपंग - 54

54

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" मैं एक हिन्दुस्तानी औरत का बेटा हूँ ---" रिचार्ड ने कहा और एक लम्बी साँस खींची |

भानु के पास आँखें चौड़ी करने के अलावा और कुछ था ही नहीं, उसका मुँह खुला रह गया और वह रिचार्ड को ऐसे ताकने लगी जैसे किसी अजायबघर में बंधा कोई ऐसा अनजाना जानवर जिसे किसी ने यूँ खुला हुआ देखा ही न हो |

उसकी फटी हुई आँखों के आगे रिचार्ड ने चुटकी बजाई ;

"क्या हो गया ? क्या मैं कोई भूत हूँ ?" वह हँसा | बिलकुल नॉर्मल था वह !

"नहीं, ऐसा कैसे हो सकता है ?" यूँ ही उसके मुख से निकला | भानु ने उसके चेहरे पर आँखें जैसे चिपका ही दीं थीं |

"क्यों, क्यों नहीं हो सकता ?" रिचार्ड ने पूछा |

"मेरा मतलब है ---" वह चुप हो गई | उसका कुछ मतलब ही नहीं था | वह तो वैसे ही भीतर से कुछ अजीब सा महसूस कर रही थी | कैसा ? नहीं जानती थी, उसकी व्याख्या के लिए जैसे उसके पास शब्द ही नहीं थे |

"भानु ! जीवन कब ?कहाँ?क्या ? हो सकता है या होता है, तुम अब तक इसी घेरे में घूम रही हो ? लेकिन हम कभी नहीं जान पाते....।"

कुछ नहीं बोल पाई भानु, बस यूँ ही फटी-फटी आँखों से देखती रह गई रिचार्ड को जैसे उसके चेहरे पर उसकी भारतीय माँ के उदर से जन्म लेने का कोई प्रमाणपत्र चिपका हुआ हो |

"परेशान होने की कोई बात नहीं है भानु, मैंने तुम्हें अभी बताया नहीं था | शायद अब हम इतने क्लोज़ आ चुके हैं कि मुझे तुम्हें अपने बारे में सब कुछ बताना चाहिए | तुम्हारे बारे में तो मैं लगभग सब जानता ही हूँ |"

"समझ में नहीं आ रहा, इस बात को कैसे लूँ ?" भानु ने कहा | वह अब भी कहीं खोई हुई सी थी और रिचार्ड के कहने से कि 'अब हम इतने क्लोज़ आ चुके हैं' धड़कनें एक बार फिर बढ़ा दी थीं |

"टेक इट इज़ी भानु ---"उसने कहा और फिर से एक लम्बी साँस भरी |

तुम्हारी ही तरह मेरी माँ भी इंडिया से यहाँ अपने पति के साथ यहाँ आई थी | तुम यकीन नहीं करोगी, मेरी माँ का पति बिलकुल पढ़ा-लिखा नहीं था लेकिन न जाने कैसे उसने यहाँ रहने का स्थाई परमिट बनवा लिया था | बाद में उसकी पत्नी यानि मेरी माँ को भी यहीं बुला लिया था | वह पंजाब के किसी गाँव की थी | मेरे डैडी ने मुझे सब बताया था लेकिन मुझे अब उनके गाँव का नाम याद नहीं है |

"मेरी माँ का पति --जानता हूँ, यह सुनने में कुछ अजीब है लेकिन यह सच है कि मेरी माँ मेरी थी और उनका पति मेरे डैडी नहीं थे | यहाँ आकर उसने मेरे पिता के प्याज़ के खेतों में काम करना शुरू किया | वह एक लेबर था लेकिन यहाँ सबको काम के पैसे घंटे के हिसाब से मिलते हैं, यह तुम जानती हो ---वह खूब काम करता और रात को अपनी पत्नी यानि मेरी माँ को पीकर खूब कुचलता और मारपीट करता | मेरे पिता अब तक बैचलर थे | उनकी गर्लफ्रैंड थी जो न जाने कैसे किसी एक्सीडेंट से मर गई थी | डैडी की हैल्थ बहुत खराब रहने लगी | तब मेरी माँ के पति ने अपनी पत्नी को मेरे डैडी के पास अपनी पत्नी को पैसे के लालच में उनकी सेवा करने ज़बरदस्ती भेजा | उसने मेरे डैडी की खूब सेवा की | मेरे डैडी की हैल्थ सुधरने लगी | मेरी माँ की सेवा से डैडी के मन में उनके लिए प्यार ने जन्म ले लिया और मन से टूटी-फूटी मेरी माँ को मेरे डैडी से प्यार हो गया | " रिचार्ड कुछ देर के लिए चुप हो गया | उसकी आँखों में आँसू तैरने लगे थे |

भानु को लग रहा था मानो वह कोई फ़िल्म की कहानी सुन रही हो, वह रिचार्ड के पास खिसक आई थी और उसकी आँखों में भरे आँसू उसने अपने हाथों से पोंछ दिए थे | यह समय था जब रिचार्ड ने उसके कंधे पर अपने सिर को पहली बार टिकाया था | उसकी आँखों से आँसुओं का सैलाब ऐसे बहने लगा था कि भानु को समझ में ही नहीं आ रहा था कि वह उसे कैसे चुप कराए ? अचानक जैसे किसी छोटे बादल का कोई ऐसा टुकड़ा बरसकर उसके कंधे को भिगोने लगा था जो बरसने से थमने का नाम ही नहीं ले रहा था |

" व्हाट इज़ दिस रिचार्ड ? आर यू सो वीक ?" उसने प्यार से रिचार्ड के बालों में हाथ फेरा | एक अजीब तरह की तरंग दोनों के शरीरों को छूकर बहने लगी थी |

"ऐसे कौन आदमी रोता है भला ?" भानु ने कहा तो झट से उसने अपने सिर को भानु के कंधे से ऊपर उठाया |

"डोंट टैल मी --मैन डोंट क्राई --मैन आर ऑल्सो ह्यूमन बींग्स ---" रिचार्ड ने कहा और अपने रुमाल से अपनी ऑंखें और चेहरा साफ़ करने लगा |

भानु को लगा शायद उसने अनजाने में ही रिचार्ड का दिल दुख दिया है | उसे अफ़सोस हुआ और उसकी आँखों में भी आँसू भर आए |

"व्हाय डू यू क्राई ? वुमन आर मेंट टू क्राई ओनली ?" रिचार्ड ने भानु की ओर ऐसे मुँह बनाकर कहा कि उसके मुख पर मुस्कान तैर गई |

"दैट्स लाइक ए गुड़ गर्ल ---" उसने भानु को अपनी बाहों में समेट लिया |

भानु ने महसूस किया, उसके आलिंगन में कहीं कोई ऎसी छुअन नहीं थी जो उसे वितृष्णा से भर देती |

"आय एम सॉरी --"रिचार्ड ने उसे ढीला छोड़ते हुए कहा और अपनी कहानी का सिरा फिर से पकड़ने की कोशिश की |