Matsya Kanya - 4 in Hindi Adventure Stories by Pooja Singh books and stories PDF | मत्स्य कन्या - 4

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मत्स्य कन्या - 4

अविनाश : तुम तो‌ बेमतलब की टेंशन लेती हो.....खाओ पियो और निश्चित रहो.....

मालविका : आप अपना फार्मूला अपने पास रखिए.... मुझे तो बस मेरी त्रिशू की चिंता है....वो बार बार उसके सपने में आकर उसे परेशान कर रहे हैं.....

" कौन‌ परेशान कर रहे हैं...?...."

अब आगे..................

मालविका जी हैरानी से पीछे मुड़ती है तो देखती त्रिश्का हाथ में टाॅवल लिये खड़ी थी.....

मालविका जी हड़बड़ा कर कहती हैं.." बेटा तू आई मतलब आज बहुत जल्दी अरे... मैं भी न चल आ जा जल्दी से ब्रेकफास्ट कर ले....

त्रिश्का पास जाती हुई कहती हैं..."मां कौन परेशान कर रहा है.....?.."

मालविका जी नजरें चुराते हुए कहती हैं..." कोई भी तो नहीं...."

लेकिन त्रिश्का दोबारा पूछती है तब मालविका जी उसे डांटते हुए ब्रेकफास्ट करने के लिए कहती हैं , जिससे त्रिश्का चुपचाप नाश्ते के लिए बैठ जाती है....वहीं अविनाश जी मजाकिया अंदाज में त्रिश्का से कहते है ...." जब डान बोलता है तब सबकी बोलती बंद हो जाती है..." त्रिश्का हंस‌ जाती है वहीं मालविका जी अविनाश जी को घूरती हुई देखती है......

तभी डोरबेल रिंग होती है.....

मालविका : देखती हूं कौन है....."

मालविका जी दरवाजा खोलती है तो सामने त्रिश्का के फ्रेंड्स थे जिन्होंने बारी बारी मालविका जी को नमस्ते कहा....

मालविका जी खुश होकर कहती हैं...." आओ बच्चों...सही टाइम पर आए हो...हम नाश्ता ही कर रहे थे, तुम भी आ जाओ....."

त्रिश्का सबको देखती हुई कहती हैं...." आज रास्ता कैसे भटक गए...." पायल उसके पास जाकर बैठती हुई कहती हैं...." क्या करें जब तुझपर टाइम होगा नहीं तो हम रास्ता भटकेंगे ही...." मालविका जी पायल की बात से सहमति जताती हुई कहती हैं...." बिल्कुल सही कहा बेटा इसे तो बिलकुल फुर्सत ही नहीं है....तुम सब बैठो मैं तुम्हारे लिए नाश्ता लगाती हूं....आज पोहा बनाया है..."

पायल : wow आंटी....

सिद्धार्थ मना करता है...." अरे नहीं आंटी जी हम सब नाश्ता करके आए हैं...." तभी पायल कहती हैं..." देख तुझे खाना नही है तो मत खा मैं आंटी के हाथ बना पोहा जरूरी खाऊंगी..." त्रिश्का पायल को चिढ़ाती हुई कहती हैं...." मां इस भुक्कड़ को ज्यादा देना थोड़े से इसका कुछ नहीं होगा..."

पायल त्रिश्का की बात सुनकर कहती हैं...." हां आंटी इसके हिस्से का भी मुझे दे दो...." पायल की बात सुनकर त्रिश्का चम्मच को मुंह तक ले जाती हुई रूक जाती है जिसे देखकर सब हंस जाते हैं लेकिन त्रिश्का तिरछी नजरों से पायल को देखती हुई कहती हैं......" सच में फूडी है तू ....."

पायल : अरे डर मत तू आराम से खा ले मैं तेरा ब्रेकफास्ट नहीं छिन रही हूं.....

त्रिश्का कुछ नहीं कहती बस चुपचाप अपना ब्रेकफास्ट करने लगती है और बाकी दोनों की नोंकझोंक पर हंस रहे थे... मालविका जी सबके लिए ब्रेकफास्ट लगा देती है और खुद भी बैठ जाती है.......

त्रिश्का पायल से आने का कारण पूछती है..." आज घर कैसे...?..." पायल कुछ बताती उससे पहले ही सिध्दार्थ कहता है...." त्रिश्का आज संडे है तो हम सोच रहे थे क्यूं राइडिंग के लिए चले... वैसे इस बार मैं तुम्हें पक्का हरा दूंगा...." पायल त्रिश्का का साथ देती हुई कहती हैं...." ओए सपने मत देखो त्रिश्का से राइडिंग में तुम कभी नहीं जीत पाओगे ....."

सिद्धार्थ : चैंलेज... चलो देखते हैं...

त्रिश्का इन्हें चुप करते हुए कहती हैं...." कौन सी राइडिंग , सारी प्लानिंग अपने आप बना लोगे... संडे होगा तुम्हारे लिए फ्री मुझे कहां देवांश शेट्टी एक दिन के लिए भी चैन की सांस लेने देता है....."

त्रिश्का की बात सुनकर साफ लग रहा था वो थोड़ा गुस्सा और परेशान सी है.... अचानक हुई शांति को तोड़ते हुए मालविका जी कहती हैं...." तू उसे फोन लगा मैं बात करती हूं कैसे छुट्टी नहीं देगा...... एक दिन तो सबको रेस्ट की जरूरत होती है जब देखो तब काम काम ..."

अपनी मां को समझाती हुई त्रिश्का कहती हैं....." मां मुझे पता है वो छुट्टी नहीं देंगे...." अपनी बेटी की बात को काटते हुए मालविका जी कहती हैं....." तू फोन तो लगा...इतने आश से तेरे फ्रेंड्स तुझे ले जाना चाहते हैं तो थोड़ी चली जा इनके साथ तुझे भी थोड़ा रिलेक्स फील होगा.... लगा फोन...."

त्रिश्का न चाहते हुए भी देवांश को काॅल लगाती है....देवांश शेट्टी काॅल रिसिव करता है और बिना आवाज सुने सीधा कहता है....." हेलो मिस गौतम...आप आज इतना लेट कैसे हो रही है जल्दी आइए प्लीज़ यहां सब वाटर रैंजर को वैट कर रहे... तभी वो बिच पर आएंगे....." इतना सब कहने के बाद देवांश दूसरी तरफ से कोई रिप्लाई न आने से दोबारा कहता है...." आप सुन रही है मिस गौतम...."

तब मालविका जी कहती हैं....." बेटा तुम बिना सुने इतना सब बोल रहे हो किसी दूसरे को तो मौका दो बोलने का....."

देवांश आवाज को समझने के लिए दोबारा कहता है..." आप ...?..."

मालविका जी कहती हैं....." मैं त्रिश्का की मां.... त्रिश्का आज अपने काम पर नहीं आ सकती..."

देवांश शेट्टी हैरानी से पूछता है......" लेकिन क्यूं...आप जानती है यहां पर उनकी कितनी वेल्यू है...." मालविका जी देवांश को समझाते हुए कहती हैं......" आज त्रिशू की तबीयत ठीक नहीं है उसे थोड़ा फिवर है इसलिए आज उसकी जगह आप किसी और को उसका काम दे दो......"

लेकिन देवांश जोकि त्रिश्का के न आने से परेशान हो चुका था , उनसे कहता है...." आप एक बार मेरी मिस गौतम से बात कराइए ....उनका काम ऐसा है कोई दूसरा नहीं कर सकता....आप प्लीज समझिए...." लेकिन मालविका जी उसकी बात को अनसुना करते हुए कहती हैं....." देखो बेटा त्रिशू को अभी मेडिसिन दी है वो रेस्ट कर रही है इसलिए उसके बदले में तुमसे बात कर रही हूं....."

त्रिश्का धीरे से अपनी मां से कहती हैं....." मां ये नहीं समझेगा...." लेकिन सिद्धार्थ और पायल उसे ये कहकर चुप कर देते हैं कि आंटी सब हैंडल कर लेंगी तू शांत हो जाओ....."

काफी देर मालविका जी के समझाने पर देवांश कहता है...." ठीक है मैं आपकी बात मानता हूं आज उन्हें रेस्ट के लिए छुट्टी दे देता हूं लेकिन प्लीज़ आपको किसी भी डाक्टर से कंसल्ट करना पड़े आप बेझिझक करिएगा बस देवांश शेट्टी के नाम से और उन्हें जल्दी ठीक करिएगा...."

मालविका जी ठीक है कहकर काॅल कट कर देती है... त्रिश्का को छुट्टी मिलने से सब खुश थे तो वहीं त्रिश्का गुमसुम सी हो गई थी......




.................to be continued...................

क्यूं छुट्टी मिलने से त्रिश्का खुश नहीं हैं....?

जानने के लिए जुड़े रहिए कहानी से........