"अहमद सर अब आपकी तबियत कैसी है?" कासिम ने मुस्कुराते हुए पूछा।
"ठीक हु यार।" अहमद ने बालो में हाथ फेरते हुए कहा।
तभी ज़ैन अंदर आया और अ कर कासिम के पास सोफे पर बैठ गया।
कासिम फौरन उठ कर खड़ा हो गया।
"अरे तुम खड़े क्यों हो गए बैठ जाओ।" ज़ैन ने उसे देखते हुए कहा।
"पर बॉस......." कासिम हिचकिचा कर बोला।
"बैठ जाओ मेरे साथ काटे लगे है क्या।" ज़ैन ने उसे घूरते हुए कहा।
"नही मेरा मतलब......" कासिम की बात काटते हुए ज़ैन ने कहा:"तो बैठ जाओ।"
कासिम भी चुप चाप बैठ गया।
"इमरान का क्या करना है।" अहमद ने बात शुरू की।
इससे पहले की ज़ैन को कहता तभी उसकी चाची के चिल्लाने की आवाज़ आयी।
ज़ैन ने उन दोनों की तरफ देखा और भागते हुए नीचे गया।
"क्या हुआ चाची........." उसकी बाकी की बात उसके गले मे अटक गई क्यों कि सामने का मंजर देख कर वोह अपनी हंसी ही नही रोक पाया।
कुलसुम वाइट ड्रेस में किसी चुड़ैल के गेटउप में खड़ी थी और ज़ैनब हस्ते हुए उसे देख रही थी जब कि चाची का डर से बुरा हाल था।
कुलसुम ने ज़ैन को देखा और मुस्कुराते हुए बोली:"ज़ैन भाई मुझे आज ही पता चला आपको चुड़ैल बहोत पसंद है।"
उसकी बात सुनकर ज़ैन ने ज़ैनब को देखा और कुलसुम से बोला:"यह क्या हरकत है जाओ जा कर अपना हुलिया ठीक करो।" ज़ैन ने गुस्से से कहा और ऊपर जाने लगा। अभी वोह दो चार सीढ़ी ही चढ़ा था कि उसे चाची की आवाज़ आयी।
"ज़ैनब तुम्हारे हाथ से खून निकल रहा है।" शाज़िया ने परेशान हो कर कहा।
"कुछ नही चाची जान वो बस थोड़ा सा कट लग गया है।" ज़ैनब अपना हाथ वापस खींचते हुए बोली।
तभी ज़ैन आ कर उसका हाथ खींचते हुए बोला:"यह छोटा सा कट लग रहा देख रही हो कितना खून निकल रहा है।"
ज़ैनब ने गुस्से से अपना हाथ वापस खींचा और कमरे में चली गयी। ज़ैन भी उसके पीछे कमरे में आया तो देखा ज़ैनब फर्स्टएड किट ले कर बेड पर बैठ थी। ज़ैन उसके पास जा कर उसका हाथ पकड़ कर कॉटन से साफ करते हुए बोला:"मुझसे नाराज़ हो!"
"मैं ने कुलसुम को वोह बात नही बताई थी मुझे नही पता उसे कैसे पता चला।" ज़ैनब ने अपनी गर्दन नीचे किये हुए जवाब दिया।
"मैं तुमसे यह नही पूछा है।" ज़ैन ने उसका चेहरा ऊपर करते हुए कहा।
"मैं आपसे कैसे नाराज़ हो सकती हूं आप तो मुझे खरीद कर लाये थे।" ज़ैनब ने आंखों में आंसू लिए हुए कहा।
शी,,,,शी.........ज़ैन उसके होंठो पर उंगली रखते हुए बोला:"ऐसा दोबारा कभी मत सोचना। तुम मेरी जान हो ऐसा उल्टा सीधा सोचने से बेहतर है तुम मेरे बारे सोचो।"
कहते साथ ही ज़ैन ने उसकी नाक को ज़ोर से दबाया।
"हु, मैं आपके बारे में क्यों सोचूंगी।" ज़ैनब ने मुंह बना कर कहा।
"ज़ालिम बीवी।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा।
"और आप ज़ालिम हस्बैंड है।" ज़ैनब ने उसके बाल बिगाड़ कर कहा।
"तुम्हे मैं अच्छा कब लगूंगा।" ज़ैन ने मुंह बना कर कहा।
"कभी नही आप बहोत बुरे है मुझे बस आपकी दाढ़ी अच्छी लगती है।" ज़ैनब ने मुस्कुरा कर कहा।
"तो छू लो।" ज़ैन अचानक से उसके करीब झुक गया।
"न,,,नही।" ज़ैनब ने घबरा कर कहा।
ज़ैन ने उसे अपने करीब खींचा और उसके होंठो पर किस करने लगा इस बार ज़ैनब ने भी उसका साथ दिया यह देख कर ज़ैन तो पहले हैरान हुआ फिर उसे पैशनेटली किस करने लगा।
तभी अचानक दरवाज़ा खुला ज़ैनब ने जल्दी से ज़ैन को खुद से दूर किया।
"ओह सॉरी.....सॉरी।" अहमद ने सीरियसली कहा।
"कमीने अब मैं अकेला नही रहता हूं।" ज़ैन ने ज़ैनब के लाल चेहरे को देखते हुए कहा।
"ज़ैन चल ज़रूरी बात करनी है।" अहमद ने उसकी बात को इग्नोर करते हुए कहा।
.........
अहमद ड्राइविंग कर रहा था और ज़ैन बार बार उससे पूछ रहा था बात क्या है। लेकिन अहमद कुछ कहे बिना बस हस रहा था। थोड़ी देर बाद अहमद ने अपने घर के सामने गाड़ी रोक दी।
दोनो अंदर गए जहां कासिम पहले से ही मौजूद था।
अहमद ने कासिम से लैपटॉप लिया और एक वीडियो प्ले की।
वीडियो देखते ही ज़ैन के चेहरे पर जीत की खुशी साफ नजर आ रही थी। ज़ैन की आंखों में आज अलग ही चमक थी। आज सब कुछ उसके पास था।
"चलो अहमद उसे लाइव शो दिखाते है।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए अहमद से कहा।
"नेकी और पूछ पूछ।" अहमद ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।
"कौन है खोलो मुझे।" एक आदमी ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रहा था उसका चेहरा नकाब से ढका हुआ था।
ज़ैन हस्ते हुए अंदर आया। "यार इमरान इतना चिल्ला क्यों रहा है तेरा गला सूख जाएगा और देख यहां पानी भी नही है।"
"शाह तू मैं तुझे ज़िंदा नही छोडूंगा।" इमरान गुस्से से चिल्लाया।
"तू मुझे कैसे मरेगा, पहले तू सोच तू यहां से निकलेगा कैसे यह तो बहोत सीरियस प्रॉब्लम है।" ज़ैन ने गाल पर उंगली रख कर सोचने के अंदाज़ में कहा और फिर उसने अहमद को आवाज़ दी।
अहमद अंदर आया और उसने ज़ैन को देख कर आंख मारी।
"अहमद तू ने सुना इमरान की आखरी ख्वाहिश।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा।
"हाहाहा सुनली मैं ने इसकी कभी न पूरी होने वाली ख्वाहिश।" अहमद ने जोर से हस्ते हुए कहा।
"शाह मैं तुझे ज़िंदा नही छोडूंगा।" इमरान ने इतनी तेज़ चिल्ला कर कहा कि अहमद और ज़ैन दोनो ने अपने कान पर हाथ रख लिए।
"क्या यार इमरान ज़रा धीरे चिल्ला मेरे कान खराब करने का इरादा है क्या।" अहमद ने कहा तो इमरान गुस्से से बोला:"काश उस दिन गोली तुझे दिल पर लगी होती और तू मर गया होता।"
इमरान की कही गयी बात ज़ैन के गुस्से को हवा देने के लिए काफी थी।
उसने इतनी जोर से इमरान को मुक्का मार की इमरान कुरसी समेत नीचे गिर गया। ज़ैन ने उसकी रस्सी खोली और उसका कॉलर पकड़ कर गुस्से से बोला:"हराम खोर तेरी हिम्मत भी कैसे हुई यह सब कहने की।" उसने इमरान को फिर से मारना शुरू किया और तब तक मेरा जब तक वो बेहोश नही हो गया।
"कासिम" ज़ैन ने कासिम को आवाज़ दी।
"जी बॉस।" कासिम भागता हुआ आया।
"बर्फ का इंतज़ाम करो।" ज़ैन ने गुस्से से इमरान को देखते हुए कहा।
"क्यों ज़ैनु बर्फ का क्या करना है!" अहमद ने हैरान हो कर ज़ैन से पूछा।
"खा कर देखनी है कैसी होती है।" ज़ैन ने चिढ़ कर कहा।
उसकी बात सुनकर अहमद ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा जब की ज़ैन अपना सिर हिलाते हुए बोला:"तेरा कुछ नही हो सकता।"
"हाँ कासिम बर्फ का इंतज़ाम करवाओ और अगर इसे होश आ जाये तो मुझे बता देना।"
कासिम ने अहमद की तरफ देखा जो मज़े से गेम खेलते हुए बाहर जा रहा था। उसने भी मन ही मन सोचा:"सच मे अहमद सर का कुछ भी नही जो सकता।"
ज़ैन बाहर खड़ा सिगरेट पी रहा था जब कि अहमद उसके सामने मुंह लटकाए बैठा था।
"क्या हुआ अहमद?" ज़ैन ने उसे देखते हुए पूछा।
"मत पूछ ज़ैन शाह।" अहमद ने अफसोस के साथ सिर हिलाते हुए कहा।
ज़ैन अपना पूरा नाम सुनकर हसी दबाते हुए बोला:"बोल तो सही।"
"यार मैं गेम का पांचवां लेवल हार गया।" अहमद ने बहोत अफसोस के साथ कहा।
"लानत हो तेरी बदसूरत शक्ल पर मैं भी सोचने लगे गया तुझे कौन सी टेंशन हो गयी।" ज़ैन ने चिढ़ कर कहा।
"बस कर ज़ैन मेरे दुख में शामिल नही हो सकता तो मेरा दुख बढ़ा मत।" अहमद ने बेबस हो कर कहा।
ज़ैन ने कुशुन उठा कर उसे मारा जो अहमद ने आसानी से खींच लिया।
"ज़ैन कुछ खिला दे यार।" अहमद ने पेट पर हाथ रख कर कहा।
"यार अहमद तू मुझे खिलाने को तो ऐसा बोल रहा है जैसे मैं ले कर बैठा हूँ।" ज़ैन ने उसे घूरते हुए कहा।
उसकी बात सुनकर अहमद ने जहां गोली लगी थी वहां हाथ रख लिया।
"क्या हुआ अहमद दर्द हो रहा है क्या?" ज़ैन ने परेशान हो कर कहा।
"हाँ शायद भूख की वजह से मुझे यहां दर्द हो रहा है।" अहमद ने मासूम सी शक्ल बना कर कहा।
ज़ैन अब उसका ड्रामा समझ चुका था उसने फ़ोन निकाल कर पिज़्ज़ा आर्डर कर दिया।
..........
ज़ैब हाथ मे बुक ले कर ज़ैन के बारे में सोच रही थी। ज़ैनब बस उसके गुस्से से डरती थी वोह उसे अच्छा लगता था बल्कि ज़ैनब के अंदर यह कहने की हिम्मत नही थी।
उसने अपना फोन उठाया और ज़ैन को फोन करने के बारे में सोचा। लेकिन उसके अंदर हिम्मत ही नही हो रही थी।
ज़ैन ने उसे कल ही फ़ोन दिया था और अपना और अहमद का नंबर भी सेव कर दिया था।
आखिर कर ज़ैनब ने धड़कते दिल के साथ ज़ैन को फ़ोन किया।
ज़ैन जो गन में गोलियां डाल रहा था स्क्रीन पर ज़ैनब का नाम फ़्लैश होता देख उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी।
"हेलो स्वीटहार्ट।"
"हेलो आप कैसे है?" ज़ैनब ने पूछा।
"ठीक हु।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा।
"अच्छा।"
"वैसे इस बुरे हसबैंड की याद कैसे आ गयी।" ज़ैन ने अपनी इएब्रो उचकाते हुए कहा।
"वो दरअसल आप कब तक आएंगे!" ज़ैनब ने घबरा कर कहा।
"मेरी जान जब तुम हुकुम करो, कहो तो अभी आ जाऊं।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा।
"नही आप अपना काम करे मैं ने तो बस ऐसे ही पूछा है।" ज़ैनब ने जल्दी से कहा।
"मेरी याद आ रही है।" ज़ैन ने प्यार भरे लहजे में पूछा।
हाँ,,,,,नही......मेरा मतलब नही। ज़ैनब ने घबरा के कहा।
"हाहाहा अच्छा जी।" ज़ैन ने हस्ते हुए कहा।
उफ्फ जैनी तुम भी ना। ज़ैनब ने अपने माथे हाथ मार कर बड़बड़ाते हुए कहा। और ज़ैन उसकी बड़बड़ाहट सुनकर मुस्कुराने लगा।
"तुम जान हो मेरी, ओके अपना ख्याल रखना बाये।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा।
"रुको सुनो तो सही।" ज़ैनब ने जल्दी से कहा।
"जी मेरी जान बोलो।" ज़ैन ने कहा।
"वोह.... आप भी अपना ख्याल रखना।" ज़ैनब ने जल्दी से कहा।
कहानी जारी है......
©"साबरीन"