Mohobbat toh Mohobbat hai - 2 in Hindi Love Stories by Vandana thakur books and stories PDF | मोहब्बत तो मोहब्बत है - Part-2

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मोहब्बत तो मोहब्बत है - Part-2

वो हैरान आंखो से कभी एक- दूसरे को देख रहे थे तो कभी डॉक्टर को, दोनो के चेहरे पर हैरानगी और परेशानी के भाव छाये हुए थे, अविनाश का तो जैसे दिल ही टूट गया था । वो पथराई आंखो से एकटक मान्या को चेहरे की तरफ देखने लगा । अचानक ही अविनाश की आंखों में नमी तैर गई थी ।

" मिस्टर अविनाश चौहान आपको तो खुश होना चाहिये,,, कि आप पिता बन गये है,,,,पर आप तो हैरान हो रहे है,,कुछ बात है क्या " डॉ. ने अविनाश के चेहरे के भावो को पढ़ते हुए कहा ।

वो खुद को सम्भालते हुए डॉ डॉक्टर की तरफ देखा और मुस्कुरा दिया मान्या ने अविनाश की आंखो मे आंसू देख लिये थे ।

"जी,,, बिल्कुल,,, जी डॉक्टर साहिबा मैं बहुत खुश हूं" अविनाश ने एक लम्बी मुस्कान के साथ डॉ. की तरफ देखा ।

" औके,, आप अपनी वाइफ को अभी घर नही लो जा सकते है पर फैमिली वालो को कॉल करके गुड न्यूज तो दे दिजिये....!! डॉ. ने अविनाश को देखकर एक लम्बी मुस्कान के साथ कहा ।

अविनाश कुछ कहता तभी अन्दर से नर्स ने डॉ. को आवाज लगाई, डॉ. अपने केबिन मे चली गई । तो अविनाश भी दिवार की तरफ मुंह करके पलट गया ।

"मान्या अंकल- आंटी को कॉल कर दो,,,, हिती के बारे मे उन्हे पता होना चाहिये...." अविनाश ने एक भारी और रूंधी हुई आवाज मे कहा, उसकी आंखों में दोबारा आंसू आ गए, वो दिवार की तरफ पलट कर खड़ा हो गया।

" तुम मुझसे अपने आंसू छिपाने की कोशिश कर रहे हो अविनाश,,,,? मान्या ने अविनाश की बात को नजरअंदाज करते हुए उससे सवाल किया ।

अविनाश, मान्या की बात सुनकर तुरन्त अपने आंसुओ को साफ करता और उसकी तरफ पलटता है ।

" मै नही रो रहा हूं,,,तुम अंकल-आंटी को कॉल करो,,, मुझे लगता है उनको इन सभी के बारे मे पता होना जरूरी है..."

मान्या, अविनाश के चेहरे को गौर से एकटक देखती है, फिर उसकी बात सुनकर अपना सिर हिला देती है और अपने बैग से मोबाइल निकालकर दूसरी तरफ चली जाती है ।

अविनाश एक नजर जाती हुई मान्या को देखता है फिर दिवार के सहारे खडे होकर अपनी आंखे बन्द कर लेता है मानो वो किसी गहरी सोच मे डूब गया हो ।

मान्या हिती के मम्मी-पापा सूरज मलखानी और गीता मलखानी को कॉल करती है । सूरज एक पुलिस ऑफिसर थे इस साल उनका रिटार्यमेन्ट होने वाला था, वही गीता एक हाऊस वाइफ थी, हिती दोनो की इकलौती बेटी थी ।

अविनाश दीवार का सहारा लेकर कुछ सोच रहा होता है तभी नर्स अविनाश के पास आती है ।

मिस्टर अविनाश आपकी वाइफ को होश आ गया है डॉक्टर ने कहा है कि आप उनसे मिल सकते हैं ।

"ओके थैंक यू सो मच सिस्टर,,,,! नर्स की बात सुनकर अविनाश के चेहरे पर खुशी फैल गई ।

अविनाश पलट कर मान्या की तरफ देखता है जो कि कॉल पर गीता से बात कर रही थी अविनाश मान्या को डिस्टर्ब नहीं करता और खुद ही हिती के पास मिलने अन्दर चला जाता है ।

अविनाश धीमे कदमों से डोर तक पहुंचता है उसने अपनी मुठ्ठिया भींच ली थी और खुद को कैसे भी करके से संभाल लिया था क्योंकि उसे अभी हिती के सवालों के जवाब भी देने थे और हिती को संभालना भी था यह बात अच्छे से जानता था ।

आकाश वो भी तो उसका दोस्त ही था,,क्या पता हिती उसे देखकर कैसा रिएक्ट करती अविनाश के दिमाग में यह सब बातें चल रही थी । साथ ही उसके दिल में एक डर भी था ।

अविनाश बेड की तरफ देखता है जहां हिती आंखें खोलें छत को घूर रही थी उसकी आंखों के किनारे से आंसुओं की बूंदें लगातार बह रही थी हिती को इस तरह देखकर अविनाश का दिल तड़प उठा ।

अविनाश ने हिती को देखकर एक पल के लिए अपनी नजरें फेर ली उसकी आंखों में आंसू आ चुके थे उसने तुरंत ही खुद को संभाला और हिती के तरफ बढ़ ।

" हिती,,,,,!! अविनाश ने हिती के कंधे पर हाथ रखते हुए उसका नाम पुकारा ।

हिती ने नजरें उठाकर उसकी तरफ देखा । अविनाश ने हिती को बेड पर बैठाया और उसके चेहरे को हाथों में थामते हुए उसके आंसू साफ करने लगा ।

" रो क्यों रही हो हिती,,,, तुम तो मेरी दोस्त हो और इतनी ब्रैव हो फिर यह आंसू क्यों,,,? तुम तो हमेशा हंसती रहती हो ना और तुम्हारा काम तो लोगों को हंसाना है तो रो कैसे सकती हो...?

अविनाश की बात सुनकर हिती खुद को रोक नहीं पाई और उसके गले से जा लगी उसने अविनाश को कसकर गले से लगा लिया और जोर-जोर से सिसकने लगी ।

" अवि,,,,अविनाश,,,,,वो कह रहा है कि वो मुझसे प्यार,,,,नही करता,,,, मै उसकी सिर्फ दोस्त हू,,, वो यह कैसे कह सकता है,, मै उसके बच्चे की मां बन गई हूं,,, और हमारे बीच दोस्तो जैसा कुछ नहीं था,,,,! उसने मुझसे कहा था वो मुझसे जल्दी शादी करेगा, तो फिर वो गौरी के पीछे क्यों चला गया वह गोरी से प्यार कैसे कर सकता है....? अब मैं क्या करूंगी,,,,!! मेरा सब कुछ खत्म हो गया,,,,!! अविनाश सब कुछ खत्म हो गया,,,,!! कहते हुए हिती बिलख कर रो पडी, वो बच्चो की तरह रोेये ही जा रही थी ।

अविनाश ने हिती को पहली बार इतना टूटा हुआ देखा था, वो उसे आठ महिने से जानता था ओर पहली नजर मे हिती से प्यार कर बैठा था, पर हिती, आकाश को पसन्द करने लगी थी और अविनाश वो सिर्फ उसका अच्छा दोस्त था ।

अविनाश का दिल दुःखता था जब वो हिती और आकाश को एक साथ देखता था पर वो हिती को हमेशा खुश देखना चाहता था इसलिए वह कभी उन दोनो के बीच नही आया । वो आकाश का भी अच्छा दोस्त था पर आकाश, हिती के साथ ऐसा कुछ करेगा इसकी उम्मीद भी अविनाश को नही थी ।

अविनाश ने हिती की पीठ पर कांपते हुए हाथ रखे और उसकी पीठ को धीरे-धीरे सहलाने लगा । अविनाश को हिती की हालत देखकर बेहद रोना आ रहा था पर उसने खुद को रुके हुए था क्योंकि इस वक्त वह कमजोर नहीं पड सकता था ।

" हिती कुछ नहीं होगा सब ठीक हो जाएगा तुम रोना बंद करो कुछ खत्म नहीं हुआ है मैं हूं ना तुम्हारे साथ,,,, मैं सब सही कर दूंगा, तुम्हें मुझ पर विश्वास है ना,,,,!! आकाश को मैं समझा लूंगा,,,,!! मुझे लगता है कि अब उसने जो कुछ भी कहा वह सिर्फ मजाक कर रहा होगा तुम्हें तो पता है ना उसको झूठ बोलने की बहुत आदत है, वो तुम्हारे और बच्चे की जिम्मेदारी जरूर लेगा,,,!! तुम चिंता मत करो मैं लाऊंगा उसे तुम्हारे पास,,!!

अविनाश ने हिती के सिर पर हाथ फेरते हुए उसे शांत करवाया कुछ देर में हिती चुप हो गई । अविनाश ने हिती को शांत देखा उसे खुद से दूर किया ।

" चलो अभी तुम रोना मत और आराम करो मैं डॉक्टर से बात करके आता हूं और मान्या भी....!!! अविनाश इतना ही कहता है कि पीछे से मान्या की आवाज उसके कानो मे पडती है।

" हिती,,,! पागल लडकी कैसा हालत बना ली है तूने अपनी,,,? तुझे मेरी कोई फिक्र नहीं है ना,,,? कहते हुए मान्या, हिती के गले आ लगी ।

हिती ने भी मान्या को कसकर गले से लगा लिया । वह दोनो ही एक- दूसरे से लिपट कर रोने लगी ।

अविनाश उन दोनों से दूर हट गया और एक तरफ दीवार के सहारे खड़े होकर दोनों को देखने लगा । कुछ देर बाद दोनों शांत हो गई और एक दूसरे से अलग हुई ।

" पागल लड़की देख ना तुने रो-रोकर अपनी क्या हालत बना रखी है,,,,? आंखे देख तेरी भैंस जैसी हो गई है....!!! मान्या ने मजाकिया लहजे में कहा ।

" हां तू तो हंस रही है ना,,,,!! हिती नो मान्या को पलट जवाब देते हुए कहा ।

जिसे सुनकर हिती के चेहरे पर मुस्कान आ गई । मान्या भी उसे मुस्कुराता देख कर मुस्कुरा दी । मान्या, हिती का ध्यान कुछ पल के लिए इन सब बातों से हटाना चाहती थी इस कारण वो हिती को हंसाने की और बातो मे उलझाने की कोशिश करने लगी ।

अविनाश उन दोनों को देखकर मुस्कुरा दिया, और वहां से बाहर चला गया । मान्या भी हिती को बातो मे उलझाकर उसका ध्यान भटकाने लगी ।

हॉस्पिटल के बाहर

अविनाश तेज कदमों से अपनी कार के पास आया, उसने अपने जेब से सिगरेट निकाल कर सुलगा ली और सिगरेट के 2-3 कस लगाने के बाद उसे वहीं सड़क पर फेंक दिया उसने सिगरेट को अपने पैरों तले कुचला फिर जेब से मोबाइल निकाल कर आकाश को कॉल मिलाया ।