History of Shimla in Hindi Moral Stories by Gurpreet Singh HR02 books and stories PDF | शिमला का इतिहास

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शिमला का इतिहास

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की राजधानी शिमला है. यह ब्रिटिश काल में देश की समर कैपिटल (Sumer Capital) भी थी. गर्मियों में अंग्रेज यहीं से भारत का शासन करते थे. शिमला जिले की ऊंचाई 300 से 6000 मीटर तक है. अग्रेजों को पहाड़ों की रानी शिमला (Shimla) में अपने देश की झलक दिखती थी. उन्हें यह जगह इतनी पसंद आई की उन्होंने इसे हू-ब-हू इंग्लैंड के शहर की शक्ल देने की कोशिश की. खास बात है कि वे साल के ज्यादातर समय शिमला (Shimla) में ही बिताते थे. आज भी ऐतिहासिक भवन पर्यटकों के लिए आकर्षण हैं.
अंग्रेजों ने शिमला में इंग्लैंड की जिंदगी जीने की कोशिश की थी। यही वजह रही कि धीरे-धीरे उन्होंने शिमला को अपने हिसाब से बदल लिया।
अंग्रेजों को उत्तर भारत के पहाड़ी क्षेत्र शिमला में अपने देश की तस्वीर दिखती थी। उन्हें यह जगह इतनी पसंद आई की उन्होंने इसे हू-ब-हू इंग्लैंड के शहर की शक्ल देने की कोशिश की। खास बात तो यह है कि वे साल के ज्यादातर माह शिमला में ही गुजारते थे। आज भी ऐतिहासिक भवन पर्यटकों के लिए आकर्षण बने हुए हैं। साथ ही शिमला की अस्तित्व की गवाह भी हैं।
अंग्रेज शिमला का सही नाम नहीं बोल पाते थे। दरअसल वे शिमला को सिमला कहते थे। वहीं दूसरी ओर अंग्रेजों के जाने के बाद भी अंग्रेजी भाषा में शिमला को सिमला ही लिखा जाता था। 80 के दशक में हिमाचल सरकार ने हिंदी में इसके बोलने के हिसाब से अंग्रेजी में भी शिमला लिखे जाने की अधिसूचना जारी की। वहीं, दूसरी मान्यता है कि 1845 में निर्मित काली बाड़ी मंदिर जो मॉल के पास स्थित है, यह देवी श्यामल को समर्पित है और शिमला का यह नाम उनके नाम से ही रखा गया है। श्यामला देवी को देवी काली का ही अवतार माना जाता है। मंदिर में देवी की लकड़ी की एक मूर्ति प्रतिस्थापित है। दीवाली, नवरात्र और दुर्गापूजा जैसे त्योहारों पर सैकड़ों लोग यहां आते हैं। यहां की संस्कृति अन्य जगहों से है अलग शिमला को अंग्रेजों ने न केवल बसाया, बल्कि सजाया और संवारा भी था।

उन्होंने इसे ऐसी संस्कृति दी है, जो अन्य जगहों से इसे अलग करती है। खास बात तो यह है कि अंग्रेजों ने शिमला में इंग्लैंड की जिंदगी जीने की कोशिश की थी। यही वजह रही कि धीरे-धीरे उन्होंने शिमला को अपने हिसाब से बदल लिया। अंग्रेजों के शासनकाल में शिमला ब्रिटिश साम्राज्य की समर कैपिटल थी। सन 1947 में आजादी मिलने तक शिमला का दर्जा समर कैपिटल का ही रहा। इसे बसाये जाने की प्रसिद्धि चॉरीस प्रैट कैनेडी को जाती है। कैनेडी को अंग्रेजों ने पहाड़ी रियासतों का राजनीतिक अधिकारी नियुक्त किया

था। सन 1822 में उन्होंने यहां पहला घर बनाया, जिसे कैनेडी हाउस के नाम से जाना गया।
1832 में ब्रिटिश सरकार के गवर्नर जनरल लॉर्ड पीटर ऑरोनसन ने महाराजा रणजीत सिंह से जमीन ले ली।

-1864 में अंग्रेजों ने इसे अधिकारिक तौर पर समर कैपिटल घोषित कर दिया।

-इस क्षेत्र की ज्यादातर जमीनें या तो पटियाला रियासत के पास थी या फिर स्थानीय क्योंथल रियासत के पास।


शिमला में बनी मैकमोहन लाइन

मैकमोहन लाइन का खाका भी शिमला में ही तैयार किया गया। भारत और पाकिस्तान की सीमाओं का मूल्य करने के लिए बने कमीशन, जिसे रैड क्लिफ कमीशन के नाम से जाना जाता है, इसकी अधिकांश बैठकें शिमला के यूएस क्लब में हुई। बता दें कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के मामले की सुनवाई भी शिमला में ही हुई थी। इसके अलावा भारत-पाकिस्तान के बीच शिमला समझौता भी यहीं हुआ।