क्योंकि पीछे एक बंदा मुंह पर रुमाल बंधे उस पे गन ताने खड़ा था।
ज़ैनब आगे मुड़ कर भागने ही वाली थी कि आगे भी एक बंदा खड़ा था।
दो उसके आस पास भी खड़े थे।
उन आदमियों ने उसे चारो तरफ से घेर लिया था। उसके भागने के सारे रास्ते बंद हो गए थे। एक आदमी ने उसके मुंह पर रुमाल रख कर उसे बेहोश कर दिया।
बेहोश होने से पहले ज़ैनब के मुंह से सिर्फ एक ही वर्ड निकला:"शाह।"
.......
ज़ैन गाड़ी चला रहा था और साथ ही गाना गुनगुना रहा था।
तभी उसके फ़ोन पर एक मसेज आया। बीप की आवाज़ सुनकर ज़ैन ने अपना फ़ोन देखा उसे एक अननोन नंबर से मैसेज आया था।
"बचा सकते हो तो बचा लो अपनी बीवी को।"
मैसेज देख कर ज़ैन की आंखे गुस्से से लाल हो गयी।
ज़ैन ने फ़ोन डैशबोर्ड पर फेंका और रश ड्राइविंग करता ज़ैनब के होस्टल पहोंचा।
उसने वॉचमैन में ज़ैनब के बारे में पूछा तो उसने भी यही कहा कि ज़ैनब होस्टल में आई ही नही है।
ज़ैन उसे बार बार फ़ोन कर रहा था बेल जा रही थी लेकिन कोई फ़ोन नही उठा रहा था।
उसने अस पास देखा तो उसे एक पेड़ के नीचे ज़ैनब का बैग मिला। उसने फिर से ज़ैनब को फ़ोन किया तक तो आवाज़ उसके बैग से ही आ रही थी।
ज़ैन उसे होस्टल के पास के एरिया में पागलों की तरह ढूंढ रहा था दो घंटे ढूंढने के बाद भी जब वोह उसे नही मिली तो वोह थक हार कर अपने बालों को खींचते हुए बोला:"ओह कहा चली गयी यार।"
वोह अभी सोच ही रहा था कि उसके फ़ोन पर फिर एक मैसेज आया।
मैसेज देख कर उसकी आँखों मे खून उतर आया और उसकी नसें तन गयी।
वोह एक वीडियो थी।
उसकी वीडियो में ज़ैनब कुर्सी पर बंधी थी वोह अभी भी बेहोश थी। उसके बाल बिखरे हुए था और जमाल की हँसने की आवाज़ आ रही थी।
"शाह यह देख तेरी हसीना मेरे पिंजरे में कैद है, वैसा बड़ा माल छुपा कर रखा था तूने शाह, तू तो छुपा रुस्तम निकला। वाक़ई बहोत खूबसूरत है जीती जागती क़यामत है, लेकिन अब यह क़यामत मेरे पास है।" जमल हस्ते हुए सब कह रहा था।
ज़ैन वीडियो बंद की और अहमद को फ़ोन किया।
.............
अहमद आफिस में फ़ाइल देख रहा था। मोबाइल पर ज़ैन का नंबर फ़्लैश होते देख उसने मुस्कुराते हुए फ़ोन उठाया:"ओह मजनू कहा है अभी तक आया नही?"
"अहमद कासिम के साथ अड्डे पर पहोंच मैं वही आ रहा हु।" ज़ैन ने गुस्से से कहा।
"ज़ैन सब ठीक तो है!" अहमद परेशान हो कर बोला।
"कुछ ठीक नही है जमल ने ज़ैनब को किडनैप कर लिया है।" ज़ैन गुस्से सेबोला।
"ज़ैन तू क्या करने की सोच रहा है?" अहमद आफिस से बाहर निकलते हुए बोला।
अहमद की बात सुनकर एक शैतानी मुस्कुराहट ज़ैन के चेहरे पर आ गयी।
और अहमद को बिना कुछ जवाब दिए उसने फ़ोन रख दिया।
.................
नैना जो गहरी नींद में सो रही थी बाहर से अति शोर शराबे की आवाज़ सुनकर उसकी नींद खुल गयी।
वोह अपने रूम से बाहर आई तो वहां का नज़ारा देख कर हैरान हो गयी।
ज़ैन ने उसके सभी आदमियों को मार दिया था और अब उसकी तरफ बढ़ रहा था।
"तुम्हारा भीई कहा है?" ज़ैन जलती हुई आंखों से उसे देखते हुए बोला।
नैना उसकी गुस्से से लाल आंखों को देख कर डर से पीछे हटते हुए बोली:"मुझे नही पता।"
ज़ैन उसके बालों को पकड़ कर गुस्से से बोला:"मैं आखिरी बार पूछ रहा हु तुम्हारा भाई कहा है?"
"मु...झे न...ही प...ता।" नैना डर से कांपते हुए बोली।
ज़ैन ने अपनी गन निकाली और उसके सिर पर तानते हुए बोला:"उसे फ़ोन करके पूछो वहां कहा है।"
नैना ने जल्दी से अपना फ़ोन निकाल कर जमाल को फोन किया लेकिन उसका फ़ोन बन्द था।
"उसका फ़ोन बन्द है।" नैना डरते हुए बोली।
"तुम मेरे लिए किसी काम की नही हो आज तक मैं तुम्हे सिर्फ इसीलिए बर्दाश्त करता रहा क्योंकि तुम मुझे जमाल तक पहोंचा सकती थी।"
ज़ैन का इरादा भांपते हुए नैना डरते हुए बोली:"न,,,,नही ज़ैन मुझे मत.....
इससे पहले की वोह अपनी बात पूरी करती गोली उसकी घोपडी के पार हो गयी थी।
.........
कासिम ने अपने सारे आदमियों को काम पर लगा दिया था।
सुबह से शाम हो गयी थी लेकिन ज़ैनब का कुछ भी पता नही चल रहा था।
.............…
ज़ैनब को जब होश आया तो उसने अपने इर्द गिर्द देखने की कोशिश की लेकिन उसे कुछ साफ नजर नही आ रहा था। चारों तरफ अंधेरा था। ज़ैनब ने अपने हाथों को हिलाया लेकिन वोह बंधे हुए थे।
"कोई है।" ज़ैनब डरते हुए बोली।
तभी दरवाज़ा खुला एक आदमी चैन घूमते हुए अंदर आया।
दरवाज़े से रौशनी आने की वजह से ज़ैनब को कुछ साफ नजर नही आ रहा था।
"कौ....न हो तुम।" ज़ैनब अटकते हुए बोली।
"तुम्हारे शाह का चाहने वाला।" जमाल कहते साथ ही ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा।
"छोड़ो मुझे जाने दो।" ज़ैनब खुद को संभालते हुए बोली।
"अरे अरे हुस्न की मलिका ऐसे कैसे छोड़ दूं, फिक्र मत करो तेरा शाह तुझे ढूंढ लेगा फिर उसके सामने मैं तेरे साथ........वोह क्या है ना शाह के सामने तुझे छूने में अलग ही मज़ा आएगा।" जमाल ज़ोर ज़ोर से हस्ते हुए बोला।
"प्लीज मुझे शाह के पास जाने दो।" ज़ैनब ने आंखों में आंसू लिए हुए कहा।
"ओह जाने मन को शाह के पास जाना है रुको मैं अभी शाह से तुम्हारी बात करवाता हु।" कहते साथ ही उसने अपना फ़ोन निकाला और ज़ैन को वीडियो कॉल किया।
ज़ैन ने अननोन देख कर फ़ोन उठाया।
उसका चेहरा देख कर जमाल के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कुराहट आ गयी।
"हरामखोर मैं तेरी जान ले लूंगा, उसे छोड़ दे।" ज़ैन गुस्से से बोला।
"हाहाहा,आज तुझ से पहेली बार जीतने का जश्न तो मनाने दे।" जमाल ने मुस्कुराते हुए कहा।
"अच्छा रुक रुक नाराज़ मत हो मैं अभी तेरी उस हसीना से बात करता हु।" उसने ज़ैन के गुस्से से भरे चेहरे को देखते हुए कहा और मोबाइल ज़ैनब की तरफ किया।
"शाह प्लीज मुझे बचा लीजिये यह लोग बहोत बुरे है।" ज़ैनब रोते हुए बोली।
"तुम फिक्र मत करो मैं तुम्हे बचा लूंगा।" ज़ैन परेशान होते हुए बोला।
"शाह प्लीज आप जल्दी आ जाये मैं आपके बिना नही रह सकती हूं।"
"अरे अरे बस करो क्यों रोमांटिक सीन क्रेट कर रहे हो फिर मेरा दिल भी रोमैंस करने को करेगा और तेरी बीवी के इलावा यहां दूसरा कोई है भी नही।" जमाल ने ज़ैनब को देख कर मुस्कुराते हुए कहा।
"तूने उसे हाथ भी लगाया तो तेरा हाथ तोड़ दूंगा।" ज़ैन गुस्से से चिल्लाते हुए बोला।
जमाल हस्ते हुए बोला:"फिक्र मत कर तेरे सामने ही हाथ लगाऊंगा।" कहते साथ ही उसने फ़ोन कट कर दिया।
.................
फ़ोन कटते ही ज़ैन ने अपने बालों को मुट्ठियों में जकड़ लिया।
तभी उसे कुछ याद आया और उसके चेहरे पर एक स्माइल आ गयी।
ज़ैन ने अहमद से लैपटॉप मांगा और कुछ टाइप करने लगा।
दस मिनट के बाद उसने मुस्कुराते हुए लैपटॉप अहमद की तरफ उठाया।
स्क्रीन पर नज़र पड़ते ही अहमद की आँखे हैरान से फैल गयी।
कहानी जारी है।
©"साबरीन"