Chorono Khajano - 7 in Gujarati Fiction Stories by Kamejaliya Dipak books and stories PDF | ચોરોનો ખજાનો - 7

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ચોરોનો ખજાનો - 7

उन सभी दलपतियो को पूरी योजना समज मे आ चुकी थी। वो सब जानते थे की किस तरह लड़कर वो लोग इस जंग को जीत सकते थे और जंग जितने के बाद उन्हें क्या करना था।

जो सैनिक रुस्तम के साथ मिलकर लड़ने वाले थे उन्हें रुस्तमने इकट्ठा किया। फिर कुछ देर थोड़ी सूचना देकर झंडे किस तरह बनाने है ये सिखाया। उन सभी लोगों ने अपनी तलवार या अपने धनुष का इस्तेमाल करके किस तरह झंडे बनाने है वो रुस्तमने ठीक से सीखा दिया था।

उस दिन की शाम होते होते तो सभीने खुद के हथियार छिपाने केलिए और चर्चासभा केलिए सारी तैयारी कर ली थी। चर्चासभा केलिए जो एक ही तरह के कपड़े हमने पसंद किए थे वो कपड़े उन सभी सैनिकों केलिए तैयार थे। हर सैनिक की तलवारे और धनुष को झंडो के नीचे छुपाया था। अंग्रेजो केलिए उन्हें पहचानना मुश्किल था। और उन केलिए शायद इन सैनिकों की हिम्मत को हराना नामुमकिन था। ये जंग हमारी थी। इस जंग के बाद मिलने वाली शहिदि हम में से किसीको भी मंजूर थी। क्यों की इस जंग के बाद होने वाली जीत हमारी थी।

दूसरी और हमने भी वो सारा खजाना भर कर उस जगह से हमारी योजना के मुताबिक जहाज तक पहुंचाने केलिए जो जरूरी थी वो सारी तैयारी कर रखी थी। और उस केलिए हमने बड़ी बड़ी पंद्रा गाड़िया बनाई थी जिसे घोड़ों की सहाय से हम खींच कर जहाज की ओर लेके जाने वाले थे। और फिर हम उन्हीं जहाजों में उस खजाने को लाद कर, उसी जहाज में राजस्थान के विशाल इलाके में फैले हुए रेगिस्तान में भाग जाने वाले थे।

जी हा, सही सुना आपने। हम उन जहाजों का इस्तेमाल करके रेगिस्तान में भागने वाले है। अब आप सोच रहे होंगे कि जहाज से भला कोई रेगिस्तान में कैसे भाग सकता हैं? इन जहाजों की यही तो सबसे बढ़िया खासियत थी। वो रेगिस्तान की रेत में और समंदर के पानी में इस तरह दोनो जगह आराम से चल सकते थे। इसी वजह से उन्हें जलंधर जहाज कहा जाता था। (जल - पानी। और धर - धरा, जमीन।)

ये जलंधर जहाज दिखने में तो सामान्य जहाज की ही तरह दिखते थे लेकिन उनकी रफ्तार जितनी पानी में होती थी उतनी ही तेजी से वो रेगिस्तान में भी चल सकते थे। और ठीक ऐसे ही जहाज हमारे सरदार के पास छे थे। उनमें से तीन हम इस्तेमाल करने वाले थे।

तो ये थी रुस्तम की बनाई हुई योजना। और उस केलिए सब कुछ तय था। वो दिन भी तय था। वहा उन अंग्रेजो और राजाओं की सेना के साथ होने वाली लड़ाई भी तय थी। हमारी जीत भी तय थी। उनकी हार भी तय थी। हमे बस ये लड़ाई लड़नी थी।

वहा एक कोने में खड़ी कुछ औरते बाते कर रही थी। शायद वे एक दल में लड़ने केलिए रुस्तम के साथ जाने वाली थी।

सरस्वती : आखिर कोन है ये लड़का जिसने इतनी अच्छी योजना बनाई है और जिस पर हमारे सरदार इतना भरोसा करते है?

मेघना: पता नही, लेकिन कुछ बात तो है उसमे। वो लड़का सभी को पसंद आ रहा है। इस वक्त सभी सेना दलों में बस उसीकी बाते हो रही है। शायद वो जलंधर जहाज को लेकर जो योजना बना रहा है, मेरे खयाल से वो जैसलमेर के इलाके से ही कोई दलपती होगा।

सरस्वती: हमे उसके साथ लड़ने का जो सौभाग्य प्राप्त हुआ है, हम उसी से धन्य हो जायेगी।

मेघना: सही कह रही हो, सरू। हम खुशनसीब हैं कि इस युद्धमे हम उसके साथ मिलकर उन अंग्रेजो को हमारे देश से बाहर निकाल देंगे।

उनकी इन बातो को मैं वही थोड़े दुर खड़े खड़े सुन रहा था और अपने बेटे ऊपर गर्व महसूस कर रहा था। मुझे इस बात का गर्व है की रुस्तम मेरा बेटा है। लेकिन ये बात इन सभी दलों में से भद्रा के अलावा अन्य कोई नही जानता था।

हा, उसकी सोच मुझसे नहीं मिलती। लेकिन मेरे दिल में हिंदुस्तान केलिए जो जज्बात है वही जज्बात उसके दिल में भी है। उसके आदर्श, उसके हीरो भगतसिंह और चंद्रशेखर आजाद थे। जबकी में हमेशा उसे हिंसा न करने केलिए समझाता हूं तो वो कहता है की, "बाबा ये लोग इंसान नही, जानवर है। और जानवर जब पागल हो कर हर जगह उधम मचाए तब उसे काबू न किया जाए तो वो इंसानियत तक को हानि पहुंचा सकता है। इसलिए उसे ज्यादा सेहने से अच्छा है की उसकी जान ले ली जाए। और मैं वही करता हु।"

मुझे उसकी इन बातो से हमेशा डर लगता था। लेकिन आज उसने जो योजना बनाई थी उससे हमारे देशको बहुत फायदा होने वाला है।

उसने कभी भी मेरे नाम का इस्तेमाल नहीं किया। वो हमेशा सारी कहानी अपने दम पर बनाना चाहता था। वो एक ही सपना बुनता था की एकबार तो उन अंग्रेजो को उसकी तलाश में देश के हर कोने में दोड़ाऊंगा। मैं हस कर कहता, अच्छा, ऐसा कौनसा तीर मारने वाला है तू? तो वो कहता, देखना बाबा, एक दिन आपको मुजपे नाज होगा।

शायद आज वही दिन है। मुझे उसपे सचमे नाज है लेकिन मैं उसे अभी खुशी से गले भी नही लगा सकता।

भद्रा मेरे पास आया।

भद्रा: तुम खुशनसीब हो की तुम्हे रुद्रा जैसा बेटा मिला। तुम्हे उस पर नाज होना चाहिए। उसकी योजना हमे ये जंग जितवाएगी, देख लेना तुम। शायद मैं भी इतनी अच्छी योजना नहीं बना पाता, जो तुम्हारे बेटे ने बनाई है।

मैं खुशी से फूला नहीं समा रहा था। मेरी आंखों में खुशी के आंसू आ गए। एक बाप को इससे ज्यादा क्या चाहिए। जब कोई और उसके सामने ही उसके बेटे की तारीफ करे।

भद्रा मेरा कंधा थपथपाते हुए वहा से चला गया।

रुस्तम - ये नाम उसका नही था। उसके दलमे सिर्फ चार ही तो लोग थे।
रु - रुद्रा
स - संतोष
त - तन्मय
म - मणिशंकर
उन चारों के नाम से ही उनके दल का नाम 'रुस्तम' बना था। उसी नाम से उस पूरे दल को जाना जाता था।

थोड़ी देर बाद मैं रुद्रा की तरफ चलने लगा। मैं उसे ये कहना चाहता था की मैं उससे बहुत प्यार करता हु। मुझे उसे यही कहना था की मुझे गर्व है उस पर। मुझे गर्व है अपने बेटे पर। मुझे गर्व है अपने दिए संस्कारों पर। मुझे गर्व है की मेरा बेटा हिंदुस्तान की आजादी केलिए ही लड़ रहा है। मुझे गर्व है की मेरा बेटा एक देशभक्त हैं।

जब मैंने देखा की मेरा बेटा अपने सामने खड़े कुछ लडको से बाते कर रहा था, मैने सोचा की मैं अभी ही उसे गले से लगा लूं और कहूं की बेटा, मेरा बेटा होने केलिए बहोत बहोत धन्यवाद। लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता था। वो भले ही मेरा बेटा है लेकिन इस वक्त उसके सिर पर इस पूरी लड़ाई की जिम्मेदारी थी। और मैं इस बात से इन्कार नहीं कर सकता कि वो इस देश केलिए ही लड़ेगा। इस देश केलिए ही जियेगा और इस देश केलिए ही मरेगा। वो शहीद कहलाएगा।

आखिर क्यों न करू मैं उस पर नाज?

मेरी आंखों से आंसू बहने लगे। मैने खुद के जज़्बातो पर नियंत्रण रखा और वहा से वापिस जाने लगा। तभी मेरे बेटे की नजर मुझ पर पड़ी। उसने अपने चेहरे को थोड़ा सा ऊपर उठाया और 'क्या हुआ' ऐसा इशारे से ही पूछा। मैने अपने आंसू छुपाते हुए अपने चेहरे को नकार में हिलाकर उसे सुनाई न दे ऐसी आवाज में 'कुछ नही' कहा और वहा से चल दिया।



કેવી હશે આ જંગ?
ખજાનો ચોર્યા પછી બધા ક્યાં ગાયબ થઈ જશે?
પેલા બીજ શેના હતા?
નકશાના બધા ટુકડાઓ મળશે કે નહીં?
આ લોકોને ખજાનો ફરી વાર મળશે કે નહિ?

આવા પ્રશ્નો ના જવાબ માટે વાંચતા રહો..
ચોરનો ખજાનો


Dr Dipak Kamejaliya
'શિલ્પી'