Nark - 8 in Hindi Horror Stories by Priyansu Jain books and stories PDF | नर्क - 8

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नर्क - 8

निशा को आखिर पियूष के साथ आना ही पड़ा। उसकी एक भी दलील न चली। एक तो पियूष ने कोई बात मानी ही नहीं और दूसरे वहाँ जाना जरुरी भी था। राहुल को उसने आयुष के पास छोड़ दिया था। रास्ते में उन दोनों की कोई बात न हुई थी। उन लोगों की बुकिंग एक शानदार फाइव स्टार होटल में पास-पास के कमरों में थी। निशा रात को गहरी नींद में सोई हुई थी। प्रोजेक्ट के बारे में सोचते-सोचते उसका सर दुखने लगा था तो वो जल्दी ही सो गयी थी।

रात को उसे ऐसा लगा कि कोई उसे काफी देर से देख रहा है। इस अहसास ने उसकी नींद उड़ा दी थी। निशा ने जागने के बाद भी आँखें न खोली थी।

अचानक उसे ऐसा लगा जैसे कोई उसके पास आकर पलंग पर बैठा है और उसका वजन बहुत ज्यादा है क्यूँकि उसके वजन से पलंग चरमरा रहा था। अब निशा बहुत ज्यादा घबरा गयी थी। वो हिम्मत करके एक झटके से उठी। उसने देखा कि एक शख्सियत जो कम से कम साधारण इंसान तो न थी उसके पास बैठी थी। पर वो जो भी था उसकी तरफ नहीं देख रहा था। वो इत्मीनान से बैठा था जैसे उसे कोई फर्क नहीं था कि निशा डरेगी या हमला करेगी या चीखेगी। वो बस अपने पैर जमीन पर टिकाये, कोहनियाँ अपने घुटनों पर टिकाये और चेहरा झुकाये बैठा रहा। उसके लम्बे बाल उसके चेहरे को ढके हुए थे जिसमें साइड से उसकी सुंतवा और तीखी नाक ही दिख रही थी।

निशा समझ गयी कि ये वही हत्यारा है जिसने नाईट क्लब में तबाही मचाई थी। वो उसे देख रही थी। फिर आखिर वो नीला हत्यारा बिना मुड़े बोल पड़ा -" ह्म्म्मम्म.... आखिर तुम्हारे जगने की अधिक प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ी। निद्राधीन होकर अत्यधिक रूपसी लगती हो। जानती हो; कितने काल तक हमें प्रतीक्षा करनी पड़ी आपसे भेंट की?? उस दिवस जब हमारी भेंट हुई थी तब आपके नयनों में हमें घोर घृणा के भाव दृष्टिगत हुए थे। हम भी आपको वहाँ देख अवाक् रह गए थे। हमें अनुमान भी न था कि आपसे इस तरह अनायास ही भेंट होगी। इसी कारण हम वहाँ से प्रस्थान कर गए थे।"

अंततः वही हुआ जिसका भय था, आप पहले की तरह हमें विस्मृत कर गए। परन्तु कोई भय नहीं हम है न, हम आपको फिर से स्मरण कराएँगे।"

निशा इतनी भारी-भरकम भाषा के कुछ शब्दों को छोड़ कर कुछ भी न समझ पायी थी। वो डरते-डरते बोली -" क्या तुम हिंदी में बोलोगे?? मुझे कुछ समझ नहीं आया।"

उसके चेहरे पर मुस्कराहट तैर गयी। उसने कोई जवाब न दिया बल्कि अपना हाथ निशा को पकडने के लिए बढ़ाया। अब निशा की हिम्मत जवाब दे बैठी। वो चिल्लाते हुए दरवाजा खोलकर बाहर भागी। नीले हत्यारे ने उसका पीछा करने की कोई कोशिश न की। निशा को यकीन था कि ये पियूष ही था पर इस से ज्यादा वो कुछ सोच ही न पायी क्यूँकि पियूष उसके सामने था जो उस से सीधा टकरा गया।

पियूष -" पागल तो तुम हो ही, अब कौनसा तमाशा कर रही हो। इतनी रात को पी.टी. ऊषा क्यों बनी हुई हो??"

निशा -" व... वो... हत्यारा यहाँ है, मेरे रूम में। उसने मुझपर हमला किया था। वो नीला हत्यारा....."

पियूष ये सुनकर बिना देर किये तुरंत उसके साथ भाग कर उसके रूम में गया परन्तु वहाँ कोई होता तो मिलता। निशा ये देख हड़बड़ा गयी थी।

वो बोली -" मैं सच कह रही हूँ सर, वो यहीं था पता नहीं कैसे मेरे रूम में आ गया था। शायद खिड़की से आया था। अजीब सी लैंग्वेज बोल रहा था। जैसी महाभारत वाले बोलते हैं। वो मुझे पकड़ने की कोशिश कर रहा था। मैं भाग पड़ी बचकर। म... मैं...अकेले रूम में नहीं रहुँगी।"

निशा नॉन-स्टॉप बोले जा रही थी। परन्तु पियूष का ध्यान उसकी बातों में न था वो तो बस खुली खिड़की को देखे जा रहा था। उसकी आँखें सिकुड़ी हुई थी और चेहरे पर गहन सोच के भाव थे। वो पता नहीं क्या सोच रहा था। शायद वो कुछ जानता था, या उसे निशा की दिमागी स्थिति पर कोई शक था, कुछ भी कहा नहीं जा सकता था।

फिर क्या था, पहले तो होटल वालों की जमकर क्लास ली गयी। पहले तो किसी को यकीन ही न हुआ कि इतनी ऊपर कोई खिड़की के रास्ते से आ सकता है। परन्तु वहाँ खिड़की पर उसकी पेंट के कपड़े का टुकड़ा फंसा हुआ था जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता था। होटल वालों ने माफी मांग के अपनी खानापूर्ति पूरी कर ली। और वो कर भी क्या सकते थे क्यूँकि वो लोग 12 वीं मंजिल पर थे।

पियूष पता नहीं किस विचार में गुम था। वो किसी से कोई बात भी नहीं कर रहा था। उसने निशा को बोला अपने रूम में जाने को पर अब निशा इतनी बुरी तरह डरी हुई थी। वो पियूष को छोड़ ही नहीं रही थी। आखिर कार पियूष को उसे अपने रूम में अपने साथ ही ले जाना पड़ा।

इधर अब निशा को उस हत्यारे से ज्यादा पियूष का डर लगने लगा था। पियूष जैसे कैसानोवा (औरतखोरा) से खुद को उसी के रूम में बचाना बहुत मुश्किल था। निशा अंदर ही अंदर बेबसी से रो रही थी। उसके तो दोनों तरफ ही मुश्किल थी। वो कुछ समझ नहीं पा रही थी कि ये हो क्या रहा है उसके साथ। वो हत्यारा यहाँ शिमला में भी आ गया इसका मतलब अब उसका निशाना सिर्फ और सिर्फ निशा ही थी।

निशा पियूष के रूम में बैड पर बैठ गयी और पियूष अब नींद खराब होने की वजह से शावर लेने बाथरूम चला गया। निशा उस नीले हत्यारे की कही बातों को याद करने लगी। उसने जैसे-तैसे करके उन बातों को याद करके कागज पर लिखा और उनका मतलब समझने की कोशिश की।

To be continued....