Me and my friends in English Short Stories by Karunesh Maurya books and stories PDF | मैं और मेरे दोस्त।

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मैं और मेरे दोस्त।

एक समय की बात है , मैं और मेरा दोस्त ऐसे ही स्कूल के बाहर टहल रहे थे नही बंक नही किया था सुबह हम दोनो स्कूल जल्दी गए थे उस दिन, तो सोचा की चलो चलते है कही बाहर टहल आते है तब तक, हा अभी स्कूल की प्रार्थना घंटी बजने में भी काफी समय था तो हम दोनो ने यह निश्चय किया और चल दिए बाहर की ओर एक खुली हवा मस्त गगन में एक आजाद पंछी की तरह कम से कम आधा घंटे का समय था हमारे पास ये सोचकर हम बातो में मस्त मगन होके कब कितनी दूर निकल गए पता ही नही चला कभी वो हमे अपनी गलती बताता तो कभी मैं उसे उसकी अच्छाई बताता हम बाहर टहलने तो आ गए थे पर हमारे पास मात्र एक कॉपी लेने के सिवा एक भी ज्यादा रुपए नही थे और हम यही सोचकर बाहर निकले थे की टहलने के साथ साथ कॉपी भी खरीद लेंगे पर कॉपी लेना हमारे ख्याल से ही निकल गया और पूरा आधा घंटा कब कैसे और कहा बीत गया हमे पता ही नही चला और आखरी में हमे अपनी कॉपी का ख्याल आया तभी हम पास की पुस्तक भंडार की दुकान की तरफ दौड़े और जल्दी से उस दुकान पे पहुंचे और हाफते हुए बोले अंकल अंकल एक कॉपी दे दीजिए तभी अंकल जी कॉपी लेने के लिए दुकान के काउंटर से हटकर अंदर की ओर चले जाते है तभी हम देखते है की उधर रोडसाइड की तरफ से हमारे साइंस के टीचर आ रहे थे अब मैं जो लिख रहा हूं उसे झूठ नही मानिएगा नही झूठ तो कुछ भी नही है पर अब जो हुआ था वो लिखूंगा तो शायद आपको लगे कि ये सही नही है पर यही सही तो जब हमने देखा की हमारे साइंस के सर आ रहे है अब मेरे दोस्त को दो बोलने वो बोला की मास्टर आ रहा ये बहुत मरता है साला और भी सर के कई अनसुने और अटपटे नाम बताए और देखो तो जैसे ही सर आए मेरे दोस्त ने झट से सर के चरण स्पर्श कर लिए और गुड मॉर्निंग विश किया भाई मुझे देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ जो लड़का अभी मेरे बगल क्या से क्या बोल रहा था और अगले ही पल में क्या से क्या हो गया और मुझे चरण स्पर्श की आदत नही है तो मैने गुड मॉर्निंग विश करा सिर्फ और सिर कि तारफ मुस्कराया और तब तक अंकल जी हमारी कॉपी लेकर आ गए जिसे लेकर हम स्कूल की ओर चल दिए फिर मैं जो हसा था वो मैं ही जानता हूं और फिर स्कूल जाते समय मेरा दोस्त मुझसे बोला की ये साला मोटा बहुत हरामि है भाई मैने उसे डाटा भी समझाया भी पर जो मैं हसा हू , लेकिन हां मैने आजतक अक्षर देखा है वो अध्यापक उसी दोस्त को अच्छा मानते है कई लोगो के साथ काफी बार होता है की जो अच्छा होता है वो अच्छा न कहकर जो अच्छा न होता है वो अच्छा कहा जाता है नही ऐसी बात नहीं है की वो मेरा दोस्त अच्छा नही ही अच्छा है बहुत अच्छा मै बुरा नही कह रहा ,बस मैं एक किस्सा बता रहा था मेरा दोस्त पढ़ेगा तो मुझे क्या बीतेगी वो में ही जानता हु फिर मुझे पैसे खतम करके गिफ्ट देना पड़ेगा उसे मनाने के लिए खैर अगर आपको मेरा ये किस्सा अच्छा लगा हो तो ज्यादा कुछ नहीं स्माइल प्लीज ☺️