Pyaar ka Zeher - 44 in Hindi Love Stories by Mehul Pasaya books and stories PDF | प्यार का ज़हर - 44

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प्यार का ज़हर - 44

विकी : भाई देखा तो नही लेकिन इस लड्की को ढूंड ने मे आपकी मदद जरुर कर सकते है.

राज : अगर आपने हमारी मदद की तो फिर आप जो मुनाफा चाहोगे वो मिलेगा.

रिहान : जी नही हम रिस्वत नही लेते किसी को मदद करके आपको अपनी लड़की मिल जाये जो भी है. फिर आप अपने रास्ते और हम अपने रास्ते ठीक है.

राज : हा जरुर लेकिन महेर्बानी करके जल्दी किजीये.

विकी : अरे कुच नही होगा लड्की को आप फिक्र मत करिये ठीक है. हम है ना. कार्तिक तुम इस रास्ते से जाओ और रिहान भाई तुम सामने से जाओ. और मे और इनके साथ जाते है. वैसे भाई सहाब आपका नाम बतायेंगे.

राज : जी मेरा नाम राज है.

विकी : हा तो राज भाई चलो पीछे बैठो जल्दी से. कही वो लड्की हाथ से निकल ना जाये.

राज : भाई ऐसा मत बोलो मेरी छोटी बहेन है वो.

《 कुच देर बाद... 》》》

रितेश : अरे ओ फटेले हुए कपडे ये क्या कर रहा है. अरे किसी को तड़पाना हो तो ऐसे नही तड़पाना होता है. सिद्धा गले पे चाकू मारो और काम तमाम करो ये क्या लाठी लेकर मेहनत कर रहा है.

राजीव : लेकिन भाई इसकी जान लेने की सुपारि नही मिली है. सिर्फ हाथ पैर तोडने की सुपारी मिली है.

रितेश : मुजरिम अपना जुर्म कभी कबूल नही करते. मुजरिम को उसका जुर्म कबूल करवाना पड्ता है. और तुम इस तरह जो लाठी लेकर ठा ठा पिटाय कर रहे हो. ये सहन कर लेगा लेकिन डर दिखाया तो वो अश्ली मौत देखेगा.

राजीव : वैसे भाई बात तो सही है. अब ऐसा ही होगा इसके साथ देखो अब आप मे क्या करता हू. अरे ए अन्ना लाओ तो वो बाजू वाली तलवार. आज उस तलवार से इसके शरीर
के इतने टुकडे करेंगे इतने टुकडे करेंगे. की किसीको पता तक नही चलेगा की ये कोन से शरीर का भाग है.

रितेश : हाहाहाहा ये हुए ना बात अब आयेगा मज़ा.

विनय : स स सहाब सुनो ना मुझे कुच बताना है.

राजीव : अरे वाह भाई ये तो कमाल हो गया. ये तो बोलने लगा ड़राया तो.

विनय : मुझ पर दया करिये महेर्बानी करके मेरा परिवार है. अगर मे मर जाऊंगा तो उनका खयाल कों रखेगा. आपसे फो हाथ जोड़ता हू. मुझे मत मारये.

राजीव : अब बोल तू क्या चाहता है. हमे सच बताकर अपनी जान बचाना है. या फिर हम से गदधारि करके अपनी जान गवाना चाहता है. बताओ अब.

विनय : हा मे सच बताने के लिए तैयार हू. मे सब कुच सच सच बता दूंगा. पर मुझे जाने दो.

सरस : आ... मम्मी.

रितेश : अरे अब ये कोन है. भाई.

करन : भाई ये ना रास्ते पे भटक रही थी. मे आपके लिये उठा लाया हाहाहाहा.

रितेश : हाहाहाहा अरे सीखो इस करन भाई से कुच सीखो देखो ये करन भाई मेरी हर ख्वाहिश पूरी करता है.

करन : अरे भाई आप हमे ये बोल कर शर्मिंदा ना करे. मेने तो बस आपकी सबसे चाहत वाली ख्वाहिश पूरी की है. और कुच नही.

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