Carodo-Carodo Bijliya - 2 in Hindi Fiction Stories by S Bhagyam Sharma books and stories PDF | करोड़ों-करोड़ों बिजलियां - 2

Featured Books
Categories
Share

करोड़ों-करोड़ों बिजलियां - 2

अध्याय 2

वैगई अपने फोटो को कुछ क्षणों तक देखती रही फिर ईलम चेरियन से होठों पर चिपकाई हुए मुस्कान के साथ पूछा

“आप जिसे प्रेम करते हो यह वही लड़की है ना ?”

“हाँ.......”

“कितने दिनों से इसे प्रेम कर रहे हो........?”

“एक साल से...........”

“वह लड़की तुमसे प्रेम करती है ?”

“मालूम नहीं ! एक साल से उसके पीछे घूम रहा हूँ | आज तक उसके पास से कोई भी सिग्नल नहीं मिला है |”

“ये लड़की आपसे प्रेम नहीं करती तो आप आत्महत्या करके मर जाओगे | ऐसा ही है ना ?”

“हाँ”

“अभी तक तीन बार आत्महत्या का प्रयत्न कर किसी तरह बच गए ऐसा ही है ना ?”

“हाँ”

“चौथी बार आत्महत्या करने जाते समय मुझे इतला कर देना | मैं आकर देखुंगी आपको कोई बचा न सके |”

“ये क्या है.......? यही है क्या कौन्सलिंग ! मेरे मन के अंदर अभी वर्षा हो रही है | उस वर्षा को रोकना सिर्फ आपके लिए ही संभव है.......  मेरे मन के अंदर बादल कड़क रहे हैं बिजली चमक रही है,आई लव यू कह कर अन्दर हो रही वर्षा को आप बंद नहीं करोगे..........?”

“अभी बंद कर देंगे |” वैगई बोलते हुए अपने सामने रखे उस टेलीफोन रिसीवर को उठाकर नम्बर डायल करने लगी। ईलम चेरियन ने पूछा

“किसे फोन कर रही हैं.....?”

“पड़ोस के गली में जो पुलिस स्टेशन है उसके स्टेशन इंस्पेक्टर नरसिंह मूर्ति को सूचना देने पर दो मिनिट के अंदर यहाँ आकर आपके मन के अंदर हो रही वर्षा को तुरंत बंद कर देंगे |”

“आप ये क्या हो ? आपको पसंद हो तो मुझे प्रेम करिए नहीं तो ‘सॉरी भई’ कहिए ! यह नहीं करके पुलिस स्टेशन? ये ….वो जाने से................. इस ईलम चेरियन का शरीर कपास बन जाएगा | पहले रिसीवर को नीचे रखिएगा.........” उसके नकली डर से हडबड़ा कर बोलते ही वैगई ने रिसीवर को उसकी जगह पर वापस रखते हुए पूछा:- “अब बताइये आप कौन हैं ?”

“मेटीओचैय” पत्रिका का मैं ही प्राइम रिपोर्टर हूँ | आपके साक्षात्कार देने से मना करने पर इस तरह का एक वेष बना कर आया | सुचमुच में कोई आपको प्रेम करे, तो वह ठीक होने के लिए आपके पास ही कौन्सलिंग के लिए आए तो कैसा रहेगा ? ऐसा सोच कर देखा | इसे गंभीरता से मत लीजिएगा प्लीज |”

“मेरी फोटो आपको कैसे मिली ?”

“पिछले महीने मैलापुर में ब्लड डोनेशन एसोसिएशन की मीटिंग हो रही थी तब आप उसमें शामिल थी | उस समय हमारी पत्रिका के फोटो ग्राफर ने आपका फोटो लिया ये वही फोटो है ....... आपका फोटो जेनिक फेस है और इसमें भी ये जो दांत जो अपनी सीमा से अधिक..........”

वैगई ने हाथ दिखा उसे रोका |

“अभी आपको क्या चाहिए ?”

“आपका साक्षात्कार”

“ये सब नहीं दूँगी आपके पत्रिका के संपादक मंगईअर्थी से बोल दिया, उसके बाद क्यों ज़बरदस्ती आकर परेशान कर रहे हो ?”

“प्लीज एक सिर्फ मिनी साक्षात्कार |”

“मिनी साक्षात्कार माने कितने प्रश्न ?”

“सिर्फ दो ही |”

“ठीक है पूछो.......”

“आपने कई लोगों को कौन्सलिंग देकर उनके आत्महत्या के प्रयत्नों को बंद करवा दिया.............. ऐसे कौन्सलिंग किए व्यक्ति आज किसी ऊंचे पद पर हैं क्या ?”

“श्योर........! कितने ही लोग है | उनमें से किसी एक को बताना है, तो चेंदिल वेलवन है एक B.A. का स्टूडेंट जो अच्छा पढ़ रहा था | उस स्टूडेंट के सामने अचानक से एक समस्या आ गई | वह जो कुछ भी दिन में पढ़ता वह थोड़ी देर ही उसके दिमाग में रहता | फिर वह भूल जाता | उस कारण से वह परीक्षा में ठीक से नहीं लिख पाने की स्थिति में आ गया | डॉक्टरों के पास जाकर देखा | उन्होंने कुछ दवाइयाँ दी | पर उससे कोई फायदा नहीं हुआ | परीक्षा ठीक से न लिख पाने के कारण अपनी भविष्य की जिंदगी अब बेकार हो जाएगी, सोच चेंदिल वेलवन ने आत्महत्या करने का प्रयत्न किया | दोस्तों ने ठीक समय पर उन्हें बचा लिया और वे मेरे पास कौन्सलिंग के लिए आए | एक घंटा कौन्सलिंग के बाद पता चला उनकी समस्या शारीरिक रूप से नहीं है | ये मानसिक है, फैसला किया औरमैंने तुरंत साइकेट्रिस्ट वात्सल्य को फोन करके बुलाया | उन्होंने आकर चेंदिल वेलवन को टैस्ट किया, समझ गए और साइकोथेरेपी ट्रीटमेंट दिया | साथ में एक महीने का मेडिटेशन......... साधारण सुगम योगासन....... के लिए कहा...... फिर पूरे एक महीने में ही चेंदिल वेलवन में अचंभित करने वाले सुधार दिखे | अब जो भी पढ़ता है वह उसे कभी नहीं भूलता | आज चेंदिल वेलवन यूनिवर्सिटी गोल्ड मेडलिस्ट है | अब वे कहाँ काम कर रहेहैं पता है.......... अमेरिका के न्यूजर्सी में | दो लाख डॉलर तनख्वाह है उसकी |”

“करेक्ट !” कह कर ईलम चेरियन ने अपने कंधे को हिलाया | “मेरा दूसरा प्रश्न पूछूं ?”

“प्लीज |”

“हंसा हॉस्पिटल जैसे एक बड़े अस्पताल में अकाउंटेंट का काम करते हुए कई तरह की सोशल सर्विस कर रही हो........ औरों के जीवन के प्रति श्रद्धा रखने वाली आप, अपने जीवन के बारे में कभी सोचा है क्या…………?”

वैगई हंसी | “बिना सोचे रहूँगी क्या ?”

“मैं भी एक लड़की ही हूँ.......” मेरी भी शादी होगी | मुझे भी एक प्रेमी पति मिलेगा | मुझे अम्मा बुलाने वाला एक बच्चा भी होगा | मेरे परिवार को देखते हुए इस तरह के सोशल काम को भी कर सकूँगी |”

“हो सकता है शायद आपके आने वाले पति आपके सोशल कार्यों को पसंद नहीं करते हो ?”

“ऐसे आदमी मेरे पति होकर नहीं आ सकते |”

“मुझे न्योता मिलेगा ?”

“मेरे जीवन में भूल न सकने वाले लोगों में आप भी एक है | अत:.... आपको निश्चित ही न्योता मिलेगा |”

“धन्यवाद मिस वैगई......! सिनेमा की अभिनेत्रियों के रसिकों को आपने देखा होगा |आपके इस काम को आगे बढ़ाने में व लोगों को स्वस्थ रखते देख मैं आपका रसिक हूँ | आपके इस फोटो पर आप अपना हस्ताक्षर करके मुझे दें प्लीज........”

“ये सब ओवर है.........” वैगई हंसी |

“नो.......नो..... ये मेरी इच्छा है कभी भी बाउंडरी के बाहर नहीं जाएगी | ये मेरी न्याय संगत इच्छा है | ऑटोग्राफ प्लीज......”

“ओटोग्राफ नहीं | कुछ लिख कर दूँ ?”

“ओके.......” ईलम चेरियन के सिर हिलाते ही फोटो के पीछे पलट कर ‘say always ‘thank god’ ऐसा सुंदर लिख कर दिया | ईलम चेरियन हंसा |

ईलम चेरियन के विदा लेकर जाते ही वैगई पास के दरवाजे को खोल अगले कमरे में गई |

‘सोसाइटी फॉर केयरिंग एंड शेयरिंग’ के प्रेसिडेंट वाणी सुब्रमणियन, एक फ़ाइल को पलट रही थी उसकी आयु चालीस साल |

“इस फ़ाइल के पहले पत्र को पढ़ो वैगई |”

वैगई फ़ाइल को खोल पढ़ना शुरू किया |

मेरे प्रिय !

प्रणाम | ‘सोसाइटी फॉर केयरिंग एंड शेयरिंग संस्था’ के द्वारा आप समाज के लिए जो कर रहे हैं उसके बारे में जानकारी मिली | हमारे ट्रस्ट के लोग बहुत खुश हुए | हमारा ट्रस्ट पचास साल से काम कर रहा है | हम सीधे तौर पर समाज की सेवा न करने पर भी हम जो संस्था इस कार्य को करती है उन्हें साल में एक बार एक मुश्त राशि देते हैं | इस तरह इस वर्ष आपके संस्था को राशि देने का निश्चय किया है |

इस के लिए हम पूरे विवरण के साथ बात करने के लिए आपकी संस्था के किसी एक सदस्य को हमारे ट्रस्ट ऑफिस में भेजने का प्रेम पूर्वक निवेदन करते है | हम आपके संस्था को देने वाली पूरी राशि की कीमत ! पाँच लाख रु. है ये भी मैं बताने का इच्छुक हूँ |

आपका

अध्यक्ष और दयानिधि

वैगई ने पत्र को पढ़ चुकने के बाद खुश होकर गर्दन ऊंची की |

“मेडम देखा राशि पाँच लाख रुपये”

“हाथ में रुपये आ जाए तो कितने ही अच्छे काम कर सकते हैं............ एक विस्तृत बातचीत होनी चाहिए बोल रहे हैं| तुम जाकर आ जाओगी वैगई....?

“कब जाना है मेडम ?”

“अडैयार में उनका ट्रस्ट का ऑफिस है | कितने बजे आना है फोन करके पूछ लो |”

वैगई पत्र में जो टेलीफोन नंबर था उसे मन में रख कर रिसीवर को लेकर डायल किया | दूसरी तरफ रिंग बजा और रिसीवर को उठा लिया | एक आदमी की आवाज़ आई |

“हैलो........”

“दयानिधि ट्रस्ट ?”

“हाँ”

“अध्यक्ष हैं क्या ?”

“मैं अध्यक्ष ही बोल रहा हूँ |”

“मैं सोसाइटी फॉर केयरिंग एंड शेयरिंग से बोल रही हूँ |”

“ऐसा है........ बहुत खुशी हुई ! हमारा पत्र मिल गया आपको ?”

“मिल गया साहब.......... आपको कुछ बात करनी है ऐसा पत्र में लिखा है ?”

“हाँ बेटा ! हमें चेक इशू करते समय कुछ फ़ार्मेलिटीज होती हैं...........”

“कब आऊँ साहब ?”

“अभी आ जाओ बेटी.......”

“अभी साढ़े छ: बज रहे हैं | अभी भी निकलूँ तो आपके ऑफिस के पते पर आने में एक घंटा लग जाएगा | कल सुबह 9 बजे के करीब आ सकती हूँ क्या साहब ?”

“अभी आए तो ठीक रहेगा...... मैं, सेकट्रेरी ट्रेजरार सभी लोग अभी हैं | आने पर सिर्फ आधा घंटे का ही काम है | ट्रस्ट के सेकट्रेरी एक मंदिर में कुंभाभिषेक के लिए कुंभकोणम जा रहे हैं | उन्हें वहाँ से वापस आने में चार दिन लग जाएंगे | आप आज नहीं आए तो फिर दुबारा चार-पाँच दिन बाद ही आ पाओगी |”

“मैं अभी आ जाती हूँ सर |”

रिसीवर को रख कर वैगई “वे अभी ही आने को बोल रहे हैं मैडम......|”

“तो ठीक है रवाना हो वैगई... हम दोनों ही जाकर आ जाते हैं |”

“आप भी क्यों मेडम ? मेरे टू विलर पर मैं ही चलीजाऊंगी | चेक लेकर मैं आपको फोन कर दूँगी |”

‘फिर मेरी जरूरत नहीं ?”

“नहीं मेडम...........” वैगई कुर्सी को खिसकाकर उठी |

अडैयार के इंद्रा नगर के आखिर में पेड़ों के झुंड के बीच में, दयानिधि ट्रस्ट का अपना निजी पुराना काले पत्थर का भवन मजबूती के साथ खड़ा था |

वैगई ने अपनी काइनेटिक होंडा खड़ी करके आस-पास देखा | साढ़े सात बजे रात में अंधेरे में वह सुनसान जगह थी | पास में कोई घर भी नहीं था |

कुछ समय हिचकिचाहट में वैगई खड़ी रही, फिर कम्पाउंड के गेट को धक्का देकर अंदर गई | सुंदर ट्यूब लाइट की रोशनी में एक एंबेसडर कार और उसके पास में सीढ़ियाँ दिखी | ‘ट्रस्ट का ऑफिस ऊपर’ ये इंगित करता बोर्ड दिखाई दे रहा था | वैगई सीढ़ियों पर चढ़ने लगी आधी सीढ़ियाँ चढ़ी तो हवा में बिरयानी, व्हिस्की की मिली जुली गंध थी |

..............................