Who Praveen Copper Movie Review in Hindi Film Reviews by Mahendra Sharma books and stories PDF | कौन प्रवीण तांबे फिल्म रिव्यू

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कौन प्रवीण तांबे फिल्म रिव्यू

कौन प्रवीण तांबे फिल्म रिव्यू

कौन प्रवीण तांबे फिल्म hotstar पर उपलब्ध है। आप इसे नहीं देखें तो कोई फर्क नहीं पड़ने वाला पर अगर आप देख लेते हैं तो यकीनन आपकी जिंदगी के कई गिले शिकवे दूर हो सकते हैं। शायद आपको कुछ कर दिखाने का जोश आ जाए या फिर आपका जोश आपके बच्चों के लिए मार्गदर्शन बन जाए। इस फिल्म में कोई बड़ी कास्ट नहीं है पर फिल्म उम्दा कलाकारों से भरपूर है और कहानी बहुत ही प्रेरणा देने वाली है।

प्रवीण तांबे एक ऐसा क्रिकेटर है जो आपीएल खेलने के बाद रणजी खेला। जिसे उल्टा प्रवाह भी बोला जा सकता है। ऐसा कभी हुआ नहीं है और शायद होगा भी नहीं क्योंकि इस प्रकार के अति प्रतिभाशाली क्रिकेटर छोटी उम्र से चयनकर्ता की नजरों में रहते हैं पर प्रवीण का नसीब कुछ अन्य दिशा में उसे ले जा रहा था, पर प्रवीण हारा नहीं, नसीब के सामने झुका नहीं, बस खेलता रहा और ऐसा खेला की आज हम उस पर बनी फिल्म की बात कर रहे हैं, फिल्में आम आदमियों की नहीं बनतीं, प्रवीण कुछ खास है।

बंबई की एक चॉल में रहने वाला प्रवीण बचपन से रणजी खेलने के सपने देखता है। "जब मैं रणजी खेलूंगा " यह लक्ष्य उसके दिलो दिमाग पर छाया हुआ रहता था। गली मुहल्ले की क्रिकेट में उसका डंका बजता था। रणजी में खेलने वालों की संभावित सूची में लगातार उसका नाम आता रहा पर कभी उसका चयन नहीं हुआ। अन्य खिलाड़ी होता तो उसने कभी का क्रिकेट को अलविदा कह दिया होता पर प्रवीण तांबे किसी अलग ही मिट्टी से बना इंसान था।

क्रिकेट खेलते हुए आप घर परिवार कैसे संभाल पाओगे? जब तक रणजी में चयन नहीं होता तब तक घर संसार कैसे चलेगा?उम्र बढ़ रही है तो शादी ब्याह भी जरूरी था? पर प्रवीण ने उसका रास्ता भी ढूंढ ही लिया। शादी के बाद उसने ऐसी कंपनी में नौकरी ढूंढी जो एक प्रादेशिक टूर्नामेंट के लिए क्रिकेट टीम भेजती थी। यह कंपनी अच्छे खिलाड़ियों को नौकरी देकर उन्हें अपनी क्रिकेट टीम का हिस्सा बनाती और उन्हें टूर्नामेंट खिलाती। कई सालों तक इस कंपनी का हिस्सा बने प्रवीण क्रिकेट भी खेलते रहे और नौकरी भी चलती रही पर एक दिन कंपनी ने क्रिकेट खेलना बंद कर दिया और...

फिर क्या था, यह प्रवीण था, यहां रुकने वाला नहीं था। विपरीत परिस्थितिओं से जूझते हुए प्रवीण ने एक और रास्ता ढूंढ निकाला। उसे काम करने में कोई शर्म नहीं थी, बस फिर क्या था, एक नाईट क्लब में उसने वेटर की नौकरी शुरू की और सुबह क्रिकेट खेलने लगा। बोलो कौन इस बंदे को झुका सकता है?

फिर आया एक और भूचाल। उसकी बोलिंग को लेकर सवाल उठे, उसको एक शुभचिंतक ने कहा कि भाई तुम मीडियम पेस नहीं स्पिन बोलिंग करो। प्रवीण की बढ़ी उम्र, उसकी रणजी में न खेलने का दुख और अब इस उम्र में बोलिंग का तरीका बदलने का सुझाव? क्या करेगा प्रवीण?

उसने इस चुनौती को भी स्वीकार किया और स्पिन बोलिंग की प्रेक्टिस शुरू की। होना क्या था? इतने मेहनतकश खिलाड़ी को रास्ते मिलने थे। स्पिन बोलिंग से उसका क्रिकेट निखरने लगा। लगातार अच्छा परफॉर्मेंस तो था लेकिन उम्र की वजह से अब उसका रणजी खेलना नामुमकिन सा हो गया था। अब प्रवीण करीब ३५ से ऊपर हो चुका था।

कई क्रिकेट एकेडमी से उसे कोच बनने के प्रस्ताव भी आ रहे थे पर प्रवीण का कहना था "मुझे अभी रणजी खेलना है" । इस वाक्य को सुनकर आप की आंखों में आंसू आ जाएंगे। आंसुओं को रोकिएगा नहीं। प्रवीण जितना आशावादी इंसान शायद ही आपने देखा हो । जिस उम्र में क्रिकेटर रिटायर होते हैं उस उम्र में वह रणजी खेलने की उम्मीद लगाए बैठा था।

इतने मेहनती आदमी की प्रार्थना इश्वर ने एक दिन स्वीकार की। एक बहुत अच्छे मित्र अभय कुरुविला जो भारतीय क्रिकेट टीम के बॉलर रह चुके हैं, उसने प्रवीण की बात राहुल द्रविड़ तक पहुंचाई जो उस समय राजस्थान रॉयल्स आईपीएल के लिए टीम बना रहे थे। राहुल द्रविड़ ने प्रवीण को आपीएल खेलने का न्योता दिया और वहां से प्रवीण की किस्मत बदली।

आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स के लिए खेलते हुए प्रवीण ने हैट्रिक लेकर पूरे भारत को चौंका दिया। एक ऐसा खिलाड़ी जो कभी रणजी, अंडर १९ , अजलन शाह वगैरह जैसी स्पर्धात्मक क्रिकेट नहीं खेला वह आईपीएल खेला और हैट्रिक लेकर अपनी बात को सिद्ध करता है की खेलने की कोई उम्र नहीं होती और हौंसले की कोई सीमा नहीं होती।

आप इस फिल्म को hot star पर देखें। यह बहुत बड़ा मोटिवेशन देगी। क्या पता आप भी किसी उलझन से जूझ रहे हों और आपको फ़िल्म देखकर कोई नई राह या चाह मिले।

महेंद्र शर्मा ११.०९.२०२२