Mohobbat toh Mohobbat hai - 4 in Hindi Love Stories by Vandana thakur books and stories PDF | मोहब्बत तो मोहब्बत है - Part-4

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मोहब्बत तो मोहब्बत है - Part-4

होटल मून



मान्या और अविनाश ने आकाश को ऊपर से लेकर नीचे तक घूरा,,, आकाश उन दोनो से कुछ कहने वाला था कि तभी अन्दर से गौरी की आवाज आती है ।

" बेबी,,,, कौन है बाहर,,जो भी है उसे दफा करो और जल्दी से मेरे पास वापस आओ,,, हमे कन्टिन्यू करना है,,,,!!!

मान्या ने गौरी की आवाज सुनी तो उसके माथे की नसे तन गई, उसने आकाश को एक तरफ धक्का मारा और रूम के अन्दर चली आयी ।


आकाश, सम्भलते हुए- मान्या यह क्या हरकत है,,, अविनाश कहा जा रही है यह...?



अविनाश ने आकाश के चेहरे को एकटक देखा फिर एक के बाद एक थप्पड लगातार उसके दोनो गालो पर रख दिये ।



आकाश ने अपने दोनो गालो पर हाथ रख लिया, उसकी आंखे गुस्से से लाल हो गई, उसने नजरे उठाकर अविनाश की तरफ देखा जो गुस्से से उसे ही घूर रहा था ।



" यह,,,, यह क्या बत्तमीजी है अविनाश,,,!!!आकाश ने जलती निगाहो से अविनाश को घूरते हुए कहा ।



" तू अन्दर चल फिर बताता हू क्या बत्तमीजी है,,,!! कहते हुए अविनाश, आकाश को अन्दर की तरफ धक्का मार देता है ।



" म,,, मान्या,,,,? तुम,, दोनो,, यहां क्या कर रहे हो,,,,!!! आकाश गुस्से से मान्या और अविनाश को देखकर कहता है ।



गौरी को इस हालत मे देखकर मान्या ने मुठ्ठियां भींच ली । मान्या गौरी के पास आयी और उसके गाल पर जोरदार थप्पड रख दिया- चटाक थप्पड की आवाज ने गौरी के कानो मे सरसराहट पैदा कर दी थी ।



गौरी की आंखो मे आंसू आ गये और साथ ही उसे गुस्सा भी आ रहा था ।



" अब क्या छुपा रही हो खुद को,,,सबकुछ तो उतार दिया है, अपने कपडे भी और अपना केरेक्टर भी,,,,!!! मै बस तुम्हें यहा केरेक्टर सर्टिफिकेट देने आयी हूं.....!!!



" तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मुझे मारने की और मेरे बारे मे कुछ कुछ भी कहने की,,,!! गौरी ने गुस्से से धधकते हुए कहा ।



" जैसे तुम्हारी हिम्मत हुई किसी ओर के प्यार को उससे छिनने की,,,, बल्डी इडियट गर्ल,,, तुम्हे पता भी है जिसके साथ तुम रंगरलियां मना रही हो उसके कारण और तुम्हारे कारण मेरी दोस्त हिती हॉस्पिटल मे है, इस सख्स ने हिती को प्रेग्नेन्ट करके तुम्हारे लिये उसे छोड दिया....!!! थू.... है तुम दोनो पर.....!!! मान्या ने बारी- बारी दोनो को देखते हुए कहा ।



आकाश मान्या की बात सुनकर हैरानी से अविनाश और मान्या को देखने लगा । वही गौरी को कोई फर्क नही पड रहा था उसनें चुपचाप अपने कपडे उठाये और बाथरूम मे चली गई ।



" अविनाश,,,,!! मान्या क्या बोल रही है,,,! हिती प्रेग्नेन्ट.....!!! आकाश की तो सांसे ही थम जाती है ।



" हां सच बोल रही है वो मै तुझे वही बताने के लिये कॉल कर रहा था पर तू,,, छि,,,, तुझे आज अपना दोस्त कहते हुए भी शर्म आ रही है,,, तू इतना कैसे गिर सकता है....?



" सुन,,,, बकवास मत कर,,,,, वो उस रात सबकुछ अनजाने मे हो गया,,,, मुझे भी समझ नही आया, मै उस वक्त अपना कन्ट्रॉल कैसे खो गया, पर अब मैं भी क्या कर सकता हूं,,? तुम हिती को कहो मुझे भूल जाये और अबोर्सन करवां ले, किसी अच्छे से लडके के साथ लाइफ बनाये और खुश रहे...." आकाश ने बेफिक्री से कहा ।


मान्या और अविनाश को आकाश की यह बात सुनकर बेहद गुस्सा आ गया ।



मान्या ने आकाश को अपनी तरफ घुमाया और मान्या के हाथो से एक जोरदार थप्पड चटाक की आवाज के साथ उसके गालो पर पडता है ।



आकाश ने अपना गाल पकड लिया फिर तुरन्त सम्भलते हुए मान्या से कहा-: तेरी हिम्मत भी कैसे हुई,,,, मुझ पर हाथ उठाने की, जब से तुम दोनो यहां आये हो थप्पड पर थप्पड़ लगा रहे हो, साली तुझे तो मै....!!!



आकाश, मान्या को थप्पड मारने वाला था कि अविनाश ने उसका हाथ उसका हाथ पकड लिया।



" मान्या पर हाथ उठाने की भूल मत करना,, तुझे एक-दो थप्पड और पडने चाहिये, अब चुपचाप कपडे पहन और चल मेरे साथ....!!!



" मै कही नही जा रहा हू,,, मुझे नही मिलना उससे,,,, तू दोस्त है ना उसका,,,,, जा तू ही सम्भाल उसे....!!



आकाश फ्लोर से पडे अपने बचे हुए कपडे उठाकर पहनने लगता है ।



" सुन चलना तो तुझे पडेगा,,,,!! या तो अपनी मर्जी से या फिर मेरी मर्जी से क्योकि तू जानता है मै क्या कर सकता हूं...!!



" तू धमकी दे रहा है मुझे,,,? और तू कुछ नही करेगा...!!



" मै अंकल को तेरी सारी करतूतो के बारे मे बता दुंगा और वो भी प्रूफ के साथ,,, तो चुपचाप चल मेरे साथ और हिती के साथ जो तुने किया है, उसकी भरपाई कर....!!!



अविनाश की बात सुनकर आकाश के चेहरे पर पेरशानी के भाव आ गये उसनें अविनाश की तरफ देखा ।



" देख यह सही नही कर रहा है तू,,, यह जबरदस्ती है,,, मै उस लडकी से प्या नही करता हू तो उसके आंसूओ और उसकी हालत से मुझे कोई फर्क नही पडता है....!!!



" सुन बहुत हो गई तेरी बकवास अब मेरे साथ चल...!! वरना मेरे पास बहुत से तरिके है तुझे साथ ले जाने के....!!!



आकाश ने मान्या और अविनाश के चेहरे की तरफ बारी-बारी देखा फिर मन ही मन खुद से कहा-: यार यह दोनो तो सिर पर चढकर खडे है,,,!! अब इनके साथ जाना ही होगा, और कोई बात नही यह दोनो मुझे साथ ले जा सकते है पर मुझे उस हिती के साथ बांध नही सकते है, मै उसे खुद समझाऊगां कि मुझसे दूर रहे, मुझे भूल जाये,,,,,,!!!



आकाश ने उन दोनो के साथ जाने के लिये हां कर दी, फिर अविनाश, मान्या और आकाश होटल से बाहर आ गये ।



वही होटल रूम मे उन तीनो को जाने के बाद, गौरी बाथरूम से बाहर निकलकर आ गयी उसनें अपना मोबाइल उठाया और किसी को कॉल किया ।



" सुनो, एक लडकी की फोटो भेज रही हू तुम्हें, इसका खेल खत्म करना है, तुम्हें यह सीटी हॉस्पिटल में मिलेगी,,, यह जिंदा नही बचनी चाहिये,,,,!!!



" ठीक है मैडम,,, आप बस पैसे तैयार रखना आपका काम पूरा हम कर देगे.....!!! सामने से किसी की भारी आवाज आयी ।



गौरी ने ठीक है कहा और कॉल काट दिया ।



" हिती,,, हिती,,,, हिती स्वीटहार्ट,,,, तुमने मुझसे मेरा बहुत कुछ छीना है और अब बारी आ गई है कि मै तुमसे, तुम्हारा सबकुछ छीन लूं....!! तुम अब उस दिन को कोसोगी जब तुमने जन्म लिया था,,,! बट नॉट सॉरी फॉर दिस स्वीटहार्ट,,, मुझे तुम्हे रोते- बिलखते और मरते देखने मे कितना सूकून मिलेगा, यह मै सोचकर ही जितनी खुश हो रही हू वो मै बता नही सकती......" कहते हुए गौरी के चेहरे पर एक रहस्यमयी तिरछी मुस्कान आ गयी ।



फिर गौरी ने अपना हूलिया ठिक किया, अपना बैग उठाया और होटल रूम से बाहर की तरफ चली गई ।



सिटी हॉस्पिटल



हिती, आंखो मे नमी लिये सामने खडे आकाश की तरफ देख रही थी, सूरज उसे गुस्से से देख रहे थे, आकाश अपने गालो पर हाथ रखे खडा था जिसे देखकर पता चल रहा था कि उसे सूरज ने थप्पड़ मारा है । अविनाश और मान्या एक तरफ खड़े थे, वही गीता हिती के पास बैठी हुई थी ।



" तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मेरी बेटी के साथ ऐसा कुछ करने की,,,,!! अब कौन जिम्मेदार होगा इन सब का,? तुमने मेरी बेटी की जिंदगी बर्बीद कर दी..."



" पापा आकाश को मत मारिये,, उसने कुछ नही किया है,,,,! प्लीज छोड दिजिये उसे,!! मैं आकाश से अकेले में बात करना चाहती हूं,,,! प्लीज आप सब जाइये यहां से...!! हिती ने सभी को नम आंखो से देखते हुए कहा ।



" पर हिती,,,!!



मान्या कुछ बोलने को हुई तभी हिती ने उसे टोकते हुए कहा-: मान्या यह मामला मेरे और आकाश के बीच का है मुझे अपने सवालो के जवाब चाहिये इससे....! प्लीज आप सभी लोग छोड दिजिये मुझे अकेला,,,,,!! हिती मे लगभग चिखते हुए कहा ।



हिती के चिखने की आवाज सुनकर डॉक्टर भागते हुए वहां आ पहुची ।



" यह सब क्या हो रहा है यहां और आप सब मतलब इतनी भीड़ से लगा रखी है यहां,,,,? पेसेन्ट को स्ट्रेस मत दिजिये, वो प्रेग्नेट है इसके स्ट्रेस का असर बच्चे पर भी पड सकता है....!! आप सब बाहर जाइये यहां से,पेसेन्ट के पास एक ही मेम्बर ठहरेगा...."



" जी डॉ. हम जा रहे है बाहर,,,!! अविनाश ने डॉ. को शांत करते हुए कहा । डॉ. ने सभी को एक नजर देखा फिर वहां से चली गई ।



डॉ. के जाने के बाद हिती की हालत देखकर अविनाश ने एक गहरी सांस ली और सूरज से कहा-: अंकल, आपने हिती को मौका दिया है अब उसे अपने फसले लेने का भी एक मौका दिजिये, अगर यह आकाश से बात करना चाहती है तो करने दिजिये,,,!



सूरज ने अविनाश की बात सुनकर आकाश की तरफ घूरकर देखा । वो कुछ कहना चाहते थे पर उन्होने अपने शब्दो को रोक लिया, सूरज तेज कदमो से वहां से बाहर चले गये ।



हिती ने अविनाश की तरफ देखा । अविनाश ने अपनी पलके झपका दी फिर सभी को लेकर वहां से बाहर चला गया ।

धारावाहिक जारी है.......