"पियूष लडे़ जा रहा था, बड़ी खूंखारता से अपना फरसा घुमाये जा रहा था। उसकी धार में आने वाली हर चीज टुकड़ों में विभक्त हो रही थी। चारों तरफ आतंक फैल रहा था। परन्तु दुश्मन भी कम न थे, वो रणनीति के साथ घेर कर हमला कर रहे थे और पियूष को घाव दिए जा रहे थे। पियूष भी दरिंदों की तरह उनको काटे जा रहा था। परन्तु वो संख्या में ज्यादा थे। पियूष के रणकौशल और ताकत के आगे वो आखिर टिक न पाए। सबके सब मारे गए। पियूष भी बुरी तरह घायल हो गया था। उसके शरीर में थकान हावी हो रही थी। उसमें इतनी भी ताकत न बची थी कि वो एक कदम भी चल पाए। वो जल्दी से जल्दी वापस लौटना चाह रहा था। परन्तु उसके शरीर में दम शेष न रहा वक्त बीत रहा था अचानक वहांँ और दुश्मन आने लगे थे।पियूष की हिम्मत टूट रही थी, निराशा उसके चेहरे पर हावी हो रही थी। वो लोग एकदम पास आ गए थे कि अचानक........
वहाँ निशा आ गयी। वैसे नहीं जैसे हमेशा रहती है, बल्कि अलग ही रूप में। आज तो वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। उसके बाल खुले हवा में लहरा रहे थे। चश्मा नहीं था उसकी आँखों पर, चेहरे पर बड़ी ही मासूमियत और निश्चलता थी। उसने बहुत ही शानदार कपडे़ पहने थे जिसमे वो कहीं की राजकुमारी लग रही थी। पियूष उसे देखता ही रह गया। आज वो संसार की सबसे सुंदर लड़की लग रही थी।
पियूष बरबस ही उसकी तरह बढ़ा। वो लड़खड़ाते हुए उसे छूने के लिए चलने लगा। निशा ने भी अपना हाथ बढ़ाया और पता नहीं क्या हुआ कि निशा के अंदर से एक तेज रोशनी फूटने लगी। वो रौशनी बढ़ने लगी और बढ़ते-बढ़ते इतनी तेज हो गयी कि कुछ भी दिखाई देना बंद हो गया। उसने घबरा कर निशा का हाथ थाम लिया और.....
पियूष की नींद खुल गयी.... वो पसीने से भरा हुआ था, हांफ रहा था, जैसे मीलों दौड़कर आया है। उसके चेहरे पर पसीने की बूंदों के साथ-साथ परेशानी भी थी। वो खुद से बात करने लगा-" निशा!!! निशा मेरे सपने में क्या कर रही है?? मैं ये जानता हूँ कि उसे खुद को नहीं पता कि वो बहुत खूबसूरत है, पर इतनी सुन्दर???? और, मैं इतनी बार ये सपना देख चुका हूँ जिसमें मैं बहुत लोगों को मारता हूँ, परन्तु निशा आज से पहले कभी मेरे सपने में नहीं आयी थी। इस सपने का मुझसे क्या संबन्ध है?? और सबसे बड़ा सवाल कि निशा का मुझसे क्या सम्बन्ध है??
पियूष तैयार होकर ऑफिस पहुंँचा, वहाँ अभी तक सारा स्टाफ आया हुआ न था। आज सपने की वजह से पियूष जल्दी उठ गया था तो ऑफिस भी और दिनों से जल्दी पहुंँचा था। वहांँ आकर उसने देखा कि निशा वहांँ आयी हुई अपनी टेबल पर काम कर रही है और उसका ध्यान पियूष के आने पर भी न था। पियूष उसके पास गया और थोड़ा-सा झुकते हुए उसके कान के पास धीरे से बोला-" गुड मॉर्निंग।"
निशा, जिसका ध्यान काम में था, वो अचानक से घबरा गयी और उसका कुछ सामान हड़बड़ी में नीचे गिर गया। 'पियूष ने मुझे गुड मॉर्निंग बोला!!! मुझे!!!! आज ये पक्का या तो नशे मैं होगा या मैं कोई सपना देख रही हूं।' अचानक उसका ध्यान पियूष की चुटकी से टूटा -" मिस निशा, अगर सोच की दुनिया से बाहर आने का इरादा हो गया हो तो, गुड मॉर्निंग।" अब तक बाकी स्टाफ भी आने लगा था तो पियूष निशा को आश्चर्य में छोड़ अपने केबिन में आ गया।
केबिन में आकर उसने अपने मैनेजर को बुलाया और उसे निशा की फाइल लाने को बोला। फाइल आने के बाद उसने निशा की डिटेल पढ़ी। काफी पढ़ी- लिखी और अनुभवी थी। उसकी योग्यता के हिसाब से उसको काम न मिला था। 'ह्म्म्मम्म..... तो मिस निशा का कुछ करना ही पड़ेगा. अब और बर्दास्त नहीं हो रहा।'
पियूष ने तुरंत मैनेजर को बुलाया और कुछ कहा। मैनेजर तुरंत निशा के पास गया और बोला -" मिस निशा, बॉस ने कहा है कि अब आप यहाँ काम नहीं कर सकती।
निशा ये सुनकर चौंक गयी, उसकी आँखें डबडबा गयी। उसको पैरों तले धरती खिसकती महसूस हुई, आँखों के आगे अँधेरा सा छा गया। उसके मन में आने लगा कि अब उसका और उसके भाई का क्या होगा। वो रुंधे गले से बस इतना ही पूछ पायी कि -" क्यों सर, कोई गलती हुई है मुझसे??
मैनेजर बोला-" अब ये सब तो बॉस ही जाने आप उन्हीं को पूछिए। मैंने तो जो उन्होंनें कहा था वो आपको बोल दिया।
निशा मन में रोते-रोते , मन-मन भर के कदम रखती हुई, बेसुध सी, पियूष के केबिन में पहुंची -" सर, आ... आपने मुझे काम से निकाल दिया??
पियूष ने नजरें उठायी उसे देखा और कहा-" एक्चुअली मिस निशा, मुझे लगता है कि आप हमारी कंपनी के रूल्स के हिसाब से अभी जिस पोजीशन पर है, उसके लायक नहीं है तो ये लेटर लीजिये और जाइये।" ऐसा कहते हुए उसने एक लिफाफा उसकी तरफ बढ़ा दिया।
निशा ने वो लिफाफा पकड़ा और वापस अपनी चेयर पर आकर मुँह घुटनों में डालकर सुबकने लगी। उसे अब अपने राहुल की फिक्र हो रही थी। वो समझ गयी कि ये पियूष जितना घटिया लगता है उससे कहीं ज्यादा घटिया ही है। शायद वो इस संसार का सबसे बुरा इंसान है।
To be continued......