Tadap Ishq ki - 13 in Hindi Love Stories by Miss Thinker books and stories PDF | तड़प इश्क की - 13

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तड़प इश्क की - 13

अब आगे.............

विक्रम एकांक्षी के करीब जा चुका था और जैसे ही किस करने के लिए उसके होंठों तक पहुंचता उसके चेहरे के साइड पर एक जोरदार मुक्का पड़ता है , विक्रम अपने गाल को पकड़कर देखता है तो सामने एकांक्षी को कवर करते हुए एक black colour cape पहने हुए एक लड़के ने उसे पंच किया था , , विक्रम उसके चेहरे की तरफ देखकर हुए कहता है जिसने अपने फेस को हाफ मास्क से कवर कर रखा था ....." कौन है तू...?.. मेरे रास्ते में आने की हिम्मत कैसे हुई तेरी...."

अधिराज अपनी cape को साइड करते हुए कहता है...." मैंने चेतावनी दी थी तुझे.....शायद तुझे समझ नहीं आया..."

एकांक्षी अधिराज के चेहरे को देखती हुई उसके पीछे छिपने लगती है...... विक्रम उसे देखते हुए पूछता है...." तू हमारे बीच में आने वाला होता कौन है...?...वो मेरी गर्लफ्रेंड है मैं जो करूं...."

अधिराज गुस्से में मुठ्ठी भिंचते हुए उसे देखता है तभी एकांक्षी कहती हैं......" ये झूठ बोल रहा है.....ये जबरदस्ती मुझे यहां रोके हुआ है..."

अधिराज पीछे मुड़कर कहता है...." मुझे पता है , , तुम घबराओ मत..."

अधिराज गुस्से में विक्रम के एक और मुक्का उसके मुंह पर मारता हुआ कहता है....." लड़की पर हाथ उठाते हुए शर्म नहीं आती...." ये मुक्का इतनी जोर से लगा था कि उसके मुंह से खून टपटने लगा....

विक्रम अपने खून को पोछता हुआ अधिराज पर पंच करता है लेकिन वो ये नहीं जानता जिससे वो भिड़ने जा रहा है वो कोई आम इंसान नहीं जो ढेर हो जाए , , वो पक्षीलोक का सबसे शक्तिशाली राजा है , जिसके सामने बड़े से बड़ा योद्धा आने से घबराता है......

अधिराज उसके पंच को हवा में ही रोकते हुए अपने घुटने से उसके पेट पर मारता है , , ये वार भी इतना जोरदार था कि वो वहीं गिर गया..... उसे बेहोश समझकर अधिराज एकांक्षी के पास जाता है और उसके होंठ के साइड से निकल रहे खून को पोंछकर कहता है....." अब तुम सुरक्षित हो जाओ अपने घर....."

एकांक्षी उसकी आंखों में अपने लिए फ्रिक देखकर कहती हैं...." कौन हो तुम..?..."

अधिराज मुस्कुराते हुए कहता है...." तुमने क्या कहा था मुझे...स्ट्रेंजर ... वहीं हूं...." अधिराज वहां से जाने के लिए मुड़ता है तभी एकांक्षी उसके हाथ को पकड़कर रोक लेती है.... एकांक्षी के छूने से अधिराज विहल हो जाता है लेकिन अपने आप को कंट्रोल करते हुए उसके हाथ को छुड़ाकर कहता है....." देखो शाम हो चुकी है इसलिए घर जाओ नहीं तो फिर तुम्हें परेशानी होगी..."

एकांक्षी उसके सामने जाकर कहती हैं....." तो तुम मेरी हर परेशानी में मुझे बचाने क्यूं आ जाते हो ...?..."

अधिराज एकांक्षी की मासुमियत को देखकर उसके पास जाकर उसके चेहरे पर आ रहे उसके बालों को पीछे करता हुआ कहता है....." अब हमारी बारी है तुम्हारे लिए कुछ करने की...." एकांक्षी जो उसके छूने से बस उसकी आंखों में ही खो जाती है , , अधिराज उसे कंधों से पकड़कर उसे झंझोरोते हुए कहता है...." तुम्हें मुझे इस तरह देखने की जरूरत नहीं है..."

एकांक्षी उसकी बात का कोई जबाव नहीं देती जिससे अधिराज समझ चुका था ,,, इसे मैं अपने आंखों से दूर रखना चाहता था वहीं नहीं कर पाया..... अधिराज एकांक्षी कहकर उसे झंझोरता है लेकिन एकांक्षी किसी पूतले की तरह जम चुकी थी और कुछ ही पलों में मदहोशी से कहती हैं....* अधि...राज.... तुम...आ ...गये...." एकांक्षी इतना कहते ही बेहोश होकर अधिराज की बांहों में झूल जाती है....

अधिराज उसे होश में लाने के लिए उसके बैग से वाटर बोतल निकालकर उसके फेस पर पानी की छिंटे मारता है लेकिन एकांक्षी अभी भी बेहोश ही थी , , तभी उसे एहसास होता है जैसे उसके पीछे कोई है , अधिराज जैसे ही मुड़कर देखता है विक्रम पिस्टल ताने उसपर खड़ा है जिसे देखकर अधिराज मुस्कुराते हुए कहता है....." क्या तुम मुझे इस खिलौने से ड्रा रहे हो...."

विक्रम गुस्से में उसे घूरते हुए कहता है....." जब मरने का टाइम आता है तो अच्छे अच्छों का ये खिलौना ही नजर आता है...."

अधिराज अपनी भौंह उठाकर कहता है...." तुम्हें इतने से आराम नहीं मिला और मार खाना चाहते हो...."

" देखो इस लड़की को मुझे सौंप दो और चुपचाप चले जाओ यहां से...."

अधिराज एकांक्षी को देखकर कहता है......" इसे तो तुम भूल जाओ , , ये मेरे अलावा किसी को नहीं मिलेगी...."

विक्रम एक सीरियस टोन में कहता है..." ओह तो अब समझा इसके appearance ने तुम्हें भी अपनी तरफ attract कर लिया ...."

अधिराज गुस्से में घूरते हुए उसके एक किक मारता है जिससे वो दर्द से कराहने लगता है..... अधिराज तेज आवाज में कहता है...." मेरी बात कान खोलकर सुन ले , एकांक्षी हमेशा से मेरी थी है और रहेगी...तूने अगर इसकी तरह आंख उठाकर देखने की भी कोशिश की तो तेरा हाल इससे भी बुरा बना दूंगा.....और ये समझने की भूल मत करना की मैं इसके आसपास नहीं हूं तो तू इसे कुछ भी कह सकता है...जिस तरह तेरे चेहरे का हुलिया बिगाड़ा था आगे तू समझ लें...."

विक्रम अधिराज को उसकी बात पर आंखें फाड़कर देख रहा था.... अधिराज एकांक्षी को उठाकर ले जाता है और विक्रम उसे जाते हुए घूर रहा था , , उसके जाने के बाद अपने आप से बड़बड़ाता है....." ये जो भी है , इसने विक्रम मल्होत्रा से पंगा लिया है अब देख इसका अंजाम कितना बुरा होगा तेरे लिए....." विक्रम लड़खड़ाते हुए उठकर अपनी कार में बैठकर चला जाता है...

और अधिराज एकांक्षी को लेकर उसके घर पहुंचता है... दरवाजे को एक दो बार रिंग करने के बाद सावित्री जी दरवाजा खोलती है और एकांक्षी को अधिराज के कंधे से टिके देखकर हैरानी से कहती हैं....." मिकू... क्या हुआ इसे..?..और तुम कौन हो...?..."

अधिराज सावित्री जी से कहता है...." पहले इसे अंदर तो लेटा दो...."

सावित्री जी हां कहती हैं और अधिराज एकांक्षी को वहीं सोफे पर लेटा देता है.....

" बताओ इसे क्या हुआ...?.." सावित्री जी एकांक्षी के गालों पर हाथ फेरते हुए कहती हैं....

अधिराज उन्हें बताता है......




..............to be continued............

अधिराज सावित्री जी को क्या समझाएगा...?

जानने के लिए जुड़े रहिए....