Love affair.. in Hindi Short Stories by Saroj Verma books and stories PDF | इश़्क का चक्कर..

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इश़्क का चक्कर..

अब हम आप सबसे का बताएं कि पहली नज़र का इश़्क क्या होता है,काहे से हम ठहरे बुन्देलखण्डी मोड़ा,सो हम हैं बुद्धि के ठस,हमाए दिमाग में जल्दी से कछु घुसत नइया,हमें ऐसो लगत हतो कि जो सब इश़्क..प्यार..मौहब्बत दाल रोटी जैसों है,चूल्हे में पका लओ और खा लओं,लेकिन भगवान कसम हमें जो मालूम नहीं हतो कि मोड़ी पटावें में बहुत पापड़ बेलने पड़त हैं जब जाके एक ढंग की मोड़ी पटत है,पसीना छूट गओ हमाओ लेकिन गंगा कसम मोड़ी ना पटी......
हम अब बुन्देलखण्डी छोड़कर सीधी सादी हिन्दी पर आते हैं काहे से आपलोगन को पढ़वें में दिक्कत हो रही हुए,सो कहानी कुछ इस प्रकार है.....
सो जब हम नए नए जवान हुए तो हम पर भी इश्क़ का भूत सवार हो गया है,हमने भी हसीनाओं को ताड़ना शुरू कर दिया,कभी मंदिर में तो कभी काँलेज में तो कभी बाज़ार में,लेकिन ससुर हसीनाएं हमें घास ही ना डालतीं थीं और हम मायूस होकर ऐसे ही गली कूचों में आवारा साँड़ की भाँति घूमते रहते थे....
अब तो यार दोस्त भी हमारा मज़ाक उड़ाने लगे थे और कहने लगे थे कि ससुर देखो तो इ मोड़ा ने एक मोड़ी ना पटा पाई,जा डूब मर चुल्लू भर पानी में,
अब तो हमारा पढ़ाई लिखाई में भी बिल्कुल जी ना लगता था,बस यही ख्वाहिश थी कि हमें भी कोई हसीना आकर प्रेम भरा प्रेमपत्र दे,वो हमसे कहें कि आप ही हमारे सपनों के राजकुमार हैं,हम आपसे बेइन्तहां मौहब्बत करतें हैं और हमें आपसे पहली ही नज़र में इश़्क हो गया है और फिर हमने सोचा कि हम ही क्यों ना ऐसी कोई ख्वाबों की मलिका ढूढ़ लें...,,और फिर सो भइया हम अपने इस मिशन पर निकल पड़े अपनी शरीक-ए-हयात को ढूढ़ने.....
सो भइया हमने अपने पहले राउन्ड में एक प्यारा सा प्रेमभरा प्रेमपत्र लिखा और उसकी सात प्रतियाँ तैयार करवाईं और हमने उसकी तीन प्रतियाँ अपने काँलेज की हसीनाओं को दी,दो पड़ोस की हसीनाओं को दीं और दो रिश्तेदारों की लड़कियों में वितरित करके हम उन सबके जवाब का इन्तजार करने में लग गए....पत्रों का जवाब भी जल्दी आ गया,काँलेज वाली दो हसीनाओं ने उन पत्रों का भुगतान थप्पड़ द्वारा कर दिया,तीसरी हसीना के भाई और उसके दोस्तों ने ये काम बड़ी तसल्ली के साथ पूर्ण कर दिया,दो ने काँलर खीची और दो ने हाँकी मार मारकर हमारा पिछवाड़ा लाल कर दिया और हम तले हुए लाल पकोड़े की भाँति सूजा हुआ मुँह लेकर घर लौटें ,माँ बाप ने पूछा....
बरखुरदार!ये क्या हुआ?
हमने कहा, कुछ आवारा कुत्तों ने दौड़ा दिया था....
माँ बाप समझ तो सब गए लेकिन बोले कुछ नहीं,उन्होंने भी सोचा होगा कि दो चार बार और पिटेगा तो इश़्क का सारा खुमार उतर जाएगा.....
अब तो हमारा मन काँलेज से खट्टा हो गया था,लेकिन अभी भी स्वीट डिश की आशा थी,क्योकिं पड़ोस की हसीनाओं और रिश्तेदारों की हसीनाओं के विकल्प अभी भी खुले थे,अगले दिन पड़ोस की हसीनाओं का भी जवाब आ गया,एक ने बताया कि मेरा भी महबूब है जिससे मैं बहुत मौहब्बत करती हूँ इसलिए माँफ करना भाई!भाई शब्द सुनकर हमारा तो दिल ही टूट गया....
फिर दूसरी हसीना की अम्मा ने हमारी सारी हीरोगीरी निकाल दी,क्योंकि वो प्रेमपत्र हसीना के हाथ ना लगकर उसकी अम्मा के हाथ लग गया था,फिर क्या था पहले उसकी अम्मा ने अपना माथा ठोका,फिर हमें ठोका,उसके बाद मामला काफी सस्ते में निपट गया फिर अम्मा ने केवल हमें चार पाँच चप्पलें ही मारीं और दो तीन दर्जन गालियाँ देकर मदमस्त हथिनी सी चली गई.....
अभी भी एक आशा और बाक़ी थी वो थी रिश्तेदारो की लड़कियों की ,अब हमारा ध्यान उन हसीनाओं पर केन्द्रित हो गया,अभी भी दो प्रेमपत्रों का इन्वेस्टमेंट बाकी था,फिर उनमें से एक आकर अपनी शादी का कार्ड थमा गई और दूसरी बोलीं.....
शरम नहीं आती,मैं तुम्हारी दूर के रिश्ते में बहन लगती हूँ,गनीमत है कि ये मैनें तुम्हारे माँ बाप को नहीं बताया ,नहीं तो बच्चू तुम कहीं के ना रहते.....
फिर उस दिन के बाद हम ने किसी भी हसीना के साथ नैन मटक्का करने का प्रयास नहीं किया,यहाँ तक हमने अपनी धर्मपत्नी को भी सुहागरात में ही पहली बार देखा,इससे पहले हमने उससे मिलने से इनकार कर दिया और फिर जब हमने सुहागरात में अपनी धर्मपत्नी जी का घूँघट उठाया तो वो सच में चाँद का टुकड़ा थी और फिर हमें उससे पहली नज़र में में ही इश्क़ हो गया😀😀

समाप्त.....
सरोज वर्मा....