Sapne - 33 in Hindi Fiction Stories by सीमा बी. books and stories PDF | सपने - (भाग-33)

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सपने - (भाग-33)

सपने.........(भाग-33)

आदित्य जोश खरोश से राजशेखर और नवीन के साथ चल तो दिया पर पहुँचने में टाइम लग गया। तब तक श्रीकांत और सोफिया पहुँच कर टेबल ले चुके थे और थोड़ा बहुत आर्डर भी कर दिया था.....। उधर नचिकेत अपनी टीम के साथ डिनर के मजे ले रहा था....और साथ ही बातों का शोर सबका ध्यान उनकी टेबल की तरफ खींच रहा था। जब तक आदित्य पहुँचा तब तक नचिकेत की टेबल पर बिल पहुँच गया था......श्रीकांत और सोफिया को जब आस्था की आवाज आयी तो वो लोग अंदर आ कर सबसे पहले उनसे मिल कर आए......नचिकेत ने तो कहा भी कि हम लोगों को जॉइन करो....पर श्रीकांत ने मना कर दिया, "ये कह कर कि वो अभी अपने बाकी फ्रैंडस का वेट कर रहे हैं। आस्था समझ गयी थी कि आदित्य सबको जान बूझकर ले कर आया है....पर उसे आदित्य नजर नहीं आया".....! खैर अब तो आदित्य आ ही गया था। अंदर एंट्री करते ही उसकी आँखे चारो तरफ दौडने लगी....फिर एक कोने लंबी टेबल देख कर समझ गया कि नचिकेत और आस्था वहीं बैठे होंगे। नवीन और राजशेखर बोले," यार इधर उधर ही देखते रहोगे या बैठोगे भी"! आदित्य ने देखा वो लोग कब बैठ गए पता ही नहीं चला। नचिकेत बिल पे करके उन्हीं की टेबल की तरफ आ रहा था......उसने सबके साथ हाय हैलो किया और हालचाल पूछ कर बॉय करने लगा तो आदित्य ने कहा," नचिकेत आओ बैठो न"! नचिकेत मुस्कुराते हुए बोला," फिर कभी साथ बैठकर डिनर करेंगे ,अभी चलता हूँ"! उसके पीछे पीछे आस्था भी आ गयी। आस्था को देख कर नचिकेत बोला," मैं तो सोच रहा था कि तुम्हें ड्रॉप कर दूँगा....पर तुम्हारे तो सारे दोस्त यहीं मिल गए हैं तो मैं चलता हूँ....कल मिलते हैं रिहर्सल पर "! नचिकेत की बात सुन कर आदित्य बोला, नचिकेत यू आर वैरी स्वीट यार, अपनी टीम मेंबर्स का बहुत ध्यान रखते हो...सबको ड्रॉप करते हुए जाओगे तो लेट हो जाओगे.... I "Must say you are very caring Boss". नचिकेत बोला, ध्यान तो रखना ही चाहिए, "वैसे भी मेरे काम में सब बराबर हैं....मैं किसी का बॉस नहीं हूँ...हम एक फैमिली की तरह मिल कर एक साथ काम करते हैं"....! नचिकेत की बात सुन कर आस्था बोली, "हाँ ये ठीक कहा नचिकेत आपने...चलो आप को देर हो रही होगी मैं इनके साथ आ जाऊँगी..
गुडनाइट "! नचिकेत ने फिर कोई जवाब नहीं दिया और मुस्कुरा कर सब को "गुडनाइट" बोल कर बाहर की तरफ चला गया। आस्था सब के साथ बैठ गयी। आदित्य मन ही मन झुंझला रहा था आस्था पर कि वो बीच में क्यों आयी? आस्था सोफिया से बातें करते हुए ऊपर से सीरियस बनी बैठी थी पर अंदर से आदित्य के चेहरे पर आते जाते रंग देख कर खुश हो रही थी.....और हैरान भी कि वो आदित्य के अपसेट होने पर भी खुश क्यों हो रही है। आदित्य का राजदार नवीन तो पहले से ही था अब तो श्रीकांत भी जानता था तो आदित्य सब को मुस्कुराते देख चिढ़ रहा था।
सबने डिनर खत्म किया और बाहर आ गए। सब पार्किंग से अपनी कार का इंतजार कर रहे थे......सोफिया ने घर पर फोन कर दिया कि, "वो आस्था के साथ रहेगी कल सुबह आएगी क्योंकि काफी लेट हो गए हैॆ"....।गाड़ी में सब बैठ गए....आदित्य ड्राइवींग सीट पर बैठा तो राजशेखर आगे बैठने लगा तो आदित्य ने कहा," यार प्लीज तू पीछे बैठ जा, आस्था को आगे बैठने दे, मुझे उससे कुछ बात करनी है....वो बोला श्योर यार, इसमें प्लीज क्यों"? आस्था जो पीछे बैठ ही गयी थी, पर राजशेखर ने उसे उतर कर आगे आने को कहा.....पीछे चार लोग एडजस्ट हो गए थे। क्या हुआ वो आगे बैठती हुई बोली, "मैं और सोफिया दुबली पतली हैं तो चार आराम से बैठ सकते है्, अब देखो उन्हें टाइट हो रहा है"। आदित्य बोला, "कोई बात नहीं वो सही बैठे हैं, तुम चिंता मत करो और चुप हो कर बैठो कुछ देर और मेरी बात सुनो"! "तुम भी न आदित्य! पीछे से भी बात सुन सकती थी, खैर अब छोड़ो वो सब और बताओ क्या बात है? आज तुम नचिकेत का भी मजाक बनाने की कोशिश कर रहे थे, वो क्या था"? "तुम्हें चुप बैठने को कहा है मैंने, क्यों बोलती जा रही हो" ? आदित्य अपनी बात को आराम से कहना चाहता था, पर नचिकेत के साथ आस्था को यूँ हँसते देख और उसकी साइड लेते देख वो अपने दिल की बात जल्दी से कहना तो चाहता था, पर ऐसे कहेगा? ये उसने सोचा नहीं था, पर सभी दोस्त साथ हैं तो मॉरल सपोर्ट भी मिलेगा ये सोच वो कहने की कोशिश कर रहा था.....जिसके लिए सही शब्द ढूँढ रहा था। आदित्य को चुप देख आस्था बोली," ऐसी कौन सी बात है, जो इतना सोच रहे हो? जल्दी से कह डालो और ये टैंशन वाला सस्पेंस खत्म करो"! आदित्य को फिर भी चुप देख श्रीकांत बोला, "हाँ यार अब जो भी बात है जल्दी से कह दे"! "आस्था मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं ये बात किसी को कभी कहूँगा.....पर मैं गलत था, तुम बाकी लड़कियों सी नहीं हो इसलिए मुझे तुमसे प्यार हो गया है....I Really love you". आदित्य ने अपनी बात एक ही बार में बिना रूके कह दी वो भी बिना आस्था की तरफ देखे। गाड़ी में शांति छा गयी। पीछे बैठे चारों ही एक दूसरे का चेहरा देख रहे थे। राजशेखर को अपनी बारी याद आ गयी तो वो सिर झुका कर बैठ गया.....आदित्य ने जो राजशेखर की अप्पा के बीमार होने पर हेल्प की थी और अकेले कुछ दिनों का साथ उनकी दोस्ती थोड़ी और ज्यादा हो गयी थी। उधर श्रीकांत सोच रहा था कि राजशेखर को तो आस्था ने अपने सपनो की बात कह कर मना कर चुकी है, अब ये क्या कहेगी? ये तो नचिकेत को भी न बोल चुकी है। नवीन भी सोच रहा था कि आस्था लकी है जो आदित्य उसे प्यार करता है, आदित्य हीरा लड़का है। अब आदित्य की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वो आस्था से उसकी राय पूछे। सोफिया ने चुप्पी तोड़ी," वाह देट्स रियली ग्रेट, आस्था से समथिंग"! आस्था से कोई जवाब देते नहीं बन रहा था....कुछ दिनो से उसको भी तो कुछ ऐसा ही लगने लगा है कि वो आदित्य के आस पास रहना चाहती है....पर उसने सोफिया की बात का भी जवाब नहीं दिया। वो आदित्य की बात सुन कर हैरान और परेशान भी थी....। आदित्य के बारे में उसे सब पता है फिर भी आदित्य उसे अच्छा लगने लगा है, अब क्या करे यही सोच सोच कर वो परेशान थी.......उधर आदित्य अपने दिल की बात झुँझलाहट में कह तो गया था पर आस्था की चुप्पी उसे परेशान कर रही थी ये सोचकर कि नचिकेत और राजशेखर की तरह मैं भी तो जल्दी नहीं कर बैठा पर अब तो जो कहना था कह चुका, कुछ बदला नहीं जा सकता। गाड़ी चलाते हुए ऐदित्य को ऐसा लग रहा था कि न जाने कब से वो कार चला रहा है....सभी चुप थे और सब को रास्ता लंबा लग रहा था......!!
क्रमश: