छह घंटे बाद ज़ैनब जब ऑपरेशन थेटर से बाहर आई तो ज़ैन वहां नही था। ज़ैनब भारी कदमो में चलते हुए जा कर बेंच पर बैठ गयी।
थोड़ी देर बाद जब ज़ैन वापस आया तो उसका पूरा चेहरा लाल था। वोह चलते हुए ज़ैनब के पास गया और उसके कंधे पर सिर रख कर बैठ गया।
"ज़ैनब" ज़ैन ने ज़ैनब को आवाज़ दी रोने की वजह से उसकी आवाज़ भारी हो गयी थी।
"जी" ज़ैनब ने कहा।
"अहमद से कहो ना उठ जाए, उसे भूख बहोत लगती है। उसे भूख लगी होगी। उसे कहो न उठा जाए मैं उसकी पसंद की हर चीज़ ला कर दूंगा। बस उससे कहा दो उठ जाए।" ज़ैन किसी छोटे बच्चे की तरह उससे सारी बातें कह रहा था। ज़ैनब उसकी बात सुनकर रो रही थी।
ज़ैन उठो घर जाओ और कपड़े चेंग करलो। शाज़िया उसके पास आ कर बोली।
"नही मैं अहमद को छोड़ कर कहि नही जाऊंगा, अगर वोह उठ गया और मैं यहां नही रहा तो वोह नाराज़ हो जाएगा।" ज़ैन ज़िद करते हुए बोला।
"थोड़ी देर में तुम वापस आ जाना।" शाज़िया ने कहा।
"नही अगर वोह लोग अहमद को ले कर चले गए तो मैं नही जाऊंगा।" ज़ैन ने कहा।
"अरे वोह लोग अहमद को नही ले जा सकते कसीम के आदमी और तुम्हारे चाचा भी तो यहां है ना और ज़ैनब तुम भी साथ जो।" शाज़िया ने कहा और ज़बरदस्ती दोनो को घर भेज दिया।
ज़ैन जैसे ही घर पहोंचा तभी उसका फ़ोन बजने लगा। ज़ैन ने बिना नंबर देखे ही फ़ोन उठाया।
"कैसे हो शाह।" इमरान की आवाज़ सुनते ही ज़ैन का खून खौलने लगा।
"मैं तुझे ज़िंदा नही छोडूंगा इमरान।" ज़ैन ने गुस्से से चिल्लाते हुए कहा।
"हाहाहा शाह पहले तू अपने उस अहमद को बचा ले मरवाना तो मैं तुझे चाहताथा लेकिन वोह बीच मे आ गया लेकिन अच्छा ही है अगर वोह मर गया तो तू तो जीते जी ही मर जायेगा।" इमरान ने हस्ते हुए कहा।
ज़ैन ने गुस्से से फ़ोन ज़मीन पर फेंका और वापस बाहर जाने लगा।
"आप कहा जा रहे है?" ज़ैनब ने कहा।
"मैं उस इंसान को मारने जा रहा हु जिसने अहमद की यह हालत की है।" ज़ैन गुस्से से चिल्लाते हुए बोला।
"आप कहि नही जाएंगे।" ज़ैनब उसे रोकते हुए बोली।
"तुम क्या कहना चाह रही हो उसकी वजह से अहमद की यह हालत हुई आज तो मैं उसे ज़िंदा नही छोडूंगा।" ज़ैन गुस्से में कहता अपने कमरे में चला गया।
उसके गुस्से को देख कर एक पल के लिए तो ज़ैनब भी कांप गयी फिर हिम्मत करके वोह भी कमरे में चली गयी।
ज़ैन अपनी गन ले कर वापस मुड़ा तो सामने ज़ैनब खड़ी थी, ज़ैन उसे नज़र अंदाज़ करते हुए कमरे से जाने लगा की तभी ज़ैनब ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसको देखते हुए गुस्से से बोली:"आपको मेरी बात समझ क्यों नही आ रही है।"
ज़ैन गुस्से से उसके बाज़ू को पकड़ते हुए बोला:"तुम क्या चाहती हो मैं उस आदमी को छोड़ दु जिसकी वजह से आज मेरा दोस्त ज़िन्दगी और मौत की जंग लग रहा है।"
"मैं उसे छोड़ने के लिए नही कह रही मैं यह कह रही आपको अभी भाई के पास होना चाहिए। शाह जी उन्हें दो गोली लगी एक दिल के पास और दूसरी उनके बाज़ू में अगर अगले चौबीस घंटे तक उन्हें होश न आया तो....." ज़ैनब ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी और अब उसकी आँखों से आंसू बह रहा थे।
ज़ैन ने अपनी गन खींच कर शीशे पर मेरी वोह शीशा चकना चूर हो गया और ज़ैन वाशरूम में चला गया।
कुछ ही देर बाद वोह दोनो वापस हॉस्पिटल के लिए निकल गए।
हॉस्पिटल पहोंच कर ज़ैन सीधा इमरजेंसी रूम में जाने लगा।
"कहा जा रहे हो बेटा।" चाची जी ने पूछा।
"अहमद से मिलने।" ज़ैन ने कहा और वापस जाने लगा।
"नही शाह साहब अपनी परमिशन नही है आप उनसे नही मिल सकते है।" डॉक्टर उसके पास आ कर बोले
"पूछा नही है और हाँ उससे मिलने के लिए मुझे किसी से परमिशन लेने की ज़रूरत नही है।" उसकी आवाज़ इतनी तेज थी कि अस पास के लोग उसे देखने लगे और डॉक्टर भी डर कर पीछे हो गया।
भला कौन शाह और उसके गुस्से को नही जानता था।
ज़ैन ने अपनी आंसू भारी आवाज़ से मशीनों में जकडे अहमद को देखा और भारी कदमो से चलते हुए उसके पास जा कर उसका हाथ पकड़ कर बैठ गया।
"मेरी जान उठ जा ना तू मशीनों में जकड़ा बिल्कुल भी अच्छा नही लगता यार। देख अगर तूने मुझे और तंग किया तो मैं तेरा यह हैंडसम चेहरा बिगाड़ दूंगा।" ज़ैन की आंखों से आंसू गिर रहे थे।
कौन कहता है मर्द को दर्द नही होता। क्यों उसके सीने में दिल नही होता उसके जज़्बात नही होते।
जैन अपने आंसू साफ करता उसके माथे पर किस कर के कमरे से बाहर चला गया।
ज़ैन बाहर आया और कसिम को ले कर वहां से चला गया।
"अपने सारे आदमियो को काम पर लगा दो मुझे आज ही इमरान चाहिए।" ज़ैन आंखों में गुस्सा लिए हुए बोला।
"जी बॉस।" कसिम कहता वहां से तेज़ी ने चला गया।
........
रात के करीब एक बजे ज़ैनब ने ज़ैन को बताया कि अहमद को होश आ गया। वोह भागते हुए अहमद के रूम के सामने जा कर रुक गया।
"तूने मुझे बहोत तंग किया है अब तू देख में भी तुझसे जल्दी हक मिलूंगा।" ज़ैन मन ही मन सोच कर मुस्कुराने लगा और जा कर चेयर पर बैठ गया। हालांकि उसका दिल कर रहा था कि वोह कितनी जल्दी अहमद से जा कर मिल ले लेकिन वोह खुद को कंट्रोल करता हुआ वही पर बैठा रहा।
सब अहमद से मिलने आये लेकिन अहमद को जिसकी तलाश थी वोह उसे नही दिखा।
सबक जाने के बाद ज़ैनब अहमद के लिए सूप निकल ही रही थी कि तभी अहमद बोला:"भाभी ज़ैन कहा है।"
"पता नही।" ज़ैनब ने कंधे उचका कर कहा।
"चुड़ैल क्या उसे मुझसे नही मिलना है।" अहमद ने मुंह बना कर कहा।
"भाई आप बहोत बत्तमीज़ है आपने मुझे चुड़ैल कहा अब तो मैं आपको बिल्कुल भी नही बताऊंगी।" ज़ैनब ने झूठा गुस्सा करते हुए कहा।
"नही बहेना तुम्हे नही कहा में ज़ैन को चुड़ैल कहा।" जल्दी जल्दी बात बनाने के चक्कर मे अहमद क्या कह गया उसे तब अहसास हुआ जब ज़ैनब हँसने लगी।
"अच्छा.......अच्छा अब बता दो ना।" अहमद मिन्नत करते हुए बोला।
"वोह आपसे नाराज़ है, अच्छा खैर मैं उन्हें अंदर भेजती हु।" ज़ैनब कह कर उठ कर बाहर चली गयी।
"शाह अहमद भाई आपसे मिलना चाहते है।" ज़ैनब ने मुस्कुराते हुए ज़ैन से कहा।
ज़ैन उसे देख कर मुस्कुराया और अंदर चला गया।
"भाभी वोह बंदर आया कि नही।" अहमद ने दरवाज़ा खुलने की आवाज़ पर आंखे बंद किये ही कहा लेकिन जब उसे कोई जवाब ना मिला तो उसने आंखे खोल कर सामने देखा तो ज़ैन सीने पर दोनों हाथों को बांधे उसे देख कर मुस्कुरा रहा था।
"अच्छा अब घूरना बंद कर यार।" अहमद ने मुस्कुराते हुए कहा।
ज़ैन उसके पास आया और उसे ज़ोर से गले लगा लिया।
"ओह तेरी ज़ैनु मेरे पेच अभी ढीले है और तूने तो सत्यनाश कर दिया।" अहमद ने गुस्सा करते हुए कहा।
"ओह्ह सॉरी।" ज़ैन उससे दूर होते हुए बोला।
"रहेन दे होन मरते दी ता।" अहमद की पंजाबी सुनकर ज़ैन हँसने लगा तो अहमद भी मुस्कुरा दिया।
"यार अहमद मैं तुझसे नाराज़ हु तू ने ऐसा क्यों किया!" ज़ैन मुंह फुलाते हुए बोला।
"मेरे होते हुए अगर तुझे कुछ हो जाता तो लानत है ऐसी दोस्ती पर मैं तुझ पर कैसे आंच आने दे सकता हु।" अहमद उसका गाल सहलाते हुए बोला।
"अगर तुझे कुछ हो जाता तो।" ज़ैन उसका हाथ पकड़ कर बोला।
"लेकिन कुछ हुआ तो नही ना।" अहमद ने उसे देखते हुए कहा।
"मेरी जान तेरी ऐसी हालत करने वाला वोह कुत्ता इमरान है अब जब तक मैं तेरे जिस्म से बहने वाले खून का बदला नही लूंगा मैं शांति से नही बैठूंगा।" ज़ैन ने उसके सिर को सहलाते हुए कहा।
अहमद कुछ कहने ही वाला था कि ज़ैनब और ज़ैन के चाचा चाची अंदर आ गए।
'यार चाचा जी मुझे घर जाना प्लीज मुझे इन मशीनों से आज़ाद कर दे।" अहमद ने बेचारगी से कहा।
"बेटा अभी तुम ठीक नही हुए हो।" चाचा जी ने उसे समझते हुए कहा।
"यार ज़ैनु तू तो समझ ना।" अहमद ने ज़ैन की तरफ देखते हुए कहा।
ज़ैन ने उसकी बात करो अनसुनी करदी अहमद गुस्से से बोला:"अब मैं कुछ भोंक रहा हु।"
"अच्छा तू था सॉरी यार मुझे लगा कुत्ता भोंक रहा है।" ज़ैन की बात सुनकर सब हँसने लगे जबकि अहमद ने उसे ऐसे घूरा जैसे उसे कच्चा की चबा जाएगा।
"जाओ बच्चो तुम दोनों जा कर फ्रेश हो कर अहमद के कपड़े ले कर आ जाना।" शाज़िया ने कहा और वोह दोनो घर के लिए निकल गया।
कहानी जारी है.......
©"साबरीन"