उसके बैठते ही सरदार बोला,"पंडितजी जल्दी से शादी करा दो।"
और पंडित ने जल्दी जल्दी अनुपम के उस युवती के साथ फेरे पड़वा दिए।शादी होने के बाद अनुपम को उस युवती के साथ पिपरी गांव लाया गया।कार अनुपम के घर के बाहर आकर रुकी थी।अनुपम के पीछे वह युवती भी कार से उतरी थी
।उनके उतरने के बाद कार में ड्राइवर के पद बैठा आदमी बोला,"हमारा काम खत्म हुआ।अब आगे तुम जानो।"
उनको छोड़कर कार चली गयी।अनुपम उस युवती को बाहर ही खड़ा छोड़कर अंदर चला गया।अंदर आते ही उसने सारे कपड़े उतार फेंके।वह दूसरे कपड़े पहन रहा था तभी कमरे में प्रवेश करते हुए युवती बोली,"कैसे मर्द हो।अंधेरे में बीबी को अकेला छोड़कर अंदर चले आये।"
अनुपम ने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया।वह कमरे में बिछी हुई खाट पर बैठते हुए बोली,"सुबह पहली बस से चलना है।"
"तुमसे किसने कहा?"अनुपम उसकी बात सुनकर चौका था।"
"पत्नी को पति के बारे में मालूम नही होगा तो फिर किसे होगा?"अनुपम के चेहरे पर उभरे भावो को पढ़ते हुए वह बोली,"मुझे तुम्हारे बारे में बहुत कुछ मालूम है।"
"और क्या जानती हो मेरे बारे में?"अनुपम विस्मय से बोला।
"मुझे मालूम है तुम्हारा नाम अनुपम है।तुम फारेस्ट ऑफिसर हो।तुम्हारी पोस्टिंग देहरादून में है।माँ के देहांत के बाद बन्द पड़े मकान को बेचने के लिए आये थे।तुम्हारा मकान बिक चुका है।कल सुबह तुम इस गांव को हमेशा के लिए छोड़कर चले जाओगे।"
अपने बारे में सब कुछ उस युवती से जानकर अनुपम बोला,"तुम अपने दिमाग से शादी वाली बात निकाल देना।न हमारी शादी हुई है,न ही हमारा कोई रिश्ता है।"
"तुम्हारे मना करने से अब कुछ नही होगा।हमारी शादी हो चुकी है।अब हम दोनों पति पत्नी है।'
"इसका क्या सबूत है तुम्हारे पास?
"तुम बडे भोले हो,"वह मुस्कराते हुए बोली,"हमारी शादी के सबूत फोटो और वीडियो है और गवाह वे लोग जो शादी के समय मौजूद थे "
"तुम बहुत चांट और चालक लगती हो।"उस युवती की बात सुनकर अनुपम बोखला गया।
"मेरे मा बाप नही है।मेरे भाई के भी चार लड़कियां है।मेरे भाई ने मेरे योग वर तलाशने में कोई कसर नही रखी।कई अच्छे और मेरे योग्य लड़के मिले लेकिन उनकी दहेज की मांग इतनी थी कि भाई मेरी शादी नही कर सका।मुझे घर मे बैठाकर कब तक रख सकता था।जब मेरा रिश्ता कही नही हुआ तब भाई के एक दोस्त ने पकरूवा गिरोह की मदद लेने की सलाह दी।और मेरा भाई उसकी बात में आ गया और जबरदस्ती शादी कराने वाले गिरोह के सरदार से मिला और मेरी तुमसे जबरदस्ती शादी कर दी गयी।"अपनी कहानी सुनाते हुए उस युवती की आंखे नम हो गयी।
"t तुम्हारा भाई मूर्ख और बुद्धिहीन है।शादी एक पवित्र बंधन है।इस बन्धन में बंधने के लिए पवित्रता की जरूरत होती है।तुम्हारे भाई ने गुंडों का सहारा लेकर शादी का पूरा नाटक रच लिया।लेकिन यह नही सोचा कि आगे तुम्हारा क्या होगा?उसने कैसे सोच लिया कि मैं तुम्हे अपना लूंगा?उस युवती की बात सुनकर अनुपम बोला,"तुम चाहे जो सोचो।तुम्हारे पास चाहे जितने सबूत और गवाह हो।मैं इस शादी को नही मानता।'
अनुपम कमरे में पड़ी खाट पर लेट गया।धीरे धीरे रात सरक रही थी।पर उसकी आँखों मे नींद नही थी।वह आंखे बंद किये सोच रहा था