Secret Admirer - 68 in Hindi Love Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | Secret Admirer - Part 68

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Secret Admirer - Part 68


"मुझे नही पता की मुझे खुश होना चाहिए या गुस्सा होना चाहिए, तुम्हारे जैसा सेम मेंटल लेवल होने के लिए।" कबीर ने जवाब दिया।

"आपका कहने का क्या मतलब है? क्या मैं बेवकूफ हूं? माइंड यू मैं बहुत जल्द ट्वेंटीफाइव की होने वाली हूं।"

"हां। मुझे याद है और तुम्हारा बर्थडे भी आने वाला है। अपने बर्थडे पर तुम क्या करना चाहती हो?"

"मैने अभी तक कुछ सोचा नही है। और वैसे भी अभी तोह शादी की ही बहुत सी तैयारियां बाकी हैं, किसके पास टाइम होगा बर्थडे के बारे में सोचने के लिए। पर आप टॉपिक चेंज मत कीजिए। मैं कुछ ही दिन में ट्वेंटीफाइव की हो जाऊंगी, और इसका मतलब यह है की मैं बच्ची नही हूं।" अमायरा ने घूरते हुए कहा और कबीर हँसने लगा। अगले ही पल कबीर ने उसे पकड़ा और उसके ऊपर आ गया। अब अमायरा बैड पर नीचे लेटी थी और कबीर उसके ऊपर अपना चेहरा उसके करीब किए हुए था।

"मैं जानता हूं की अब तुम बच्ची बिलकुल भी नही हो, बल्कि इतनी बड़ी हो गई हो की अब खुद के बच्चे कर सकती हो।" कबीर ने धीरे से फुसफुसाते हुए कहा और अमायरा की सांसे ही अटक गई। "ऐसा नहीं है की मुझे कोई जल्दी है, पर अगर मैं अच्छे से याद करूं तोह, तुम्हे खुद के बच्चे चाहिए थे। मैं यही उम्मीद करता हूं की तुम अब बच्चे गोद तोह बिलकुल नही लोगी।"

"व्हा....व्हाट आर यू डूइंग?" अमायरा ने अपनी लड़खड़ाती हुई आवाज़ में कहा।

"आई एम गोइंग टू किस यू। एंड इफ यू डोंट वांट इट, स्टॉप मी राइट नाउ।" कबीर ने कुछ पल अमायरा की तरफ देखा, उसे समय देने के लिए सोचने के लिए और फिर उसकी तरफ झुकने लगा। और अमायरा तोह बस बेसुध हो गई थी। उसने हिम्मत करके अपना चेहरा फेर लिया और कबीर के होंठ अमायरा के होंठ से टकराने के बजाय उसकी गर्दन को छू गए। कबीर मुस्कुराया, उसे मन ही मन थैंक्यू कहा, क्योंकि उसे अपने ऊपर अब ना ही भरोसा था और ना ही काबू। उसे चाहिए था की अमायरा प्रोटेस्ट करे अगर उसे यह सब नही चाहिए क्योंकि कबीर तब ही रुक सकता था। अब कबीर आगे कुछ नही कर सकता था, लेकिन गिव अप नही करना चाहता था।

"ओके डियर वाइफी, नॉट एन इश्यू, फॉर नाउ। पर तुम मिस्के लिए पनिशमेंट डिजर्व करती हो।" कबीर ने अपना सिर उठा कर और उसकी आंखों में देख कर कहा।

"क्या? आपने ही मुझे कहा था रोकने के लिए। अब आप मुझे रोकने के लिए कोई पनिशमेंट नही दे सकते।" अमायरा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

"हां, यह पनिशमेंट मुझे रोकने के लिए नही है, मुझे हर समय अपना दीवाना बनाने के लिए है, इतना की तुम्हारे सामने मैं अपने पर कंट्रोल ही नही रख पाता।" कबीर ने कहा और अमायरा के इयरलोब पर हल्का सा काट लिया। फिर उसने अपने फेवरेट स्पॉट पर किस किया और तब छोड़ा जब उसकी गर्दन पर छोटा सा निशान बन गया। अमायरा दर्द से हलका सा कर्राह गई और कबीर ने उसी जगह फिर से चूम लिया, उस जगह को अपने प्यार के जादू से ठीक करने के लिए या फिर उस निशान को परमानेंट करने के लिए कबीर को पता नही।

"आई हेट यू। अब इसे भी एक हफ्ता लग जायेगा ठीक होने में, और तब तक मुझे इसे बहुत सारे मेकअप से छुपाना पड़ेगा, जैसे की लास्ट टाइम किया था।" अमायरा ने नाराजगी जताते हुए कहा। वोह अभी भी कबीर के नीचे थी और दोनो में से कोई भी अपनी अपनी पोजीशन चेंज करने की कोशिश नही कर रहा था।

"तुमने लास्ट टाइम तो कंप्लेंट नही किया था, तोह मुझे लगा तुम्हे कोई दिक्कत नही है।" कबीर ने वापिस उस जगह पर होंठों को छुलाते हुए कहा।
"नही। मुझे परेशानी हुई थी। सिर्फ मैं ही जानती हूं की पिछली बार मैने इसे कैसे छुपाया था। और आप हैं की मजे से इधर उधर घूम रहे थे।"

"तोह तुम्हे इस बात से ऐतराज है की तुम ही यह निशान छुपा रही थी और मैं नही। वैसे मुझे बहुत खुशी होगी अगर तुम भी मुझे ऐसा मार्क देना चाहती हो। मैं तोह बिलकुल तैयार हूं।"

"मेरा यह मतलब नहीं था। मैं तोह बस यह कह रही थी की यह दिख रहा था। और यह कितना एंबेरिसिग होता अगर कोई मुझसे इसके बारे में पूछ देता।"

"ठीक है, तोह अगली बार मैं यह मार्क वहां दूंगा जहां यह आसानी से नहीं दिखे।" कबीर ने आंख मारी और अमायरा ने थूक गटक लिया।

"आ...आप....आप....बहुत बुरे हो। कभी सुधर नही सकते। मैं आप से बिलकुल बात नही करना चाहती, कभी भी नही। छोड़िए मुझे, अब।" अमायरा गुस्सा हो गई थी और कबीर दिल से हँसे जा रहा था। कबीर उसके ऊपर से हट कर साइड हो गया और उसे अपनी करीब कर बाहों में भर लिया। कुछ देर अमायरा ने छूटने के लिए स्ट्रगल किया लेकिन फिर हार मान कर कबीर की बाहों में सिमट गई। एक दूसरे की बाहों में सुकून से दोनो चैन की नींद सो गए।

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"अमायरा प्लीज़ बताओ ना, तुम्हे बर्थडे पर क्या गिफ्ट चाहिए? शायद हम कहीं बाहर जा सकते हैं और वहां जैसे बर्थडे मनाना चाहो मना सकते हैं। या फिर तुम बिग सेलिब्रेशन चाहिए लाइक बिग पार्टी विद फैमिली। कुछ भी, जो चाहो, बताओ ना।" कबीर अगली सुबह अमायरा से पूछ रहा था। उसने हिसाब लगा लिया था की अब कितने दिन रह गए हैं अमायरा के जन्मदिन में। उसको मिले हुए एक महीने के ठीक एक दिन बाद अमायरा का बर्थडे था। अब वोह घबरा रहा था की वोह उसका जन्मदिन कैसे मनाए, क्योंकि वोह श्योर नही था की तब तक अमायरा उसे क्या जवाब देगी। पर वोह यह अच्छी तरह से जानता था की उसे उसका जन्मदिन यादगार मनाना है। पर अभी वोह कुछ भी सोच नही पा रहा था की कैसे करे।

"मैने आपको बताया था ना की मुझे कुछ नही चाहिए। सब लोग शादी की तैयारियों में बिज़ी हैं। हम उन्हे बेकार के सेलिब्रेशन के लिए डिस्टर्ब क्यों करे?"

"तुम्हारा बर्थडे सेलिब्रेशन बेकार का नही है। कम से कम मेरे लिए तोह बिलकुल नही है। और अगर तुम्हे मुझे नही बताना तोह, मैं अपने से ही कुछ सोच लूंगा।"

"ठीक है, पर मैं किसी को भी परेशान नहीं करना चाहती, तोह एक काम करते हैं; हम कहीं बाहर चलते हैं और एक अच्छे से रेस्टोरेंट में डिनर करते हैं, बस आप और मैं। क्या कहते हैं?" अमायरा ने पूछा।

"नाइस आइडिया। पर तुम्हे नही लगता की फैमिली तुम्हारे साथ सेलिब्रेट करना चाहती होगी। जैसे उन्होंने मेरे लिए किया था, उन्होंने सुबह तक मेरा इंतजार किया था क्योंकि सब मुझसे डरते हैं, लेकिन मुझे नही लगता की वोह सब तुम्हारे लिए सुबह तक वेट करेंगे। वोह सब बारह बजे ही आ धमकेंगे। तब क्या होगा?"

"तोह मैं उनके साथ रात में ही सेलिब्रेट कर लूंगी, केक रात को ही काट लेंगे, और फिर हम शाम को चलेंगे बाहर। अब ठीक रहेगा, क्या कहने हैं?"

"अभी के लिए ठीक है। देखते हैं क्या होता है।" कबीर ने जवाब दिया। वोह अभी भी अमायरा के बर्थडे को यादगार बनाने के लिए कुछ सोच रहा था।

"चलिए अब चलते हैं नाश्ते के लिए। मुझे सुमित्रा मॉम के साथ कुछ लोगों को इन्विटेशन देने जाना है। फिर में वहीं से अनाथ आश्रम चली जाऊंगी। मैं सिर्फ इस हफ्ते ही जाऊंगी। उसके बाद मैं शादी तक छुट्टी ले लूंगी।"

"ओके। लेट्स गो देन।" कबीर ने कहा। वोह अभी भी कुछ सोच में डूबा हुआ था।

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अगले कुछ दिन अमायरा बहुत ज्यादा बिज़ी थी सुमित्रा जी के साथ और इशिता के साथ, शादी को कुछ आखरी बची तैयारियों में। कबीर ने बहुत मुश्किल से अपने चिड़चिड़ेपन को कंट्रोल में रखा हुआ था, यह सोचते हुए की जो यह कुछ दिन उसके समय के वेस्ट हुए हैं वोह साहिल की शादी के बाद उसे एक्जेक्टली एक्स्ट्रा मिलेंगे। वोह कबीर की इल्तिज़ा सुनकर मुस्कुराई जरूर थी लेकिन उसने पक्का वादा नही किया था। वोह दोनो रातों को एक दूसरे की बाहों में जरूर सोते थे। और सोने तक एक दूसरे से अपना दिनचर्य जरूर शेयर करते थे। बातें बातें करते वोह दोनो अपनी दिन भर की थकान दूर कर चैन से सो जाते थे। यह इस फैमिली की आखरी शादी थी, पर तब भी कबीर को इरिटेशन होती थी की वोह अमायरा के साथ अपना वक्त नहीं बीता पा रहा है। पर साथ ही वोह यह भी चाहता था की अपने छोटे भाई की शादी में कोई कमी ना रह जाए। और जितना हो सके उतना बेस्ट करना चाहता था।

पूरा एक हफ्ता न जाने कैसे गुज़र गया और सैटरडे आ गया। कबीर ने अमायरा को याद दिलाया था की यह उनकी डेट हो सकती थी लेकिन वह परिवार के लिए इसे बलिदान कर रहा है, की उसने पहले ही अपने कीमती दिन बर्बाद कर दिए थे। वह उसकी अधीरता पर हँसी पड़ी थी, लेकिन उसे इस बात पर चिढ़ाने के लिए उसके पास समय नहीं था। कबीर के डैड इंद्रजीत मैहरा ने कबीर को होटल में जाने को कहा था जहां रिसेप्शन प्लान किया गया था। वहां जा कर अरेंजमेंट डिस्कस करने को कहा गया था। और इस वक्त कबीर "द सिल्वर लाइनिंग" जो की रिसेप्शन का वेन्यू था, के बाहर खड़ा था लेकिन एक अच्छी बात हुई थी उसकी धर्मपत्नी, जिसे वोह पागलों के तरह प्यार करने लगा था की उसके अपने भाई की शादी भी उसे खटकने लगी थी, उसके साथ थी।

उन दोनो ने अंदर जा कर सारी जरूरी बातें डिस्कस कर ली थी और अब दोनो मैनेजर के केबिन से बाहर आ गए थे। दोनो इस वक्त लॉबी में खड़े थे जब अमायरा को रियलाइज हुआ की वोह अपना फोन मैनेजर के केबिन में भूल आई है। वोह कबीर को कह कर अपना फोन लेने चली गई। कबीर अमायरा का लॉबी में इंतजार कर रहा था जब उसे एक जानी पहचानी आवाज़ सुनाई पड़ी।

"कबीर? इस डेट यू? आई कांट बिलीव इट।" कबीर ने जो आवाज सुनी, वह उस आवाज को अच्छी तरह से पहचानता था। वोह पीछे पलटा और देखने लगा कि आवाज किस तरफ से आ रही है।

"सेजल, व्हाट अ सरप्राइज़।" कबीर ने जवाब दिया। अचानक वोह घबराने लगा था।

"कबीर, मुझे तोह यकीन ही नहीं हो रहा की मैं तुमसे यहां अचानक मिलूंगी। मुझे उम्मीद है की तुम मुझे भूले नहीं होंगे।" सेजल आगे बढ़ी और कबीर के अचानक गले लग गई। कबीर को असहजता महसूस होने लगी। फिर उसने भी उसे गले लगाया लेकिन हल्के हाथ से क्योंकि वोह इस वक्त पब्लिक प्लेस में खड़ा था, अगर ऐसा नही करता तोह यह अनमैनर्ड कहलाता। हालांकि सेजल ने कबीर को कस कर गले लगाया हुआ था और छोड़ने का नाम ही नही ले रही थी और उसे अपने से दूर नही कर पा रहा था।

"बिलकुल भी नही। तुम यहां?" कबीर ने पूछा। सेजल अभी भी उस के गले लगी हुई थी।

"तुम जानते हो मैं तुम्हारे बारे में ही सोच रही थी। बल्कि जब मैने इंडिया वापिस आने का डिसाइड किया था, तोह मैने सोचा था की मैं तुमसे जरूर मिलूंगी, किसी भी तरह। इट्स बीन सो लॉन्ग। इसिंट इट?" सेजल ने एक्साइटेडली कहा और कबीर से अलग हो गई।

"येस, टू लॉन्ग। कोई खास वजह यहां आने की?" कबीर ने पूछताछ करने की कोशिश की। उसे डर लग रहा था की सेजल को उसके साथ देख कर अमायरा क्या रिएक्ट करेगी। हालांकि वोह जनता था की वोह बेवजह डर रहा है क्योंकि अमायरा क्यूं किसी रैंडम लड़की के साथ उसे देख कर चिढ़ेगी।

पर यह रैंडम गर्ल तोह नही है। अमायरा शायद नही जानती हो, पर तुम तोह जानते हो ना।

कबीर का मन उससे बात कर रहा था और कबीर अंदर ही अंदर डर रहा था।

"तुम ठीक तोह हो कबीर?" सेजल नजदीक बढ़ी और कबीर के कंधो पर अपना हाथ रख दिया। अपने इतने नजदीक आने से कबीर असहज हो गया और कुछ कदम पीछे हट गया।

"हां। मैं ठीक हूं। थैंक यू।" कबीर जनता था की वोह अजीब बिहेव कर रहा है लेकिन उसे देख कर उसे गुस्सा आने लगा था। वोह जनता था की उसे अपने गुस्से को कंट्रोल करना ही पड़ेगा इसलिए वोह इधर उधर नज़रे घुमा कर अमायरा को ढूंढने लगा। कबीर मुस्कुराया जब उसे अमायरा कुछ दूरी पर खड़ी दिखाई दी। उसने हाथ हिला कर उसे आने का इशारा किया ताकी वोह भी उन दोनो को ज्वाइन कर सके।

अमायरा आगे आई और इससे पहले की वोह कबीर तक पहुंचती, कबीर ने आगे बढ़ कर उसके कमर पर हाथ रख करीब कर लिया।

"सेजल, दिस इस माय वाइफ, अमायरा।" कबीर ने सेजल के कुछ पूछने से पहले ही अमायरा को इंट्रोड्यूस करा दिया था। और जैसा की कबीर को उम्मीद थी, सेजल के चेहरे के भाव एक दम से बदल गए, जिसे जल्दी ही उसने एक बड़ी से स्माइल से ढक दिया।
"और अमायरा, यह सेजल है। मेरी क्लासमेट थी जब मैं लंदन में पढ़ाई कर रहा था।"

"हेलो अमायरा, इट्स सो गुड टू मीट यू। और कबीर मज़ाक कर रहा है, अगर वोह यह कहता है की मैं उसकी बस क्लासमेट थी। राइट कबीर?" सेजल ने अपनी आखरी लाइन इतनी मीठी तरह से शहद घोलते हुए बोली की अमायरा को अपने साथ खड़ा कबीर कुछ असहज, कुछ कठोर होता महसूस हुआ।

"इट्स गुड टू मीट यू टू सेजल। पर मुझे मेरे हसबैंड पर बहुत ज्यादा भरोसा है। अगर वोह के रहें है की तुम उनकी बस एक क्लासमेट थी तोह मुझे उन पर पूरा यकीन है। राइट, मिस्टर हसबैंड?" अमायरा ने आखरी लाइन कबीर की यकीन दिलाते हुए कही थी और कबीर उसे सुन कर मुस्कुरा उठा।

"Aww.... हाउ स्वीट। कितनी प्यारी वाइफ मिली है तुम्हे कबीर। सो ट्रस्टिंग एंड इनोसेंट। मुझे पक्का यकीन है इसे तुम्हारी फैमिली ने ही ढूंढा होगा। यह तुम्हारे टाइप की नही है। आई होप की तुम दोनो एक साथ खुश होंगे।"

"सेजल तुम...."

"मुझे लगता है की किसी और के पता होने से ज्यादा मेरे हसबैंड को पता है की उनकी टाइप क्या है, और आपको जान कर बहुत खुशी होगी की हम दोनो एक दूसरे के साथ बहुत खुश हैं। आफ्टर ऑल, फ्रेंड्स यही तोह चाहते हैं। की अपने फ्रेंड्स की खुशियों का ध्यान रखे। मुझे तो बहुत खुशी है की कबीर के पास आप जैसी फ्रेंड है जिसे उनकी खुशियों की कितनी चिंता है। सही कहा ना मिस्टर मैहरा?" अमायरा ने पूछा और कबीर की तरफ अपनी नज़रे टीका दी।

"बेशक, मिसिज मैहरा। सेजल एक बहुत अच्छी दोस्त है।" कबीर ने कहा, उसकी आंखे सेजल को घूर रही थी।

"Ahhh.... आई एम ग्लैड।" सेजल ने जवाब दिया। "तोह तुम यहां क्या अपनी वाइफ के साथ रिलैक्सिंग लंच के लिए आए थे?"

"हां। और हम अब बस जा रहे हैं। तुमसे मिलकर बहुत अच्छा लगा। सी यू लेटर।" कबीर ने जवाब दिया, उसे बहुत जल्दी थी यहां से जाने की।

"अरे क्या? तुम इतनी जल्दी जा रहे हो? हम अभी तोह मिले हैं और तुम जा रहे हो। नॉट फेयर कबीर। इसी तरह से तुम अपने पुराने दोस्तों को ट्रीट करते हो? अमायरा, क्या तुम अपने हसबैंड को नही कहोगी की वोह थोड़ा तोह मेरी मेहमान नवाज़ी करे?"

"सेजल, हम दोनो अभी फैमिली वैडिंग प्रिपरेशन में बिज़ी हैं। मैं भी यहां रुकना चाहता हूं लेकिन रुक नही सकता। मैं इस वक्त सच में बिज़ी हूं और मुझे जाना ही होगा।"

"फैमिली वैडिंग? किसकी? तुम्हारे छोटे भाइयों की? डेट्स अमेजिंग। कंग्रेटुलेशनस। यू नो मुझे यह इंडियन वैडिंग और फंक्शंस कितना पसंद है। मैं यही उम्मीद करती हूं की तुम मुझे भी अपने पुराने दोस्त के तौर पर बुलाओगे।" सेजल बेशर्मों की तरह बोले जा रही थी और कबीर को समझ नही आ रहा था की कैसे मना करे। वोह बिलकुल भी नही चाहता था की सेजल उसके या अमायरा के आस पास रहे। पर इससे पहले की वोह कुछ कह पता उसे अमायरा की आवाज़ सुनाई पड़ी और चौंक ही गया और कुछ भी रिएक्ट नही कर पाया।

"ऑफकोर्स सेजल। फ्रेंड्स तोह हमेशा ही इन्वाइटेड होते हैं। तोह अगर आप इसी होटल में रुकी हुई ही, तोह आपको कोई परेशानी नहीं होगी कम्यूट करने में। तोह मैं आपको अपनी पूरी फैमिली की वजह से सादर आमंत्रित करती हूं। हम यहां इस होटल में फ्रेंड्स के लिए रिसेप्शन होस्ट कर रहें हैं, इसी महीने की सताइस तारीख को। प्लीज जरूर आइएगा। तोह अब आप हूं इज़जाज दीजिए क्योंकि जैसे की आप पहले से ही जानते हो की यह इंडियन वैडिंग कितनी कलरफुल और अमेजिंग होती हैं, लेकिन इसके लिए सभी घरवालों की लगातार निगरानी की जरूरत होती है। भले ही वैडिंग प्लैनर की सारी टीम लगी हुई हो पर जब तक फैमिली मेंबर निगरानी नही रखेंगे यह ठीक से मैनेज नही कर पाएंगे। आप से मिलकर अच्छा लगा। अब हम चलें क्या?" अमायरा ने कबीर से पूछा और कबीर ने सिर हां में हिला दिया।

"और सेजल, आप कौनसे रूम में रुकी हैं?"

"Uhh....606। क्यूं?"

"मैं आपके रूम में इन्विटेशन भिजवा दूंगी। सी यू।" अमायरा पलटी और सेजल हैरान रह गई। सेजल ने बहुत कोशिश की वोह अमायरा को नीचा दिखा सके, और कबीर और अमायरा के बीच गलतफेमी पैदा कर सके। पर अमायरा ने उसे वापिस जवाब दे कर आसानी से ही उसका मुंह बंद कर दिया था।

"अमायरा, मैं बस अभी आया।" कबीर ने अमायरा से कहा जब वोह अपनी गाड़ी से कुछ ही कदम रह गए थे। और वोह वापिस सेजल के पास चला गया।

"मुझे पता था तुम वापिस आओगे।" सेजल ने शैतानी हँसी हँसते हुए कहा जब उसने कबीर को अपने पास आते हुए कहा।

"ज्यादा स्मार्ट बनने की कोशिश मत करो सेजल। आई लव अमायरा। और खबरदार अगर कुछ भी घटिया हरकत करने की कोशिश की, क्योंकि मैं बर्दाश्त नहीं करूंगा।"

"प्यार? क्या तुमने यही बात महिमा से नही कही थी? और अब तुम....."

"ओह स्टॉप इट। तुम जानती हो की इन सब बातों का कोई मतलब नहीं।"

"पर सच नहीं बदलता।"

"देखो सेजल। तुमने जान बूझ कर सिचुएशन मैनिपुलेट की ताकी इंट्विटेशन ले सको, पर यह मत समझना इससे तुमने कुछ हासिल कर लिया। आई एम वार्न यू, मेरी वाइफ से दूर रहना।"

"क्यूं? क्योंकि तुम डरते हो की अगर तुम्हारी वाइफ को सच पता चल गया तो वो तुम्हे छोड़ देगी। वोह सच जो मेरे और तुम्हारे बारे में हैं। कितनी यंग और इनोसेंट गर्ल है वोह, पर जबान की बहुत तेज़ है। मैं तोह यह सोच रही हूं की उसका दिल कैसा होगा, एक सख्त दिल जो यह बात बर्दाश्त कर लेगा या फिर नाज़ुक सा की यह बात सुनकर ही उसका दिल टूट जायेगा।"

"शट अप सेजल। स्टे अवे फ्रॉम मी एंड माय वाइफ। हमारे बीच कुछ नही है और तुम मेरे खिलाफ उस चीज़ का फायदा नही उठा सकती।"

"तोह तुम इतना डर क्यों रहे हो डार्लिंग? इस बात से डर रहे हो की कहीं तुम्हारी वाइफ सब जान न जाए?" सेजल ने अपने हाथ की एक उंगली कबीर के चेहरे पर फेरते हुए कहा जिसे कबीर ने बेदर्दी से झटक दिया।

"यह मेरी आखरी चेतावनी है तुम्हे, सेजल। कोई भी ऐसी हरकत मत करना जिससे तुम्हारी ही जिंदगी जहानुम बन जाए, क्योंकि उसके बाद मैं छोडूंगा नही।" कबीर ने चेतावनी देते हुए कहा और वहां से चला गया और छोड़ गया पीछे शैतानी हँसी हँसते हुए सेजल को।

"वोह सब क्या था?" कबीर ने पूछा जैसे ही वोह गाड़ी में जा कर बैठा।

"क्या?"

"तुम उससे इतना क्यूं घुल मिल रही थी। और क्या जरूरत थी उसे इनवाइट करने की?" कबीर ने गाड़ी स्टार्ट करते हुए पूछा। वोह गुस्से मैं है यह साफ पता चल रहा था।

"वोह मेरे सामने ज्यादा स्मार्ट बनने की कोशिश कर रहीं थी। मैं उन्हे उनकी औकात दिखा दी। आखिर मैं आपकी वाइफ हूं। और आप मुझे उनके सामने कुछ अनकंफर्टेबल लग रहे थे इसलिए मुझे कुछ तोह करना ही था।" अमायरा ने कहा और कबीर घबराने के बावजूद भी मुस्कुरा गया।

"तुम पागल हो। वोह इतनी इंपोर्टेंट नही है की उसे कोई भी वैल्यू मिले।" कबीर ने व्याकुलता से जवाब दिया।

"मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं आया जिस तरह से वह दिखाने की कोशिश कर रही थी कि वह आपको कितनी अच्छी तरीके से जानती है। वोह भले ही आपको कुछ सालों से जानती हो पर इस मामले में वह मेरी बराबरी नहीं कर सकती। मैं आपको अपनी पूरी जिंदगी से जानती हूं। क्या नही जानती मैं?" अमायरा ने पूछा और कबीर ने मुस्कुराते हुए सिर हिला दिया।

"पर तब भी तुम्हे उसे इनवाइट नही करना चाहिए था।"

"क्या फर्क पड़ता है। मैंने उसे बस इस जगराता फंक्शन के लिए ही इनवाइट किया है जो की वैसे भी दोस्तों के लिए और मॉम और डैड के जानने वालों के लिए ही रखा गया है। इसमें क्या नुकसान हो जायेगा अगर वोह बूढ़ी बूढ़ी औरतों के बीच में अलग ही नज़र आयेगी। वोह नज़ारा अमेजिंग होगा।" अमायरा भी चहकते हुए जवाब दिया जबकि कबीर इस स्थिति में नहीं था कि वह अमायरा के मजाक पर हँसे।

"आप ठीक तोह हैं?" अमायरा ने कबीर को परेशान देखते हुए पूछा।

"हां।"

"कुछ तो हुआ है?" अमायरा ने फिर पूछा।

"नही। सब ठीक है।"

"क्या ऐसा कुछ है जो आप मुझे बताना चाहते हैं? उस औरत के बारे में?" अमायरा ने कबीर के बात टालने की कोशिश को नजरंदाज करते हुए पूछा।

"नही। मैं तुम्हे ऐसे इंसान के बारे में क्यूं कुछ बताऊं जो की मेरे लिए कोई है ही नही, कोई मायने ही नही रखता?"

"अगर वोह कोई नही है, तोह आप इतने टेंस्ड क्यूं हो गए थे जब आप उससे मिले थे? आपने उसे धमकाया क्यों?" कबीर के कूचे कहने से पहले ही अमायरा ने दूसरा सवाल पूछ दिया।

"तुम....तुम्हे कैसे पता की मैने उसे धमकाया था? तुमने कुछ सुना था क्या?" कबीर अब और डरने लगा था।

"नही। मैने कुछ नही सुना था। मैं तोह काफी दूर खड़ी थी। पर जिस तरीके से आप उससे बात कर रहे थे, अपनी एक उंगली दिखा कर, इससे यह तोह बिलकुल नही लग रहा था की आप खुशी खुशी अपनी एक पुरानी दोस्त को गुड बाय कह रहे थे। ऐसा क्या है जो आपको परेशान कर रहा है?"

"क्या यह जरूरी है की मेरी जिंदगी में, मेरे आस पास जो कुछ भी हो, मैं तुम्हे सब बताऊं?" कबीर ने अपनी आवाज़ तेज़ करते हुए कहा। वोह यह टॉपिक यहीं खत्म करना चाहता था।

"नही। बिलकुल जरूरी नहीं है। पर अगर कोई चीज, कोई बात आपको परेशान कर रही है तोह ये मेरी जिम्मेदारी है की मैं बात जानू और आपकी हर संभवता मदद करूं, आपकी पत्नी होने के नाते, आपकी अच्छी दोस्त होने के नाते।"

"ऐसा कुछ नही है जिसमे तुम मेरी मदद कर सकती हो इस वक्त।" कबीर ने दो टुक में जवाब दिया, उसका ध्यान सड़क की ओर था।

"आप उसके सामने डर रहे थे और घबरा रहे थे। उसे देख कर बिलकुल भी खुश नही थे। क्या आप दोनो के बीच कुछ हुआ है, कुछ गलत, हो आप कभी याद नही करना चाहते, कभी भी नही? जिस तरह से वह आपसे बात कर रही थी, मुझे ऐसा लगा की वोह आपका सामना करने के लिए बहुत उत्सुक है। ऐसा कुछ जिसे वोह आपके सामने, आपके खिलाफ इस्तेमाल कर सकती है। ऐसा कुछ जिससे आप भी असहज हो रहे थे।" अमायरा बोलती रही। उसने ध्यान ही नही दिया की कबीर गुस्सा होने लगा था।

"अमायरा, मैं इन सब बातों के बारे में कोई बात नही करना चाहता था। तुम बात समझ क्यों नही रही? कबीर ने पूछा। वोह अपने गुस्सा पर काबू रखने की कोशिश कर रहा था।

"क्या आपका अफेयर था उसके साथ? या उससे भी बुरा, क्या आपने उसके साथ एक रात बिताई थी? क्या आप उसके साथ सोए थे और फिर बाद में उसे एक्सेप्ट करने से मना कर दिया?" अमायरा ने डायरेक्ट पूछ दिया और कबीर ने एक झटके में गाड़ी रोक दी। थैंक गॉड, आस पास कोई गाड़ी नही थी उस वक्त। कबीर न गाड़ी रोकी और एक गहरी सांस ली।

"तुमने ऐसा क्यूं कहा?" कबीर बोल पड़ा।

"मुझे नही पता। मैं तोह बस समझने की कोशिश कर रही थी की आप उसके आस पास इतना क्यूं घबरा रहे थे, और वोह इतना इतरा रही थी, जैसे की कोई सीक्रेट जानती हो।"

"और बस यही एक चीज़ रह गई थी जिसका तुमने अंदाज़ा लगाया?"

"नहीं। मुझे और भी पोसिबिलिटीज लगी थी। जैसे की आपने उसके घर को लुटा हो फ्री में खाने के समान के लिए कॉलेज टाइम में और उसका सारा खाने का सामान लेकर भाग गए हो, या फिर गनपोइंट पर कोई कीमती चीज़ लूट ली हो, उसका बैंक अकाउंट खाली कर दिया हो, उसके बॉयफ्रेंड की पिटाई की हो, उससे शादी से मना कर दिया हो, उससे वादा किया हो की हमेशा साथ रहोगे और फिर बाद में डिच कर दिया हो। यह सब हो सकते हैं, इनके अलावा भी और हो सकते हैं, लेकिन यह सारी पोसिबिलिटीज़ टिपिकल मिडिल क्लास है। और मेरा मिडिल क्लास दिमाग हाई—फाई पोसिबिलिटीज नही सोच सकता। और यह सारी पोसिबिलिटीज़ आपके डरने और उसके इतराने के लिए बहुत ही छोटी लगती हैं। इसलिए सिर्फ अफेयर जैसे ही चीज़ रह जाती है। मैं यह जानती हूं की अमीरों में अफेयर जैसी चीजें काफी कूल कहलाती हैं। शायद आप थोड़ा आगे बढ़े होगे और फिर पीछे हट गए होंगे, लेकिन उन्हें और ज्यादा की चाहत होगी। और अब आपको ऐसा लगता है की आपकी मिडिल क्लास वाइफ आपको गलत समझेगी, इसलिए आप इतना घबरा रहे हैं। इस तरह से यह आपकी कोई मदद नहीं कर रहा, बल्कि आप मुझे बस बहलाने की कोशिश कर रहें हैं तब से। कोई भी घबरा जायेगा अगर उसको अपनी जिंदगी खतरे में महसूस होगी।"

"क्या मेरी उससे बातों से यह साफ पता चल रहा था?" कबीर ने आराम से पूछा।

"क्या? की आप उसके साथ सोए थे और अब आप शर्मिंदा हैं उस बात के लिए?"

"ओह गॉड अमायरा। क्या तुम बंद करोगी बार बार यह दोहराना?"

"व्हाट? की आप सोए....."

"क्या मेरी उससे बातों से यह साफ पता चल रहा था?" कबीर ने आराम से पूछा।

"क्या? की आप उसके साथ सोए थे और अब आप शर्मिंदा हैं उस बात के लिए?"

"ओह गॉड अमायरा। क्या तुम बंद करोगी बार बार यह दोहराना?"

"व्हाट? की आप सोए....."

"नही। मैं नही सोया।" कबीर चिल्लाया।

"नही? आप नही सोए? सच में?" अमायरा ने अविश्वास के साथ पूछा। उसका मुंह खुला का खुला रह गया था।

"नही। बिलकुल भी नही। और यह तुम्हारे लिए इतना शॉकिंग y है? क्या तुम यह सोचती हो की मैं एक घटिया इंसान हूं, लड़कियों के आगे पीछे घूमता रहता हूं, जो अपने आप में रह नही सकता?"

"नही। नही..मेरे कहने का यह मतलब नही था?"

"तोह फिर तुम्हे ऐसा क्यों लगता है की मैने यही किया होगा? और तुम इतना सरप्राइज्ड क्यों हो गई की मैने यह नहीं किया? क्या तुम मुझ पर भरोसा नही करती?" कबीर ने लगभग चिल्लाते हुए पूछा।

"मैं करती हूं। पूरा भरोसा करती हूं आप पर। बस मैं ना ऑलमोस्ट कनविंस ही गई थी की यही कारण होगा आपके परेशान होने का, पर अब जब यह कारण नही है तोह मैं कन्फ्यूज्ड हूं की तोह क्या वजह हो सकती है। डेट्स इट।" अमायरा कबीर की समझाने की कोशिश कर रही थी और कबीर ने यह सुन कर गहरी सांस ली।

"आई एम सॉरी। मैं तुम पर चिल्लाया। बस मैं उसे बर्दाश्त नही कर पा रहा था, एस्पीशियली उसके साथ मेरी आखरी मुलाकात के बाद।" कबीर ने अमायरा से नज़रे चुराते हुए कहा।

"मुझे पता है की मैने आपके कोई पुराने जख्म कुरेद दिए। कोई बात नही अगर आप उसके बारे में बात नहीं करना चाहते। आई एम सॉरी मैने आपको तंग किया।"

"मैं तुम पर गुस्सा नही हो रहा था। मैं तोह खुद पर गुस्सा हो रहा था। तुम कुछ हद तक सही हो। उसने कुछ ऐसा किया है जिसका वोह फायदा उठा रही है। मैं उसके साथ सोया नही था, पर सोने वाला था। और इसी बात का वोह दावा कर रही है।"

"क्या? वोह ऐसे कैसे किसी भी चीज़ का दावा कर सकती है? और आप उसके फालतू के ऐसे दावे से डर क्यों रहें हैं?"

"मैं डर नहीं रहा हूं। मुझे बस गिल्टी फील होता है। गिल्टी महिमा को धोखा देने के लिए।"

"इससे महिमा का क्या लेना देना? सेजल तोह आपके कॉलेज में थी ना? महिमा से आप लंदन से वापिस आने के बाद मिले थे। उसकी वजह से महिमा को धोखा देने का तोह सवाल ही नहीं बनता। आप वापिस आने के बाद दो साल तक इंडिया में महिमा के साथ रहे थे, और उस दौरान आप वापिस लंदन तोह गए ही नही। क्या सेजल उस दौरान इंडिया आई थी?" अमायरा कन्फ्यूज्ड थी और कबीर उसे अपनी एक भौंहे को ऊचका कर देख रहा था।

"क्या? आप तोह जानते ही हो की मैं आपको स्टॉक करती थी। स्टॉकर होने के कुछ तोह फायदा हो। मुझे सब कुछ पता है। तोह, महिमा इन सबसे कैसे रिलेटेड है? मुझे लगता है की सेजल खुद लंदन से ही है? सही कहा ना?" अमायरा ने पूछा कबीर ने सिर हिला दिया।

"वोह बस क्लासमेट थी। वोह हमेशा से ही मुझ में इंटरेस्टेड थी, पर मैं नही। फिर मैं इंडिया वापिस आ गया और हम टच में नही रहे। महिमा की डैथ के बाद मैं टूटा हुआ था। मैं सबसे दूर भागना चाहता था इसलिए घर पर भी बहुत कम रहता था, जो तुम ज़रूर जानती होगी।" कबीर ने हल्की मुस्कुराहट के साथ कहा और अमायरा ब्लश करने लगी।

"मैं काम के सिलसिले में बहुत ट्रैवल करता था, अपने आप को जितना हो सके काम में डुबाए रखता था। तभी मेरी एक मीटिंग लंदन में होनी थी, तोह मेरे पुराने कॉलेज फ्रेंड्स जो अभी भी वहीं रहते थे उन्होंने मिलने का प्लान बनाया और मुझे भी आने के लिए फोर्स किया। मैं जब तक वहां था, कई बार उनसे मिला था। वोह सब मेरे पास्ट के बारे में जानते थे, वोह महिमा के बारे में सब जानते थे। वोह मुझे आगे बढ़ने की सलाह देने लगे, एक नई गर्लफ्रेंड बनाने की, अपनी जिंदगी में पुरानी यादों को भुल कर आगे बढ़ने की। उन दोस्तों में सेजल भी थी जो महिमा के बारे में सब जानती थी, और यह भी की महिमा मेरे लिए क्या थी। मैने उन्हे बताया था की मैं तैयार नहीं हूं मूव ऑन के लिए, किसी और को प्यार करने के लिए, कभी भी नही। कुछ दिनो बाद सेजल के घर पर पार्टी थी, उसने हम सभी को इनवाइट किया था। मेरे दोस्तों ने मुझे बहुत इंडिस्ट किया इसलिए मैं वहां चला गया था। मैं जब वहां पहुँचा था तब पहले से ही थोड़ा ड्रंक था और वहां जा कर थोड़ी और पी ली। जो फ्रेंड मेरे साथ आया था उसे कुछ अर्जेंट काम आ गया था तो वो जल्दी पार्टी से चला गया था। मुझे वैसे भी किसी से मिलना जुलना नही पसंद था इसलिए मैं बार में बैठ गया था, और मुझे पता ही नही चला की कब सब पार्टी से जा चुके थे। मुझे बस इतना याद है की सेजल मेरे पास आई और वहीं बैठ गई थी, हमने कुछ देर बातें की थी, क्या बातें की पता नही, और....और फिर हम एक दूसरे को किस करने लगे थे। मैं नही जानता की कब, क्या, और कैसे हो गया था। मैं तोह पहले ही मरा हुआ था, सिर्फ शरीर चल रहा था। वोह मुझे अपने कमरे में ले जाने लगी, और मैं भी उसके साथ, उसके पीछे पीछे जाने लगा था। इससे पहले की मैं या वोह कुछ करते, मेरा या उसका, पता नही, फोन बज पड़ा और मैं जैसे होश में आया। मैं क्या करने जा रहा था यह याद आते हुए मैं घबरा गया। मैं तुरंत ही वहां से निकल गया और गाड़ी चलाने लगा बिना यह ध्यान दिए की कहां जा रहा हूं। बस अंधाधुन गाड़ी चलाए जा रहा था। ट्रस्ट मी अमायरा। इसके अलावा और कुछ नही हुआ था।"

"आई ट्रस्ट यू मिस्टर मैहरा। अगर आप कह रहें हैं यह तोह यही सच है।"

"पर उसका कहना है की मैने यह सब करने की पहल की थी, यह दावा करने के बाद भी की मैं महिमा से बहुत प्यार करता हूं। उसका कहना है की मैं कितनी आसानी से उस रात उसे भूल गया। और मुझे अपने आप पर बहुत शर्म आती है; मैं इवन शराब को भी दोषी नहीं ठहरा सकता क्योंकि गलती तोह मेरी थी।"

"पर आप उसके आरोपों को मान क्यों रहें हैं?"

"क्योंकि मैं उस वक्त ड्रंक था। और मेरे पास उसके झूठे आरोपों को गलत साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है। मुझे कुछ भी ठीक से याद नही है तो कैसे कह दूं की वोह पूरी तरीके से गलत है। जो भी मैने तुम्हे बताया वोह, वोह था जो मुझे याद है, वोह भी धुंधला धुंधला। मैं बस अपने धुंधली सी याद को ही सच मान रहा हूं क्योंकि जो उसने उसके बाद जो मुझसे कहा था वोह एक दम बकवास था।"

"क्या कहा था?"

"हम उस दिन के एक हफ्ते बाद मिले। उसने कहा की उसे बहुत अच्छा लगा था मेरे साथ, और मुझे इतनी जल्दी सुबह सुबह नही चले जाना चाहिए था। मैं जानता था की वोह झूठ बोल रही है क्योंकि मैं तोह रात में ही वहां से निकल गया था।"

"पर आप यह बात इतने पक्के यकीन से कैसे कह सकते हैं?"

"उसके घर से निकलने के बाद मेरा एक एक्सीडेंट हो गया था क्योंकि मैंने बहुत ज्यादा पी रखी थी। अगले दिन जब मुझे होश आया तो मुझे कई जगह सीरियस इंजरी हो रखी थी। मेरे एक फ्रेंड के अपार्टमेंट के पास ही मेरी कार क्रैश हुई थी, इसलिए उसने ही मुझे हॉस्पिटल पहुँचाया था। डॉक्टर ने ही मुझे उस एक्सीडेंट से पहले क्या हुआ यह याद दिलाने की कोशिश की थी इसलिए ही मुझे पक्का यकीन है की जो मैं कह रहा हूं वोह सच है।"

"क्या वोह सीरियस एक्सीडेंट था? सुमित्रा मॉम ने तोह मुझे उसके बारे में कभी कुछ बताया ही नहीं था।"

"वोह इसलिए क्योंकि मैने भी इसके बारे में कभी कुछ नही बताया था। बल्कि सेजल को भी मेरे इस एक्सीडेंट के बारे में कुछ नही पता, तभी तोह वोह मुझसे झूठ बोलने की कोशिश कर रही है। जब मैने उसे कॉन्फिडेंटली कहा की मैं तोह रात को ही वहां से चला गया था, तोह उसने भी मान लिया पर मुझे अपनी ही नज़रों में गिराने के बाद। उसने मुझे गिल्टी फील कराया की वोह मैं था जिसने वोह किस करने की शुरुवात की थी। और मुझे शर्मिंदगी होने भी लगी क्योंकि शराब के नशे में मैं क्या करने जा रहा था, महिमा को दोखा देने। मुझे खुद से ही नफरत होने लगी की मैं कैसे कमज़ोर पड़ गया। मैं बस कभी माफ नहीं कर सकता खुद को। मैं लगभग एक महीना महिमा की कब्र पर नही गया था, बस खुद से ही शर्मिंदगी का एहसास होता रहता था।"

"आप उस चीज़ के लिए क्यों शर्मिंदा हैं जो कभी हुआ ही नहीं?"

"किसी को जान से मारना और किसी की जान से मारना की कोशिश करना, दोनो एक ही बात होती है अमायरा। बस इसलिए की सामने वाले को बचा लिया गया हो तोह क्या गुनाह कम हो जाता है।

"हां बिलकुल सही कहा आपने। लेकिन किसी का मर्डर करना और किसी का एक्सीडेंट हो जाना एक बात नही है। आप गिल्टी तब होते जब आप फुटपाथ पर खड़ी किसी इंसान को गाड़ी से टक्कर मार देते। आप तब गिल्टी नही हैं जब आप हाईवे पर गाड़ी चला रहें हैं और कोई जान बूझ कर आपकी गाड़ी के आगे कूद जाए। और तब तोह बिलकुल नही अगर आपने उस आदमी को छूने से पहले ही गाड़ी पर ब्रेक लगा दिए हों"

"तुम नही समझोगी अमायरा। उस रात क्या हुआ और क्या नही हुआ, बात बस इतनी सी नही है। बात यह है की मैं खुद पर कैसे कंट्रोल नही रख पाया बस एक रैंडम लड़की के लिए। एक बार भी महिमा के बारे में नही सोचा। मैं पहले ही उसे खो चुका था और अब तो उसके सामने जा कर माफी भी नही मांग जा सकता था।"

"कौन कहता है की आप अपने ऊपर कंट्रील नही रख सकते? मैं तोह यह बात बिलकुल नहीं मानती। आपने कहा की सब आपके दिमाग धुंधला सा है। शायद उसने शुरुवात की हो और आपको पहले तोह उसे ना नही कर पाए हों क्योंकि आपने बहुत ज्यादा पी रखी थी। पर बाद में आपने उसे मना किया और वहां से चले गए। बस यही हुआ था वहां। और अगर आपने ही शुरू किया था तोह भी आगे तो कुछ नही हुआ ना। आपने बिलकुल भी महिमा की धोखा नही दिया। मुझे लगता है की आपको बिलकुल भी उस औरत से घबराना और डरना नहीं चाहिए जो इतनी आसानी से झूठ बोल जाति है।"

"देखिए मैं यह नहीं कह रही की वोह गलत है क्योंकि मुझे आपको बचाना है, मैं बस यह कह रहीं हूं हर औरत निष्कपट नहीं होती, जैसे की हर आदमी सज्जन नही होता। शायद वोह धोखे से आपसे रिश्ता जोड़ना चाहती हो, आपको यह यकीन दिला कर की उस रात आप दोनो के बीच कुछ हुआ था। इंडिया में, कितनी औरतें हैं जो बेचारे, भोले भाले से शादी करती हैं और फिर उन पर टॉर्चर और दहेज का चार्ज लगा कर उन्हे ब्लैकमेल करती हैं और बदले मे एक मोटी रकम ले कर ही केस वापिस लेती हैं। एक औरत हो कर मुझे ऐसा नही कहना चाहिए था पर यह सच्चाई है। औरतें भी मर्दों की भलाई का फायदा उठाती हैं। शायद वोह भी उन्ही में से एक हो।"

"तुम्हे सच में ऐसा लगता है?" कबीर ने पूछा।

"हां। मैं भी मानती हूं। मुझे आप पर पूरा यकीन है। आप इसे अदर वे मत लीजिए, पर यह एक छोटी सी बात है। और अगर यह सच भी होता, तोह आप जानते......"

"तुम मुझे माफ कर देती और यह सच होता तोह? अगर सच में मैं उसके साथ सोया होता तोह?" कबीर ने बातें घुमाना ठीक नही समझा।

"आपको माफ करने का तोह सवाल ही नहीं बनता। मैं तोह आपकी जिंदगी में तब थी ही नहीं, तोह क्या फर्क पड़ता है की आपने उस वक्त क्या किया था। और मुझे लगता है की महिमा को भी फर्क नही पड़ता, क्योंकि तब तक तोह वोह आपकी जिंदगी से जा चुकी थी। आपने उसे अपनी यादों में जिंदा रखा हुआ है यह अच्छी बात है, पर यह सच्चाई नही है। आप जो अपनी जिंदगी जी रहें हैं, उससे उसे कभी भी दुख नही पहुँचेगा, कभी भी नही। यह जिंदगी जीने का सही तरीका नही है।".

"तुम सच में इस बात पर यकीन करती हो?"

"हां बिलकुल।"







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कहानी अभी जारी है...
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