"सचमुच में, इश्क में जलती बड़ा जुर्माना। कौन कहता है की मैं जल्दबाजी कर रहा हूं? क्या मैं नही हूं वोह जो सबसे ज्यादा धैर्य बनाए हुए हूं?" कबीर ने खुद से कहा। उसका दिल कह रहा था की वोह जो भी कर रहा है उस से कुछ तोह फर्क पड़ रहा है। शायद अमायरा हां करने में कुछ और समय ले लेकिन वोह ना नही करेगी, ऐसा यकीन होने लगा था कबीर को। यह सोच कर ही कबीर मुस्कुरा पड़ा। और अचानक ही कबीर बेसब्र होने लगा, उसे बाहों में समेटने के लिए, उसे किस करने के लिए, उसे प्यार करने के लिए, जैसे उसने बीती रात किया था। और उसकी ख्वाइश सिर्फ किस तक ही सीमित नहीं थी, आखिर वोह भी इंसान था, और पत्नी पर फिदा भी था, उस से बहुत प्यार भी करता था, और अपनी भावनाओं को दबाने की कोशिश करते हुए अपनी पत्नी से दूरी बनाना बहुत मै मुश्किल हो रहा था उसके लिए। वोह भी जब वोह हर वक्त उसके आस पास ही रहती थी। सिर्फ वोही जनता था की कैसे वोह अपने आप को कंट्रोल कर के रखता था कभी कभी, वोह भी तब जब उसकी पत्नी उसकी फ्लर्ट करने से पॉजिटिव रिएक्ट करने लगी थी। अपना एक कदम आगे बढ़ा कर, यह जानते हुए की कहां उसे रुकना है, ताकि उसकी पत्नी असहज महसूस ना करे उसके किसी भी हरकत से, इसके लिए कबीर को नॉमिनेशन तो मिलना ही चाहिए, अगर इसके लिए कोई नोबेल प्राइज नही होता तोह। कबीर हैट्सऑफ तोह डिजर्व करता था। कबीर मन में कुछ कहने लगा।
क्या कह कर गया था शायर वोह सियाना..
आग का दरिया डूब के जाना..
तू सब्र तो कर मेरे यार..
ज़रा सांस तोह ले दिलदार..
चल फिक्र नू गोली मार यार..
है दिन जिंदगी दे चार..
हौले हौले हो जायेगा प्यार छलिए..
हौले हौले हो जायेगा प्यार..
"यह तोह किसी आग के दरिए को भी पार करने से ज्यादा मुश्किल है, वोह भी तब जब जिसे आप पाना चाहते हो वोह हर वक्त आपके पास रहती हो, और इतने करीब की आप खुद पर ही अपना काबू नहीं रख पाते। लेकिन उम्मीद करता हूं की बहुत जल्द बदलाव होगा।" कबीर ने अपने आप से कहा और तैयार होने गेस्ट रूम की तरफ चल दिया, क्योंकि वोह जनता था की उसकी पत्नी इतनी जल्दी बाथरूम से नही निकलने वाली।
अमायरा अभी भी अपनी खयालों में थी, वोह बाथरूम में टब में लेटी हुई थी, झागों से घिरी हुई, कुछ फ्रूट्स की कुछ फ्लावर्स की स्मेल उसे पैम्पर कर रही थी जो उसे याद दिला रही उस पैम्परिंग की जो उसे कबीर से मिलती थी। एक बार शॉपिंग करने के दौरान उसने कबीर को बस ऐसे ही कैजुअली बता दिया था की उसका फेवरेट ब्रांड कौनसा है और लेटेस्ट शावर प्रोडक्ट रेंज के बारे में, फिर उसके बाद उसे कहने की कभी जरूरत ही नहीं पड़ी, हमेशा ही उसके बाथरूम में उसकी फेवरेट प्रोडक्ट रेंज का स्टॉक रहता था। अगर सोचा जाए तोह कबीर के लिए यह छोटी सी बात थी बल्कि अमायरा खुद वोह प्रोडक्ट खरीद सकती थी अपने ऑर्फेनेज की सैलरी से पर असल बात तोह यह थी कबीर उसकी पसंद का और ना पसंद का बहुत ध्यान रखता था, जो वोह चाहती थी वोह हमेशा ही कबीर उसके लिए ले आता था, यह सब अमायरा को अच्छा लगता था।
क्या यह सब अमायरा को और डराता नही थी कबीर को पूरी तरीके से एक्सेप्ट करने के लिए? यह डर की कहीं एक दिन कभी कबीर को रियलाइज हो गया की वोह तोह उस से प्यार ही नही करता तोह वोह उसे छोड़ देगा और तब वोह उसकी दोस्ती भी खो देगी। गाने के बोल ने अमायरा को और डरा दिया।
किस्मत बदलदी वेखी मैं..
एह्हे जग बदलदा वेखेया मैं..
बदलदे वेखे अपने..
मैं रब्ब बदलदा वेखेया..
मैं रब्ब बदलदा वेखेया..
सब कुछ बदल गया मेरा..
सब कुछ बदल गया मेरा..
चल जर ही जवांगी..
वे जे हूण तू वी बदल गया..
मैं ते मर ही जवाँगी...
इस विडंबना में भी अमायरा मुस्कुरा पड़ी, की जो भी उसके आस पास हो रहा था वोह सब कहीं ना कहीं उसे अपनी और कबीर की परिस्थितियों से अवगत करा रहा था। और गाने के बोल एक्सेक्टली उसकी सोच पर, उसकी कश्मकश पर फिट बैठ रहे थे। यही तोह असली डर था उसे, वोह सच में मर जायेगी अगर कबीर इन सब के बाद अब उस से अलग हो गया। वोह धीरे धीरे कबीर के साथ खुलने लगी थी, उसका प्यार एक्सेप्ट करने के लिए, धीरे धीरे उसकी तरफ आगे बढ़ने लगी थी, बीती रात जो उन दोनो के बीच किस हुआ था वोह इस बात का पुख्ता सबूत था। वोह अब चाहती थी की कबीर उसे बाहों में भरे, उसे एक बार फिर किस करे, पर क्या वोह खुद नही थी जो उसे रोक रही थी, की पहले खुद श्योर होना चाहती थी?
पर जो प्यार कबीर उस पर बरसा रहा था उसी से तोह उसे हिम्मत मिली थी, ताकि वोह हर परिस्थिति का सामना कर सके जो भी उसके रास्ते में आए, हर मुश्किलों का सामना कर सके, उसके प्यार को एक्सेप्ट कर सके, उसको अपने दिल में आने की इजाज़त दे सके। और इसी ख्याल ने उसके दिल को एहसासों और खुशियों से भर दिया। हां, अब वोह तैयार थी, थोड़ा और आगे बढ़ने के लिए, अपने डर से लड़ने के लिए, भले ही एक दिन कबीर उस से कह दे की वोह उस से प्यार नही करता, क्योंकि वोह जानती थी की कबीर हो उसकी जीने की ताकत है। अब उसे पूरा यकीन था की वोह अपनी खुशियों के बीच अब किसी को नही आने देगी। अब सिर्फ वोह और कबीर ही होंगे। और कोई नही, कोई भी नही। हालांकि अभी भी उसके मन में थोड़ा बहुत संदेह था लेकिन इस बार उसने निश्चय कर लिया था की वोह अब धीरे धीरे सुलझा लेगी।
कुछ देर बाद अमायरा नीचे लिविंग रूम में पहुँची। वहां सिर्फ घर के बड़े लोग बैठ कर कबीर के साथ कल रात की पार्टी के बारे में डिस्कस कर रहे थे। उसने देखा की कोई भी यंगर वन यानी की, इशान, साहिल, इशिता और सुहाना अभी तक सोके उठ कर बाहर नही आए थे।
कुछ देर बाद अमायरा नीचे लिविंग रूम में पहुँची। वहां सिर्फ घर के बड़े लोग बैठ कर कबीर के साथ कल रात की पार्टी के बारे में डिस्कस कर रहे थे। उसने देखा की कोई भी यंगर वन यानी की, इशान, साहिल, इशिता और सुहाना अभी तक सोके उठ कर बाहर नही आए थे। वोह लोग थोड़ी देर बाद बाहर आए और सबको ज्वाइन कर लिया। जब सभी लोग इकट्ठा हो गए तोह सुमित्रा जी ने सबको डाइनिंग टेबल पर जाने के लिए कहा ताकी वोह एक साथ नाश्ता कर सके।
"अब जब सब लोग यहां हैं तोह मैं सबका ध्यान हमारे घर में आने वाली शादी पर करना चाहती हूं।" सुमित्रा जी ने सबको नाश्ता सर्व करते हुए कहा।
"आपको उसके बारे में क्या बात करनी है मॉम?" कबीर बेसब्र होए जा रहा था। उसे बस जल्दी से नाश्ता खत्म करना था और अपनी पत्नी के साथ सन्डे स्पेंड करने बाहर जाना था क्योंकि कल बर्थडे के वजह से वोह सैटरडे एक्सक्लूसिवली अपनी पत्नी के साथ नही बिता पाया था।
"क्या? तुम इस तरह का रिएक्शन क्यों दे रहे हो?" सुमित्रा जी ने कबीर को घूरते हुए पूछा। "क्या तुम्हारी कोई जिम्मेदारी नहीं है अपने छोटे भाई के प्रति, आफ्टर ऑल उसकी शादी है। तुम्हारा फर्ज़ बनता है की तुम प्रिपरेशन में हेल्प करो।"
"इसमें मैं क्या करू मॉम? क्या वेडिंग प्लानर अपना काम सही से नही कर रहा? क्या उसे नही रखा गया यह सब जरूरी काम निपटाने के लिए?"
"वोह लोग अपना काम कर रहें हैं। पर क्या फैमिली मेंबर का साथ नही चाहिए जब की शादी घर की हो? क्या तुम्हे यह सब नही पता? तुम कबसे अपनी जिम्मेदारियों से भागने लगे कबीर?"
"यह तोह मज़ाक कर रहे हैं मॉम। आप मुझे बताइए क्या क्या काम बचा है और हमे क्या क्या करना है?" अमायरा ने मां बेटे के बीच हो रही गरमा गर्मी में बीच में दखल दे दिया था।
"हां मॉम। आप हूं बता दीजिए, हम ध्यान रखेंगे की सब कुछ प्लान के अकॉर्डिंग ही चले।" इशिता ने भी कहना शुरू किया।
"तोह, सबसे पहले तोह, सभी गेस्ट की लिस्ट तैयार करो, उसके बाद सभी फैमिली मेंबर्स के लिए गिफ्ट, और फिर हमने तो अभी तक सुहाना के लिए शॉपिंग पूरी भी नही की है। यह तुम दोनो की जिम्मेदारी है की सभी काम जल्द से जल्द खत्म हो जाना चाहिए। अब शादी मैं बीस दिन से भी कम वक्त बचा है।" सुमित्रा जी पेंडिंग कामों की लिस्ट दोनों को थमा कर समझा रही थी। सुमित्रा जी ने दोनों बहनों को कह दिया था कि वह खुद से यह तय कर ले कि कौन कौनसा काम करेगा। बस उन्हें काम वक्त पर खत्म चाहिए था। उन दोनों बहनों के पति यानी दोनों भाईयों ने अपनी-अपनी पत्नियों से थोड़ी दूरी बना ली ताकि उन पर कोई भी काम का बर्डन ना पड़े।
"और हां अमायरा तुम ध्यान रखना सुहाना के साथ खुद ही जाकर उसका लहंगा उसके नाप के अकॉर्डिंग फिटिंग करवा लेना आज के आज ही।" कबीर ने अपनी मॉम की आवाज़ सुनी और अमायरा कबीर को बेबस नज़रों से देखने लगी। कबीर ने नाराजगी से इशारे में अमायरा को हां कर दिया और अमायरा ने सुमित्रा जी को कन्फर्म कर दिया की वोह आज जरूर चली जायेगी सुहाना के साथ।
वाउ ग्रेट। आज का दिन जो मुझे अपनी पत्नी के साथ अकेले में बिताना था वोह भी वेस्ट हो गया। अब मेरे तेराह दिन पूरी तरह से बर्बाद हो गए। और सिर्फ बारह दिन ही रह गए हैं।
"अमायरा क्या तुम अपने अनाथ आश्रम से छुट्टी ले सकती हो? और इशिता तुम्हारा क्या? क्या तुम भी अपने ऑफिस से कुछ दिनो की छुट्टी ले सकती हो? सुमित्रा जी ने अपनी सोनी बहुओं से पूछा और कबीर को गुस्सा आने लगा। तोह अब मेरी पत्नी अपने पति के लिए भी छुट्टी नही ले सकती लेकिन इस शादी की तैयारियों के लिए ले सकती है।
रिलैक्स कबीर। यह सब फैमिली के लिए ही तोह है। और शादी किसी और की नही तुम्हारे अपने भाई की है।
थोड़ी देर बाद सभी ने अपना अपना नाश्ता खतम कर लिया था। और सुमित्रा जी अपनी तीनो बहुओं, अमायरा, इशिता और सुहाना को लेकर अपने कमरे में चली गईं। कबीर उदास हो गया। वोह बेबस था। अपनी मॉम को रोक नहीं सकता था। उसके दोनो भाइयों की भी यही कंडीशन थी लेकिन उसके दोनो भाई इशान और साहिल कल के मैच को डिस्कस करके टाइम पास करने लगे। कबीर ने डिसाइड किया की वोह ऑफिस ही चला जायेगा क्योंकि अगर वोह घर पर रहा तोह सारा समय फ्रस्ट्रेट होता रहेगा की उसकी पत्नी उसके साथ नही है।
क्या थी वोह लाइंस जो मैंने सुबह सुनी थी?
"क्या कह कर गया था,
शायर वोह सायना,
आग का दरिया है,
डूब कर जाना है।"
राइट! बीइंग इन लव इस नॉट ईजी।
कबीर ऑफिस जाने के लिए तैयार होने लगा। पर बिना अपना रिचुअल भूले। यानी की जाने से पहले अपनी लवी डवी वाइफ को मैसेज करके।
कबीर — धोखा दे दिया ना तुमने हमारी आज की डेट पर।
अमायरा— मैं दुबारा ज़रूर कुछ प्लान करूंगी।
कबीर— कब?
अमायरा— जल्द ही।
कबीर— कैसे?
अमायरा— वोह देख लीजिए आप जब प्लान करूंगी।
कबीर ने मैसेज पढ़ कर गहरी सांस ली।
कबीर— वैसे में एक किस से भी आसानी से मान सकता हूं। बस ऐसे ही हिंट दे रहा हूं।
अमायरा मुस्कुरा पड़ी मैसेज पढ़ कर।
अमायरा— क्या मैने नही कहा था ना की कुछ समय तक यह दुबारा रिपीट नही होगा?
कबीर— कुछ समय तक। एहह? कुछ भी मत बोलो। मैं जानता हूं की तुम भी मुझे किस करने के लिए बेकरार हो जैसा की मैं।
अमायरा— बनाइए ख्याली पुलाओ। सोचने में क्या जाता है।
कबीर— या फिर में प्यार में डूबा हुआ हूं इसलिए।
अमायरा— मुझे काम है।
कबीर— मैं जानता हूं। बार बार यह बोलने की जरूरत नहीं है। मैं भी अभी ऑफिस के लिए निकल रहा हूं।
अमायरा— ऑफिस? क्यों? आई तोह सन्डे है।
कबीर— यहां रह कर इससे पहले की मैं दूसरों पर चीखूं, चिल्लाऊं, क्योंकि उन्होंने मेरी पत्नी को आज के लिए मुझसे दूर किया है, मैं ऑफिस ही चली जाता हूं और काम कर लेता हूं।
अमायरा— ऑफिस? क्यों? आज तोह सन्डे है।
कबीर— यहां रह कर इससे पहले की मैं दूसरों पर चीखूं, चिल्लाऊं, क्योंकि उन्होंने मेरी पत्नी को आज के लिए मुझसे दूर किया है, मैं ऑफिस ही चला जाता हूं और काम कर लेता हूं।
अमायरा मुस्कुरा गई। वोह जानती थी की वोह खुद भी कबीर के बिना नहीं रह सकती थी।
अमायरा— आई एम सॉरी। शायद अगर मौका मिला तोह हम शादी से फ्री होने के बाद चलेंगे।
कबीर— क्या तुम मुझसे यह कहना चाहती हो की मुझे अपनी ही बीवी से बीस दिन तक दूर रहना होगा??
अमायरा— यह बस कुछ दिन ही तोह बात है।
कबीर— क्या रातों में मेरे लिए कोई समय निकल सकता है?
अमायरा— मैं अब कोई जवाब नही देने वाली।
कबीर उसका मैसेज पड़ कर हंस पड़ा।
कबीर— मैं तुम्हे बहुत मिस करूंगा।
अमायरा— मैं भी।
कबीर— मैं नही चाहता की तुम जाओ।
अमायरा— मैं भी।
कबीर— आई लव यू।
कबीर ने मैसेज भेजा और मंद मंद मुस्कुराने लगा। यह सोच की अमायरा इसका जवाब भी "मैं भी" में देगी। और वोह अब इंतजार करने लगा था अमायरा के जवाब का।
अमायरा— ज्यादा ही स्मार्ट बनने की कोशिश कर रहें मिस्टर मैहरा?
कबीर— बस अपनी किस्मत आज़मा रहा हूं। और हां तुम जानती तोह हो ही अपनी पनिशमेंट मुझे मिस्टर मैहरा कहने की। इस बार माफ कर रहा हूं क्योंकि यह पहली बार है। अगली बार माफी नही मिलेगी।
अमायरा— हुंह डरपोक।
कबीर— तुम मुझे अजमा रही हो की मैं अभी इसी वक्त वहां आऊं और अपनी मॉम के सामने, तुम्हारी मॉम के सामने, इशिता और सुहाना के सामने, तुम्हे किस करूं? मैं कर सकता हूं।
अमायरा— ओके। आई एम सॉरी।
कबीर— फाइन। पर यह तुम्हारा आखरी बार है। अब जाओ, मैं भी बस निकल ही रहा हूं।
अमायरा— फाइन। बाय। सी यू इन द इवनिंग।
कबीर— आई लव यू।
अमायरा मुस्कुराई और अपना फोन साइड में रख दिया। कबीर के मैसेज से ही उसकी मौजूदगी का एहसास हो रहा था उसे जबकि वोह उसके सामने या आस पास था भी नही।
क्या इसी को प्यार कहते हैं? क्या मुझे भी प्यार हो गया है, हौले हौले?
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अमायरा शाम को देर से घर पहुँची। सुहाना की सारी शॉपिंग करने के बाद उसे उसके घर छोड़ते छोड़ते काफी देर हो गई थी। कबीर अभी तक ऑफिस से नही आया था इसलिए अमायरा ने उसे मैसेज भेज दिया की वोह घर पहुँच गई है और अपना नाईट सूट लेकर बाथरूम में घुस गई। आज सन्डे था यानी सब की छुट्टी, इसलिए घर के सभी मेंबर्स या तोह किसी काम से बाहर थे या वीकेंड मनाने बाहर थे। कोई शादी की शॉपिंग में बिज़ी था तो कोई दोस्तो से गप्पों में। यानी की सब बातों की एक बात आज अमायरा अकेली थी घर में। और जब कबीर घर वापिस आ जायेगा तोह दोनो एक साथ पूरे घर में अकेले होंगे। अमायरा ने डिसाइड किया की वोह दोनो के लिए खाना बनाए। जो भी घर में अवेलेबल सामान था उससे उसने लज़ान्या बेक्ड किया और उसके साथ चीसी गार्लिक ब्रेड भी। यह ऐसी डिश थी जो अमायरा आसानी से और जल्दी बना लेती थी। उसने दोनो डिश ओवन में रख कर टाइमर सेट कर दिया। उसे अब ऐसा लगने लगा था की यह उसकी डेट है, क्योंकि सुबह कबीर उससे नाराज़ हो गया था उसके साथ ना जाने के लिए। उसे अचानक एक आइडिया आ गया था की भले ही पूरा दिन वोह कबीर के साथ नही थी लेकिन दिन का अंत तोह वोह उसके साथ एक यादगार के रूप में मना ही सकती है।
वोह भागती हुई सीधे अपने कमरे में पहुँची और अपना नाईट सूट चेंज कर के एक लाइट पिंक कलर की साड़ी पहन ली। उसके साथ ही उसने फंकी रेड कलर का ब्लाउज भी पहना। पिछली रात की तरह ही उसने बालों का ऊंचा जूड़ा बनाया और गहनों के नाम पर अपना प्यारा मंगलसूत्र। जब वोह अपने लुक्स से सैटिस्फाइड हो गई तोह उसने अपना फोन चैक किया। उसने देखा की अभी कुछ पल पहले ही कबीर का मैसेज आया हुआ था। उसमे लिखा था की वोह पंद्रह मिनट में घर पहुँच रहा है। उसने अपने कमरे में ही एक कोने में छोटी सी जगह पर टेबल चेयर सेट किया और खाना ला कर वहा रख दिया। अपनी गहरी बढ़ती सांसों के साथ वोह उसका इंतजार करने लगी। इस उम्मीद से की कबीर को यह सब पसंद आएगा।
कुछ देर बाद कबीर कमरे में आया और अपने कमरे में घुसते ही कुछ हैरान सा हो गया। उसके दिमाग में काफी कुछ घूमने लगा की कहीं अमायरा किसी फैमिली मेंबर के साथ कहीं बाहर तोह नही जा रही क्योंकि उसे बहुत कम ही उम्मीद बची थी की अमायरा उसके साथ रहेगी साहिल की शादी होने तक। कुछ पल बाद उसने महसूस किया की अमायरा उसी को देख रही है इस उम्मीद से की वोह उससे कुछ कहेगा। कबीर उसे ऊपर से नीचे तक देखने लगा और उसके देखने के नजरिए से अमायरा शर्म से मुस्कुरा पड़ी। तभी कबीर की नज़र साइड में रखे टेबल पर चली गई और फिर एक बार और कबीर अमायरा की देखने लगा। कबीर के चेहरे के भाव कुछ ऐसे थे जैसे वोह यह सब देख कर कन्फ्यूज्ड हो गया हो।
"आप क्या सोच रहें हैं?" कुछ देर बाद अमायरा ने ही पूछ दिया। वोह देख रही थी की कबीर कुछ कन्फ्यूज्ड है और कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है।
"उह्ह्ह......तुम जान बूझ कर मेरे धैर्य को चुनौती दे रही हो ना? तुम जानती हो की कितनी मुश्किल से मैने अपने आप पर काबू रखा हुआ है। तुम इतनी खूबसूरत लग रही हो की मेरा सब्र टूट रहा है। इसके अलावा मैं यही सोच रहा हूं की आखिर चल क्या रहा है.... क्या तुम फैमिली में से किसी के साथ कहीं जा रही हो? मुझे यहां अकेला छोड़ कर, और इसलिए ना मेरे लिए यहां खाना बना कर रखा हुआ है?" कबीर ने पूछा और अमायरा मुस्कुराने लगी।
"हां, मैं जा रही हूं।"
"कहां? किसके साथ? तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया?" कबीर गुस्सा होने लगा था।
"मैं डेट पर जा रही हूं। अपने हसबैंड के साथ।" अमायरा ने शरारत से मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
"क्या?"
"आप बहुत ही ज्यादा बुद्धू हैं मिस्टर........ हुंह। एनी वे, मैने सोचा था की यह हमारी डेट होगी, क्योंकि सुबह कहीं जा नही पाए थे। मैने सोचा की बाहर नही जा पाए तो क्या हुआ हूं घर पर ही डेट प्लान कर सकते हैं।" अमायरा कबीर के नजदीक बढ़ने लगी थी। उसने उसके करीब आ कर अपने दोनो हाथ कबीर के गले में डाल दिए। कबीर मुस्कुराया और उसने अपने हाथ से अमायरा की कमर पकड़ की और अपने और करीब कर लिया।
"ओह! तोह तुम हमारी डेट के लिए तैयार हुई हो वोह भी मेरी पसंदीदा कपड़ों में। और यह खान....यह हमारे लिए है। शायद मैं जरूर बुद्धू होंगा, पर क्या करूं, मेरा दिमाग काम करना बंद कर देता है जब भी तुम मेरे पास होती हो और मुझे अपनी इन नशीली आंखों से देख रही होती हो। यह क्या कर दिया है तुमने मेरे साथ?" कबीर ने प्यार से पूछा। वोह अपनी नाक को उसकी गर्दन पर सहला रहा था। अमायरा कबीर की बात सुन कर खिलखिला गई।
"अच्छा छोड़िए अब। खाना ठंडा हो रहा है। इससे पहले की सारी प्लानिंग खराब हो जाए हम खाना खा लेते हैं।" अमायरा कबीर को जबरदस्ती उस छोटे से से डाइनिंग टेबल की ओर ले गई और उसे बिठा कर खाना सर्व करने लगी। कबीर एक टक अमायरा को देखे जा रहा था, बिना पलके झपकाए।
"हम्मम...... इटेलियन।" कबीर ने पहला निवाला लेते हुए कहा।
"हां। आपका फेवरेट हैं ना।"
"क्या मैने तुमसे कभी कहा है की मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं?" कबीर ने पूछा।
"हां। बहुत बार।"
"क्या तुम्हे ऐसा नही लगता की तुम्हे मुझे इसका जवाब भी देना चाहिए अगर तुमने मेरे मुंह से कई बार सुना है तोह?" कबीर ने शरारत से पूछा और अमायरा उसे घूरने लगी।
"ओके। नो प्रेशर। मैं तोह बस ऐसे ही पूछ रहा था की मैने आई यह कहा की नही।"
"हां।" अमायरा ने गहरी सांस लेते हुए कहा।
"ओके। मुझे लागत है की इतना स्वादिष्ट खाने के बाद, मुझे एक बार और तुमसे यह कह देना चाहिए। आई लव यू अमायरा।" कबीर ने आगे कहा और अपनी आंखे मटकाने लगा। कबीर ने उसकी उंगलियों को चूम लिया और अमायरा की सांसे ही अटक गई।
"चीज़ अगर ठंडा हो गया तोह वोह हार्ड हो जायेगा।" अमायरा ने किसी तरह बात बदली। पर वोह अपनी नज़रों को कबीर की मटकती आंखों पर से नही हटा पा रही थी।
"हम्मम! ठीक है।" कबीर ने कहा और खाना खाने लगा।
"यह क्या है?" कबीर ने आगे पूछा।
"क्या?" अमायरा ने जवाब दिया।
"तुम्हारे होंठों के पास। एक मिनट....रुको।" कबीर ने अपने अंगूठे से उसके होठों के पास रगड़ कर साफ किया। अमायरा को अजीब एहसास होने लगा। उसकी नज़रे नीची हो गई और चुपचाप खाना खाने लगी। असल में तोह उसके चेहरे पर कुछ लगा ही नहीं था। वोह तोह कबीर की शरारत थी, उसे छूने का बहाना था जो अमायरा भी समझ रही थी।
उसके बाद वोह दोनो बातें करते हुए खाना खाने लगे। आज दिन भर में क्या क्या हुआ अमायरा के साथ और कबीर के साथ, दोनो एक दूसरे को बताने लगे। और शादी से रिलेटेड बातें करने लगे, क्या क्या गिफ्ट्स खरीदने रह गए हैं और वोह कौन कौन से गाने पर लेडीज़ को डांस सिखाने वाली है संगीत फंक्शन के लिए, अमायरा सब बताए जा रही थी। कबीर तोह सुन कर आश्चर्यचकित रह गया।
"यह बात मुझे पहले से क्यों नही पता थी?" कबीर ने पूछा।
"क्या? डांस के बारे में?" अमायरा ने जवाब दिया।
"हां। मुझे लगा था की तुम बस बच्चों को सिखाती हो।"
"मैं तब से डांस कर रही हूं जब से मैं खुद बच्ची थी।"
"मैने तुम्हे कभी डांस करते हुए क्यों नही देखा, सिवाय फैमिली गेटोगेदर में कैजुअल डांस के?"
"वोह इसलिए क्योंकि आपने पहले कभी मुझ पर इतना ध्यान ही नही दिया था। आप तो शादी से पहले यह भी नही जानते थे की मैं एक्जिस्ट भी करती हूं।" अमायरा ने जवाब दिया और तुरंत ही अफसोस करने लगी अपनी बात का। "आई.... आई एम सॉरी। मेरा कहने का यह मतलब नही था।"
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कहानी अभी जारी है...