Pyaar ka Zeher - 71 in Hindi Love Stories by Mehul Pasaya books and stories PDF | प्यार का ज़हर - 71

Featured Books
  • My Wife is Student ? - 25

    वो दोनो जैसे ही अंडर जाते हैं.. वैसे ही हैरान हो जाते है ......

  • एग्जाम ड्यूटी - 3

    दूसरे दिन की परीक्षा: जिम्मेदारी और लापरवाही का द्वंद्वपरीक्...

  • आई कैन सी यू - 52

    अब तक कहानी में हम ने देखा के लूसी को बड़ी मुश्किल से बचाया...

  • All We Imagine As Light - Film Review

                           फिल्म रिव्यु  All We Imagine As Light...

  • दर्द दिलों के - 12

    तो हमने अभी तक देखा धनंजय और शेर सिंह अपने रुतबे को बचाने के...

Categories
Share

प्यार का ज़हर - 71

" दिव्या बेटा ऐसे अचानक कैसे हुआ ये सब और गुंडे कैसे पकड़ कर ले गए तुम्हे. दिव्या ने कहा की माजी वो ना दरअसल मे कमरे मे गई थी, तो वहा वो गुंडा पहले से ही आया हुआ था खिडकी से, और फिर मुझे बेहोश कर दिया फिर इसके आगे मुझे कुच याद नही है, राहुल तुरंत बोल पडा.

" इसी लिये इसी लिये मे इसको इतना कुच कहता हू लेकिन इसको तो बस मजाक ही लगता है" कभी तो गंभीरता से लो मेरि बात को, लेकिन नही महारानी को कुच पडी ही नही है, दिव्या बोली पहले आप शान्त हो जाओ सुभ से गुस्सा किये जा रहे हो आप गुस्सा ना करो मुझे कुच नही हुआ है, राहुल ने कहा.

" मम्मी मे जा रहा हू इसको उपर भेज देना" प्रणाली ने कहा है" भेज दूंगी तुम जाओ, राज ने कहा की.

" मम्मी अब मे भी जा रहा हू काफी वक़्त ही चुका है रात का और अब सो जाओ सब लोग सरस तुम दिव्या को अपने कमरे मे लेजाओ और सुलादो, सरस बोली.

" ठीक है भैया, आओ भाभी मेरे कमरे मे सो जाओ बहुत रात हो चुकी है, दिव्या ने कहा.

" सुनो अब सो जाना ठीक है जगना मत, राहुल ने कहा ठीक है"

" अग्ली सुभ, सुभ के 6 बजे हुए थे और रिहान बाबू अभी तक सो रहे थे, उसको कई लोगोने उठाया लेकिन वो नही उठा बाद मे उसकी अम्मी ने जो किया, रिहान ने कहा ये क्या अम्मी आपने मेरे पे पानी क्यू डाल दिया, रिहान की अम्मी ने कहा.

" इतनी देर तक नही सोते और ये घर तुम्हरा वो अड्डा नही है जो की अपनी मन से सारा दिन तक सोये रहते थे, रिहान बोला.

" अम्मी आप भी ना चेन से सोने नही देते हो. रिहान का मूड बहुत खराब हो चुका था, लेकिन रिहान जैसे तेसे गया नहाने के लिये, फिर क्या था दिन फिर्से शुरु हो गया और फिर वापस सब आमे लगा जैसे हर रोज़ होता था, रिहान का वो बाज़ार मे जाना और सारा बाज़ार घूम कर आना,

" राहुल और बाकी के घर वाले सब लोग अपने अपने काम मे लगे हुए थे अब तक सबह के 9 बजे थे" तब वहा पुलकित आया, और ऐसे ही घर के अंदर घुस्स। गया और कहने लगा की.

" हमारा आप जोशी परिवार को नमश्कार क्या हम गलत वक़्त पर तो नही आ गए ना, महेर ने कहा नही बिल्कुल नही लेकिन आप हो कौन और इतनी सुबह सुबह कैसे आये क्या काम है, पुलकित ने कहा की.

" हम है पुलकित इस घर के बहुत पुराने वाले मेहमान " महेर ने कहा ओ अच्छा तो ऐसी बात है, फिर तुरंत राज आ गया और बोला.

" आइये आइये महोदय जी आपके बारे मे शाम को जिक्र हुआ था " आप कितने बडे वाले वो हो. काफी सारि हमे आपके बारे मे तारीफे सुनने को मिली, पुलकित ने कहा.

" अरे वाह पता लग गया चलो भाई बहुत अच्छा है अब आएगा मज़ा " अश्ली बात पे, राज ने कहा हा एक दम सही कहा है " महेर ने कहा.

" भैया ये आप किस तरह बाते कर रहे है" मानो जैसे की बहुत पुरानी दुश्मनी निकाल रहे हो, राज ने कहा अरे छोटी ऐसा कुच भी नही है.

आगे जान्ने के लिए पढते रहे प्यार का ज़हर और जुडे रहे मेरे साथ