घर पहुचने के बाद ज़ैन शावर लेने के वाशरूम में चला गया और तभी ज़ैन का फ़ोन बजने लगा। ज़ैन ने जा कर देखा तो सानिया का नंबर था उसने काल अटेंड की और सानिया को अहमद के बारे में सब कुछ बता दिया। ज़ैनब की बात सुनकर सानिया की आंखों में आंसू आ गए।
उन दोनों ने थोड़ी देर बात की और फ़ोन रख दिया।
ज़ैनब जैसे ही मोदी ज़ैन को शर्टलेस देख कर वापस मुड़ कर बोली:"ओह शाह आप ऐसे बाहर क्यों आये।"
"क्या हुआ यार!" ज़ैन खुद को देखते हुए बोला।
"आह पहले आप शर्ट पहने।" ज़ैनब छिड़ कर बोली।
ज़ैन मुस्कुराते हुए उसको पीछे से गले लगाते हुए बोला:"तू इसमें क्या है तुम्हे ही देखने का हक़ है मैडम।"
उसकी बात सुनकर ज़ैनब तो जैसे बुत ही बन गयी थी।
ज़ैन ने उसके कंधे पर ठोड़ी टिकाई और कान में बोला:"जानू मुझसे क्या शर्माना।" और उसके कान की लौ पर किस किया।
ज़ैनब की धड़कने तेज़ हो गयी थी उसे ऐसा लगा जैसे अभी उसका दिल बाहर निकल आएगा।
शाह छो...ड़े मु..झे। ज़ैनब ने अटकते हुए कहा।
"छोड़ने के लिए थोड़ी पकड़ा है।" ज़ैन उसकी गर्दन पर किस करते हुए बोला।
ज़ैनब की पीठ ज़ैन के सीने से लग रही और और ठंडी बॉडी को महसूस करते हुए अपने आंखे ज़ोर से बंद करली।
ज़ैन उसे अपनी तरफ घुमाया लेकिन फिर भी ज़ैनब ने अपनी नज़रे नही उठायी। एक तो उसके आंखों में अपने लिए मोहब्बत और दूसरा ज़ैन का शर्टलेस होना ज़ैन की हिम्मत ही नही हो रही थी कि वोह उससे नज़रे मिलती।
"मेरी जान मैं तुमसे इतनी मोहब्बत करूँगा की तुम खुद कहोगी शाह में तेरे इश्क़ में पागल हो गयी हु।" ज़ैन ने उसके माथे को चूमते हुए कहा।
आई लव यू, आई रियली लव यू स्वीटहार्ट........
ज़ैन मोहब्बत से चूर भरे लहजे में कहता उस झुका ही था कि तभी ज़ैनब ने दरवाज़े की तरफ देख कर कहा:"चाचा जी"
ज़ैन जल्दी से उससे दूर हुआ और दरवाज़े की तरफ देखा लेकिन वहां कोई नही था। उसने वापस मुद कर देखा तो ज़ैनब वाशरूम में जा चुकी थी।
"पूरे मूड का सत्यनाश कर दिया इस लड़की ने।" ज़ैन ने झुंझला कर कहा और अपने बालों में हाथ फेरते हुए उसकी चाल पर मुस्कुरा दिया।
.............
ज़ैन हॉस्पिटल आयी तो उसकी सभी क्लासमेट वाइट कोट पहने सीनियर डॉक्टर के पास खड़ी थी जो उन्हें किसी केस के बारे में बता रहे थे। ज़ैनब अंगे देख कर ज़ैन का हाथ खींचते हुए दूसरी तरफ ले जाने लगी।
"क्या हुआ?" ज़ैन ने हैरान हो कर पूछा।
"कुछ भी तो नही।" ज़ैनब हड़बड़ा कर बोली।
"तो फिर मुझे इधर क्यों ले कर आयी हो।" ज़ैन ने अपनी इएब्रो उचकाते हुए पूछा।
"वोह सानिया आज अहमद से मिलने आने वाली है......."
"जैनी तुम यहाँ क्या कर रही हो?" इससे पहले की ज़ैनब अपनी बात पूरी करती पीछे से किसी आदमी की आवाज़ आयी।
ज़ैन ने मुड़ कर पीछे देखा तो वोह को चालीस साल का आदमी था।
"एक्सक्यूज़ मि मुझे जैनी सिर्फ वही लोग कह सकते है जो मेरी लाइफ में इम्पोर्टेंस रखते है और आप मुझसे कुछ भी पूछने का हक़ खो चकें है तो प्लीज डाबड़ा यह दिखावा मत कीजियेगा।" ज़ैनब ने गुस्से से कहा और आगे जाने लगी।
ज़ैनब अब वही खड़ा हैरानी से उसे जाते हुए देख रहा था। उसने पहेली बार ज़ैनब को इतने गुस्से में देखा था।
"ज़ैनब मुझे माफ़ करदो।" वोह आदमी फिर बोला।
ज़ैनब एक पल के लिए रुकी और वापस उस आदमी के पास आ कर बोली:"ठीक है आप मेरे पैरेंट्स को वापस ला दीजिये मैं भी आपको माफ कर दूंगी।"
"ज़ैनब...." इस बार उस आदमी की आंखों में आंसू थे। "मैं ने बस एक छोड़ा से मज़ाक़ किया था।"
"और आपके एक छोटे से मज़ाक़ की सज़ा मुझे मिली अगर आप उस दिन उनसे यह झूठ ना बोलते की मुझे चोट लग गयी है ना तो वोह वापस घर आने की जल्दी ना ही उनका एक्सीडेंट होता आपके एक झूठ ने मुझसे मेरी बचपन की सारी खुशियां छीन ली। प्लीज आप मेरे सामने से चले जाएं।" ज़ैनब ने अपने हाथ जोड़ते हुए कहा और उसकी आंखों से अब आंसू गिर रहे थे।
वोह आदमी वहां से चला गया। ज़ैन ने जल्दी से ज़ैनब को गले लगा तो वोह और रोने लगी। ज़ैन उसके बालों को सहलाते हुए उसे शांत करने लगा।
कुछ देर बाद ज़ैनब शांत हो गयी ज़ैन ने उसे चेयर पर बिठाया और कसीम से पानी की बोटल ले कर उसे पिलाने लगा।
"मेरी जान क्या हुआ वोह आदमी कौन था?" ज़ैन उसका सिर अपने कंधे पर रख कर सहलाते हुए बोला।
"वोह मेरे बड़े पापा था।" ज़ैन ने आराम से कहा।
"क्या बात है अगर तुम चाहो तो मुझे बता सकती हो।" ज़ैन ने प्यार से उसके गालो को छूते हुए कहा।
"जब मैं पांच साल की थी मेरे माँ डैड अपने एक दोस्त के घर डिनर के लिए गए थे। मैं उस वक़्त बड़े पापा के साथ थी। उस दिन अप्रेल फूल था तो बड़े पापा ने उनके साथ मजाक करने का सोचा। उन्होंने डैड को फ़ोन किया और कहा कि मैं सीढ़ियों से गिर गयी हु और मुझे चोट लगी। डैड परेशान हो कर अपने फ्रेंड के यहां से निकल गए और तेज़ी स्पीड में ड्राइव करते हुई अचानक उनकी कार एक ट्रक से टकरा कर खाई में गिर गयी और मेरे माँ डैड की डेथ हो गयी। अगर बड़े पापा उस दिन उन से झूठ नही बोलते तो आज मेरे माँ डैड ज़िंदा होते।" अपनी स्टोरी बताते हुए ज़ैनब की आंखों से आंसू गिर रहे थे। जबकि ज़ैन तो जैसे किसी और ही दुनिया मे खो गया था।
"जैनी क्या हुआ तो रो क्यों रही!!" सानिया परेशान होते हुए ज़ैनब से बोली।
जबकि सानिया की आवाज़ सुनकर जैसे ज़ैन अपने हवास में वापस आ गया।
"ज़ैन भाई अपनेक्या किया है मेरी दोस्त के साथ।" सानिया ने शक भारी नज़रों से ज़ैन की तरफ देखते हुए कहा।
"मैं ने इससे कहा कि अहमद के लिए कोई अच्छी सी लड़की ढूंढो ताकि मैं उसकी शादी कराके अपनी जान छुड़ाऊं।" ज़ैन ने आंखों में शरारत लिए हुए सानिया से कहा।
ज़ैनब ने घूर कर ज़ैन को देखा। जबकि सानिया के मानो होश ही उड़ गए।
"वैसे तुम यहाँ क्या कर रही हो?" ज़ैन ने सानिया से पूछा।
"वोह अहमद को देखने के लिए आई है।" ज़ैनब ने ज़ैन को घूरते हुए कहा।
"अच्छा तुम जा कर अहमद से मिल लो। ज़ैनब तुम नेरे साथ चलो वोह लेडी डॉक्टर से अहमद की दाइयों के बारे में कुछ बात करनी है।" ज़ैन ने कहते हुए ज़ैनब का हाथ पकड़ा और खींचते हुए गार्डन एरिया की तरफ चला गया। जबकि सानिया अपना सिर झटकते हुए अहमद के रूम में चली गयी।
"क्या तुम हिक हो?" सानिया उसके पास बैठते हुए बोली।
"हाँ।" अहमद ने मुस्कुराते हुए कहा।
सानिया की आंखों में आंसू थे जो अहमद से छुपे नही थे।
"यह मेरे लिए रो रही हो या बस हमदर्दी है।" अहमद ने उसके चेहरे को छूते हुए कहा।
उसकी बात सुन कर सानिया ने अपनी नज़रें उठायी और बिना कुछ कहे वापस झुकाली।
"सानिया विल यु मैरी मि।" अहमद ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा।
सानिया ने झट से अपनी नज़रे उठायी और मन ही मन सोचा:"ऐसी हालत में भी यह...."
"मु..झे व...क़्त चा...हिए।" सानिया ने अटकते हुए कहा।
"लेलो जितना वक़्त लेना है मैं सारी जिंदगी तुम्हारा इंतेज़ार करूँगा बस इनकार मत करना।" अहमद ने मुस्कुराते हुए कहा।
सानिया ने अब भी अपनी नज़रे एक ही जगह टिकाई थी।
"सानिया" अहमद ने प्यार से उसे पुकारा।
ज....जी। सानिया घबरा कर बोली।
"आई लव यु।" अहमद ने उसके हाथों को चूमते हुए कहा।
उसकी इस हरकत से सानिया का दिल तेज़ी से धड़कने लगा।
सानिया उठ का बाहर जाने ही वाली थी कि तभी ज़ैन और ज़ैनब अंदर आये।
ज़ैन ने शरारती मुस्कुराहट के साथ अहमद को देखा तो अहमद उसे घूरने लगा।
"मैं चलती हु जैनी।" सानिया ने ज़ैनब से कहा तो ज़ैनब भी उसके साथबाहर चली गयी।
कहानी जारी है.......
©"साबरीन"