Tadap Ishq ki - 21 in Hindi Love Stories by Miss Thinker books and stories PDF | तड़प इश्क की - 21

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तड़प इश्क की - 21

आद्रिक घबराई सी नज़रों से एकांक्षी को देख रहा था... एकांक्षी अपना हाथ आद्रिक से छुड़ाते हुए कहती हैं...." थैंक्स ,..."

आद्रिक सिर्फ हां में सिर हिलाते हुए वहां से जाने लगता है....

तान्या और किरन एकांक्षी को लेकर उसके घर की तरफ जाती है , , लेकिन अभी भी एकांक्षी उन्ही ख्या एकलों में खोई हुई थी ...." आखिर , ये सब मेरे साथ हो क्या रहा है...?..."

एकांक्षी की हालत को केवल तान्या समझ रही थी इसलिए उससे कहती हैं...." एकांक्षी , क्या तुझे कोई परेशानी है , तो तू हमें बता सकती है...."

एकांक्षी जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहती हैं....." तान्या मैं बिल्कुल ठीक हूं , , तुम दोनों क्या मुझे घर तक ही छोड़ोगी... मैं चली जाऊंगी..."

तान्या तुरंत मना करती है...." नहीं , एकांक्षी मैं तुम दोनों अपनी कार में छोड़ दूंगी...."

एकांक्षी के हां कहने पर तान्या उन्हें ले जाती है...

तान्याऔर किरन‌ आपस में बातें कर रही थी जिससे एकांक्षी को अच्छा लगे लेकिन एकांक्षी चुपचाप दोनों कि हंसी मजाक की बातों को सुन रही थी, ,

उधर अधिराज भी अपने पक्षिलोक में पहुंचता है , , उसके अचानक आने और चेहरे पर गुस्से को देखते हुए सारे नौकर ने अपना सिर झुका लिया.... अधिराज सीधा बैठक में पहुंचकर शशांक को बुलाने के लिए सिपाही को भेजता है..... कुछ ही देर में शशांक उसके सामने था , अधिराज की भावभंगिमा देखकर शशांक समझ जाता है जरूर कुछ बात हुई है जिससे अधिराज इतने गुस्से में लग रहा है......

शशांक उसके पास जाकर पोलाइटली पूछता है....." अधिराज क्या हुआ ...?..तुम इतने गुस्से में क्यूं लग रहे हो...?.."

" गुस्सा न हो तो क्या करूं , तुम अपने कार्य में चूक रहे हो..."

अधिराज की गोलमोल बातें शशांक के समझ नहीं आ रही थी इसलिए उससे दोबारा पूछता है....." तुम क्या कहना चाहते हो...?... मैं कैसे अपने कार्य से चूक रहा हूं...?.."

अधिराज शशांक की बात सुनकर सीरियस टोन में कहता है..." चूकना तुम्हारी आदत है शशांक , अब भी तुमने हमें प्रक्षीरोध के आने की खबर हम तक नहीं पहुंचाई..."

शशांक कुछ सोचते हुए कहता है...." अधिराज ! प्रक्षीरोध पर तो हमारी कड़ी दृष्टि बनी हुई है , और वो अभी तक इस बात से अनजान हैं इसलिए उसके महल में कोई हलचल नहीं हो रही है , और रही बात हमारी सुरक्षा की तो उसकी तरफ से आ रहे हर गुप्तचर को हम खत्म कर रहे हैं....."

" अगर वो प्रक्षीरोध नहीं है तो फिर कौन है जिसने एकांक्षी को छूआ है और हमें इतनी घबराहट क्यूं हुई है जैसे हमारे अलावा भी कोई है जो एकांक्षी के पास आना चाहता है...."

शशांक अधिराज को समझाते हुए कहता है....." अधिराज तुम्हें हर पल उन पर दृष्टि बनाए रखने होगी तभी तुम उस तक पहुंच सकते हो , और हां एक जानकारी हमें जरूर प्राप्त हुई है..."

" वो क्या...?..."

" यही की स्वांगधारीणी माद्रिका ने भी पुर्नजन्म लिया है ताकि वो तुम्हारी सहायता कर सके....."

अधिराज घबराते हुए कहता है..." नहीं शशांक ऐसा नहीं होना चाहिए ....अगर माद्रिका के बारे में एकांक्षी को कुछ भी पता चला तो फिर हमारे प्रेम में बाधा उत्पन्न हो जाएगी... वैदेही और माद्रीका का आपस में मिलना एक बार फिर से नफ़रत की बुनियाद रखने जैसा है , शशांक अपने गुप्तचरों को भेजकर माद्रीका की वर्तमान स्थिति के बारे में पता करो और उसकी सूचना हमें तुरंत भेजना..."

अधिराज इतना कहकर वहां से वापस इंसानी दुनिया में आ जाता है , इधर तान्या किरन को ड्राप करके एकांक्षी के घर पहुंचती है , ,

एकांक्षी के जिद्द करने पर तान्या घर में एंटर होती है जहां सावित्री जी पर्पल कलर की हैवी साड़ी और फूल मेकअप और ज्वैलरी पहनें उसी का वैट कर रही थी...... सावित्री जी को ऐसे तैयार देखकर तान्या उसके सजने का रिजन पूछती है...."आंटी जी , आप इतना कूल बनकर कहां जा रही है..."

तान्या के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर सावित्री जी एक बार अपनी साड़ी को ठीक करते हुए कहती हैं..." बेटा आज हम अपने पड़ोसी की बेटी की शादी में जा रहे हैं न , और अच्छा हुआ तुम भी इसके साथ आ गई , तो जल्दी से एकांक्षी को भी तैयार कर दे...."

सावित्री जी की बात सुनकर तान्या तो हां कह देती है लेकिन एकांक्षी मुंह बनाते हुए कहती हैं...." मां , मेरा मन नहीं है जाने का...."

सावित्री जी तान्या की तरफ देखते हुए कहती हैं...." समझाओ इसे बेटा , मानवी कबसे इसे बुला रही हैं और ये हर बार मना कर देती है , और आज तो शादी है उसकी कोई छोटी मोटी रस्म भी नहीं है जो नहीं गये तो क्या हुआ , शादी है उसकी...."

तान्या उसे समझाते हुए कहती हैं..." एकांक्षी थोड़ा एन्जॉय करेंगी तो तेरे लिए ठीक रहेगा और कबतक तू ऐसे ही गुमसुम बैठी रहेगी , चल मैं तुझे रेडी करती हूं..."

तान्या की बात सुनकर एकांक्षी बेमन‌ से तैयार होने के लिए अपने रूम में जाती है.... तान्या रुम में एंटर होते ही चारों तरफ देखते हुए अपने आप से कहती हैं...." यहां के आबोहवा में अधिराज की मौजूदगी क्यूं जाहिर हो रही है...कहीं अधिराज आ तो नहीं गए...अगर ऐसा है तो मुझे जल्दी ही कुछ करना होगा..?.."

एकांक्षी रुम में आते बड़बड़ाती हुई कहती हैं..." ये मां भी न जबरदस्ती तैयार करके ही मानेंगी...." लेकिन तान्या ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया जिससे एकांक्षी उसे देखकर कहती हैं...." तान्या , ऐसे क्या देख रही है , तू तो यहां आती रहती है..."

एकांक्षी की बात सुनकर तान्या अपना ध्यान उसपर लाकर जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहती हैं...." कुछ नहीं एकांक्षी बस ऐसे ही देख रही थी....तू डेकोरेशन काफी अच्छी की है न..."

" वो तो है तान्या , मुझे मेरे रूम में हर चीज परफेक्ट चाहिए...." एकांक्षी अलमारी में से कपड़े निकालते हुए कहती हैं...." तान्या ये ब्ल्यू ड्रेस ठीक है.." तान्या ने में सिर हिला देती है जिससे एकांक्षी अलमारी में दूसरी ड्रेस देखने लगती है , तो वहीं तान्या पिलो पर हाथ रखते हुए कहती हैं..." इसका मतलब अधिराज आया था , ये छोटे से पंख उसी बात का सबूत है ....अधिराज अभी नहीं..... पहले मुझे वो लेने दो जो मैं लेने आई हूं , ..."




................ to be continued..........




आखिर तान्या का क्या मकसद है जो वो पूरा करना चाहती है....?

क्या तान्या एकांक्षी के लिए सहयोगी होगी या उसके लिए घातक....?

जानने के लिए जुड़े रहिए.....