Tere Ishq me Pagal - 26 in Hindi Love Stories by Sabreen FA books and stories PDF | तेरे इश्क़ में पागल - 26

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तेरे इश्क़ में पागल - 26

"ज़ैनब" ज़ैन पीछे से आवाज़ दी।

"हु।" ज़ैनब ने पीछे मुड़ कर उसे देखा।

"क्या तुम्हें मुझ पर भरोसा नही है!" ज़ैन उसकी आँखों मे देखए हुए बोला।

"अगर भरोसा नही होता तो आप यहां बैठे मुझसे बातें नही कर रहे होते।" ज़ैनब ने मुस्कुराते हुए कहा और कैबिन से बाहर निकल गयी।

ज़ैन भी उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दिया।

....…...

आज वीकेंड था। सानिया बिना किसी चीज़ की फिक्र किये बिना ही सो रही थी।

मोबाइल की बार बार रिंग करने की वजह से उसकी आंख खुली।

"हेलो।" सानिया नींद में डूबी आवाज़ में बोली।

"हेलो, कैसी हो?" वही मीठी आवाज़ जो सानिया हज़ारो में पहचान सकती थी।

"मैं ठीक हु तुम बताओ तुम कैसे हो?" सानिया मुस्कुराते हुए बोली।

"मैं तो बस जी रहा हु और तुम बताओ तुमने नाश्ता किया? देखो अपना अच्छे से खेल रखो और टाइम से खाना खाया करो।" अहमद ने मुस्कुराते हुए कहा।

"अरे,,,,अरे बस अब एक ही सांस में सब बोल दोगे क्या।" सानिया अहमद की हरकत पर चिढ़ते हुए बोली।

"हाँ तो तुम्हारा क्या भरोसा कब तुम फ़ोन काट दो।"

उसकी आवाज़ सुनकर सानिया बिल्कुल फ्रेश हो गयी थी।
अपनी आंखें खोलते ही अहमद की आवाज़ सुनकर उसे ऐसा लगा जैसे दुनिया की सबसे कीमती चीज़ मिल गयी हो।

"अच्छा ठीक है पहले कहि मिलते है फिर मैं तुम्हारे सवालों का जवाब दूंगी।" सानिया ने मुस्कुराते हुए कहा।

उसकी बात सुनकर तो अहमद को अपने कानों पर यकीन ही नही हो रहा था।

"कहा मिलना है?" अहमद खुश होते हुए बोला।

"मैं आज ज़ैनब के साथ शॉपिंग करने जा रही हु, तो शॉपिंग के बाद मिलते है।" सानिया बेड से उठते हुए बोली।

"ओके फाइन।" अहमद ने मुस्कुराते हुए कहा।

उसके बाद उन दोनों ने थोड़ी देर और बात की और फ़ोन रख दिया।

...........

ज़ैनब सो कर बारह बजे उठी एक तो रात को उसे देर तक हॉस्पिटल मे रुकना पड़ गया था और दूसरा वोह ज़ैन और नैना के फोटोज के बारे में सोच रही थी। इसीलिये उसे ठीक से नींद नही आई।

वोह उठकर अपने कपड़े ले कर फ्रेश होने के लिए चली गयी।

जब वोह वाशरूम से बाहर आई तो सामने खड़े इंसान को देख कर उसकी आंखे हैरानी से फैल गयी।

ज़ैन बेड पर बैठा उसे देख कर मुस्कुरा रहा था।

"आप यहां क्या कर रहे है!!!" ज़ैनब हैरान हो कर बोली।

वोह इस लिए भी हैरान थी कि क्योंकि उसके होस्टल में लड़कों का आना सख्त मना था।

"शाह के लिए कुछ भी मुश्किल नही है।" ज़ैन बेड पर लेटते हुए बोला।

दरअसल ज़ैन जब होस्टल में आया तो वॉचमैन ने उसे गेट पर ही रोक लिया।

लेकिन ज़ैन की गुस्से से लाल आंखों को देखते हुए वॉचमैन डर कर पीछे हो गया।

ज़ैन ने उससे ज़ैनब का रूम नम्बर लिया और अपने आदमियों को वही रुकने का कह कर वोह अंदर आ गया।

"आप जाए यहाँ से।" ज़ैनब डरते हुए उसका हाथ पकड़ कर बोली।

"मैं कहि नही जा रहा हु।" ज़ैन अपना हाथ छुड़ाते हुए बोला।

"ओह लगता है आपकी नई गर्लफ्रैंड आपको धोखा दे कर चली गयी।" ज़ैनब उसे तंज़ करते हुए किचन में आ गयी।

उसकी बात सुनकर ज़ैन के चेहरे पर एक स्माइल आ गयी।

ज़ैनब किचेन खड़ी चाय बना रही थी और साथ ही साथ ज़ैन को भी देख रही थी।

वोह भी ज़ैनब के पीछे किचन में आ गया था।

और उसे काम करते हुए देख रहा था।

ज़ैनब ऑमलेट के लिए प्याज़ काट रही थी और जल्दबाज़ी करने की वजह से उसके हाथ में कट लग गया।

और उसके मुंह से हल्की सी चीख निकल गयी।

"क्या हुआ!" ज़ैन तेज़ी से उसके करीब आया।

"ओह तो तुम्हारे हाथ पर कट लग गया है।"

और अगले ही पल ज़ैन ने उसकी उंगली अपने मुंह मे डाल ली।

ज़ैनब उसकी हरकत पर हैरान हो गई।

"अरे" अगले ही पल वोह होश में आई।

"यह आप क्या कर रहे है!"

"तुम्हारा खून बह रहा है और तुम्हारा खून इतना सस्ता है क्या जो मैं बह जाने दु।" आखिरी बात ज़ैन ने उसके कान के पास जा कर कहि।

उसकी बात सुनकर ज़ैनब का कान बिल्कुल लाल होगया था।

ज़ैनब ने तेज़ी से नल खोल कर अपनी उंगली उसके नीचे करदी।

खून पहले ही रुक चुका था वो यह सब बस घबराहट की वजह से कर रही थी।

वोह ज़ैन को इग्नोर करते हुए खुद ही बैंडेज करने लगी।

ज़ैन ने उसका हाथ थामा और खुद ही बैंडेज करने लगा।

"यह लो हो गया।" ज़ैन ने उसे देखते हुए कहा:"दर्द तो नही हो रहा है।"

ज़ैनब खुद को नॉर्मल दिखा रही थी लेकिन हकीकत तो यह थी कि यह लम्हे उसकी जान ले रहे थे।

"यह बस मामूली सा कट है इसमें कैसा दर्द।" ज़ैनब खुद को नॉर्मल करते हुए बोली।

वोह फर्स्टएड किट अलमारी में रखते हुए फिर से किचेन में चली गई।

"साइड हटो।" ज़ैन उसके कंधे पर हाथ रखते हुए उस साइड में करते हुए बोला।

"यह क्या कर रहे है!" ज़ैनब ने हैरान हो कर उससे पूछा।

"मैडम मैं आपके लिए नाश्ता बना रहा हु।" ज़ैन हल्का सा अपना सिर झुकते हुए बोला।

"ओह तो मिस्टर शाह को लोगो की जान लेने के इलावा कुछ और भी आता है।" ज़ैनब अपनी हंसी छुपाते हुए बोली।

"हस लो मैडम हस लो जब मेरे हाथ का बना हुआ ऑमलेट खाओगी तो दिल करेगा की बनाने वाले कि उंगलिया ही खा जाऊं।" ज़ैन ने प्याज़ काटते हुए कहा।

"देखते है।" ज़ैनब ने कहा और मुस्कुराते हुए किचन के दरवाजे पर खड़ी हो कर उसे काम करते हुए देख रही थी।

यह पल ज़ैनब की ज़िंदगी के यादगार पल थे और वोह इन पालो को खुल कर जी रही थी।

.......

"बॉस यह हम ने अपने जिस बन्दे को शाह के पीछे लगया था उसने हमें यह फोटोज भेजी है।" जमाल का असिस्टेंट अपने फ़ोन में उसे फ़ोटो दिखते हुए बोला।

"यह लड़की कौन है?" जमाल ने ज़ैनब की फ़ोटो को देखते हुए पूछा।

"यह लड़की एक डॉक्टर है। इसके इलावा अभी हमे कुछ पता नही है।" उसके अस्सिस्टेंट ने जवाब दिया।

"डॉक्टर।" बोलते हुए जमाल की आंखों में अजीब सी चमक थी।

"तुम्हारे पास आधा घंटा है मुझे इस लड़की की सारी डिटेल्स चाहिए और शाम तक यह मेरे पास होनी चाहिए।"

जमाल ने अपने अस्सिस्टेंट से कहा और वोह अपना सिर हिला कर वहां से चला गया।

"शाह तेरे तड़पने का वक़्त आ गया है।"

जमाल खुद से कहते हुए ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा।

उसकी हँसी पूरे हाल में गूंज रही थी।

.......

ज़ैन ने नाश्ता टेबल पर रखा और ज़ैनब को चेयर पर बिठा कर उसे नाश्ता सर्फ किया और एक कप में चाय निकाल कर खुद चाय पीने लगा।

"कैसा बना है?" ज़ैन चाय पीते हुए बोला।

"बहोत टेस्टी प्लीज रोज़ आ कर मेरे लिए बना दिया करो।" ज़ैनब फरमाइश करते हुए बोली।

"अच्छा मैडम और उसके लिए मुझे क्या मिलेगा?" ज़ैन ने शरारत से मुस्कुराते हुए कहा।

इससे पहले की ज़ैनब उसे कुछ जवाब देती उसका फ़ोन रिंग करने लगा।

स्क्रीन पर सानिया का नंबर देख कर ज़ैनब ने जल्दी से फ़ोन उठाया।

"हेलो।" ज़ैनब जल्दी से बोली।

"ज़ैनब क्या तुम भूल गयी आज हमें शॉपिंग पर जाना था।" सानिया गुस्से से बोली।

"सॉरी सानी, मैं भूल गयी थी मैं अभी निकल रही हु तू मुझे माल के बाहर मिल।" ज़ैनब अपने सिर पर चपत लगाते हुए बोली।

"ओके।" सानिया ने कहा और फ़ोन कट कर दिया।

"तुम कहा जा रही हु?" ज़ैनब को तैयार होते देख ज़ैन ने पूछा।

"सानिया के साथ शॉपिंग पर।" ज़ैनब अपना बैग लेते हुए बोली।

"चलो मैं तुम्हे ड्राप कर देता हूं।" ज़ैन बेड से उठते हुए बोला और दरवाज़े की तरफ बढ़ गया।

"रुको।" ज़ैनब ने कहा और उसे पकड़ कर पीछे किया फिर उसने दरवाज़ा खोल कर इधर उधर देखा और यह देख कर की वह कोई नही है उस ने चैन की सांस ली और ज़ैन का हाथ पकड़ कर जल्दी से होस्टल से बाहर निकल गयी।

ज़ैन ने उसे माल के बाहर ड्राप किया और उससे बोला:"शॉपिंग के बाद घर चलना चाची जान ने तुम्हे बुलाया है।"

"ठीक है मैं शॉपिंग के बाद आपको फ़ोन कर दूंगी।" ज़ैनब कार से उतरते हुए बोली।

सानिया ने ज़ैनब को देखा और उसके पास आ कर बोली:"चलो चलते है।"

ज़ैनब ने एक नज़र ज़ैन को देखा और ज़ैन मुस्कुरा दिया।

आज ज़ैनब का दिल ज़ैन से दूर जाने का बिल्कुल भी नही कर रहा था। उसे ऐसा लग रहा था जैसे वोह हमेशा के लिए उससे दूर जा रही है।

उसने फिर से एक नज़र ज़ैन पर डाली और सानिया के साथ अंदर चली गयी।

यह देख कर ज़ैन मुस्कुराने लगा।

उसके जाने के बाद ज़ैन भी कार स्टार्ट करके वहाँ से चला गया।

..............

ज़ैनब और सानिया शॉपिंग करके बाहर आई तो सामने चार लड़के खड़े थे जो शक्ल और हुलिए से आवारा लग रहे थे।

"अरे वाह क्या आइटम है।" एक लड़के ने मीनिंगफुल नज़रो से ज़ैनब को देखते हुए बाकी लड़को से बोला तो बाकी सब हँसने लगे।

"अपनी बकवास बन्द करो! तुम्हे तमीज़ नही है लड़कियों से बात करने की।" सानिया गुस्से से बोली।

"क्या गज़ब के तेवर है यार खूबसूरती और गुस्सा एक साथ।" उन में से एक ने सानिया के पास खड़ी ज़ैनब की तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा। जब चटाख की आवाज़ के साथ वोह आदमी लड़खड़ा कर पीछे हटा।

ज़ैनब का नाज़ुक हाथ उस आदमी गाल पर निशान छोड़ चुका था।

वोह आदमी हैरत से उसका हाथ देख रहा था जो दिखने में तो नाज़ुक सा लग रहा था लेकिन उसको होश में ले कर आ गया था।

"यह गलती भी मत करना वरना इतनी बुरी तरह पेश आउंगी की तुम सोच भी नही सकते।" ज़ैनब उसे वार्न करते हुए गुस्से से बोली।

सड़क पर आते जाते लोग भी अब रुक कर अब उन्ही लोगो को देखने लगे थे।

"तेरी तो।" वोह आदमी इतने सारे लोगो के बीच लड़की से थप्पड़ खाने पर गुस्से से उसकी तरफ बढ़ा।

"शट उप।" ज़ैनब ने गुस्से से उसे पीछे धकेला।

"लडकिया समझ का हैरेस करने की कोशिश भी मत करना वरना वोह हाल करूँगी की घर वाले भी नही पहचान पाएंगे।"

अपने आस पास लोगो की भीड़ देख कर उसके एक साथी ने उसे पीछे खींच लिया और ज़ैनब सानिया को ले कर वहां से चली गयी।

सानिया ने उसे होस्टल से बाहर ड्राप किया और वहां से चली गयी।

उसके जाने के बाद ज़ैनब ने ज़ैन को कॉल की।

"हेलो शाह।" फ़ोन उठते ही ज़ैनब बोली।

"हेलो शाह की जान।" ज़ैन मुस्कुराते हुए बोला।

"आप कब तक लेने आएंगे?" ज़ैनब सुनसान रोड को देखते हुए बोली।

"पांच मिनट में पहोंच रहा हु।" ज़ैन घड़ी में टाइम देख कर बोला।

"ठीक है फिर मैं होस्टल के अंदर जा रही हु।" ज़ैनब ने कहा।

"अच्छा सुनो।" ज़ैनब फ़ोन कट करने ही वाली थी कि ज़ैन की आवाज़ आयी।

"बोलिये।" ज़ैनब अपनी जगह रुक कर बोली।

"आई लव यू।" ज़ैन मुस्कुराते हुए बोला।

"ओके बाये।" ज़ैनब ने कहा और फ़ोन रख कर मुस्कुराने लगी।

लेकिन जैसे ही वोह पीछे मुड़ी उसके होश की उड़ गए।


कहानी जारी है..........
©"साबरीन"