बीते रात की घटना के बाद रागिनी को बेडरूम में छोड़ विमल दूसरे कमरे में जा कर सो गया। सुबह उन दोनो के जागने से पहले ही वसुधा ड्यूटी से वापस आ गई। वो आई तो भी विमल सोता ही रहा। रागिनी दीदी के आने पर उठ गई। उसने चाय के लिए पूछा वसुधा से। "हां" कहने पर उसके और अपने लिए दो कप चाय बना लाई। रात की घटना की वजह से रागिनी की तबीयत कुछ सुस्त हो रही थी। पूरे बदन में ऐंठन सी हो रही थी। वसुधा ने महसूस किया की रागिनी की तबीयत ठीक नही लग रही। वो बेचैन सी नजर आ रही थी। उसने पूछा,"क्या बात है रागिनी..? तुम्हारी तबियत ठीक नहीं क्या? लगता है अरुण की वजह से सारी रात सो नहीं पाई...!" रागिनी माथे पर हाथ फेरते हुए बोली,"नहीं दीदी बस पूरे बदन में दर्द हो रहा है। सर भी तेज दर्द हो रहा है"। रागिनी बोली,"कोई बात नहीं अभी कुछ देर में ठीक हो जायेगा। वो ..दवा वाला डब्बा लाओ अभी तुम्हे गोलियां दे देती हूं। रेस्ट करो थोड़े समय में बिलकुल ठीक हो जाओगी।"
रागिनी ने दवा वाला डब्बा ला कर वसुधा को दिया। वसु ने उसमे से कुछ गोली निकाल कर दी और कहा, "आज और कल खा लेना बिलकुल ठीक हो जाओगी। रागिनी दवा लेकर कमरे के बाहर चली गई,और वसुधा रात भर जागी थी इस कारण सो गई।
विमल जब सो कर उठा तो वसुधा सो रही थी। वह चुप चाप उठा और तैयार हो कर कॉलेज जाने लगा। जयंती ने उसे इस तरह जाते देख टोका बोली,"अरे!!! जीजा जी आप बिना कुछ खाए कहां चल दिए?? नाश्ता तो कर लीजिए।"जयंती की ओर बिना देखे वो तेजी से बाहर निकलते हुए बोला, "मैं बाहर ही कुछ खा लूंगा। मुझे देर हो रही है।" इतना कह कर वो चला गया।
रागिनी समझ गई की विमल उसका सामना करने से कतरा रहा है इस कारण बिना कुछ खाए ही चला गया।
वसु को कुछ भी पता नहीं चल पाया कि उसके ना रहने पर क्या कुछ घट चुका है?
पर कहते है ना की कभी कभी गुनाह खुद अपनी गवाही दे देता है। ऐसा ही कुछ इस प्रकरण में भी हुआ। दिन बीते सब कुछ ऊपर से ठीक ही लग रहा था। एक महीना पूरा हो गया। रागिनी इंतजार ही करती पर उसके डेट्स मिस हो रहे थे। रोज वो सोचती की शायद आज हो जाए पर समय बीतता जा रहा था। धीरे धीरे तीन महीने बीत गए। आज रागिनी सुबह से ही उल्टियों पे उल्टियां किए जा रही थी। वसु ने जब देखा तो उससे पूछा, अरे!!! रागिनी तुम्हे क्या हो गया है? वही खाना तो हम सब ने खाया था पर तेरी तो तबीयत ही खराब हो गई। लगता है कुछ नुकसान कर दिया तुम्हे। ऐसा करो मैं तो हॉस्पिटल जा ही रही हूं तुम भी चलो साथ में। मैं तुम्हे दिखा दूंगी फिर तुम वापस चली आना।"
रागिनी मना करती रही कि "दीदी रहने दो शाम तक कुछ नहीं खाऊंगी तो ठीक हो जायेगा।" पर वसु नही मानी उसे लगभग जबरन ही अपने साथ ले गई। उसे ये डर था की रागिनी दूसरे की अमानत है उसे कोई भी तकलीफ नहीं होनी चाहिए।
वसु रागिनी को लेकर हॉस्पिटल पहुंची,अपने हॉस्पिटल की लेडी डॉक्टर वंदना के पास ले कर गई बोली,"डॉक्टर साहब देखिए ना मेरी बहन को पता नहीं क्या हो गया है? आज सुबह से ही बार बार इसे उल्टियां आ रही है।"
डॉक्टर वंदना ने उसे पास की कुर्सी पर बैठने को कहा और पूछने लगी,"रात में क्या क्या खाया था?"
रागिनी ने जवाब दिया जो भी खाया था। फिर वो उसके पीरियड्स के बारे में पूछने लगी। रागिनी ने बताया की तीन महीने हो गए। वसुधा आश्चर्य से रागिनी को देखने लगी। वो बोली, "डॉक्टर साहब हो सकता है इसी कारण इसे उल्टियां आ रही है।" डॉक्टर ने उसे जिस टेस्ट के लिए बोला, वसुधा ने घबरा कर कहा, अरे!!! नहीं डॉक्टर साहब… अभी इसकी शादी नही हुई है...!"
डॉक्टर ने कहा, कोई बात नहीं चेक करने में कोई नुकसान नही है। ये एक सामान्य प्रोसेस है हम सभी का करते हैं।"
बेमन से ही वसु तैयार हो गई टेस्ट के लिए। पर रागिनी का दिल बैठा जा रहा था इस टेस्ट का सुनकर। वो एक अनजाने डर से अंदर तक हिल गई थी। उस रात को याद कर वो भयभीत थी की कहीं डॉक्टर का शक सच न साबित हो जाए।
नर्स सैंपल ले कर चली गई। कुछ देर प्रतीक्षा करने को कहा। वैसे तो सभी की रिपोर्ट शाम को या दूसरे दिन ही मिल पाती थी पर वसुधा वहीं की स्टाफ थी इस कारण एक घंटे में रिपोर्ट आ गई। जब रिपोर्ट आई तो उसे लेकर नर्स फिर आई। रागिनी और वसुधा वहीं बगल में बैठ कर इंतजार कर रही थीं। नर्स के दिए रिपोर्ट को पढ़ते हुए डॉक्टर वंदना के चेहरे पर चिंता की लकीरे छा गई। उन्हे खामोश देख वसु उनके पास आ गई और बोली, "क्या हुआ डॉक्टर साहब ? सब ठीक तो है ना!"
जवाब में डॉक्टर वंदना ने रिपोर्ट वसुधा की पकड़ा दी।
वसु ने रिपोर्ट पढ़ा। पढ़ते ही उसका दिमाग सुन्न हो गया। ऐसा कैसे हो गया? अब वो चाचा चाची को क्या जवाब देगी? किसका अंश उसके अंदर है? इन जैसे हजारों प्रश्न उसके मनो मस्तिष्क में कौधने लगे। वो गिरने को हुई पर खुद को संभालते हुए पास की कुर्सी पर बैठ गई। कुछ देर ऐसे ही बैठी रही फिर खुद को संयत करते हुए बोली, "डॉक्टर साहब आप चेक अप तो कर लीजिए। क्या किया जा सकता है?" "ओके" कहते हुए उन्होंने रागिनी को अंदर आने का इशारा किया। रागिनी डरती हुई उनके साथ अंदर चली गई।
डॉक्टर चेक अप करती रही और उससे धीरे धीरे सब कुछ पूछती रही। रागिनी की एक तो उम्र कम थी दूसरे वो कमजोर भी बहुत थी। डॉक्टर वंदना के हर सवाल के जवाब में वो बस चुप ही रही। अच्छी तरह चेक करने के बाद वो बाहर आ गई। साथ में रागिनी भी आ गई। डॉक्टर ने रागिनी को बाहर बैठने को कहा। वो वसुधा से बोली, " वसु मैने बहुत पूछा पर उसने कुछ भी नही बताया। शायद ये किसी से प्यार करती हो! और हां ..! अबॉर्शन भी नही हो सकता तीन महीने बीत चुके है।
ये है भी बहुत कमजोर। जान जाने का खतरा है। मैने ये कुछ दवाइयां लिख दी हैं इनसे आराम हो जायेगा। अब तुम तो अपनी हो मैं तो यही राय दूंगी की इसकी उसी लड़के से शादी करवा दो। जिससे ये प्यार करती है।"
"हूं" कह कर वसुधा ने धन्यवाद किया डॉक्टर का और बाहर चली आई। वो हैरान थी की इतना सब कुछ उसकी आंखो के सामने हो गया और उसे पता भी नही चला। अब ये पता करना था की आखिर ये है कौन ? जिसने रागिनी के इज्जत से खिलवाड़ किया था। अगर किसी ने इसकी इच्छा के विरुद्ध कुछ किया होता तो ये जरूर मुझे बताती। अवश्य ही रागिनी की सहमति रही होगी इन सब में। बाहर आकर जलती आंखो से रागिनी को देखा और बाहर चल पड़ी। सीधी साधी रागिनी ऐसा गुल खिलाएगी उसने कभी नही सोचा था। आज उसने ड्यूटी करने का विचार त्याग दिया। पहले उसे इस समस्या का समाधान करना था जो अचानक आ पड़ी थी। वसुधा के पीछे पीछे रागिनी भी आ गई।
क्या हुआ घर पहुंच कर? रागिनी ने क्या विमल का नाम बताया? क्या बीती वसु पे ये जान कर की विमल ने उसे धोखा दिया है? रागिनी का क्या भविष्य होगा? पढ़े अगले भाग में।