Pyaar ka Zeher - 66 in Hindi Love Stories by Mehul Pasaya books and stories PDF | प्यार का ज़हर - 66

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प्यार का ज़हर - 66

राहुल : ओ दिव्या कहा है कहा है. अरे क्या छोटी. तुम भी ना.

महेर : हा देखा मेने ढूंड ही लिया ना आपकी नींद उड़ाने का इलाज़.

सरस : लेकिन महेर तुम्हारी चाची तो आगई देखो मेरे बाजू मे.

राहुल : अरे क्या बात है सुबह सुबह.

दिव्या : हा हमे पता था की तुम उठने वाले तो हो नही इस लिये आ गई.

राहुल : वैसे अपनी दोस्त के घर से अकेली आई हो क्या कोई साथ आया है.

दिव्या : नही मे अकेली ही आई हू. दरअसल मेरि दोस्त पूनम घर के काम मे थोडा लग गई थी तो मे उसको बता कर आ गई.

राहुल : क्या? आपका दिमाग खराब है. क्या आप अकेले कैसे आ सकते है. मेने कहा था. की अगर कही पे जाना हो तो मुझे बता दिया करो या किसी को बोल दिया करो. ऐसे कैसे बिना बताये बहार जा सकती हो. बाबा मे आपको लेकर कोई मुसीबत को हल्के मे नही लेना चाहता बस बात खतम.

सरस : अरे रे बस ये गुस्से वाली गाडी की कोई तो ठहर ने जगह होगी जब आई है. उसको डात ते ही जा रहे हो. भाभी यही है आपके सामने सही सलामत. और जिसके पास आपके जैसा चाहने वाला हो उसको आप कुच होने ही नही दोगे.

राहुल : बेहना आपकी बात सही है. लेकिन मे कोई भी मुसीबत नही मोड लेना चाहता. कभी नही.

दिव्या : पहले आप शान्त हो जाओ छोटी और सरस आप दोनो जाओ मे इनको शान्त कराती हू.

सरस : हा जरुर इनको आपकी बहुत जरूरत है. अगर एक दिन मे आप उनको एक पल तक देखने नही मिली फिर तो भगवान ही जाने इस दुनिया मे क्या होगा प्रलय आयेगा या तो भोचाल आयेगा.

महेर : हा चलो दीदी.

《 दो पल के बाद... 》

दिव्या : हा तो अब मे बोलूंगी और आप सुनोगे. ठीक है.

राहुल : हा बोलो क्या कहना है.

दिव्या : क्या आपको मेरि इतनी फ़िकर होती है क्या. अगर मे किसी हादसे मे मारी गई या फिर मेरे साथ किसी भी तरह का हाद्साह हो गया तो.

राहुल : तुम्हारे से दो गज की दुरी तक ही सब रहेंगे बुरी नज़र वाले लोग. कोई भी हो रास्ते मे चल्ते हुए हादसे. या फिर घर मे या कुदरती से होने वाले हादसे दुनिया का कोई भी हादसा बोल लो मे हर उस हादसे को तुमसे दूर रखुंगा. तुम्हारे साथ कोई बुरा कर जाये वो तो बहुत दूर की बात है. मे उससे वही का वही गाड़ दूंगा. अगर तुम्हारी जान लेने को कोई आएगा तो उससे पहले उसको मेरा सामना करना पडेगा.

दिव्या : हा बाबा मे जानती हू. और मुझे माफ करो अब ऐसे सवाल नही करूंगी आपसे. और मे बहुत अच्छे से जानती हू की. तुम्हारे होते हुए मुझे कुच नही हो सकता. अब शान्त हो जाओ ठीक है. बाबा सेहत के लिये इत्ना क्रोद्ध और ठीक नही है.

राहुल : रुको पास आओ तो. ये हाथ पे जला कैसे.

दिव्या : वो वो ना खाना बनाते वक़्त हाथ जल गया.

राहुल : लेकिन खाना तुम्हे किसने बनाने को बोला था. घर मे नौकर कम थे क्या? रुको मे अभी बता ता हू सबको. मम्मी... मम्मी...

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