Udaan-2 - 1 in Hindi Motivational Stories by ArUu books and stories PDF | उड़ान - चेप्टर 2 - पार्ट 1

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उड़ान - चेप्टर 2 - पार्ट 1

प्रिय पाठकों
उम्मीद है आप सब अच्छे होंगे
उड़ान का पार्ट 1 लिखे हुए मुझे बहुत टाइम हो गया हैं
आज मैं आप सब के बीच में उड़ान पार्ट 2 लेकर आई हूं

अब तक आपने पढ़ा की काव्या और रूद्र की एक नई लाइफ शुरू हो चुकी हैं । दोनों एक दूसरे के साथ बहुत खुश हैं। और कॉलेज के नए साल के साथ ही उनकी नई मोहब्बत भी उड़ान भरने लगी है।
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आज लगभग दो महीने बाद कॉलेज खुला था। सब बहुत खुश थे पर सबसे ज्यादा खुश थे रूद्र और काव्या । और काव्या तो मानों सातवें आसमान पर थी। रूद्र का साथ पा कर वह बहुत खुश थीं । पर कॉलेज की दी मोस्ट पॉपुलर गर्ल रिहाना आज खुश नहीं थी। जबसे उसे पता चला कि रूद्र काव्या से मोहब्बत करता हैं वह काव्या से बहुत ज्यादा खुन्नस रखने लगी हैं।आज कैंटिन कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लग रही हैं । एक टेबल पर काव्या रूद्र वीर पीहु राज और विनी बैठे हैं। स्पेशल काव्या और रूद्र के साथ होने से ही सारी कैंटीन में रौनक सी आ गईं है।
हालांकि वो दोनों पास न बैठ कर दूर बैठे है शायद अपनी मोहब्बत को लोगों की नजरो से मेहफूज रखना चाहते है।
***********
क्लास में भी दोनो साथ न बैठ कर दूर दूर बैठे है पर हां बीच बीच में उनकी नजरें जरूर मिल जाती है और आंखें मुस्कुरा उठती है।
ऐसे ही प्यारे प्यारे दिन एक दूजे के साथ बितते गए।काव्या का बर्थडे नजदीक आ रहा था। 2 दिन बाद उसका बर्थडे था। रूद्र दो दिनों से कॉलेज नहीं आया था।काव्या उसे फोन करती तो वह कहता बिजी हूं । उसे कहीं न कही यकीन था कि वो जरूर उसके बर्थडे के लिए बिजी हे तो वह इतना ध्यान नहीं देती।अब वह दिन भी नजदीक आ गया।आज काव्या का बर्थडे था और रूद्र आज भी कॉलेज नहीं आया।और ना ही उसे फोन किया। काव्या उसके इस बर्ताव से बहुत दुःखी हुई पर वह भी उसे फोन करने के मूड में नहीं थी।
वह अपने दोस्तों के साथ खुश थी हां उसे रूद्र की कमी बहुत खल रही थी पर पीहु और विनी ने उसके लिए जो पार्टी रखी थी उसकी खुशी में वह सब भूल गई। विनी ने उसे एक बार रूद्र के बारे में पूछा था पर उसने बात टाल दी। कॉलेज के बाद वह विनी के साथ पैदल ही घर निकल पड़ी। बाते करते करते उन्हे वह रास्ता आसान लगता था। आधे रास्ते पर पहुंचे थे की उन्हें लगा कोई गाड़ी उनके पीछे आ रुकी है।
वह दोनों कुछ समझ पाते उससे पहले ही गाड़ी में से दो लंबे चौड़े आदमी निकल आए और उन दोनो को उठा कर ले गए।
उन्होंने उनके चंगुल से बचने की बहुत नाकाम कोशिश की।
अनजान रास्ते से निकलती गाड़ी के बीच बचने का कोई रास्ता उन्हें नजर नहीं आ रहा था। तभी एक आदमी ने उनकी आंखों पर काली पट्टी बांध दी।कुछ देर बाद एक जगह वो गाड़ी रुक गई। दोनो को गाड़ी के नीचे उतार दिया गया।काव्या डर से सहम रही थी।उसे समझ नहीं आ रहा था की उसे इस तरह से क्यों लाया गया हैं।
एक आदमी ने आगे आ कर काव्या के आंखों की पट्टी खोल दी। जब उसने आंखे खोली तो उसे अपने सामने के नजारे को देख के विश्वास नहीं हो रहा था। उसके सामने वही झील थी जहा रूद्र उसे ले गया था।सामने रूद्र खड़ा था प्यारी सी मुस्कुराहट के साथ। "हैप्पी बर्थडे मेरी जान" रूद्र ने बड़े प्यार से कहा
तो काव्या जा के उससे लिपट गई। उसकी आंखों में खुशी के आंसू थे। वह सारे दिन का दर्द भूल गई। आंसू जब कुछ हद तक कम हुए तो उसे रूद्र के सिवा भी कुछ नज़र आने लगा। उसने देखा की झील के पास बहुत सुंदर सी सजावट की हुई है।और बर्थडे पार्टी का सारा अरेंजमेंट किया हुआ है। उसके सारे फ्रेंड्स है वहा और साथ ही उसके लिए रूद्र ने एक स्कूटी भी लाई है। ये देख वह खुशी से झूम उठी।उसका रूद्र पर से यकीन जाया नहीं गया था। वह इतना ज्यादा खुश अपने किसी बर्थडे पर नहीं हुई थी जितना वह आज खुश थी ।आज का दिन इसलिए भी खास था क्यूंकि रूद्र ने पहली बार काव्या को जान कह के पुकारा था।
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काव्या और रूद्र हर लम्हे को खुल के साथ जीते थे। कभी long drive कभी मूवी देखने तो कभी क्लाइंबिंग। बहुत खुश थे दोनों एक दूजे को पा कर। हल्की सी चोट भी रूद्र को डरा देती और और काव्या का ख्याल दोगुना रखने लगता। वह किसी भी शर्त पर उसे खोना नहीं चाहता था। वक्त बीतता गया और कॉलेज खत्म होने को आया। शायद वक्त की नज़र लग गई थी इनकी मोहब्बत को। रूद्र काव्या से खफा खफा सा रहने लगा था।
काव्या को उसकी ये बात अखरती थी। वह हर संभव कोशिश करती की रूद्र उससे खुश रहे पर हर दिन रूद्र उससे दूर जा रहा था। अचानक रूद्र के बर्ताव में आए इस बदलाव को वो समझ नहीं पा रही थी। अभी दो हफ्ते पहले की तो बात है। जब काव्या का स्कूटी से एक्सीडेंट हो गया तब रूद्र रात भर उसके पास हॉस्पिटल में बैठा रहा। एक पल के लिए भी उससे दूर नहीं गया। जबकि उसका घांव इतना गहरा नहीं था ।और आज उसका ये बर्ताव उसे समझ नहीं आ रहा था।
कल शाम को विनी ने भी उसकी उदासी भांप ली थी और आज कॉलेज में रूद्र का ये कहना की उसका मन भर गया है उससे, उसे अंदर तक तोड़ गया।
"क्या हुआ हैं मैडम" पीहु ने पूछा तो वह अतीत से वर्तमान में लौट आई।
"कुछ नहीं हुआ " काव्या ने बेरुखी से कहा
"अच्छा फिर तुमने निशि पर गुस्सा क्यों किया और रूद्र तुम्हारे सामने तक नहीं देख रहा,...क्या हो रहा है ये सब...कल तक सब ठीक था अचानक से क्या हो गया हैं तुम्हारे बीच... इतनी बेरुखी तो रूद्र ने कभी नहीं की तुमसे ?
पीहु ने लगभग खीझते हुए बोला।
काव्या बिना कुछ कहे चुप चाप बैठी रही।
अगर उसे खुद पता होता रूद्र के इस बर्ताव की वजह तब तो वह समझा पाती ना। वह खुद इस बात से अनजान दूसरो के सवालों के जवाब दे भी तो क्या।इसलिए उसने खामोश रहना बेहतर समझा।
पीहु कुछ भी जवाब ना पा कर चुप चाप वहा से चल दी।
तभी क्लास में रूद्र आया। काव्या ने उसकी तरफ देखे बिना अपना सिर नीचे कर के अपनी किताबों में झांकने लगी। वह जानती थी की इस टाइम रूद्र से किसी भी तरह की कोई उम्मीद नहीं की जा सकती। धीरे धीरे रूद्र की बेरुखी बढ़ने लगी। पर ये बात देखी जा सकती थी की रूद्र अब निशि के आस पास ज्यादा दिखने लगा था।
अब तो आलम ये था की रूद्र ने काव्या की परवाह तक करना छोड़ दिया था। काव्या आज बुखार से तप रही थी पर रूद्र ने उससे हाल तक नही पूछा।अचानक रूद्र का काव्या से दूर होना सबको खटक रहा था। पर कोई भी चाह के भी कुछ नहीं कर पा रहा था। काव्या का दिन तो कॉलेज में निकल जाता पर शामें अक्सर उदास बीतने लगी। रूद्र का इस तरह से बदल जाना उसे अंदर तक झंकझोर गया। एक तो उसे रूद्र का इस तरह बदल जाना समझ नहीं आ रहा था और दूसरी तरफ बचपन में अपनी मां के जाने के बाद जिस तरह तन्हा हो गई थी वही अकेलापन रूद्र के जाने से उसे घेर गया।
वह मौका मिलते ही रूद्र को वजह पूछती पर वह हर बार हाथ छुड़ा के बिना कुछ बोले चला जाता।
दिन बीतते गए...काव्या ने बिल्कुल बोलना बंद कर दिया। वह अक्सर खामोश ही रहती।
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प्रिंसिपल सर ने बताया कि कॉलेज का इस बार लास्ट इयर हैं और पिछले साल की घोषणा के अनुसार परसों से कॉलेज की तरफ से 3 दिन का ट्रीप रखा गया है। आप सब अपनी अपनी तैयारियां कर दे।
सबके चेहरे पर खुशी थी पर काव्या नीरसता से सुनती रही।
विनी को उसने मना कर दिया की वह इस ट्रीप में नहीं चल पाएगी।विनी उसके बिहेवियर से वाकिफ थी पर उसने सोचा की बाहर चलने से वह थोड़ा अच्छा फील करेगी इसलिए उसने कहा
"देख काव्या बहुत दिन से मैं तुझे इस हाल में देख रही हूं..,मुझे नहीं पता तुम्हारे बीच क्या हुआ हैं पर मैं बस तुझे इस हाल में और नहीं देख सकती.., तू हमारे साथ चल रही हैं और ये मेरा फैसला है जिसे तू टाल नहीं सकती"
काव्या उसे एक नज़र देख कर वापस किसी सोच में पड़ जाती है।
रूद्र अब कॉलेज कम ही आता था और आ भी जाता तो निशि के पास बैठा रहता। काव्या को मौका ही नही मिलता उससे बात करने का। काव्या ने सोचा 3 दिन में किसी तरह रूद्र से बात हो जाएगी। यही सोच उसने विनी को चलने के लिए हामी भर दी।
पर वहा पर जो हुआ उसे काव्या को पूरा बदल कर रख दिया...
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