Monster the risky love - 20 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 20

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दानव द रिस्की लव - 20

….……Now on ……….




विवेक : हां मां phone कर लो ……

मालती : हां …. (In phone )……हेलो ! अदिति …

उधर फोन बबिता उठाती है ……

बबिता : जी ….माफ किजिए पर अदिति दी इस वक्त सो रही है...

मालती : तुम कौन ……?

बबिता : मैं यहां पर काम करती हूं ….बबिता

मालती : अदिति से कह दो मालती aunty का phone है ……

बबिता : मुझे माफ करना …पर वो दो घंटे से पहले नही उठेंगी …डाक्टर उन्हें नींद का injection देकर गये थे…!

मालती : जब वो उठ जाऐ तो उसे बता देना ….!

बबिता : जी….!

विवेक : क्या हुआ मां ……?

मालती : वो सो रही है...

विवेक : हां …. कल रात भर जागी थी न ….

मालती : वो कह रही थी डाक्टर नींद का injection देकर गये है …… उसकी तबियत ज्यादा खराब है ……

विवेक : क्या मैं मिल आऊं मां उससे ….?

मालती : तू आराम कर अभी कही जाने की जरुरत नहीं हैं …. मैं देख आऊंगी उसे ….तू आई कर (चली जाती हैं) …

विवेक : भैय्या ने क्यूं नही बताया मुझे उसकी तबियत ठीक नहीं हैं …. शायद मैं परेशान न हो जाऊं इसलिए नही बताया ….पर पता नहीं मुझे अदिति की इतनी चिंता क्यूं हो रही है... वो तो घर पर ही है फिर मैं क्यूं tensioned हो रहा हूँ ……कही वो दानव वाली बात सच न हो ….(ये सब सोचते सोचते विवेक सो जाता हैं) ……

उधर अदिति की नींद खुलती है ……

तक्ष : अच्छा हुआ आप उठ गई ….!

अदिति : तुम यहां ….?

तक्ष : आप घबराईए नही मैं तो बस आपकी देखभाल के लिए यहां रूका था बस …वो बबिता कुछ सामान लाने बाहर गई थी ….तब आपका ध्यान रखने के लिए आ गया ….लिजिए ये दवाई खा लिजिए डाक्टर ने कहा था ….!

अदिति : हां ….thanks ……तुम मेरा इतना ध्यान क्यूं रख रहे हो तुम तो हमारे मेहमान हो हमे तुम्हारा ध्यान रखना चाहिए (तभी तक्ष बीच में ही टोकता)

तक्ष : नही …ऐसी बात नही है …… आपने मुझे वहां से बचाकर मुझ-पर एहसान किया है …… मेरा भी तो हक बनता है आपकी मदद करना ….!

अदिति : लोग सच में मतलबी होते है... तुम जैसे अच्छे इंसान का जीना मुश्किल कर देते है ……

तक्ष : अच्छे तो आप दोनों हो ……चलिए जल्दी से दवा लिजिए ….डाक्टर ने आपको आराम करने को कहा है ……

अदिति : हां ….

तक्ष : डाक्टर ने कहा था आपको कमजोरी आ रही है... अगर आपको बुरा न लगे तो ये पी लिजिए …मैंने ये काढ़ा बनाया था …जब मैं बिमार होता था तो मां ये बना कर देती थी …

अदिति : अरे ! मैं बुरा क्यूं मानूंगी …लायो …

(तभी बबिता आती हैं)….

बबिता : आप उठ गई ……आपको दवाई

अदिति : ताई …तक्ष ने दवाई दे दी …

तक्ष : (मन में) इसको तो मैं अपने वश में रख सकता हूँ …पहले उस विवेक को खत्म करूं …इसकी कुछ ज्यादा कोई कद्र करता है …एक बार तो बच गया पर अब नही ……!

अदिति : तक्ष क्या सोच रहे हो ….?

तक्ष : मैं सोच रहा था आप जल्दी ठीक हो जाओ ….

अदिति : मैं ठीक हूं.... मेरी चिंता करने के लिए thanks ….

बबिता : अदिति दी …जब आप सो रही थी तब मालती जी का phone आया था ….

अदिति : मालती aunty का phone आया था …मैं अभी बात करती हूं ….

बबिता : आप बाहर मत जाइऐ मालिक ने आपको आराम करने के लिए कहा है ……

अदिति : कोई बात नही …(अदिति फोन पर busy हो जाती हैं)

बबिता : (मन में) क्या इन्हे. कल की बात याद है …… नही होगी ये तो सुनने से पहले ही अचानक बेहोश हो गई …पर दी से कहना सही नही है मुझे मालिक से बात करनी चाहिए …!

तक्ष : (मन में) ये मुझे क्यूं घुर रही है...……अब इसके दिमाग में क्या खिचड़ी पक रही है... कही कल वाली बात ये फिर से अदिति के सामने न दोहरा दे मुझे अदिति के साथ ही रहना पड़ेगा …उबांक इसपर नजर रखना ….!(बबिता चली जाती हैं)

उबांक : जी ….!(तक्ष अपनी चाल चलता है)

तक्ष : आपकी बात हो गई ….

अदिति : हां …मालती aunty मेरी बहुत चिंता करती है...

तक्ष : अच्छा ….अदिति जी …वो जो दवाई आपने मेरे हाथ पर लगाई थी न वो दे देंगी …!

अदिति : क्यूं …?

तक्ष : वो आपके बिस्तर का मुझे अंदाजा नहीं था , मैं फिसल गया और ये किनारा लग गया था तो होठ पर खुन निकल गया था ….!

अदिति : please ध्यान से चला करो तुम …कितना कट गया है …… लो इसे लगा लो ….!

तक्ष : आपका धन्यवाद …(मन में) मैंने तो अपनी चाल चल दी तुम्हारी बात पर इसे यकिन नही होगा ……अब मेरी अगली चाल उस विवेक को मारना है …… पर अब आधी रात को जाऊंगा …!

**********in choudhary mansion***********

……in dinning hall ….

इशान : विवू तू क्यूं नीचे आया ….तेरा dinner ऊपर ही आ जाता हैं ….

विवेक : क्या भाई .… मैं इतनी सी चोट से नही घबराता ….आप सबने खामखां इतना बड़ा बना दिया ….!

मालती : तू कभी किसी की बात सुनता है जो आज सुनेगा …चल बैठ अब ….!

इशान : papa …found out who attacked….?

कामनाथ : no ….these guards are of no use don't catch a thief..…

विवेक : it's ok …बड़े पापा (मन में) मैं उसे जरूर ढूंढ लूंगा...

सुविता : आप उसको ढुंढना बंद मत करना ….मेरे विवू को इतनी चोट देकर गया है ……

विवेक : बड़ी मां…

सुविता : क्या बड़ी मां… देख मैंने तेरे लिए खीर बनाई है ……

विवेक : ओ बड़ी मां… …you are great ….मां तो बनाती ही नही है …… (मजाकिया ढंग में)

मालती : अच्छा

विवेक : बड़ी मां… देख लो

सुविता : अब तू मेरे बेटे को डांटेगी ….

मालती : दीदी आपने बिगाड़ दिया इसे

सब हंस जाते हैं ….

……mid night ..…

….in vivek ' s room ….

विवेक अभी सोया ही था की खिड़की के जरिए कोई उसके कमरे में दाखिल होता हैं …. सोते हुए विवेक पर वार करने ही वाला था की वो झटके से दूर हो जाता हैं …. उसके झटकने से flower vase गिर जाता हैं …. विवेक हड़बड़ाकर उठता हैं ….

विवेक : कौन हो तुम ….?

"…तेरी मौत …"

विवेक : तू फिर आ गया .

जैसे ही हमला करता है फिर से झटककर गिर जाता हैं ….

विवेक : (मन में) ये दूर कैसे गिर रहा हैं …. मेरा locket … आ अब पास आ नरभक्षी …ये शिवजी की शक्ति है तू तो क्या कोई भी मुझे चोट नही पहुंचा सकता …अब तू दिखा अपना चेहरा ….(विवेक को झटककर भाग जाता हैं) …मैं तुझे ढूंढ लूंगा …




………to be continued. …….