राहुल : वैसे दिव्या के मम्मी पप्पा नही है. इसके परिवार से भी कोई सद्श्य अभी तक एक भी नही मिला. हमने बहुत ढूंडा लेकिन.
संतोष : दिव्या बेटा आओ मेरे पास आओ. कभी ना खुद्को अकेला मेहसूश मत होने देना. ये दादी और दादाजी तुम्हारे साथ रहेंगे ठीक है. जब तक जिन्दा है और ये राहुल तुम्हे तंग करे ना तो हम दोनो को बता देना ऐसे कान मरोड़ेन्गे ना की सब बात याद दिला देंगे.
दिव्या : ठीक है. दादी लेकिन ये ना कभी हमे परेशान नही करते लेकिन उल्टा हम इनको बहुत परेशान करते है. कभी कभी. और अगर मुझे कोई तकलीफ होती है. तो ये सब पे भडक जाते है.
सरस : अरे वाह राहुल भैया आपने तो कमाल कर दिया हा.
राहुल : हा अब भाई किसका हू.
सरस : हा वो तो है. क्यू राज भैया.
राज : हा सही बोल रही हो सरस.
《 कुच देर बाद... 》》》
महेर : राज भैया अब सब ठीक. और अबसे कोई भी बुरी चीजे नही होगी जो अशल मे होती थी.
संतोष : अब ये चोटी बची कोन है.
राज : ये महेर है. दरअसल ये सारी बाते बाद मे करेंगे पहले आप सब अच्छे से तैयार भी हो जाओ ठीक है.
महेर : अरे भैया आप हमारे बारे मे क्यू नही बता रहे हो बताओ ना जो सच है.
राज : हा बाबा बताऊंगा लेकिन मे ये कह रहा हू. की बाद मे बता दूंगा.
महेर : ठीक है बाद मे बता देना कोई दिक्कत नही है.
संतोष : ठीक है. बाद मे बताना हो या अभी बताना मुझे तो वैसे भी पता चल जायेगा.
राज : ठीक है. फिर चलो टेबल पे. आज आपकी बहू की पेहली रसोई की रश्म है.
संतोष : हा अब चलो चलते है.
राहुल : आप भी चलो आप भी हयाती को मदद कर देना.
दिव्या : अरे नही इस रश्म मे हम मेसे कोई भी उसकी मदद नही कर सकते. क्यू की उनको खुद करना पडेगा.
संतोष : हा ये दिव्या बेटी सही बोल रही है. इस रश्म मे इसकी कोई मदद नही करेगा वरना. इस रश्म का कोई अर्थ नही.
हयाती : अरे आप लोग अब ये फिक्र छोडीए. आप सब के लिये तैयार है. मीठास भरा स्वादिस्ट खाना ये प्लेट तो नही है. पर स्वाद अच्छा है. इसका एक बार चक कर देखिये लिजिये
सरस : अरे वाह भाभी क्या बात है. इत्नी जल्दी बना भी दी कमाल है. ज़रा चक कर तो देखे.
राहुल : सरस बोलो ना कैसा बना है. उए स्वादिस्ट खाना.
सरस : भैया बहुत ही स्वादिस्ट है. आप चको गे तो चक्ते रह जाओगे देखना आप.
राहुल : लाईये हमे भी दिजिये. हमे भी चक ना है.
हयाती : जी जरुर भैया लिजिये ना. और आप सब भी चक कर बताईये ना की कैसा बना है.
संतोष : बेटा क्या बताये आपके हाथो मे तो जादू है. इतना स्वादिस्ट है. की इसकी प्रसंसा शब्दो मे नही की जायेगी.
हयाती : शुक्रिया दादी जी. और ये सब ना मुझे मेरी मम्मी ने सिखाया है. वो मुझे हमेशा कहती रह्ती की लड्की को लड्की का काम जरुर आना चहिये. बाकी दुसरा तो काम तो वो कर ही लेती है.
दिव्या : अरे राज आप क्यू चुप चाप बैठे है. आप भी चकिये और बताईये की कैसा बना है.
राज : हा जरुर क्यू नही. वाकई बहुत अच्छा बना है जैसे ही अभी दादी ने कहा वैसे. इस चिज की शब्दो मे प्रसंसा नही की जायेगी.
संतोष : चलो ठीक है. अब राज मुद्दे की बात ये महेर कोन है. सबका ज़िक्र हुआ इस चोटी लड्की के बारें तुमने अभी तक नही बताया.
राज : जी जरुर दादी आप जान जाओगे. लेकिन इसके बारे मे मम्मी बतायेगी.
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