Hotel Haunted - 25 in Hindi Horror Stories by Prem Rathod books and stories PDF | हॉंटेल होन्टेड - भाग - 25

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 25

इस तरफ कार में नीचे निलेश बैठा हुआ था। बाहर बारिश इतनी जोरो से हो रही थी कि गाड़ी चलाते हुए सामने देखना मुश्किल हो जाता, जिसकी वजह से वह घर भी नहीं जा सकता था। तभी उसका ध्यान होटल की ओर गया खिड़कियों से आती हुई लाइट्स की रोशनी की वजह से उसे समझ में आ गया कि लाइट आ चुकी है,उसे एक बार कविता से बात करने का मन हुआ पर शायद वह सो रही होगी इसलिए उसने फोन करने का ख्याल टाल दिया।

कुछ देर ऐसे ही बैठे रहने के बाद उसका ध्यान लैपटॉप पर गया। "जरा देखूं तो कवी रात को सोते हुए कितनी सुंदर लग रही है।" यह सोचते हुए उसने लैपटॉप हाथ में लिया निलेश और कविता एक ही न्यूज़ चैनल में काम करते थे,दोनों काफी अच्छे दोस्त भी थे, पर निलेश उसको बहुत प्यार करता था। यह बात उसने आज़ तक कविता को नहीं बताई थी। नीलेश ने लैपटॉप को कैमरे से कनेक्ट किया तो देखा कि कविता अभी भी सो रही थी, पर उसे यह बात बहुत ही अजीब लग रही थी


जैसे-जैसे उसने सभी चीजों पर गौर किया उसके चेहरे का डर पसीने की बूंदे बनकर उसके चेहरे पर दिखने लगा। क्योंकि कविता कब से छत की ओर मुंह करके सोई हुई थी, उसने एक बार भी करवट नहीं बदली थी।जब उसमें थोड़ी देर पहले देखा था तब भी वह इसी तरह सोई हुई थी और सबसे अजीब बात तो यह थी कि कमरे में अभी भी पूरा अंधेरा छाया हुआ था जैसे उस कमरे में लाइट्स ही ना हो। निलेश ने फौरन अपना फोन उठाया और कविता को लगा दिया, इस बार जो उसने देखा यह देख कर उसके रोंगटे खड़े हो गए।

कविता का फोन उसके ठीक बगल में रखा हुआ था, निलेश के फोन से रिंग जा रही थी। कविता के फोन की स्क्रीन उसके सामने दिख रही थी पर अजीब बात यह थी कि कविता के फोन से कनेक्ट ही नहीं हो रहा था और ना ही उस फोन की स्क्रीन ऑन हो रही थी जैसे वह डेड पड़ा हो।
यह सब देख कर निलेश ने फॉरेन लैपटॉप बंद किया "मुझे किसी भी तरह से कविता को वहां से निकालन होगा लगता है,इन सभी लोगों की बातें सच थी इस जगह में जरूर कुछ अजीब है।" यह सब बोलते हुए वह गाड़ी के बाहर निकलता है पर जैसे ही वह कार के बाहर आता है उसका पूरा शरीर पानी में भीग जाता है। बारिश का जोर अब पहले से ज्यादा बढ़ चुका था, वह इतनी तेज हो गई थी कि सामने होटल को ठीक से देख पाना भी मुश्किल हो चुका था।

वह हिम्मत करते हुए होटल की ओर बढ़ने लगा।अभी वह कुछ दूर तक गया था कि तभी उसके पैर रुक जाते हैं, उसके सिर में बहुत दर्द का झटका महसूस होता है। अपने हाथ से सिर को छू कर देखता है तो उसका हाथ पूरा खून से तरबतर था। उसको अपने सिर के पिछले हिस्से में बहुत दर्द हो रहा था, जिसकी वजह से उसे देखने में तकलीफ हो रही थी और वह वही पर गिर जाता है।वह जमीन पर गिरे हुए उसके पास पड़े पत्थर को देखता है तो उसके दो टुकड़े हो चुके थे।किसी ने अपनी पूरी ताकत से नीलेश के सर पर उस पत्थर से वार किया था। दर्द की वजह से उसकी आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है और वह बेहोश हो जाता है।

कुछ देर बाद उस काले जंगल में एक दर्दनाक चीख गूंजती है "आआआहह......"यह चीज इतनी दर्दनाक थी कि सुनने वाले की रूह कांप जाए। निलेश अपने दोनों हाथों से अपने पैरों को पकड़कर तड़प रहा था, पर यह दर्द इससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। एक बड़ा सा पत्थर उसके दोनों पैरों के ऊपर गिरा हुआ था जिसकी वजह से उसके दोनों पैर कुचल गए थे। जहां वह पड़ा था वह पूरी जगह उसके सिर और पेड़ से निकलते खून की वजह से लाल हो चुकी थी। उसके दर्द की एक एक लहर है दिल को निचोड़े जा रही थी।

अपनी आंखों को बंद किए हुए वह जमीन पर पड़ा उस दर्द को सहन करने की कोशिश कर रहा, तभी उसे किसी के पैरों की आहट सुनाई देती है। वह आखें खोल कर अपने पैरों के पास देखता है तो दंग रह जाता है।एक शख्स उसके पैरों के पास एक और बड़ा पत्थर पकड़ कर खड़ा हुआ था। उसे देख कर नीलेश के मुंह से बस इतना ही निकलता है "क्यों?!!?....आखिर तुम ऐसा क्यों कर रहे हो?"वह भी इतना ही बोला था कि सामने खड़े हुए शख्स ने पत्थर उठाकर निलेश के पूरे मुंह को कुचल दिया। काला सूट पहने हुए वह साया कुछ देर तक वहां से बहते हुए खून को देखता रहा।

८ दिन बाद.....

सुबह का वक्त था,बारिश अभी थोड़ी देर पहले ही बंद हुई थी, पर आसमान में काले बादलों का झुंड अभी भी मंडरा रहा था। बारिश की बूंदे पेड़ों के पत्तों पर से फिसलते हुए जमीन से जाकर मिल जाती थी और ठंडी हवाएं भी रह रह कर बह रही थी।राजीव अपने घर में सोफे पर पड़ा हुआ था,उसके आसपास कई शराब की बोतलें पड़ी हुई थी, उसके कपड़े बहुत गन्दे लग रहे थे, उसकी आंखें लाल हो चुकी थी और आंखों के पास बड़े काले गड्ढे बने हुए थे,वह इस वक्त भी नशे की हालत में बड़बड़ा रहा था "खत्म हो गया.....सब खत्म हो गया, मेरी सब मेहनत बेकार हो गई।"

कुछ देर ऐसे रहने के बाद उसने रिमोट उठाया और न्यूज़ चैनल लगाया "तो जैसा कि आप लोग देख रहे हैं कि मौत का सिलसिला वापस से शुरु हो चुका है, शायद लोगों का कहना सही है वह जगह वाकई में हॉन्टेड है क्योंकि पहले यहां हनीमून मनाने आए कपल्स बाद में स्टाफ बॉयज कि एक के बाद एक रहस्यमई तरीके से मौत हो रही है।" इतना कहने के बाद टीवी पर राज,रिया मनीष, अंकिता और साथ में कई लोगों की तस्वीरें न्यूज़ पर दिखाई दे रही थी "आखिर यह मौत कैसे हो रही है इसका पता पुलिस भी नहीं लगा पाई और हैरानी की बात तो यह है कि इस केस की इन्वेस्टिगेशन करने वाले ऑफिसर पाटिल का भी एक हफ्ते पहले बहुत बड़ा एक्सीडेंट हुआ है, जिसके चलते वह अभी भी होस्पिटल में अडमिट है और वह अभी तक होश में नहीं आए हैं आखिर इन सब मौत को नजर में रखते हुए कोर्ट ने उस होटल को बंद करने का फैसला ले लिया है।"

इतना देखने के बाद राजीव ने गुस्से में शराब का एक और गिलास भरा और उसमें बिना पानी मिलाएं एक झटके में पूरा पी जाता है, तभी उसका फोन बजा उसने देखा तो मिस्टर रोबर्ट का फोन आ रहा था। गुस्से में उसने फोन उठाकर टीवी पर मारा जिसकी वजह से टीवी और फोन के टुकड़े हो गए। कमरे में फिर से सन्नाटा छा जाता है, राजीव ने अपना सिर पकड़ा और वहीं पर बैठ गया।

To be continued.......