Pehchan - 7 in Hindi Fiction Stories by Preeti Pragnaya Swain books and stories PDF | पेहचान - 7

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पेहचान - 7

रात के 2 बज चुके थे, अभिमन्यु घर लौटा , जब वो दरवाजा खोला तब जाकर उसे पीहू का खयाल आया, उसने सोचा की वो खाई भी होगी या नहीं. पर फिर खुदसे बोला हाँ खाई होगी थोड़ी न भूखी मरेगी और वैसे भी बेटा अभिमन्यु तुझे जितनी मदत करनी थी तूने किया बस अब वो जाने, थोड़ी न तेरा उसके साथ कोई रिस्ता है जो तु उसके लिए इतना सोचेगा?

. अगली सुबह अभिमन्यु ऑफिस निकल गया, पीहू भी उठकर अपना काम खतम की और अर्जुन के पास जाने के लिए रेडी होने लगी पर तभी उसके फोन पे एक message आया जिसमे अर्जुन ने लिखा था आज आपको आने की जरूरत नहीं है आज मेरा मीटिंग है so आप आओगी तो बोर हो जाओगी so आप कल आना please गुस्सा मत होना....

पीहू बोली रुको सर आपकी खबर तो मैं कल लुंगी ,इतना तैयार हुई पर आखिर मैं सब बरबाद, फिर वो पिल्लू के साथ खेलने मैं busy होगयी

रात को अभिमन्यु लौटा ,उसे देख एसे लग रहा था मानो बहुत ही गुस्से मे है वो तो एसे चल रहा था की मानो ,अगर उसके सामने कोई आगया तो वो उसे अपने पैरों तले कुचल कर रख देगा .

पीहू तो इधर उधर टहल रही थी तो वो अभिमन्यु के एक्सप्रेशन पे इतना ध्यान नहीं दी और एक मजाकिया अंदाज मे बोलदि ओ अकडू सर कहाँ चल दिए, कभी हमसे भी बात करलो भला इतने गुमशुम् से क्यों रहते हो?

तभी अभिमन्यु एक दम से रुक गया, उसके गुस्से का bomb वही फट गया ,वो पीहू की तरफ तेजी से गया और उसे खिचकर नीचे गिरा दिया और बोला shut up ,तुम होती कोन हो हाँ मुझसे कुछ कहने वाली जीतने की हो उतने मैं रहो ज्यादा सर पर बैठने की जरूरत नहीं है बोलकर ,अपने कमरे मे चला गया , जाते ही उसने दरवाजे को एसे बंद किया की एक धम सी आवाज नीचे हॉल तक सुनाई दी.

कुछ देर बाद अभिमन्यु के दरवाजे पर एक दस्तक हुई, पहले तो अभिमन्यु खोलना नहीं चाहता था पर जब बार बार दरवाजे पे दस्तक होने लगी तो वो irritate होते हुए दरवाजा खोला ,तो देखा की....... पीहू अपने हात मे खाना लेकर खड़ी थी अभिमन्यु उसपे चिल्लाते हुए बोला क्या है अब !

पीहू बोली तुम्हारे लिए खाना लाई हूँ ।

अभिमन्यु बोला तुम्हे मैने कहा था सुनाई नहीं दिया क्या हाँ अपने काम से मतलब रखो मेरे सर पे बैठने की जरूरत नहीं

पीहू कुछ नहीं बोली और रूम के अंदर चली गयी, अब अभिमन्यु का गुस्सा सर के उपर चढ़ गया तो उसने पीहू को खीचा और एक जोरदार चाटा उसके गाल पर जड़ दिया और बोला मैने कहा था न की मेरे कमरे मे मत आना.........

इससे पहले की वो और कुछ बोलता पीहू वहाँ से चली गयी

अभिमन्यु अभी भी गुस्से मे था तभी अचनाक् उसकी नज़र चौखट पर पड़ी जहाँ एक पेपर था उसने उसको खोल के देखा तो उसमे कुछ लिखा था, उसने पढ़ना शुरू किया

I know तुम गुस्से मैं हो पर उसकी वजह क्या है मुझे नहीं पता पर इतना तो जानती हूँ की वजह बहुत बड़ी होगी वरना जो इंसान मुझे 4 दिन से झेल रहा है ,आज वो मुझपे एसे react नहीं करता.
और हाँ मैं इतनी भी छोटी बच्ची नहीं हूँ ...
जानती हूँ अकसर लोग अपना गुस्सा खाने पर उतारते हैं तुमने भी किया होगा कुछ खाये नहीं होगे सो
please खाना खा लेना.....

उसके नीचे एक शायरी लिखी थी . .. .

आज बुरा है तो कल अच्छा आयेगा
ये तो बस एक वक्त की बात है
गुजर ही जायेगा....

आखिर मे एक smile का face बनाया गया था

अब जाकर अभिमन्यु का गुस्सा थोड़ा सांत हुआ, तो वो बाहर निकला और पीहू को ढूँढने लगा, जब वो पीहू के कमरे की तरफ गया तो देखा की वो सो चुकी थी उसने बुलाना तो चाहा पर उसे इतना बुरा लगा की वो वहाँ से लौट आया.......

कमरे मे आकर....

खाने की तरफ देखने लगा, रोटी और एक सिम्पल सी सब्जी थी

उसका मन तो नहीं था but फिर भी एक निबाला लिया, वो खाना five star जितना stylish तो नहीं था पर स्वाद मे बेहद ही अच्छा था, कुछ ही पलो मैं अभिमन्यु पुरा खाना सफा चट कर गया. खाने के साथ साथ उसका गुस्सा भी गायब हो गया.