Pyaar ka Zeher - 45 in Hindi Love Stories by Mehul Pasaya books and stories PDF | प्यार का ज़हर - 45

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प्यार का ज़हर - 45

सरस : कोन हो तुम लोग. और मुझे क्यू यहा पे लाये हो. छोडो मुझे.

विनय : ए लड्की तुम्हे यहा छोड़ने के लिए नही लाये है. ठीक है. इस लिए चुप चाप जो भाई बोलते है वही करो.

सरस : नही ऐसा मत करो हमे जाने दो. बचाओ...

रितेश : अरे ऐसे कैसे जाने दे. अब तो हम अपनी हवस मिटायेंगे तुमसे हेहेहे.

रिहान : एक और शब्द बोला ना अपनी गंदी जुबान से. तो ये तेरी गंदी जुबान काट दूंगा.

रितेश : क्या बोला बे तू मेरी जुबान कटेगा. अरे फटेले कोन है. मन्ना जो शेर की जाल मे खुद आगया मरने के लिए.

विनय : ए कोन है. और हा तुझे ये बता दू. की अगर यहा पे कोई आगया गलती से तो जिन्दा वापस नही जाता.

रिहान : कोशिश करके देख लो. कार्तिक उस लड्की को यहा ले आओ मे देखता हू कों चूता है. तुमको.

कार्तिक : हा भाई लाता हू. रुको. ए चुना मत ठीक है. वरना मेरा जो ये दोस्त है. ना वो तेरे पुर्जे ढीले कर देगा तो सोच समझ कर आगे बढ़ना.

करन : तेरी इतनी हिम्मत की तू यहा मेरे अड्डे पे आकर हम सबको धमका रहा है. अब तुम्हारी खैर नही.

कार्तिक : और ये गया सिक्सर. बोला था ना चुना मत. लेकिन तुम लोगो को बात समझ आती कहा है.

करन : आ... अरे देख क्या रहे हो. मारो इसको. आज ये जिन्दा बच कर नही जाना चाहिए.

3 2 1 लडाई आरंभ हुइ : बूम बेक्ट...

रितेश : अरे बाप रे एक झटके मे सबको साफ कर दिया. ये लड़का हमे काम आ सकता है. 100 150 गुंडो को तो यूं उडा दे.

रिहान : मे यहा पे किसिका नौकर बन्ने नही आया हू. इस लड्की को लेने आया हू.

रितेश : अरे बाबा नही नौकर कोन बानाना चाहता है तुमको. मे तुमको बहुत बडा इंसान बनाना चाहता हू. लेकिन इसके लिए तुम्हे मेरा काम करना पडेगा.

रिहान : मेने बोला ना मे किसीका नौकर बन्ने नही आया हू. तुम चुप चाप लड्की को मेरे हवाले कर दो वरना ये सारे गुंडे को मर गिराया है. वैसे तुम्हे भी दबोचने मे वक़्त नही लगेगा.

रितेश : अरे अरे शांत भाऊ गुस्सा क्यू करना इतना. पता नही गुस्सा सेहत के वास्ते सस्ता नही ठीक है. ले जाओ इस लड्की को मे कहा मना कर रहा हू. लेकिन अब तो तुम्हे मेरे साथ काम करना पडेगा. क्यू की तुम्हारी तर्किब हमे पसंद आई.

कार्तिक : ए भाऊ मेरा भाई ना तेरे जैसे गुंडे के साथ कभी काम नही करेगा ठीक है. आया बडा ये बोलने वाला की तुम्हे बडा इंसान बना दूंगा.

विकी : ओ बेटे की रिहान भाई ने और कार्तिक भाई ने तो सब साफ कर दिया. अरे यार भाई लोग हमारे लिए भी कुच तो छोड देते. बहुत दिनो से हाथ साफ नही हुए थे.

कार्तिक : अरे इन सब को तो मेने धोया है. इतना धोया इतना धोया की क्या बताऊ हाहाहा मज़ा आ गया.

रिहान : ओह सच मे. मेने तो नही देखा.

राज : ए मेरी बहेन के गले पेर से चाकू हटा वरना यही का यही गाड दूंगा.

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