65--त्रासदी
मैं अपने लेखक मित्र से फोन पर बात कर रहा था।बातो ही बातो में वह बोले,"जिस पत्रिक में मेरी रचना छपती है,उसे फाड़कर फ़ाइल में लगा लेता हूं।और पत्रिका को रद्दी में बेच देता हूँ'
"क्यो ?"मैने पूछा था।
",घरवालो के लिए हमारी रचनाये रद्दी हैं।वह मेरे न रहने पर उसे रद्दी में बेच देंगे,'लेखक मित्र बोले,"जब रद्दी में बिकना ही है,तो मैं ही क्यो न बेच दू"।
मित्र की बात सुनकर मैं सोचने लगा यह त्रासदी हर लेखक की है।
66--आधुनिक गुरु
मैने एक महात्मा को अपना गुरु बना रखा था।उनका कोई भी कार्यक्रम किसी भी शहर या गांव में होता मैं उसमे सम्मिलित होने के लिए जरूर जाता।मेरी हार्दिक इच्छा थी एक दिन गुरुजी को अपने घर बुलाऊ
एक बार गुरुजी का मेरे शहर में आने का कार्यक्रम बना।वह मेरे शहर में आ रहे थे।इसलिए मैंने उन्हें अपने घर आमंत्रित किया।व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद उन्होंने मेरा निमंत्रण स्वीकार कर लिया।
गुरुजी मेरे घर पधार रहे थे।उनके स्वागत के लिए मैं सपरिवार अपने घर के दरवाजे पर खड़ा था।मेरी माँ,पिता,पत्नी ,भाई, बहन सभी ने उनके पैर छुए।लेकिन मेरे बेटे ने पैर नही छुए तब मैं बोला,"बेटा मेरे गुरुजी पहुंचे हुए सन्त महात्मा है इनके पैर छूकर आशिर्वाद लो।'
गुरुजी सफेद सिल्क के वस्त्र पहने हुए थे।गले मे सोने की मोटी जंजीर।हाथ की सभी उंगलियों में हीरे जड़ित अंगूठी।महंगी घड़ी और मोबाइल।विदेशी कार और साथ मे सुंदर चेलियां।
"सन्त महात्मा तो त्यागी होते है।उन्हें भौतिक सुख और माया से क्या लेना देना।,"मेरा बेटा गुरुजी की तरफ देखते हुए बोला,"आपके गुरु में मुझे सन्त महात्मा के कोई लक्षण नजर नही आ रहे।"
और वह बिना पर छुए चला गया।
67--सुहाग
श्रेया के पति सीतेश को गुटका खाने का जबरदस्त शौक था।रात दिन उसके मुंह मे गुटका भरा रहता।इस शौक की वजह से उसे केंसर हो गया।
पति के इलाज के लिए लाखों रु चाहिए थे।जब जमा पूंजी खत्म हो गयी तब श्रेया ने रिस्तेदारो परिचितों से मदद मांगी।एक दो लोग मदद के लिए तैयार हुए पर मदद से पहले वह श्रेया को पा लेना चाहते थे।श्रेया ऐसा नही करना चाहती थी।पर सुहाग की रक्षा के लिए उसे समझौता करना पड़ा।
श्रेया खुद को बेचकर पति की जान बचाने में सफल हो गयी।ठीक होने पर एक दिन सीतेश बोला,"मेरे इलाज में लाखों रु लगे होंगे।इतना पैसा तुम कहा से लाई?"
"छोड़ो"श्रेया बोली,"तुम ठीक हो गए और मुझे क्या चाहिए।"
लेकिन पति नही माना और श्रेया को सच बताना पड़ा।
"बदचलन। कुलटा
जिस पति की जान बचाने के लिए उसे खुद को बेचना पड़ा।उस पति ने ठीक हो जाने पर उसे त्याग दिया।
68--विवशता
"कोई बीमारी नही है।खून की कमी है,"दवा लिखते हुए डॉक्टर बोला,"केवल दवा से कुछ नही होगा।फल खिलाओ।दूध पिलाओ।"
डॉक्टर की बात सुनकर रमिया सोच रही थी।उधार पैसे लेकर पति को दिखाने लायी थी।दो Jजून की रोटी के तो लाले पड़े रहते है।फिर पति को दूध,फल मेवा कहां से लाये।
69--बराबर
"मोहन पत्नी के ऑपरेशन के लिए फार्म भरने लगा तो माँ ने टोका था,"खानदान की बेल कैसे आगे बढ़ेगा?"
"दो बेटियां हो तो गयी"
"खानदान को बेटा आगे बढ़ता है।एक लड़का तो हो जाने दे
"लड़के के चक्कर मे लड़की हो गयी तो।"
"बेटा भगवान पर भरोसा रख"
"हमने शादी होते ही फैसला कर लिया था।हम दो हमारे दो,"मोहन बोला,"बेटा बेटी बराबर होते है।"