Tadap Ishq ki - 7 in Hindi Love Stories by Miss Thinker books and stories PDF | तड़प इश्क की - 7

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तड़प इश्क की - 7

अधिराज उसकी परेशानी को देखकर हंसते हुए कहता है...." एकांक्षी ये सपना नहीं है, , , ये सब सच्चाई है जिसे हम रोक नहीं पाए और आपके करीब आ ही गये.... अब तो हर रोज ऐसे ही सपने देखने की आदत डालनी पड़ेगी.... क्योंकि अब हम और आपको पाने की प्रतीक्षा नहीं कर सकते..

अब आगे........

एकांक्षी वापस सोने की कोशिश कर रही थी लेकिन घर में आ रही घंटी और आरती की आवाज से अपने पिलो को अपने कान पर रखती हुई और फोन में टाइम देखकर कहती हैं कहती हैं....." ये मां भी न सुबह सुबह शुरू हो जाती है....अभी छ: ही बजे हैं और मां भी न....."

जब बहुत देर तक सोने की कोशिश करते हुए भी जब एकांक्षी को नींद नहीं आई तो पिलो को गुस्से में पटककर उठ जाती है और सीधा विंडो के पास जाकर खड़ी होकर अपने बालों को बांधते हुए अपने आप से कहती हैं...." नींद खराब कर आज मां ने.... नहीं मां ने नहीं.. पता नहीं वो सपना था या मेरा वहम था लेकिन क्यूं अभी मेरे होंठों पर एक अलग एहसास महसूस हो रहा है....ओह गॉड ये क्या था....?..."

एकांक्षी काफी उलझन में लग रही थी तभी उसकी नज़र उस चिड़िया पर जाती है जिसे कल रात उसने बचाया था....उसे अपने को देखते हुए देख एकांक्षी उसे बुलाते हुए अपना हाथ बढ़ाती है...अधिराज उस चिड़िया के रूप में तुरंत उसके पास आ जाता है....

एकांक्षी उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहती हैं....." तुम्हें बचाने के बाद मुझे कल बहुत अजीब सा सपना आया...कहीं मां की बात सच तो नहीं....." फिर खुद ही मना करते हुए कहती हैं.... " नहीं नहीं ऐसा कैसे हो सकता है...?...जो भी हो तुम इतनी प्यारी सी मुझे क्यूं अट्रैक्टिव लग रही हो...."

एकांक्षी उसे देखकर बात ही कर रही थी तभी कमरे में आती हुई सावित्री जी की आवाज सुनाई देती है...." मिकू...."

" लो आ गई मेरी नींद की दुश्मन...." वो तुरंत उस चिड़िया को बाहर छोड़ देती है

सावित्री जी कमरे में एंटर होती है और एकांक्षी को विंडो के पास खड़े देखकर खुशी से कहती हैं....." आज देख रही की सूरज कहां से निकला है..."

" मां ओबेसली ईस्ट से ही निकला है...."

सावित्री जी एकांक्षी के चेहरे पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहती हैं...." मैं तो इस सूरज की बात कर रही हूं ,, आज इतनी जल्दी कैसे उठ गई....?..."

एकांक्षी कुछ पल पहले हुई बात को सोचकर अपने आप से कहती हैं..." एकांक्षी चुप रहना अगर मां को कुछ भी पता चला तो खामखां पता नहीं क्या कर देंगी ,,,,कल ही इतनी मुश्किल से बची हूं...."

सावित्री जी उसे ख्यालों से दूर करती हुई कहती हैं...." मिंटू कहां खो गई...?..."

" कुछ नहीं मां बस आज कालेज जाना है इसलिए जल्दी उठ गई..."

सावित्री जी उसकी इस तरह कहीं बातें को समझने की कोशिश करती हुई कहती हैं...." वो रोज जाती है...."

एकांक्षी सावित्री जी को इस बातों से हटाने के लिए उन्हें पकड़ते हुए कहती हैं....." मां उठ गई न जल्दी बस ....आप जल्दी से नाश्ता रेडी कर दो ,, मैं फ्रेश होकर आती हूं...."

" ठीक है मैं जा रही हूं..." सावित्री जी जाते हुए वापस आकर कहती हैं...." आज शाम को रेडी रहियो..."

एकांक्षी उनसे इसका कारण पूछती है..." क्यूं मां..?.."

सावित्री जी अपने हाथों को अपने कमरे पर रखती हुई कहती हैं...." फिर भूल गई...आज शाम को मानवी की मेंहदी में जाना है...."

एकांक्षी हल्के से अपने सिर को मारते हुए कहती हैं..." मैं भी कितनी भुल्लकड़ हूं....मैं शाम को रेडी हो जाऊंगी अब जाओ जल्दी मुझे लेट हो जाएगा...."

सावित्री जी चली जाती हैं और एकांक्षी नहाने के लिए बाथरूम में चली जाती हैं....

अधिराज उसके जाते ही कमरे में आता है लेकिन अपने इंसानी रुप में आ जाता है.....

अधिराज मुस्कुराते हुए सोचने लगता है....." क्यूं न तुम्हें थोड़ा परेशान किया जाए , एकांक्षी....जिस तरह तुम हमें परेशान करती थी...."

अधिराज मुस्कुराते हुए अपनी सारंगी बजाने लगता है जिसकी धुन एकांक्षी के कानों तक पहुंच जाती है... अपने कमरे में आ रही आवाज को सुनकर एकांक्षी शावर को बंद कर देती है लेकिन उसके ऐसा करते ही वो धुन भी बंद हो जाती है इसलिए वो दोबारा शावर आॅन करती है.... एकांक्षी उसकी धुन को सुनने के लिए बैचेन हो उठी और जल्दी से कम कपड़ों में ही अपने रूम में आ जाती है....

किसी को अपने रूम में न देखकर और उस धुन की आवाज न सुनकर एकांक्षी बैचेन नजरों से उसे सब तरफ ढूंढ़ने लगती है वो ये भी भूल गई की वो अभी कम ही कपड़ों में बाथरूम से बाहर आई है..... उसकी बैचेन निगाहों को देखकर अधिराज मुस्कुराते लगता है लेकिन जैसे ही उसका ध्यान जाता है कि वो अपने रूम से बाहर जा रही है तभी वो बिना देर किए रुम में अपने इंसानी रूप में एंटर होकर उसे अपनी तरफ खींचता है......

अचानक उसके इस तरह खींचने से एकांक्षी उसकी बांहों में झूल रही थी लेकिन अधिराज की नजरों ने जैसे उसपर जादू सा कर दिया था,, वो बस उन्हीं को देख रही थी....

अधिराज भी उसकी गीले बालों की अलको से मदहोश सा हो रहा था,, अधिराज उसकी गीले बालों की लटो को कान के पीछे करके ,उसके गाल पर किस करता हुए वो उसके नेक पर किस करता है फिर धीरे से होंठों पर किस करता है......

एकांक्षी पूरी तरह उसके आगोश में खो चुकी थी ,,उसी मदहोशी में एकांक्षी अचानक बोलती है....." अधिराज...मत जाओ...." अधिराज तुरंत होश में आ जाता है और अपने आप से कहता है..." वैदेही हम तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे...." उसे वहीं बेड पर लिटा कर और एक बार उसके माथे को चूम कर चला जाता है.......

काफी देर बाद एकांक्षी को होश आता है और उठकर चारों तरफ देखती हुई कहती हैं...." ये क्या था...?...कौन था वो ...?...और वो म्यूजिक कहां गया....?....कौन हो तुम सामने आओ...."

अधिराज एकांक्षी को देखते हुए कहता है...." तुम इस तरह मुझे ढूंढोगी तो मैं तुमसे छिपकर कैसे रह पाऊंगा...."

आज तुमने ही हमें आने पर मजबूर किया है और हम अपने आप को रोक नहीं पाए.... लेकिन हमने तुम्हें पहले ही बता दिया है अब इन सबकी आदत तो तुम्हें डालनी पड़ेगी.... हमने पच्चीस साल तुम्हारी प्रतीक्षा की है कुछ पल प्रतिक्षा तो तुम्हें भी करनी पड़ेगी वैदेही....हम तुम्हारे आस पास हर पल मौजूद रहेंगे....."

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.................. to be continued...............