Tere Ishq me Pagal - 28 in Hindi Love Stories by Sabreen FA books and stories PDF | तेरे इश्क़ में पागल - 28

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तेरे इश्क़ में पागल - 28

"यह तो तेरा पुराना घर है।" अहमद लैपटॉप पर लोकेशन देख कर हैरान हो कर बोला।

"हाँ और ज़ैनब यही है।" ज़ैन ने उसे देखते हुए कहा।

"तुझे कैसे पता भाभी यहां है?" अहमद कंफ्यूज हो कर बोला।

"क्योंकि मैं ने ज़ैनब को लॉकेट दी थी उसमें एक ट्रैकर फिक्स था।" ज़ैन कार की स्पीड बढ़ाते हुए बोला।

अहमद ने अपना फ़ोन निकाला और कासिम को मैसेज किया।

बंगले के करीब पहोंच कर उन लोगो ने कुछ ही दूर पर गाड़ी रोक दी।

कासिम वहां पहले से ही मौजूद था।

उन दोनों को देख कर कासिम भागते हुए उनके पास आ कर बोला:"बॉस आप कहे तो और आदमियों को यहां आने के लिए बोल दु।

"नही हम तीन ही काफी है।" ज़ैन ने आस पास देखते हुए कहा

ज़ैन ने एक बंदूक हाथ मे पकड़ी और दूसरी जेब मे डाली, अहमद और कासिम ने भी ऐसा ही किया।

"उसे नही पता है कि हम बंगले तक पहोंच गए है और मैं जानता हूं कि वोह हमारे हमले के लिए तैयार नही होगा।" ज़ैन ने उन्हें अपना प्लान बताया और वोह बंगले की तरफ जाने लगे।

बगले के गेट पर दो आदमी पहेरा दे रहे थे।

ज़ैन उन पर गोली चलाने ही वाला था कि अहमद ने उसे रोक लिया।

"ज़ैन रुक जा अगर गोली की आवाज़ सुनकर उन्होंने भाभी को कुछ कर दिया तो, अब तू मेरा ड्रामा देख मैं उन्हें भटकता हु तब तुम दोनों अंदर चले जाना।"

"लेकिन अहमद।"

"कुछ नही होगा अब तू अपने जिगर की नौटंकी देख।" अहमद ने मुस्कुराते हुए कहा।

"ठीक है लेकिन ध्यान से।" ज़ैन ने कहा और अहमद वहां से चला गया।

ज़ैन और कासिम बगले के करीब एक पेड़ के पीछे छुप गए।

अहमद ने अपनी बंदूक छुपाई और उनके सामने जा कर ऐसे झूलने लगा जैसे बहोत शराब पी रखी हो।

गेट पर खड़े आदमी में से एक अहमद को देख कर बोला:"तुम कौन हो?"

"मैं,,,मैं कौन हूं!" अहमद ने सोचने वाले अंदाज़ में कहा।

उसकी बात सुनकर उन दोनों आदमियों ने एक दूसरे की तरफ देखा और फिर अहमद से बोला:"तुम यहाँ क्या कर रहे हो?"

"मैं यहां अपनी जान को ढूंढने आया हु।" अहमद उसके कंधे पर सिर टीका कर बोला।

"तुम्हारी जान कौन है?" वोह आदमी कंफ्यूज हो कर बोला।

"मेरी जान जिसने मुझे धोखा दिया है।" अहमद मायूस सी शक्ल बना कर बोला।

"लेकिन तुम्हे धोखा किस ने दिया?" वोह आदमी झुंझला कर बोला।

"मेरी जान ने।"

उसकी बात सुनकर वोह दोनो कन्फ्यूज़ हो गए।

"नही समझ आया।" अहमद ने उनके कन्फ्यूज्ड चेहरे को देख कर पूछा।

"नही।" वोह दोनो एक साथ बोले।

"अच्छा इधर आ कर बैठो मै तुम्हे समझाता हु।" अहमद ने उन दोनों को खींच कर ज़मीन पर बिठाया और खुद भी उनके साथ बैठ गया।

कासिम उसकी एक्टिंग देख कर अपनी हंसी दबाने की कोशिश करने लगा।

ज़ैन भी बहोत मुश्किल से खुद को कंट्रोल कर रहा था।

"वाह मेरे शेर।" ज़ैन मुंह ही मुंह मे बड़बडाया।

अहमद ने उन दोनों को देख कर अंदर जाने का इशारा किया।

अहमद का इशारा पा कर वोह दोनो अंदर की तरफ बढ़ गए।

अहमद खड़ा हो कर उन्हें स्टोरी सुना रहा था और इर्द गिर्द के चक्कर काट रहा था।

और वोह दोनो मज़े से उसकी स्टोरी सुन रहे थे।

अहमद ने मौका देख कर उन दोनों को बेहोश किया और उन्हें एक पेड़ के साथ बांध दिया और बंगले के अंदर चला गया।

"कासिम तुम उधर जाओ।" ज़ैन ने कासिम को दूसरी तरफ इशारा करते हुए कहा।

"ओके बॉस।" कासिम ने कहा और दूसरी तरफ चला गया।

ज़ैन ने एक दरवाज़ा हल्का सा खोल कर देखा तो पांच आदमी अंदर बैठे शराब पी रहे थे। ज़ैन ने उस दरवाज़े को बाहर से लॉक कर दोय और अंदर की तरफ चला गया।

अंदर चार से पांच आदमी घूम रहे थे। ज़ैन धीरे धीरे आगे बढ़ते हुए एक आदमी की गर्दन पकड़ कर मरोड़ दी और उन चारों के साथ भी वही किया।

उसने एक खाली कमरे में उन पांचो को बंद किया और आगे बढ़ गया।

उसने एक एक करके सभी कमरों को चेक किया।
लेकिन ज़ैनब उसे कहि नही मिली।

उसने अपना फ़ोन निकाला और ज़ैनब की लोकेशन ट्रेस करने लगा।

"ज़ैनब कहा हो!" ज़ैन ने फ़ोन में देखते हुए कहा जहाँ ज़ैनब की लोकेशन बिल्कुल उसके करीब दिखा रही थी।

ज़ैन को कुछ भी समझ नही आ रहा था।

ज़ैन ने अपने बालों को खींचा और कुछ याद आते ही वापस कमरे में चला गया।

अंदर जाने के बाद ज़ैन दीवार पर नॉक करने लगा।

कुछ ही देर बाद उसे दरवाज़ा मिल गया उसने दीवार पर लात मारी तो वोह दीवार एक झटके में टूट गयी और उसके पीछे एक दरवाज़ा नज़र आने लगा।

ज़ैन दरवाज़ा खोल कर अंदर गया तो वहां दो कमरे थे।

ज़ैन ने एक रूम का दरवाजा खोला तो वहां कोई नही था तभी उसे दूसरे कमरे से ज़ैनब की आवाज़ आयी।

"मुझे खाना नही खाना है मुझे शाह के पास जाना है।"

ज़ैन ने थोड़ा सा दरवाज़ा खोला तो एक आदमी ज़ैनब को खानाखाने के लिए कह रहा था।

ज़ैन दबे कदमो से उसके पास आया और पीछे से गन से उस के सिर पर मार कर उसे बेहोश कर दिया।

ज़ैनब की नज़र अभी भी नीचे थी, जब वोह व्डमी उसके पैरों में गिरा तो ज़ैनब ने अपनी नज़रे उठा कर ऊपर की तरफ देखा।

"शाह, आप आ गए।" वोह आंखों में आंसू लिए हुए बोली।

"हाँ मेरी जान मैं आ गया हूं।" ज़ैन ने उसकी रस्सियां खोलते हुए कहा।

रस्सियां खुलते ही ज़ैनब उसके गले लग कर रोने लगी।

"शाह यह लोग बहोत बुरे है।"

"डरो नही मेरी जान अब मैं आ गया हूं ना।"

ज़ैन देवनो की तरफ उसका चेहरा चूमने लगा, ज़ैनब की भी सांसे तेज़ हो गयी थी। उसे कोई परवाह नही थी यह कौनसी जगह है बस उसका इश्क़ उसका जुनून उसके सामने था।

अहमद अंदर आया और फुरण मुंह दूसरी तरफ कर लिया।

"ज़ैन के बच्चे यह तेरा बैडरूम नही है जो तू रोमैंस करना शुरू होगया, पहले अपने बारातियो का सफाया कर फिर खुल के करना रोमैंस।" अहमद ने एक एक वर्ड चबा कर कहा।

उसकी बात सुनकर ज़ैन पीछे हुआ और ज़ैनब ने अपना शर्म से कल चेहरा झुका लिया।

तभी बाहर गोलियां चलने की आवाज़ आयी।

"ज़ैन चल कासिम अकेला है।" अहमद ने गन में बुलट डालते हुए कहा।

ज़ैन ने ज़ैनब का हाथ पकड़ा और कमरे से बाहर आ गया।

"तू भाभी को किसी सिक्योर जगह ले कर जा तब तक मैं इन लोगो को संभालता हु।" अहमद अपने सामने से जाते आदमियों पर गोली चलते हुए कहा।

ज़ैन ने अपनी गन निकली और ज़ैनब को ले कर बाहर की तरफ जाने लगा।

तभी अचानक उसने ज़ैनब को खींच कर गले लगा लिया और दरवाज़े के पीछे खड़ा हो गया।

तभी एक आदमी अंदर आया ज़ैन ने उस पर गोली चला दी जिसे देख कर ज़ैनब की चींख निकल गयी।

"शी,,,,,कुछ नही हुआ है।" ज़ैन ने उसके मुंह पर हाथ रख कर कहा और उसे ले कर बाहर आया।

उसने ज़ैनब को कार में बिठाया और बोला:"यहाँ बैठो बाहर मत आना चाहे कुछ भी हो जाये।"

"नही शाह प्लीज मुझे छोड़ कर मत जाए।" ज़ैनब न ज़ैन का हाथ पकड़ कर कहा।

"कुछ नही होगा, तुम यही रहना।" ज़ैन ने उसके माथे पर किस किया और गाड़ी लॉक करके दोबारा अंदर चला गया।

हर तरफ गोलियां चलने की आवाज़ आ रही थी।
ज़ैन गोलियों से सबको मरते हुए आगे बढ़ ही रहा था कि तभी उसकी पीठ किसी की पीठ से टकराई।

ज़ैन ने पीछे मुड़ कर देखा तो अहमद था।

"ज़ैन भाभी कहा है?" अहमद ने आस पास देखते हुए कहा।

"तुम फिक्र मत करो वोह बिल्कुल ठीक है।" ज़ैन ने कहा और एक आदमी जो अहमद को गोली मारने ही वाला था उसको गोली मारदी।

तभी जमाल ने ज़ैन पर गोली चलाई, गोली ज़ैन के कंधे को छूते हुए गुज़र गयी।

अहमद दूसरे आदमियों को मार है था।

जबकि ज़ैन जमाल पर गोली चलाते हुए उसके पास चला गया और उसे बचने मौका दिए बिना ही उस पर मुक्कों की बरसात कर दी।

जमाल के मुंह से खून लगा था।

ज़ैन जनता था जमल को फाइटिंग नही आती वोह बस अपने आदमियों के बिना पर ही उछलता है।

"तुझे बोला था ना उसे छोड़ दे लेकिन तूने भी अपने बाप की गलती दोहरा दी, अब तेरा अंजाम भी तेरे बाप जैसा होगा।"

ज़ैन ने उसे गोली मारनी चाही लेकिन उसकी गन में गोली ही नही थी।

"ज़ैन।" अहमद ने चिल्ला कर कहा और अपनी गन उसकी तरफ फेंक दी।

ज़ैन ने गन पकड़ी और सारी गोलियां जमाल के सीने में उतार दी।

"ज़ैन तू ठीक है?" उसके हाथ से बहते खून को देखते हुए अहमद परेशान हो कर बोला।

"हाँ मैं ठीक हु यह मामूली सी गोली मेरा कुछ नही बिगाड़ सकती है।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा।

"यह बोल की दवा तेरे साथ है तो तुझे फ़र्क़ नही पड़ रहा है।" अहमद ने शरारत से मुस्कुराते हुए कहा।

"तू कहे तो सानिया को भी बुला दु।" ज़ैन ने आंख मारते हुए कहा।

उसकी बात सुनकर अहमद उसे घूर कर बोला:"बस कर बाहर चल भाभी इंतेज़ार कर रही है।"

उसकी बात सुनकर ज़ैन मुस्कुराने लगा और वोह तीनो बाहर आ गए।

बाहर आ कर अहमद ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और ज़ैन बैक सीट पर ज़ैनब के साथ बैठ गया।

कासिम अपनी गाड़ी में बैठ वहां से चला गया।

ज़ैनब ने जब ज़ैन के बाज़ू को देखा तो एक बार फिर उसकी आँखों से आंसू गिरने लगे।

कहानी जारी है..........
©"साबरीन"