Tere Ishq me Pagal - 12 in Hindi Love Stories by Sabreen FA books and stories PDF | तेरे इश्क़ में पागल - 12

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तेरे इश्क़ में पागल - 12

उन दोनों आदमियो ने ज़ैनब का हाथ पकड़ लिया।

"छोड़ो मुझे।" ज़ैनब ने घबरा कर कहा।

"अरे कैसे छोड़ दु अभी तो तुम हाथ लगी हो, अगर मुझे पता होता कि तुम इतनी खूबसूरत हो तो तुम्हे कब का चुरा चुका होता।" उन में से एक आदमी बोला।

...........

"ज़ैन मुझे कॉन्ट्रैक्ट फ़ाइल दे।" अहमद ने एकफिले पढ़ते हुते ज़ैन से कहा।

ज़ैन कुछ सोचते हुए बोला:"ओह शेट, वोह फ़ाइल तो मैं घर पर ही भूल गया।"

"ओह कोई बात नही, चल घर से ले लेते।" अहमद ने कहा।

दोनो जब घर पहोंचे तो व्हाकोइ गार्ड नही था। ज़ैन ने परेशान को अहमद की तरफ देखा और फिर ज़ैनब का खयाल आते ही दोनों अंदर की तरफ भागे। अंदर का नज़ारा देख कर दोनो का दिमाग ही घूम गया।

एक आदमी ने ज़ैनब को पकड़ रखा था, जबकि दूसरा आदमी उसके चेहरे को अपनी उंगलियों से सहला रहा था। और ज़ैनब उस आदमी को खुद से दूर करने की कोशिश कर रही थी।

"तुम लोगो की इतनी हिम्मत।" ज़ैन ने गुस्से से चिल्लाते
हुए कहा।

आवाज़ सुनकर उन दोनों आदमियो ने पीछे मुड़ कर देखा और ज़ैन को देख कर डर से ज़ैनब को छोड़ कर दूर हट गए।

ज़ैनब रोती हुई जल्दी से ज़ैन के पीछे चुप गयी और उसकी शर्ट को ज़ोर से अपनी मुट्ठियों में जकड़ लिया।

"अहमद ज़ैनब को अंदर ले कर जा।"ज़ैन की नसें गुस्से से तन गयी थी और उसकी आंखे लाल हो गयी।

अहमद ज़ैनब को लेकर कमरेकी तरफ चला गया।

और ज़ैन ने उन दोनों को मारना शुरू कर दिया।

"शाह छोड़ उन्हें।" अहमद ने उसे रोकते हुए कहा।

"नही अहमद इनकी हिम्मत कैसे हुई शाह की मोहब्बत को छूने की।" ज़ैन गुस्से से उन्हें देखते हुए बोला।

"शाह यह हमारा आदमी नही है, क्योंकि हमारे किसी आदमी में ऐसा करने की हिम्मत ही नही है।" अहमद उसे समझते हुए बोला।

उसकी बात सुनकर ज़ैन पीछे हो गया और टेबल पर पड़ा वास उठा कर एक आदमी के सिर पर मारा, वोह आदमी वही बेहोश हो गया। जब कि दूसरा आदमी डर की वजह से पीछे हटने लगा।

"अहमद कासिम को फ़ोन लगा।" ज़ैन गुस्से से इधर उधर चक्कर काटने लगा।

अहमद ने कासिम को फोने किया और कासिम को घर आने के लिए कहा।

ज़ैन सोफे पर बैठ कर सिगरेट के काश भर रहा था।

कासिम अंदर आ कर ज़ैन के सामने सिर झुका कर बोला:"यस बॉस"

ज़ैन ने अहमद को इशारा किया। इशारा पा कर अहमद ने उन दोनों को ज़ैन के कदमो में धकेल दिया।

"यह कौन है?" ज़ैन ने आंखों में गुस्सा लिए हुए कहा।

"मुझे नही पता बॉस में ने इसे नही भेजा है।मेरा यक़ीन करे।" कासिम ने डरते हुए कहा।

ज़ैन ने उनमे से एक कॉलर पकडऔर गुस्से से बोला:"कौन हो तुम?"

"हम इमरान के आदमी है, उसने हमे यहां भेजा थाऔर इस लड़की को लाने के लिए कहा था।" उस आदमी ने डरते हुए सारी बात बता दी।

ज़ैन ने फलों की टोकरी से चाकू निकाला और उसके चेहरे पर सहलाते हुए बोला:"तूने इसी गंदी आंखों से मेरी मोहब्बत को देखा था ना।" ज़ैन ने इतना कहते ही चाकू उसकी आँखों मे घोप दिया।

वोह आदमी चीख उठा और दर्द से चिल्लाने लगा।

अब चाकू को ज़ैन ने उसके हाथों पर रखा और बोला:"इसी हाथो से उसे छुआ था ना।" ज़ैन ने कहते हुए उसके हाथ की नसों को काट दिया। उसके हाथों से खून ऐसे बह रहा था जैसे पानी बह रहा हो।

वोह आदमी ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगा।

आवाज़ें सुनकर ज़ैनब कमरे से बाहर आई तो सामने का मंजर देख कर उसकी चीख निकल गयी और ज़ैनब अपने मुंह पर हाथ रख कर रोने लगी।

"भाभी" अहमद भागते हुए उसके पास आया और उसे कमरे में वापस लेगया।

उसने ज़ैनब को बेड पर बिठाया और उसे एक ग्लास पानी दिया।

"भाई वोह।" ज़ैनब बस इतना ही बोल पाई।

"भाभी वोह लोग इसी काबिल थे आप फिक्र मत करे।" वोह लोग बात ही कर रहे थे कि तभी बाहर से तीन गोलियां चलतने की आवाज़ सुनकर ज़ैनब फिरसे रोने लगी। अहमद ने उसके कंधे को पकड़ कर उसे तसल्ली दी और बोला:"भाभी आप यही रुके मैं बाहर जा रहा हु, आप बाहर मत आना।"इतना कह कर वोह वहां से निकल कर ज़ैन के पास चला गया।

"कासिम इन दोनों की लाशों को इमरान के पास पहोंचा दो, उसे भी पता चलना चाहिए शाह की मोहब्बत पर हाथ डालने का क्या अंजाम होता है।" ज़ैन ने उन दोनों की लाशों को देखते हुए कासिम से कहा।

"ओके बॉस।" इतना कह लर कासिम ने अपने आदमियो को बुलाया और उन दोनों की लाशों को हटाने के लिए कहा।

"ज़ैन भाभी बहोत दरी हुई है, तू उनके पास जा।" अहमद ने परेशान होते हुए ज़ैन से कहा।

ज़ैन ने हाँ में सिर हिलाया और दूसरे कमरे में जा कर अपने खून से सने हाथो को धोया और अपने कपड़े चेंज करके ज़ैनब के कमरे में चला गया।

ज़ैनब उसे देख कर डर से पीछे हटने लगी।

"प्लीज मेरे पास मत आना।" ज़ैनब ने डरते हुए कहा।

"बटरफ्लाई डरो नही मैं तुम्हे कुछ नही कहूंगा।" ज़ैन उसकी तरफ बढ़ते हुए बोला।

"नही आप बहोत बुरे है।" ज़ैन पीछे होते हुए दीवार से जा लगी।

ज़ैन उसके करीब आकर उसके आंसू साफ करते हुए बोला:"मेरी जान तुम डरो नही।"

"आप ने उसे मार डाला।" ज़ैनब ने चिल्लाते हुए कहा।

"हाँ,क्योंकि तुम सिर्फ ज़ैन शाह की हो, सिर्फ मैं ही तुम्हे देख सकता हु कोई और देखेगा तो मैं उसकी आंखें निकाल लूंगा। तुम्हे छूने का हक सिरफ ज़ैन शाह के पास है अगर किसी ने तुम्हे छूने की हिम्मत की तो मैं उसके टुकड़े टुकड़े करदूंगा।" ज़ैन ने उस3 खुद से करीब करते हुए चिल्ला कर कहा।

ज़ैनब ने उसके कंधे पर सिर टिकाया और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी।

ज़ैन ने उसे अपने सीने से लगाया और उसके बालों को सहलाने लगा। कुछ देर बाद जब वोह शांत हो गयी ज़ैन उसका ध्यान भटकाते हुए बोला:"उफ्फ, यार अपना यह वाटर टैंक बंद करो। मेरी प्यारी सी शर्ट का देखो तुमने क्या हाल कर दिया है।"

ज़ैनब उसके सीने पर मुक्के मरते हुए बोली:"आप ना बहोत बुरे है।"

"ओह्ह अच्छा, तभी कब से मुझे छोड़ का नाम नही ले रही हो।" ज़ैन शरारती अंदाज़ में बोला।

"ओ हेलो, आप ने ही तो मुझे अपने पास खींचा था। मुझे कोई शौक ने आपके पास आने का।" ज़ैन उससे दूर होते हुए बोली।

"अभी तक तो तुम मुझ से डर कर भाग रही थी और अब देखो कैसे शेरनी की तरह दहाड़ रही हो।"

"मैं........मैं आपसे नही डरती हु।" ज़ैनब उससे दूर होते हुए बोली।

"हूं, तो मुझसे दूर क्यों भागती हो?" ज़ैन उसे अपने करीब खींचते हुए बोला।

"वोह मुझे आप से डर नही लगती बल्कि आप....आपकी गन से लगती है।" ज़ैनब डरते हुई उसकी बैक साइड पर राखी गन पर इशारा करते हुए बोली।

ज़ैन ने मुस्कुराते हुए पीछे से अपनी गन निकाली और मुस्कुराते हुए बोला:"तुम्हे इससे डर लगता है?"

"हाँ" गन देख कर तो मानो ज़ैनब की सांसे ही अटक गई थी। "आप इसे हटाये मुझे डर लग रहा ह!"

"नही, अब तो मैं इसे बिल्कुल भी नही हटाऊंगा।" ज़ैनब ने मुस्कुराते हुए कहा और अगले ही पल उसे घुमा दिया। ज़ैनब की पीठ ज़ैन के सीने से जा लगी। ज़ैन ने उसका हाथ पकड़ा और गन को उसके हाथ में पकड़ाया।

"यह....यह आप क्या कर रहे है।" ज़ैनब घबरा कर बोली।

"में अपनी प्यारी बीवी को गन चलाने का तरीका सीखा रहा है, मैं चाहता हु मेरी बीवी बजदूर हो। जिसे अपनी हिफाज़त करने के लिए किसी भी आदमी का सहारा लेने के ज़रूरत ना पड़े।" ज़ैन ने वास पर निशाना लगते हुए कहा और अगले ही पल गोली चलने की आवाज़ आयी। ज़ैनब जिसने अपनी आंखें तेज़ी से बंद की थी गोली चलने की आवाज़ सुनकर झट से अपनी आंखें खोली और सामने का नज़ारा देख कर उसकी आंखें चमक उठी। वास के टुकड़े ज़मीन पर बिखरे हुए थे।

"भाभी आ.........." अहमद जो गोली की आवाज़ सुनकर भागते हुए ऊपर आया था ज़ैनब के हाथों में गन देख कर उसके बाकी शब्द उसके मुंह मे ही रह गए।

अहमद को देख कर ज़ैनब जल्दी से ज़ैन से दूर हुई।

अहमद अभी भी उन दोनों को हैरानी से देख रहा था।

"क्या हुआ अहमद सर आपने कभी गन की आवाज़ नही सुनी है क्या?" ज़ैन नौटंकी करते हुए बोला।

"वोह क्या है ना मिस्टर ज़ैन शाह मैं गन की आवाज़ तो बचपन से सुनी है। मुझे तो बस अपनी एक लौती प्यारी बहेना की फिक्र हो रही थी।" अहमद ने भी उसी की टोन में उसे जवाब दिया।

"जैसे तुम डरपोक हो वैसे तुम्हारी बहेन भी है। पता नही मुझ बेचारे का क्या होगा।" ज़ैन आज फूल नौटंकी के मूड में था।

उसकी बात सुनकर ज़ैनब चिढ़ कर बोली:"अपने डरपोक किसे कहा?"

"ऑफकोर्स तुम्हे ही, तुम दोनों के इलावा यही कोई और है क्या।" ज़ैन बेड पर बैठते हुए बोला।

"चले हम डरपोक ही सही, लेकिन अपने कभी अयिनेमे अपनी शक्ल देखी भी है।" ज़ैनब गुस्से से बोली।

"हाँ, देखी है ना बहोत हैंडसम हु इसीलिए तो दुनिया का फर्स्ट और लास्ट पीस हु। जिसकी किस्मत में तुम जैसी डरपोक लिखी थी।" ज़ैन ने उसके लाल चेहरे को देख कर अपनी हंसी दबाते हुए बोला।

"किस गलतफहमी में जी रहे है आप, सादे हुए बैगन जैसी आपकी शक्ल है।" ज़ैनब आज अपनी सारी फर्स्टटेशन उस पर निकाल रही थी।

अहमद अंदर खड़ा बस उन्हें टॉम एंड जेरी की तरफ लड़ते देख रहा था। वोह ज़ैनब के लिए खुश भी था।

"ओह्ह टॉम एंड जेरी की तरफ लड़ना छोड़ो मुझे भूख लगी है।" उन दोनो की लड़ाई बढ़ते देख अहमद ने बीच मे बोलना ही ठीक समझा।

"अहमद यार अपनी प्यारी बहेना को समझा दे आपमे हस्बैंड से ज़रा तमीज़ से पेश आया कर।" ज़ैन में अहमद की तरफ उंगली दिखाते हुए कहा।

तू फिक्र मत कर यार मैं अभी समझा देता हूं। अहमद ज़ैनब के पास गया और कड़क आवाज़ में बोला:"देखो बहेना अगली बार जैसे ही तुम्हारा हस्बैंड कमरे में आये तुम एक गिलास में पानी ले कर उसके पास जाना और उसने चेहरे पर फेंक देना। ताकि इनका दिमाग ठिकाने पर रहे।" उसकी बात सुनकर ज़ैनब तो पहले खुश हुआ लेकिन जैसे ही उसने आगे की बात सुनी गुस्से अहमद की तरफ घूर कर देखा। अहमद एयर ज़ैनब दो हस रहे थे। ज़ैन ने पिलो उठाया और अहमद को मारने लगा। जबकि ज़ैनब उन दोनों की लड़ाई को देख कर बस हस रही थी।

ज़ैनब को ज़ैन के घर आये बीस दिन हो चुके थे अब उसे भी ज़ैन की आदत होने लगी थी। अब वोह ज़ैन से बिल्कुल भी नही डरती थी, जिसकी वजह से ज़ैन भी उसे तंग करने का कोई भी मौका अपने हाथ से नही जाने देता था। ज़ैनब को अपने एग्जाम की फिक्र थी। उसे पता था ज़ैन उसकी फिक्र करता है लेकिन उसने अब भी ज़ैनब को घर से बाहर जाने की परमिशन नही दी थी। वोह आज यूनिवर्सिटी जाने के बारे में ज़ैन से बात करने के लिए सोच रही थी, लेकिन उसकी हिम्मत ही नही हो रही थी। वोह ज़ैन के गुस्से से अच्छी तरह वाकिफ थी।




कहानी जारी है........
©"साबरीन"