हिती को होश आया वो शून्यभाव से अपने पास गीता और सूरज की तरफ देख रही थी,,,।
" मां,,,, मेरा बच्चा ठीक है ना,,,,, !!! काफी देर की चुप्पी के बाद हिती ने अपने मुंह से यह बात निकाली ।
हिती की बात सुनकर सभी एक-दूसरे का चेहरा देखने लगे किसी की कुछ बोलने की हिम्मत नही हुई काफी देर तक जवाब ना मिलने पर हिती ने असमंजस से सभी के परेशानी भरे चेहरे की तरफ देखा ।
" बोलिये भी अब,,आप मे से कोई मेरे सवालो की जवाब क्यों नहीं दे रहा है मैं कुछ पूछ रही हूं, मेरा बच्चा ठीक तो है ना.....??? हिती में अब उस से भरे वजह से सभी के चेहरे को देखते हुए सवाल किया ।
" हिती, तू अभी आराम कर इस बारे मे बाद मे बात करते है,,,,!!! मान्या ने हिती की बात को टालते हुए कहा ।
" बाद में क्यों मेरे सवाल का जवाब दीजिए बस अभी,,,,!!! हिती अब अपना आपा खो रही थी ।
" तुम्हारा बच्चा,,,,!!! गीता इतना ही कह पायी कि तभी पास बैठे सूरज ने सख्त लहजे से कहा-: तुम्हारा बच्चा मर गया है, उस लड़के का पाप मर चुका है,,,
हिती ने सूरज के यह शब्द सुने तो उसकी आंखों से लगातार आंसू बहना शुरू हो गए उसने काटते हुई आवाज में सूरज से कहा-: पापा,,, आप,,,, आप यह क्या कह रहे है,,,,आप झूठ बोल रहे है ना,,,,, पापा....!!
सूरज ने हिती की बात का इस बार कोई जवाब नहीं दिया ।
हिती ने गीता और मान्या के चेहरे की तरफ देख कर रोते हुए उनसे कहा-: मां,,,,देखो ना पापा क्या बोल रहे है,,,, मान्या पापा को बोलो न ऐसा मजाक न करे......"
गीता और मान्या की आंखो मे नमी तैर गई । वो दोनो खामोश सी बैठी रही ।
" आप दोनों कुछ बोल क्यों नहीं रही है पापा क्या बोल रहे हैं, समझाइए ना इन्हें,,, ऐसे ना बोले,,,!!!
" वो मर चुका है, सुन लिया तुमने मर गया है तुम्हारा बच्चा, यह दोनो कुछ नही कहेगी,,,अब सिर्फ तुम इस बात पर विश्वास करो, और अच्छा ही है उस लडके का पाप मर गया, कम से कम एक परेशानी तो खत्म हुई हमारी...." सूरज ने बेहद बेरुखी से हिती से कहा ।
" नही,,,,,,!!! हिती, सूरज की बात सुनकर चिख पडी, उसकी आंखो से लगातार आंसू बह चले, वो अपनी पट्टियां निकाल कर फेंकने लगी ।
डॉ. और नर्स हिती की आवाज सुनकर दौडते हुए वहां चले आये ।
नर्स ने हिती को पकडा और उसे कन्ट्रोल किया वही डॉ. ने बाकि सभी को वहां से बाहर जाने को लिये कहा ।
सुरज, गीता और मान्या वहां से बाहर की तरफ चले गये । अविनाश ने नम आंखों से एक बार हिती की तरफ देखा । डॉ. ने हिती को इंजेक्सन लगाया तो वो बेहोश हो गई थी, अविनाश ने हिती के चेहरे से नजरे हटा ली फिर वहां से बाहर चला गया ।
वही दूसरी तरफ, सूरज को आकाश पर काफी गुस्सा आ रहा है, आखिर उसनें उनकी बेटी की पूरी जिंदगी बर्बाद कर देती है और हिती इस हालत का जिम्मेदार भी वहीं था ।
अविनाश बाहर आया तो सूरज, आकाश पर गुस्सा करते हुए गीता और मान्या से कुछ कहर रहे थे ।
" मैं पुलिस स्टेशन जा रहा हूं अभी मेरी पाटिल से बात हुई आकाश पुलिस स्टेशन में है मैं उस लड़के को इतनी आसानी से नहीं छोड़ने वाला,,,!!
" बिल्कुल अंकल, उस आकाश ने हिती की जिंदगी बर्बाद की है,,, उसे सजा मिलनी चाहिए,,,!
" मेरी बेटी का ऐसा हाल करने वाले इस लड़के को आप बिल्कुल मत छोड़िएगा सूरजजी,,,,,!! गीता ने पल्लू से अपने आंसू पोंछते हुए गुस्से से कहा ।
सूरज ने उन दोनो के चेहरे की तरफ देख कर अपना सिर हिला दिया और तेज कदमों से हॉस्पिटल से बाहर निकल गए ।
वहीं अविनाश ने यह सब सुना तो उसनें एक गहरी सांस ली और सूरज के पीछे चला आया ।
पुलिस स्टेशन
आकाश जैल मे बन्द था और जोर- जोर से चिल्ला रहा था ।
" बाहर निकालो मुझे, मैं तुम लोगों को छोडूंगा नहीं, तुम पुलिस वाले खुद को समझते क्या हो? क्यों लेकर आए हो मुझे यहां? गलती क्या है मेरी? तुम जानते नहीं हो मैं कौन हूं? बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ेगी तुम लोगों को इसकी......"
आकाश ऐसा कहते हुए चिल्ला रहा था तभी सूरज वहां पहुंचते हैं सूरज को देख कर बाकी सभी पुलिसवाले अपनी सीट से खड़े होकर उन्हें सैल्यूट करते हैं सूरज तेज कदमों से लॉक अप दरवाजा खोलते हैं आकाश सूरज को गुस्से से घूरने लगता है ।
" क्यों लाए हो मुझे हो यहां,,,क्या आप मेरे डैड को जानते नही है आपको बहुत भारी किमत चुकानी पड सकती है इसकी...."
" मुझे नही तुम्हें भारी कीमत चुकानी पड़ेगी मेरी बेटी की जिंदगी के साथ खेलने की....." कहते हुए सूरज आकाश के पास आते हैं और उसके गाल पर चटाक एक जोरदार थप्पड़ लगा देते हैं, आकाश कुछ कहता इससे पहले ही सूरज लगातार डंडे और लातों से आकाश को मारने लगते हैं आकाश खुद को बचाने की कोशिश करता है पर सूरज बाहर से 23 ऑफिसर को अंदर बुलाते हैं और आकाश को पकड़ने को कहते हैं इसके बाद सूरज आकाश तुमको बहुत बुरी तरीके से पीटते हैं जिस पर आकाश जमीन पर गिर जाता है वह लंबी-लंबी सांसे लेने लगता है, उसके शरीर में जरा भी जान नहीं थी कि वह कुछ बोल भी पाए,,,!!
सूरज, आकाश को मारना बंद नहीं करते वह आकाश को इस कदर मार रहे थे जैसे उन पर कोई भूत सवार हो, सूरज की मार से आकाश की आंखें बंद होने लगी थी वह बेहोश होने लगा था कि तभी अविनाश ने आकर उसे आकाश से दूर किया ।
" अंकल मर जाएगा यह है क्या कर रहे हैं आप??? अविनाश ने सूरज को पीछे खींचते हुए कहा ।
" मार डालूंगा मैं इसे, इसमें मेरी बेटी की जिंदगी बर्बाद की है...
सूरज के सिर पर तो जैसे खून सवार हो गया था अविनाश ने बात बिगड़ते हुए देखा तो सूरज को खींचते हुए बहुत से बाहर आया पाटिल मे लॉक अप बंद किया । आकाश जमीन पर पड़ा हाफ रहा था थोड़ी देर बाद वह उठ कर बैठ गया और तेज सांसे लेते हुए अविनाश की तरफ देखने लगा ।
" अंकल आपको मैंने कल भी कहा था आप आकाश का कुछ नहीं कर पाएंगे अभी इसके चाचा यहां पहुंचते ही होंगे वह.....!!!
अविनाश इतना ही कह पाया कि तभी उसके कानों में एक भारी आवाज पड़ती है-: हेलो इंस्पेक्टर मलखानी......!!!
अविनाश और सूरज ने पलट कर दरवाजे की तरफ देखा तो वहां करीब 45 साल का एक आदमी जिसने बिजनेस सूट पहना हुआ था और उनके चेहरे पर काफी गंभीर भाव थे और साथ ही वो एक बेहद रोबिले स्वभाव के इंसान दिख रहे थे ।
अविनाश ने गहरी सांस के साथ उस आदमी को देखते हुए कहा-: अश्विन खन्ना.....!!!