अध्याय 13
"बाहर जाने को कहने लायक हमने ऐसा क्या गलत बोल दिया वैगई.....? टीवी एक्टिंग के लिए बुलाना गलत है क्या ? फिर ?"
"जो धंधा कर रही हो वह गलत है।"
"गलत क्यों कह रही हो ?"
"यह देखो अभी तक मैं तुम्हें इज्जत देकर बात कर रही हूं अब मैं इसके लिए तैयार नहीं हूं। तुम कार से उतर कर आई, तभी मैं समझ गई तुम कौन हो । तुम्हारा असली नाम कमलाबाई है। तुम चेन्नई में पैदा हुई और पली-बढ़ी पर धंधा किया मुंबई में। सिर्फ कमलाबाई बोलो तो यहां किसी को पता नहीं। कामाठीपुरा में कमलाबाई को सब जानते हैं। धंधे में कंपटीशन के कारण मुंबई को टाटा बोलकर, जो लाखों रुपए कमाए उसे लेकर चेन्नई आई......! चेन्नई में पुराने धंधे को चला नहीं सकते यह समझ कर एक टीवी चैनल एम टी को अपने हाथों में लेकर टीवी सीरियल बनाने में उतरी हो।"
रेणुका देवी का चेहरा कुमकुम पोत दिया जैसे गुस्से में लाल पीला हो रहा था। वैगई फिर आगे बोली "मुझे यह सब बातें कैसे मालूम हुई, तुम्हें आश्चर्य हो रहा होगा? 1 साल पहले एक ईव टीजिंग केस (महिलाओं से छेड़छाड़) के विषय में मैं पुलिस कमिश्नर से मिलने गई थी। उस समय मुंबई के व्यभिचारियों को छुड़वाया तो उसमें कुछ तमिलनाडु की लड़कियों से कमिश्नर पूछताछ कर रहे थे। उन लड़कियों से पूछताछ खत्म होते ही, कमिश्नर ने एक फोटो मुझे दिखा कर तुम्हारे बारे में बताया। तुम उस समय एक राजनीतिक पार्टी की महिला नेता थी, तुम्हें कैद नहीं कर सकते थे ऐसी स्थिति है उन्होंने बताया।"
वैगई के बात करते समय इशारा कर उसे चुप कर अपने कसे हुए चेहरे से बोलना शुरू किया
"यह देखो...! तुमने जो कुछ भी मेरे बारे में बोला, वह सच है। मैं उस समय गलत धंधा कर रही थी। उसे सोच कर मैं हर रोज बहुत दुखी होती हूं। उन पापों का प्रायश्चित करने के लिए महिलाओं को सम्मान देने वाले टीवी सीरियल तैयार कर रही हूं। मेरी आत्मा की तृप्ति के लिए कुछ अच्छे कार्यों को कर रही हूं। मेरे पीछे मेरी सारी संपत्ति चेन्नई में रह रहे 16 अनाथ आश्रम को ही जाना चाहिए ऐसा मैंने एक वसीयत लिखकर उसे मेरे बैंक लॉकर में रख दिया है। यदि तुम्हें संदेह हो तो मेरे साथ चलो दिखाती हूं.... मैं मुंबई में जो काम कर रही थी बहुत ही पाप वाला काम ही था। मेरे अंदर की जो कामठीपुरा वाली कमलाबाई थी वह कभी की मर गई... मैं अब उस गंदे नाले वाले धंधे को छोड़ कर आई हूं एक नई औरत बन कर अब रेणुका देवी हूं। उबल रहे दूध में दो बूंद पानी गिरे जैसे अचानक शांत हुई वैगई, रेणुका देवी के हाथों को अपने हाथ में लेकर दबाया।
"सॉरी ! आपने ऐसे नया अवतार लिया है ये मैंने नहीं सोचा...... ये गुस्से में जोश से बोल दिया..........” अभी तक कुछ भी न बोलने वाले डायरेक्टर मुल्लेवासन बीच में बोले “वैगई ! एक और समाचार देने से आपको आश्चर्य होगा | अम्मा की एक सगी बहू तामरम में है | यहाँ आने वाला हजारों लीटर दूध, उस एरिया के रहने वाले अनाथ आश्रम को और बच्चों को ही जाता है |”
रेणुका देवी मुस्कुराई | “मंदिर में जाकर दूध का अभिषेक कर मेरे पापों को मैं धो नहीं सकती मुझे मालूम है | इसीलिए अनाथ भूखे बच्चों के पेट में दूध का अभिषेक कर रही हूँ |”
वैगई के आँखों में आँसू छलके | रेणुका देवी ने खड़ी होकर वैगई के कंधे को छूते हुए पूछा |
“अब बोलो वैगई........... मेरे “आँखों में पानी क्यों ?” सीरियल में एक्ट करने को तुम राजी हो.........? तुम जितना भी रुपये मांगो तो मैं देने को तैयार हूँ |”
“वो............... जो................ जो.........”
“अब क्या संकोच है |”
वैगई ने अपनी अम्मा उमैयाल को देखा, वे रेणुका देवी से बोली “वैगई सीरियल में काम नहीं कर सकती सोचती हूँ |”
“क्यों ?”
“उसकी शादी पक्की हो गई |”
“सच में ?”
रेणुका देवी ने आश्चर्य और खुशी के साथ वैगई को देखा |
उमैयाल बोली
“ईलमचेरियन के अचानक मरने से टूट चुकी वैगई से एक साल तक हमने शादी की बात ही नहीं की | उसके बाद बात शुरू करें तो मुझे शादी नहीं करनी बोलती रही | पिछले महीने एक दिन ‘प्राणेश’ एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर अपनी अम्मा को साथ लेकर हमारे घर आए | वैगई की उन्होंने मांग की | उस प्राणेश को वैगई पहले से जानती थी | उसने तीन साल पहले हीनभावना से और नौकरी नहीं मिलने से हुई विरक्ति से आत्महत्या करने की कोशिश की, “मन के अंदर वर्षा ?’ कौन्सलिंग के द्वारा, जीवन पर एक पकड़ और आत्मविश्वास वैगई ने पैदा किया | आज प्राणेश एक अच्छी नौकरी में है सॉफ्टवेयर इंजीनियर है | पहले वैगई ने शादी के लिए मना किया, परंतु एक हफ्ता लगाकर हमारे घर पर आकर प्राणेश के निवेदन करने से वैगई शादी के लिए राजी हुई | वैगई के शादी के लिए मान जाना भगवान का ही हमारे ऊपर आशीर्वाद है |”
“शादी कब है ?”
“और तीन महीने हैं........... प्राणेश के अप्पा दुबई में है | उनका कांट्रेक्ट वर्क तीन माह में वहाँ खत्म हो जाएगा...............उनके चेन्नई आते ही एक हफ्ते के अंदर शादी कर देंगे सोच रहे हैं |”
रेणुका ज़ोर से दांत दिखाते हुए हंसी |
“वैगई का सीरियल में काम करना जरूरी नहीं है | शादी ही जरूरी है | हम सीरियल के लिए कोई और हीरोइन को ले लेंगे | वैगई की शादी के लिए हमें भी निमंत्रण मिलेगा ?”
“जरूर मिलेगा............”
दूसरे दिन सुबह ग्यारह बजे |
स्कूल में दोपहर के भोजन के प्रबंध को देख रही वैगई ने अर्चना को आता देख, दौड़कर जाकर उसका स्वागत किया |
“आ अर्चना.............! मैं तुम्हारे घर आने की सोच ही रही थी | तुम ही आ गई |”
“पहले मेरी बधाइयाँ ले ले, फिर डाटूँगी |”
“किसलिए बधाइयाँ........... किसलिए डांट ?”
“तुम्हारी शादी पक्की हुई बताया......... उसके लिए बधाइयाँ | मुझे पहले नहीं बताया और उस टी वी प्रोड्यूसर रेणुका को बताया उसने कहा, अब डाटूँगी |”
“सॉरी अर्चना........... रेणुका देवी को बोलने लायक परिस्थिति हुई इसलिए बोल दिया |”
“तुम शादी करने के लिए राजी हो गई अब भी इस बात पर मैं विश्वास नहीं कर पा रही हूँ वैगई | तुम्हारे लोहे के जिस हृदय को कोई हिला नहीं पाया उसे प्राणेश ने सुचमुच करेक्ट कर दिया | इसके लिए ही उन्हें ‘रथ-अर्जुन’ अवार्ड दे सकते हैं | उनकी फोटो तुम्हारे पास है क्या ?”
“नहीं है |”
“फिर वे तुम्हें कब मिलने आएंगे ?”
“अगले संडे आने के लिए बोला है |”
“मैं उन्हें देखने आ सकती हूँ क्या ?”
“आराम से” हँसते हुए वैगई बोली |
“अर्चना मेरे इस शादी के लिए हामी भरने का कारण मेरी अम्मा ही है | मेरी शादी होनी चाहिए इसीलिए उन्होंने जितने व्रत और उपवास किए देख कर ही डर लगता है | हफ्ते में चार दिन खाना ही नहीं खाती | सुबह पाँच बजे उठकर, ठंडे पानी से सिर धोकर, पास में जो मारीअम्मन मंदिर में जाकर अंग प्रदर्शनम (लेट के पूरे मंदिर के प्रांगण में चक्कर लगाना) भी करती है…… हर एक अमावस को तिरुवेकाडु अम्मन के मंदिर में जाकर, मिट्टी का चावल खाना, हर एक पूर्णिमा को माकांडू अम्मन के मंदिर में जाकर...........”
“अम्मा.........!”
पीछे की तरफ से आवाज आई सुनकर वैगई मुड़ी तो स्कूल का प्यून खड़ा था।
"क्या बात है वेलुस्वामी।"
"आपसे मिलने एक अम्मा मणिमेक्लैय नाम की आई है। ऑफिस के कमरे में बैठी हैं----।"
प्यून के जाते ही अर्चना ने पूछा "क्या है वैगई---यह टेंशन क्यों---यह कौन है मणिमेक्लैय ?"
"प्राणेश की अम्मा है।"
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