अब आगे.......
वैदेही अधिराज को देखती है फिर धीरे धीरे अपने गुलाबी होठों को अधिराज के होंठों पर रख देती और उसे सांस देने लगती है....
अधिराज से अब और चुप न रहा गया और वो आंखें खोलते हुए वैदेही को अपनी बाहों में कस लेता है... अचानक हुई अधिराज की इस हरकत से वैदेही चौंकते हुए कहती हैं....." अधिराज आप क्या कर रहे हैं ये ...."
और उससे अलग होकर अपने दुपट्टे को सही करके कहती हैं....." आप सच में बहुत बेशर्म हो रहे हैं...."
अधिराज मुस्कुराते हुए कहता है...." आखिरकार आपने हमारी इस इच्छा को पूरा कर ही और रही बात बेशर्म होने की तो जब आप जैसी सुंदर कन्या हमारे आसपास रहेंगी तो हम स्वयं को नियंत्रित नहीं कर पाएंगे...."
वैदेही के चेहरे पर शर्माने की वजह से उसके गोरे गालों पर लालिमा छा जाती है जिसे देखकर अधिराज दोबारा उसे छेड़ते हुए कहता है...." अभी तो हमने कुछ नहीं किया वैदेही और आपके चेहरे पर लज्जा के ये भाव हमें और आकर्षित कर रहे हैं...."
वैदेही अपने आप को शांत करते हुए कहती हैं...." पक्षीराज जाइए थोड़ा अपनी प्रजा को भी देख लिजिए या सारा समय आप हमारे साथ ही बिताएगे... हमें भी उपचार के लिए वृषपूर जाना जहां से हम तीन चार दिनों के पश्चात लौटेंगे...."
अधिराज मुंह बनाते हुए कहता है...." तुम हमें तीन चार दिनों के लिए अपने से दूर रहने के लिए कह रही हो , जबकि तुम जानती हो हम तुमसे एक दिन भी दूर नहीं रह सकते ...."
वैदेही अपनी जड़ी बूटी की टोकरी उठाकर चलने लगती है और पीछे मुड़कर कहती हैं...." अधिराज प्रेम में दूरियां सहन नहीं होती किंतु इससे प्रेम और भी ज्यादा गहरा हो जाता है....हम चलते हैं अधिराज आप अपना ख्याल रखना...."
अधिराज वैदेही को जाते देखकर बस उसके चेहरे पर एक उदासी ही छा गई और अपने हाथ में पकड़ी हुई पायल को देखकर मुस्कुराते हुए कहता है....." तुम हमें छोड़कर न जाया करो वैदेही...."
ये सोचते हुए अधिराज का वापस अपने ध्यान से बाहर आते हुए भी वैदेही ही रट रहा था...
अधिराज खुद से सवाल जबाव करने लगता है..." अब और नहीं....अगर हम इस तरह खो जाएंगे तो फिर हम एकांक्षी को सबकुछ स्मरण कैसे करवाएंगे.....हमें अपने आप पर नियंत्रण करना होगा... किंतु जिनकी यादों ने हमें पच्चीस साल जीवित रखा वो इतनी आसानी से कैसे दूर हो सकती है... फिर भी हम कोशिश करेंगे.... एकांक्षी अब तो तुम्हें हमारे पास आना होगा...."
उधर एकांक्षी का ध्यान पढ़ने में कम और अपने ख्यालों में ज्यादा था....उसकी परेशानी किसी को नहीं दिख रही थी लेकिन उसके मन में एक अलग ही उथलपुथल मची हुई थी....एक तो उसके साथ हुई वो घटना उसे सोचने पर मजबूर कर रही थी क्या वो सच था या उसका वहम और दूसरा था विक्रम मल्होत्रा का उसकी जिंदगी में वापस आना.....
विक्रम मल्होत्रा का मकसद क्या है ये आपको धीरे धीरे पता चल जाएगा..…...
अभी एकांक्षी कुछ सोच ही रही थी तभी अचानक उसके कानों में सारंगी की धुन सुनाई पड़ती है जिससे सुनते ही एकांक्षी अचानक पूरे क्लास रूम में बोल उठती है....." Stop this music....." और अपने कानों पर हाथ रखकर आंखें बंद कर लेती है....
एकांक्षी की इस हरकत ने सबकी नजरें उसकी ओर कर दी थी..... प्रोफेसर वर्मा एकांक्षी के पास आकर पूछते हैं...." Any problem miss ekanshi...."
एकांक्षी कुछ कहती उससे पहले ही विक्रम मल्होत्रा बोल उठा......" सर ये तो अब आपको रोज देखना पड़ेगा.... विक्रम जो लौट आया है...." विक्रम की बात एकांक्षी के अलावा किसी को समझ नहीं आई इसलिए एकांक्षी विक्रम को घूरते हुए कहती हैं...." सर आई एम फाइन..."
प्रोफेसर वर्मा अपना लेक्चर कंटिन्यू करते हैं लेकिन एकांक्षी काफी ज्यादा बैचेन होने लगती है जिसे देखकर किरन अपनी वाटर बोतल उसे देती हुई कहती हैं...." एकांक्षी तू ठीक नहीं लग रही है अचानक क्या हुआ तुझे...?..."
एकांक्षी लगभग बैचेन में पानी पीकर कहती हैं...." किरन उससे बोलो ये म्यूजिक बंद कर दें..... मुझे बहुत बैचेनी महसूस हो रही है...."
किरन सवालिया नज़रों से उसकी तरफ देखते हुए पूछती है....." कौन सा म्यूजिक एकांक्षी ...?..मुझे तो कोई म्यूजिक नहीं सुनाई दे रहा है....."
एकांक्षी उससे कहती हैं...." तुझे कोई म्यूजिक नहीं सुनाई दे रहा है..?.." एकांक्षी अपना बैग उठाकर जाने के लिए उठकर प्रोफेसर वर्मा से कहती हैं....." Sir.... I'm not feeling well so I'm going out....."
प्रोफेसर वर्मा ओके कहकर उसे रेस्ट के लिए कहते हैं..... एकांक्षी के जाने के बाद किरन भी उसके साथ चली जाती हैं और वही विक्रम बिना कुछ कहे चुपचाप क्लास रूम से चला जाता है........
वहीं अधिराज एकांक्षी को बाहर आते देख खुश हो जाता है लेकिन उसके चेहरे को देखकर समझ जाता है वो सारंगी की धुन से बैचेन हो उठी है , , उसे अपने पर गुस्सा आता है लेकिन अपनी प्यार को पाने की लालसा ने उसे ये सब करने के लिए मजबूर कर दिया था.....
किरन एकांक्षी के पास आकर उससे कहती हैं....." एकांक्षी तेरी तबियत ठीक नहीं है तू कुछ जूस वगैरह लेकर घर चल...." एकांक्षी सिर्फ हां में सिर हिलाती है और दोनों आगे चलने लगती है अभी ग्राउंड से होकर कैफेटेरिया की तरफ जा ही थी तभी उसके आसपास एक तेज हवा का झौंका आकर वैदेही नाम की आवाज के साथ उसे गालों को छुकर निकल जाता है जिससे एकांक्षी बैचेनी से चारों तरफ देखती है...
" क्या हुआ एकांक्षी...?...." किरन उसके निगाहों को देखते हुए कहती हैं...
एकांक्षी वहीं बैचेन निगाहों से देखती हुई कहती हैं...." कोई है... कोई है किरन जो मुझे उस म्यूजिक और उस नाम से बोल कर कुछ जताना चाहता है..... पता नहीं मुझे ऐसा लगता है जैसे कोई हर पर मुझे छूने की कोशिश करता रहता है, कोई तो है...."
किरन उसकी बात सुनकर कोल्ड वाइस में कहती हैं....." एकांक्षी तू ये क्या बहकी बहकी सी बातें कर रही है ,,, मुझे लगता है तेरी तबियत ठीक नहीं है...."
" नहीं किरन मुझे लगता है जैसे कोई हरपल मेरे पास आने की कोशिश करता है..." एकांक्षी उसे समझाते हुए कहती हैं
" बिल्कुल है जो तुम्हें छूना चाहता है...."
दोनो हैरानी से पीछे मुड़ती है......
.............to be continued............