Exploring east india and Bhutan... - Part 23 in Hindi Travel stories by Arun Singla books and stories PDF | Exploring east india and Bhutan... - Part 23

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Exploring east india and Bhutan... - Part 23

Exploring East India and Bhutan-Chapter-23

पन्द्रहवां दिन

Punakha suspension bridge : यह 1854 फुट की उचाई पर लगभग बारह किलोमीटर लंबा, लोहे की तार से बना हुआ, हिलता हुआ पुल है. यह बहुत ही सुदर है, व इस पर चलना रोमांचकारी है. यह विश्व स्तरीय ब्रिज है, इस पर गुजारा समय एक न भूलने वाली याद बन गया.  इस तरह का दृश्य हमने हॉलीवुड मूवीज में ही देखा था, नीचे कल कल बहती नदी का शोर, उपर तेज हवाओं का शोर, हवाओं से भी ज्यादा तेजी से धड़कते दिल का शोर, तीन शोर एक साथ, संगम इसी का नाम है, मेरे दिल ने कहा.

यह दुनिया के सबसे पुराने Suspension Bridge में से एक हैं, और इसे बौद्ध भिक्षु, Thangtong Gyalpo द्वारा बनाया गया था. इस पुल को  शेंगाना, समडिंग्खा और वांग्खा गांवों को डिजोंग से जोड़ने के लिए बनाया गया था. यह पुनाखा शहर को पुनाखा डिजोंग से जोड़ता है, व्  दूसरी तरफ के स्थानीय लोगों द्वारा इसे शॉर्टकट के रूप में उपयोग किया जाता है.

फोटोग्राफी के लिए एक बढिया जगह है

खुलने का समय: 24 घंटे खुला रहता है.

 

हम वापिस आये तो देखा वहां काफी भीड़ जमा हो गई थी, भीड़ को देखते हुए हम 2.30 बजे ही लाइन में लग गए. भूटान में लगभग हर टूरिस्ट पॉइंट की टिकट 300/- प्रति व्यक्ती हैं.  ठीक तीन बजे टिकट काउंटर खुला, "गाइड चाहिए, टिकट काउंटर के अंदर से आवाज़ आई

"जी, नही," हमने कहा

"यह फ्री हैं"

"जी नही, हमे जल्दी है, कृपया टिकट दें"

"आप गेट पर इंतजार करें, टिकट गाइड के पास रहेगा”

"ठीक है" पर ठीक नही था. सभी लाइन में लोगों से बारी बारी पेमेंट ली गई, आगे लाइन लेने में खड़े होने का, और ब्रिज जल्दी में देख कर वापिसे आने का कोई फायदा नही मिला, फिर सभी को गाइड  द्वारा टिकट इशू किये गए, जिसमे लगभग 45 मिनट लग गए.

अब तक सारी भीड़ गेट पर जमा हो गई थी,  फिर गाइड साहिब आये और एयर होस्टेस की तरह 15 सेकंड का निर्देश दिया: "कृपया लाइन में रहे, शांति बनाए रखें, और आनंद लें "

हे भगवान्, इतनी छोटी सी बात के लिए इन्होंने 4 घंटे बर्बाद कर दिये, समय की ऐसी बर्बादी, कहीं और नही मिलेगी, शायद इसी लिए भूटान दुनिया के सबसे गरीब देशों में आता है.

फिर  सारी भीड़, झुंड की तरह एक साथ चली, किसीको भी फ़ोटो शूट, सेल्फी लेने के लिए ना तो जगह ना ही समय मिल रहा था. मुझे समझ नही आ रहा था, एक साथ सबको टिकट देने की जगह ये लोग बारी-बारी से टिकट क्यों नही देते ताकी लोग टिकट ले कर आगे चलते रहें ना ही भीड़ इक्कठी हो, सारी दुनिया में ऐसा ही होता है, पर यहाँ अनोखा सिस्टम था, पर क्या करें, ये उनका देश है, उनकी बात माननी पड़ेगी  "My country My Rule".

The Punakha Dzong,  Punakha Bhutan

पुनाखा डेज़ोंग को भूटान  का सबसे खूबसूरत डेज़ोंग यानी किला माना जाता है, यह थिम्फु से लगभग73 km की दूरी पर पुनाखा में फ़ो छू (Pho Chhu) नदी पर स्थित है. आप जानते हैं, नदी भी male और female होती हैं, यकीन नही आता तो अब यकीन कर लो.  यह  मेल नदी  Pho Chhu  व् फिमेल नदी Mo Chhu  के बीच स्थित है. फ़ो का अर्थ होता है पुरुष, और मो का अर्थ महिला,

इसे  Pungtang Dewa chhenbi Phodrang के नाम से भी जाना जाता है, इसका अर्थ है "the palace of great happiness or bliss" यानी महान खुशीयों का महल. इसे Zhabdrung Rinpoche Ngawang Namgyal ने बनवाया था. यह भूटान का दूसरा सबसे पुराना और बड़ा dzong है. भूटान के अधिकांश राष्ट्रीय खजाने इस डोज़ोंग के अंदर रखे गए हैं.

Punakha Dzong के बारे में कहानी यह है की संत पद्मसंभव ने भविष्यवाणी की थी, कि नामग्याल नाम का एक व्यक्ति एक ऐसी पहाड़ी पर पहुंचेगा जो हाथी की तरह दिखती होगी, और वही  इस Dzong का निर्माण करवायेगा.  Ngawang Namgyal, पहले Rinpoche थे .  Rinpoche एक तरह का धार्मिक गुरु होता है, जिसे बोध धर्म में उच्च स्थान प्राप्त होता है. तो नामग्याल ने हाथी के सूंड के आकार की पहाडी की खोज की व् 1637-38 में इस डिजोंग का  निर्माण करवाया.

प्रवेश शुल्क: 300/- प्रति व्यक्ती हैं

ड़ीजोंग देखने की बाद,अब समय बाकी नही रहा था, तो आगे का प्रोग्राम कट करके हम पारो के लिए चल दिये. यहां से पारो लगभग 125 km की दूरी पर है व चार घंटे का समय लगता है. हम रात को 9 बजे होटल Seonam Tsokhang Resort पहुंचे, जिसकी ऑनलाइन बुकिंग हमने पहले से कर ली थी.

ओर हमने दिन समाप्ती की घोषणा की.