Mohobbat toh Mohobbat hai - 3 in Hindi Love Stories by Vandana thakur books and stories PDF | मोहब्बत तो मोहब्बत है - Part-3

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मोहब्बत तो मोहब्बत है - Part-3

अविनाश ने आकाश के पास जाने के लिये कार का दरवाजा खोला ही था कि तभी उसकी नजर सामने से आ रही कार पर पडती है, वो कार हॉस्पिटल के सामने आकर रूकती है जिसमे से सूरज मलखानी और गीता मलखानी बाहर निकलते है, गीता के चेहरे पर बैचैनगी के भाव थे वही सूरज के चेहरे पर गुस्सा और गंभीरता भरा रौब साफ दिखाई दे रहा था ।

अविनाश ने सूरज को देखा तो उसने तुरंत अपने कार का दरवाजा वापस बंद कर दिया ।

" अंकल इतने गुस्से में हैं लगता है मान्या कॉल पर सब कुछ बता दिया,,,, पता नहीं यह अब क्या करेंगे मुझे अंदर जाना होगा...!!!

अविनाश सूरज और गीता के पीछे वापस हॉस्पिटल के अंदर चला आया ।

सूरज और गीता हिती के पास पहुचते है, हिती और मान्या आपस में बातें कर रही थी, मान्या जोक्स सुनाते हुए हिती को हंसाने की कोशिश कर रही थी वही हिती भी बीच-बीच में मान्या की बातें सुनकर एक हल्की मुस्कान दे रही थी ।

तभी हिती की नजर दरवाजे पर खड़े सूरज और गीता पड़ जाती है तो उसकी मुस्कान अचानक गायब हो जाती है सूरज बेहद गुस्से और गंभीरता से हिती को देख रहे थे ।

गीता और सूरज, हिती के सामने आकर खड़े हो जाते हैं गीता, हिती उन दोनों को देखकर सीधी होकर बैठ जाती है वहीं गीता, हिती के पास बैठते हुए उसकी तरफ परेशानी से देखने लगती है ।

" बेटा यह सब क्या है क्या किया तू........!! गीता इतना ही कह पाई कि तभी एक जोरदार थप्पड हिती के गालों पर पड़ता है जिस पर मान्या और गीता की आंखे हैरत से फटी रह जाती हैं, दोनों ने अपने मुंह पर हाथ रख लिया था ।

अविनाश भी वहां पहुचता है, तो उसकी नजर गाल पर हाथ रखे बैठी हिती पर पडती है, हिती की आंखों से लगातार आंसू बहने लगें ।

" क्या कर रहे हैं आप? इस तरह बच्ची को कौन मारता है? प्रेग्नेंट है यह,,,!! मां बनने वाली है,,,!! गीता ने हिती का बचाव करते हुए उसे अपने सीने से लगा लिया ।

" तो क्या करूं? इसकी हिम्मत भी कैसे हुई मेरी इज्जत को खराब करने की? मेरी परवरिश, मेरे संस्कार सब पर उंगली उठ गई है आज इसके कारण,,, 20 साल की पुलिस की नौकरी में मैने हमेशा अपना सिर गर्व से उठा कर रखा है पर आज इसके कारण मैं कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहा,,,,,!! यह मेरी औलाद हो ही नहीं सकती इसने मुझे जलील किया है आज,,, मैं मार डालूंगा इसे,,, तुम हटो,,,!!

सूरज ने गीता को हिती से दूर किया, वो हिती को एक और थप्पड़ मारने ही वाले थे कि तभी अविनाश ने उनका हाथ पकड़ लिया ।

सूरज, अविनाश की तरफ पलटते हैं जो बिना किसी भाव के उनके चेहरे को एकटक देख रहा था

सूरज अविनाश को घूरते हुए कहते हैं-: कौन हो तुम और तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरा हाथ पकड़ने की,,,? क्या तुम जानते नहीं हो मैं कौन हूं,,,!!

"जी बिल्कुल जानता हूं आप कानून के रखवाले हैं और एक पिता भी पर अभी आपके अंदर का कानून का रखवाला सो रहा है और एक पिता वो बिना कुछ जाने ही अपनी बेटी को दोषी ठहरा बैठा है,,,,,!! कहते हुए अविनाश ने सूरज का हाथ एक तरफ झटक दिया ।

"ए लड़के अब तुम मुझे बताओगे कि मुझे क्या करना चाहिए और क्या नहीं,,,,? हो कौन तुम,,,,,?

" मैं आपकी बेटी का दोस्त हूं और आपका शुभचिंतक जो यह बिल्कुल भी नहीं चाहता कि आप गुस्से में कोई गलत कदम उठाएं और हिती को मारकर आपको क्या मिलेगा,,,? गलती जिसने की है उसे सजा देनी चाहिए आपको,,,!! ना कि अपनी बेटी को और उसमें पल रही एक नन्ही जान को,,,,!!!

सूरज ने अविनाश की बात सुनकर हिती की तरफ देखा, जो गाल पर हाथ रखे सिसक-सिसक कर रो रही थी ।

सूरज ने एक नजर हिती, मान्या, गीता और अविनाश पर डाली ।

" पर इस लड़की ने मेरी इज्जत सरेआम नीलाम कर दी है आज,,,,!!

" हिती की कोई गलती नहीं है मैंने आपको कहा ना गलती जिसकी है सजा उसको देनी चाहिए ना कि हिती को...!!

सूरज ने अविनाश की बात सुनकर हिती और अविनाश को एक नजर देखा फिर फिर बिना कुछ कहे वहां से तेज कदमों से बाहर चले गये ।

अविनाश ने सूरज के जाने के बाद गीता और मान्या की तरफ देखा फिर अपनी पलके झपका दी और सूरज के पीछे- पीछे वहां से बाहर निकल गया ।

गीता, हिती के सिर पर हाथ फेरा तो हिती ने अचानक गीता को गले से लगा लिया और वो बिलखकर रो पड़ी । गीता भी हिती के सिर पर हाथ फेरकर उसे शांत करने लगी पर इस वक्त गीता की आंखों में भी नमी तैर गई, मान्या ने दोनों की तरफ देखा, मान्या हिती की ऐसी हालत नहीं देख पा रही थी इस कारण वो भी वहां से बाहर चली गई।

सूरज हॉस्पिटल से निकलकर बाहर आते है और किसी को कॉल करते है ।

वो कॉल पर बात कर रहे थे, अविनाश उनके पास पहुचता है ।

" सुनो पांडे मेरी बेटी हिती जिस कॉलेज मैं पढ़ती है उस कॉलेज में जिस लडके ने मेरी बेटी के साथ यह घटिया काम किया है उसे पकड़कर पुलिस स्टेशन लेकर आओ,,,! जब उसे पुलिस स्टेशन ले आओ तो मुझे कॉल कर देना मैं पहुंच जाऊंगा,,,,!! मुझे उस लड़के को ऐसा सबक सिखाना है कि वह कभी किसी और पिता की बेटी और उसके घर की इज्जत के साथ खिलवाड़ करने की कभी ना सोचे,,,!!

अविनाश सूरज की यह सब बातें सुन रहा होता है सूरज के कॉल रखते ही अविनाश सूरज से कहता है-: आप उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं आप जानते भी हैं वह लड़का कौन है...? जिसे आप सबक सिखाने की बात कर रहे हैं...!!

सूरज अविनाश की तरफ पलट कर देखते हैं अविनाश उनकी तरफ बढ़ता है और उनके सामने आकर खड़ा हो जाता है सूरज और अविनाश की आंखें इस वक्त एक दूसरे से टकरा रही थी ।

"मुझे जानना भी नही है किवो लड़का कौन है और सबक तो मैं उसे सिखा कर रहूंगा अब तुम मुझे परेशान करना बंद करो,,,!!

"अंकल जान लीजिए आपके लिए अच्छा है क्योंकि वह कोई मामूली लड़का नहीं है वह मुंबई के सबसे अमीर शख्स और देश के सबसे बड़े बिजनेसमैन जतिन खन्ना का इकलौता बेटा है, अब उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं क्योंकि वह अपने बाप के पैसे की पावर से बच कर बाहर निकल जाएगा,,,,!!

अविनाश की बातें सुनकर एक पल के लिए सूरज को एक झटका लगा उसकी आंखें हैरानी से फैल गई ।

" क्या....?? वो जतिन खन्ना का बेटा आकाश खन्ना है....? सूरज के मुंह से अचानक ही हैरानी से निकला ।

" जी अंकल कल सही पहचाना आपने,,, और इस वक्त वह जहां है, वहां से केवल में ही उसे ला सकता हूं और मुझे लगता है आपको इस मामले को बढ़ाने के बजाय से आराम से बैठकर सुलझाना चाहिए क्योंकि यह आपकी बेटी की जिंदगी का सवाल है,,,,,!!!

सूरज अविनाश से कुछ कहने को हुए तभी पीछे से मान्या की आवाज उनके कानों में पड़ती है-: हां कल अविनाश बिल्कुल सही कह रहा है हम आकाश को समझा सकते हैं और अभी बात काफी ज्यादा बढ़ गई है हिती इज प्रेग्नेेंट,,,, तो यह सब करके हमे शायद ही कुछ हासिल हो, इसलिए हमें मामले को आराम से ही सुलझाना होगा.....!!!

सूरज ने बारी-बारी अविनाश और उसके पास खड़ी मान्या के चेहरे को देखा ।

" अंकल मैं जाकर आकाश को आपके सामने लेकर आता हूं,,,, मैने हिती से वादा किया है कि मैं आकाश को वापस उसके पास लाऊंगा तो आप मुझे मेरा वादा पूरा करने दीजिए और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि मैं यह सब जल्दी ही सही कर दूं,,,,,!!!

" आकाश तुम्हारा क्या लगता है...??? सूरज ने अविनाश के चेहरे के भावों को पढ़ते हुए अचानक ही उससे सवाल कर दिया ।

" वह मेरा बचपन का दोस्त है उसके डैड जतिन चौहान और मेरे डैड दिव्यप्रताप चौहान दोनों अच्छे दोस्त हैं मुझे काफी बेहतर जानता हूं पर यह नहीं जानता था कि वो हिती के साथ ऐसा कुछ करेगा,,,मतलब......!!

" वो तुम्हारा बचपन का दोस्त है तुम्हारे डैड उसके डैड आपस में दोस्त हैं तुम्हारी इतनी गहरी दोस्ती है फिर भी तुम उसे छोड़कर मेरी बेटी की मदद क्यों कर रहे हो मतलब कहीं तुम हमारा फायदा तो नहीं उठा रहे हो,,? कहीं तुम हमें जलील करने की कोशिश तो नहीं कर रहे हो,,,? हमारी मदद करने के पीछे क्या मकसद है तुम्हारा,,!! क्या फायदा है तुम्हारा,,,,,?? सूरज ने अविनाश के चेहरे को घूरते हुए उससे सवाल किया ।


मतलब जब ने मुझसे कहा था कि वह हिती से प्यार करता है तभी मुझे समझ जाना चाहिए था कि वह लड़का किसी से प्यार नहीं कर सकता लेकिन आप चिंता मत कीजिए मैं जल्दी सब कुछ सही कर दूंगा,,,,!!! अविनाश ने खुद पर विश्वास दिलाते हुए कहा ।

सूरज की बात सुनकर अविनाश के चेहरे के भाव बदल गए उसने अपनी मुठ्ठियां भींच ली थी, उसे सूरज की बात पर बेहद गुस्सा आ रहा था यह बात मान्या समझ गई थी ।
"
अंकल भले ही वह मेरा दोस्त है पर इस समय वह गलत है और मैंने आपको पहले भी कहा है कि हिती भी मेरी बहुत अच्छी दोस्त है तो मै क्यों ना दूं उसका साथ,,? दोस्त, दोस्त के काम नहीं आएगा तो कौन आएगा? जब आकाश ने मुझसे कहा था कि वह हिती से प्यार करता है तभी मुझे समझ जाना चाहिए था कि वह लड़का किसी से प्यार नहीं कर सकता लेकिन मै नही समझ पाया....!! लेकिन अब जब वह गलत है और हिती सही है तो मैं हिती का ही साथ दूंगा और मेरे पास आपके सवाल का यही जवाब है और इसके अलावा मैं आपको कोई एक्सप्लेनेशन नहीं देने वाला मैं जा रहा हूं आकाश को लेने,,, आप हिती के पास जाइये,,, उसे इस वक्त उसे आपकी और आपके प्यार की बहुत जरूरत है.....!!!

अविनाश ने सूरज के चेहरे पर एक नजर डाली और फिर अपनी कार की तरफ बढ़ गया ।

मान्या ने भी सूरज को एक नजर देखा फिर अविनाश के पीछे-पीछे चली आई । सूरज ने उन दोनों को देखा और अपना सिर झटक दिया फिर वो हॉस्पिटल के अंदर की तरफ बढ़ गए ।

अविनाश ने गुस्से से कार का दरवाजा खोला और ड्राइविंग सीट पर बैठ गया उसने सीट बेल्ट बांधा और बगल वाली सीट की तरफ देखा तो मान्या भी उसके पास ही बैठी थी अविनाश एक पल के लिए मान्या को देख कर चौंक गया ।

" मान्या तुम यहां क्या कर रही हो,? अन्दर हिती को तुम्हारी जरूरत है, उसके साथ रहो,,! मेरे साथ कहां आ रही हो..?

" मैं तुम्हारे साथ ही जाऊंगी और हिती के पास गीता आंटी हैं वो संभाल लेंगे,,,, अंकल को भी तुमने इतने अच्छे से समझाया है मुझे नहीं लगता अब वो कुछ भी कहेंगे,,,!!

" पर तुम मेरे साथ आकर क्या करोगी,,?
" मुझे तुम्हारे साथ जाना है, हिती मेरी भी दोस्त है, मुझे उस गौरी को अच्छा सबक सिखाना है मुझे पता है वो दोनो इस वक्त साथ ही होगे...!!

अविनाश ने मान्या को समझाने की कोशिश की पर उसने तो अपनी जिद पकड़ ली थी इस कारण अविनाश ने हार मान ली और एक गहरी सांस लेकर अपना सिर झटक दिया । अविनाश ने कार स्टार्ट की कुछ समय में मुंबई की सड़कों पर कार दौड़ने लगी ।

कुछ देर मे अविनाश मान्या के साथ होटल मून पहुचता है, होटल मून मुम्बई के लक्सजरी होटलस मे से एक था, और इस होटल के ऑनर अविनाश के पिता यानि कि मिस्टर भूपेन्द्र चौहान थे, जो चौहान ग्रुप ऑफ इन्डस्ट्रीज के ऑनर थे ।

अविनाश, मान्या के साथ होटल के अन्दर आता है दोनो रिसेप्शनिस्ट से आकाश के रूम ते बारे मे पता करते है और उसके रूम की तरफ बढ जाते है ।

रूम के अन्दर

आकाश और गौरी एक- दूसरे की बांहो मे खोये हुए थे, गौरी, आकाश के कंधे पर सिर टिकाये उसके सीने पर उंगलियां फेर रही थी, आकाश सिगरेट सुलगाकर सिगरेट के कस ले रहा था ।

" बेबी,,मुझे यकीन नही हो रहा है कि हम दोनो एक हो गये,,मतलब मैने आजतक किसी लडके को खुद को छूने तक नही दिया और तुम्हारे अन्दर न जाने क्या बात थी कि मै तुमसे इम्प्रेस हुए बिना रह ही ना पायी,,, मै तुमसे इम्प्रेस भी हो गई और खुद को तुम्हे सौंप भी दिया..."

" गौरी तुम नही जानती जब मैने पहली बार तुम्हें देखा तो तभी से ही मैं तुम्हारे पीछे पागल हो गया था,,,,,! तुमसें मुझे पहली नजर मे प्यार हो गया था लव यू सो मच बेबी....."

" अच्छा पर मुझे तो लगा था तुम उस हिती के पीछे पागल हो,,,,मतलब उससे प्यार करते हो..."

" उससे कैसे प्यार कर सकता हू यार बेबी,,,,!! तुम तो जानती हो मै उसे अपनी दोस्त मानता था, पर उसे न जाने कैसे मुझसे प्यार हो गया फिर उसनें मुझे प्रपोज किया तो मैंने हां कर दी, और उस समय मुझे उसकी खुबसूरती दिखती थी मैने सोचा उसे अपनी गर्लफ्रेंड बना लूंगा तो कॉलेज मे मेरी चार्म बढ जायेगा,,, उससे तो नही पर जब से तुम मुझे मिली हो मेरा लक दिन - बे-दिन बढ़ता ही जा रहा है...!!!

" औह बेबी,,,हाऊ स्वीट यू आर,,,,,!!!

वो दोनो एक-दूसरे मे खोये थे कि तभी डोर पर नॉक होता है,,, आकाश और गौरी एक-दूसरे से अलग होते है ।

" गॉट डेम अभी कौन आ गया,,, सारा मूड खराब कर दिया....!!! गौरी ने दरवाजे की तरफ घूरते हुए कहा ।

"रुको बेबी मैं देखता हूं,,,,!!!

गौरी से दूर हट कर खड़ा हुआ उसने अपने कुछ कपड़े पहने और दरवाजे की तरफ़ बढ़ गया ।

" कौन है यार,,,,? क्यों डिस्टर्ब कर रहे हो,,,,,? आकाश ने दरवाजा खोलते हुए गुस्से से कहा ।

दरवाजा खोलते ही आकाश के सामने सामने अविनाश और मान्या खडे थे उन दोनों को देखकर आकाश की आंखें हैरानी से खुली रह गई.......

धारावाहिक जारी है.........