Sapne - 27 in Hindi Fiction Stories by सीमा बी. books and stories PDF | सपने - (भाग-27)

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सपने - (भाग-27)

सपने......(भाग-27)

अगले दिन शाम को श्रीकांत के आई बाबा वापिस चले गए। श्रीकांत और सोफिया उन्हें रेलवे स्टेशन गए थे और सोफिया के पैरेंटस ने फोन पर ही बात कर ली थी.......! श्रीकांत की आई ने सोफिया के पैरेंटस को कहा, "हम लोगो ने आपका घर देख लिया अब आप को भी हमारे घर आ कर देखना चाहिए कि आपकी बेटी शादी करके कहाँ जा रही है? उसका ससुराल कहाँ है"? सोफिया की मम्मी ने कहा, "हम आप लोगो से मिल लिए, फिर ये दोनो तो यहीं रहने वाले हैं तो गाँव में क्या जरूरत है देखने की"? श्रीकांत की आई को उनकी ये बात पसंद नहीं आयी पर वो बोली," "हम आपको फोन करके शादी की डेट बता देंगे, आप को उससे पहले हम से हमारे रिवाज के मुताबिक मिलने आना ही पड़ेगा"। आई के बात करने का लहजा सख्त होते ही सोफिया की मॉम ने कहा ठीक है, "आप हमें सब बता देना हम जरूर आँएगे"......! जी आप को सब बता देंगे और क्या क्या लाना है वो सब भी समझा देंगे......!फोन स्पीकर पर था तो सोफिया और श्रीकांत ने दोनो तरफ की बात भी सुन ही ली थी....! ये अच्छी बात थी कि सोफिया के पैरेंस के बिहेवियर की वजह से श्रीकांत के पैरेंटस उससे नाराज नहीं थे.....! आस्था की वर्कशॉप शुरू हो गयी थी तो वो पहले ही चली गयी थी......। आस्था का अगला नाटक भी बहुत सुंदर होने वाला था क्योंकि कहानी स्त्रीप्रधान होने की वजह से आस्था के आस पास घूमती कहानी में उसे खुद को निखराने का पूरा मिल रहा था या यूँ कहा जाए कि नचिकेत उसके टैलेंट को सबके सामने लाने का पूरा मौका दे रहा था...!
आस्था का धीरे धीरे रिहर्सल टाइम बढने ही वाला था तो सबसे बातें करने का मौका छुट्टी के दिन ही मिलने वाला था.....! श्रीकांत के आई बाबा ने गाँव पहुंच कर सबसे पहले शादी की तारीख निकाल कर अपने समधियों को बताया। शादी 2 महीने बाद की तय हुई थी, इसलिए अपने समधियों को उन्होंने अगले हफ्ते ही आ जाने के लिए कहा जिससे बाकी सब फंक्शन वो बैठ कर तय कर सकें। हालंकि इस बात को लेकर सोफिया के पैरेंटस कंफर्टेबल नहीं थे, पर सोफिया और उसके छोटे भाई सैम ने उन्हें समझाया," एक बार हम लोगो को उनके घर मिलने जाना ही चाहिए , उनके डिसीजन की रिस्पेक्ट करनी चाहिए"..... ! उन्होंने अपने बच्चों की बात अनमने मन से मान तो ली ,पर उनके दिमाग में गाँव मतलब अनपढ लोग, गंदगी और गरीबी की पिक्चर ही घूम रही थी। अगले हफ्ते ही श्रीकांत सोफिया के पैरेंटस और भाई के साथ अपने गाँव चला गया, कहा तो उसने राजशेखर और आदित्य को भी था, पर सबने कहा, "अभी तुम इन लोगो के साथ जाओ, शादी के टाइम हम जरूर आएँगे"! 2 दिन में ही वो वापिस आने वाले थे तो सोफिया रात रो शॉप बंद कर आस्था के पास ही आ जाती थी.....! अब नवीन की लाइफ में भी कुछ हलचल होने लगी थी। पहले 2 लड़कियों को सिखाना शुरू किया था पर अब धीरे धीरे लड़के भी सीखने को लगे थे....थोड़े और पैसे मिलने लगे तो धीरे धीरे कुछ खर्च वो भी करने लगा था, तो वो अच्छा महसूस कर रहा था। नचिकेत की दीदी ने जो अपनी शार्ट फिल्म में गवाया था वो लोगो को पसंद आ रहा था......शुरूआत हो गयी थी काम मिलने की तो उसका खोया आत्मविश्वास लौट आया था......उसमें आया बदलाव देख कर सब बहुत खुश थे। उधर श्रीकांत अपने होने वाले सास ससुर के साथ गाँव के रेलवे स्टेशन पर पहुँचा तो एक आदमी पहले से ही खड़ा था। जिसने श्रीकांत को देखते ही एक लड़के को इशारा किया तो उन दोनो ने सारा सामान उनसे ले लिया और बाहर की और चल दिए। बाहर एक स्कोर्पियो खड़ी थी, जिसमें उन्होंने सामान रखा......लड़का सामान रख कर हट गया और श्रीकांत आगे उस आदमी के साथ बैठ गया और पीछे वो तीनों और लड़का जिसने सामान उठाया था वो मोटर साइकिल पर पीछे पीछे आ रहा था।
"काका तुम लेने क्यों आए? किसी और का भेज देते, आपको पता है न मुझे पसंद नहीं कि बड़े छोटों को यूँ लेने आएँ"? "अरे बाबू तुम छोटे हो पर मेहमान तो भगवान होते हैं, इसलिए मैं चला आया"। श्रीकांत उनकी बात सुन कर चुप हो गया और पीछे बैठे सैम और उसके मम्मी पापा एक दूसरे की तरफ देखने लगे.....सब चुप थे तो श्रीकांत बोला,"सैम ये हमारे काका हैं, सब खेतों का काम यह और इनके बच्चे देखते हैं, जो लड़का मोटर साइकिल पर आ रहा है वो समझो हमारा छोटा भाई कृष्णा है"! सैम उसकी बात सुन कर मुस्कुरा दिया। वो दोनो आपस में बातें करते रहे और वो तीनों उनकी बातें सुन रहे थे और हैरान हो रहे थे......! 15-20 मिनट मेॆ ही गाड़ी एक बहुत बड़े से घर के आगे रूक गयी, हार्न की आवाज सुन कर गेट खुल गया और गाड़ी अंदर चली गयी। बहुत बड़ा खुला आँगन था.....गाड़ी में से सब उतर गए तो श्रीकांत ने सामान निकाला तो 2 औरते झट से सामान ले कर ऊपर चली गयी.....और श्रीकांत मेहमानों को ले कर बैठक में आ गया। सुंदर नक्काशी की गयी लकड़ी का सोफा जिस पर खूबसूरत कुशन थे। सामने बड़ा सा टीवी लगा था.......और एक तरफ बहुत सारी कुर्सियाँ थी और एक दीवान। एक औरत शरबत और साथ में मिठाई और ड्राई फ्रूटस ला कर टेबल पर सजा कर चली गयी।
श्रीकांत ने सबको शरबत पकडाया और एक ग्लास खुद ले लिया......" आप लोग प्लीज कंफर्टेबल हो बैठिए, आई बाबा आते होंगे"! श्रीकांत ने इतना कह कर टीवी चला दिया। श्रीकांत अपनी फैमिली और काम के बारे में उन्हें बता रहा ही रहा था कि कुछ देर में उसके आई बाबा आ गए। वो दोनो अपने मेहमानों से बहुत अच्छे ढँग से मिले और कुछ देर बातें करते रहे......श्रीकांत बोला, "आप सब बाकी बातें बाद में करना, पहले फ्रेश हो कर खाना खा लेते हैं, मुझे तो बहुत भूख लगी है आई, इन को भी लगी होगी......आप और बाबा ने भी नहीं खाया होगा".....कह कर श्रीकांत उन्हें ऊपर ले गया......दो कमरे तैयार थे! एक में सैम और दूसरे में उसके पैरेंटस। श्रीकांत उनको कमरे और बाथरूम वगैरह दिखा कर अपने कमरे में चला गया। जितना सोफिया के पैरेंटस के मन में गाँव को ले कर उलझन थी वो दूर हो गयी.....गाँव था, पर सड़के पक्की थी.....और इस हवेली में तो सब सुख सुविधाँए हैं जो वो सोच सकते हैं पर खरीदना उनके बजट में नहीं, फिर भी श्रीकांत मुबंई में नौकरी करता है, बिजनेस भी तो कर सकता है और भी कई सवाल आ रहे थे उनके मन में.......बाद में पूछँगे सोच लिया था।
क्रमश: