….Now on ………
विवेक : अदिति चलो यहां से ….!
अदिति : विवेक ….ये क्या कह ….रहे हैं ….!
विवेक : अदिति कुछ नही... चलो (जबरस्ती ले जाता है)...(owner से). …..आपने कहा था यहां specially couple आते हैं ….!
Owner : जी sir …..!
विवेक : वो अघोरी यहां क्या कर रहा है....
Owner : sorry sir ....यहां पास ही शिव मंदिर है ….वो वही रहते हैं हमने कई बार मना किया था पर वो फिर भी वहां पहुंच ही जाते है....उनकी वजह से आपको problem हुई उसके लिए माफ कर दीजिए …..!
विवेक बिना कुछ कहे चला जाता है....
विवेक : चलो अदिति ….i'm sorry ….!
अदिति : क्यूं विवेक...?
विवेक : मैं तुम्हें यहां लेकर आया मेरी गलती थी …..!
अदिति : नही …..!
विवेक : बैठो अंदर…...!
अदिति परेशान सी उसी बातों में खो जाती हैं....
विवेक : अदिति क्यूं tensioned हो रही हो …..!
अदिति : नही विवेक …..ऐसा क्यूं कहा उन्होने ...वो तावीज के बारे में कैसे जानते हैं...?.. कैसे जानते हैं मैंने उस तावीज को फेंक दिया …...?....उनकी बात सच है...
विवेक : तुम पागल हो गई हो क्या भूल जाओ इसे …..!
अदिति : पिशाच..... तावीज ...कही तक्ष ....?....विवेक मुझसे दूर रहो.... तुम भी..
विवेक : (पकड़कर झंझोरता है).... अदिति ...होश में आयो क्या बचकानी जैसी बातें कर रही हो....!
अदिति : विवेक ...तक्ष (इतना ही कह पाती है फिर बेहोश हो जाती हैं....)
विवेक : अदिति ...उठो अदिति …..निशांत हमे घर छोड़ दो …!
निशांत : जी.......!
विवेक :(मन में ) ये तक्ष कुछ suspicious है क्या कहानी है उसकी ...मेरी गले थी पुछ लेता तो सही रहता ….अदिति you don't worry जबतक मैं जिंदा हूं तुम्हें कुछ नही होने दूंगा... (Forehead kiss)....निशांत मेरी car कल भेज देना...!
निशांत : ok sir…..!
विवेक. के kiss करते ही अदिति आंखें खोल लेती हैं ….
विवेक : अदिति ...अच्छा हुआ तुम्हें होश आ गया......!
अदिति : विवेक... वो पिशाच.. है...!
विवेक : enough अदिति (थोड़ा डांटकर )...
विवेक ने अदिति को कसकर अपनी बांहों में भर लिया...अदिति चुपचाप बस उसकी धड़कनों को महसूस करने लगी …..
निशांत : sir आपके घर जाना है …..!
विवेक : निशांत यहां से left लेकर on road जाकर right hand पर चलो …..!
निशांत : ok…..!
विवेक : stop
Car अदिति के घर के सामने रुकती है...
विवेक : अदिति ....संभलकर ....ज्यादा मत सोचना.... भूल जाओ इस incident को .....!
अदिति : हूं....!
…..in house …...
बबिता : अदिति दी आप आ गई ....क्या हुआ आपकी तबियत ठीक नहीं हैं क्या...?
आदित्य : विवेक आओ ....अदिति .....विवेक क्या हुआ इसे …....?
विवेक : कुछ नहीं भाई ....मैंने थोड़ा डांट दिया.....अपने notes नही दे रही थी....है न अदिति ....!
अदिति : हां भैय्या..... मुझे कुछ नही हुआ है …...(तभी तक्ष आता है... जिसे देख अदिति घबरा जाती हैं)...!
विवेक : अदिति बैठो खड़ी रहोगी क्या....!
आदित्य : अदिति तू तक्ष को देखकर घबरा क्यूं गई…..!
अदिति : ह हां.....कुछ नहीं भैय्या.....!
तक्ष अदिति को देखकर कुछ सोच में पड़ जाता है...
विवेक : अच्छा भाई मैं चलता हूं.... (मन में )..अदिति मैं ऐसे तुम्हें अकेले छोड़ना तो नही चाहता पर ..
आदित्य : किस सोच में पड़ गया विवेक....
विवेक : nothing भाई …...!
आदित्य : अब तुम आये हो तो dinner करके जाना …..!
विवेक : नही भाई आप क्यूं परेशान हो रहे है....!
आदित्य : इसमें परेशानी कुछ नही है चुपचाप बैठो …..!
विवेक : ठीक है भाई......!
आदित्य : अदि …..तू इतनी tensioned क्यूं लग रही है हमेशा बोलने वाली मेरी बहना चुप क्यूं है.....?
अदिति : भैय्या कुछ नही ....बस college function के बारे में सोच रही थी.....!
आदित्य : तू participate कर रही है... …....!
विवेक : हां भाई हम दोनों participate करेंगे …..!
आदित्य : क्या program create करोगे …..!
विवेक : ये तो अभी decide करेंगे …..!
आदित्य : ok best of luck ….
तक्ष : ये कुछ अलग व्यवहार कर रही है... मुझे देखकर घबरा क्यूं गई…...!
उबांक : सही कहा दानव राज ....ये कुछ बदली हुई लग रही है....!
तक्ष : उबांक ...जा इसके खाने में द्रव्य मिला दे.....!
उबांक : आप निश्चिंत रहिए ...मैंने मिला दिया है....!
तक्ष : बहुत खुब......!
आदित्य : अब तुम कहां खो गये तक्ष ...खाना खाओ ...!
तक्ष : जी …..!
विवेक : भाई वैसे आपने तक्ष के बारे में नही बताया...!
अदिति : विवेक....
आदित्य : क्या हुआ अदि....?...तक्ष के बारे में बता दो इसे .!
विवेक : (मन में) अदिति इतना घबरा क्यूं गई.....?
अदिति : भाई हम तक्ष का साथ नही देंगे …...!
अदिति कि ये बात सुनकर तक्ष का खाना खाना रूक जाता है...
आदित्य : अदिति क्या हुआ....?
विवेक : भाई अदिति को rest कि जरुरत है …..!
आदित्य : सही कहा विवेक..... अदि जाओ अंदर ...आराम कर लो …..!
अदिति : भैय्या तक्ष
आदित्य : अदि अंदर जाओ …...!
अदिति आदित्य के डांटने पर अंदर चली जाती हैं..... वशीकरण द्रव्य पीने के कारण जल्दी सो जाती हैं..
आदित्य : विवेक ....तुम तक्ष के बारे में पुछ रहे थे न....!
विवेक : हां....!
आदित्य : तक्ष हमारे पापा के दोस्त का बेटा है …..!
विवेक : हां ये तो बताया था अदिति ने …..!
आदित्य : अच्छा …...तो फिर सुनो...(आदित्य तक्ष कि कहानी विवेक को बता देता है...).....
विवेक : इसका मतलब तुम्हें अदिति ने free करवाया था ….!
तक्ष : हां आज मैं उनकी वजह से ही बच सका हूं....
विवेक : अच्छा है ...गांव के अंधविश्वास के खिलाफ मैं भी तुम्हारा साथ दूंगा...
तक्ष : धन्यवाद …...!
आदित्य : तक्ष मैंने तुम्हें इससे नही मिलवाया.... ये विवेक है ..मेरे दोस्त के चाचा का लड़का है.... अदिति और विवेक बचपन में ही साथ में पढ़ते खेलते थे.....!
तक्ष : अच्छा …..!
विवेक : अच्छा भाई मैं चलता हूं....
आदित्य : चलो मैं तुम्हें छोड़ आता हूं....
विवेक : thanks ....bhai
दोनों चले जाते है....
उबांक : दानव राज.... आप कह रहे थे इससे आपको खतरा है ...पर ऐसा नहीं लगता …..!
तक्ष : लग तो अभी भी रहा हैं ...पर इसकी बातें सोच से अलग है …...अभी इसकी चिंता नही अभी तो अदिति के बारे में जानना है आखिर क्या हुआ है अचानक....!
उबांक : अभी तो बेहोश है वो .....
तक्ष : मैं उसके दिमाग को पढ़ लूंगा ……
………to be continued ……