Pyaar ka Zeher - 37 in Hindi Love Stories by Mehul Pasaya books and stories PDF | प्यार का ज़हर - 37

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प्यार का ज़हर - 37

कमल सिंह : सही बोला आपने चलो हमे उस चोटी सी बची के बारे मे पुछ ताछ करनी चाहिये. इसे पहले की देरी हो जाये.

प्रणाली : अरे राज के पापा जी और मनोज जी कमल जी आप सब रुकिये. राज गया है. वो जरुर महेर को ले आये गा.

महेश अच्छा लेकिन हम ऐसे हाथ पे हाथ धरे नही बैठ सकते ना.

प्रणाली : अरे मे ऐसा भी नही बोल रही हू. की आप कुच मत करो. लेकिन मे ये कह रही हू. की आप सब फिक्र मत करो राज को सब पता है. की वो कहा जा सकती है. इस लिये बोल रहे है. की मत जाओ कही पे भी वो आजायेगी ठीक है.

《 कुच देर बाद... 》

काला बादशाह : आओ महेर आओ इस काले बादशाह की कायनात की काली दुनिया मे आपका स्वागत है. हम आपको देख कर खुश हुए. आप बताईये आप हमे देख कर खुश नही हुए. चलो कोई बात नही हम ही आपको बता देते है. की मेने तुमको यहा पे क्यू बुलाया. तुमको यहा इस लिये बुलाया. ताकी की तुम्हारे जरिये हम पृथ्वी पर देहशत फैला सेक. और फिर हम अपना शाम राज्य चला सके.

महेर : मे ऐसा हर्गिज़ नही होने दूंगी. तुमको मे मार कर रहूंगी देखना. जैसे काले पेड को मारा था. वैसे ही तुम्हे मार देंगे.

काला बदशाह : हाहाहाहा मुझे मारना उस काले पेड की तरह आसान नही है. और मुझे मारने की बात तो तुम छोड ही दो. क्यू की मे कभी मर नही सकता. क्यू की मे काले पेड से कई गुना ज्यादा ताकत वर हू.

महेर : तुम भुल रहे हो. की अब एक हीरो आगया है. शक्ती साली वाला. जिसमे तुम जैसो को मार गिराने मे देर नही करता.

काला बादशाह : ठीक है आने दो देखते है. उसमे कितना दम है.

बटूक : अरे मे तो कहता हू की निकल्लो. वरना ये शक्ती साली चोरी तुम्हे इतना धोयेगी इतना धोयेगी की कभी खुद्को सुका नही पाओगे.

काला बादशाह : चुप होजा बटूक कही के. वरना तुम्हे इस खड्डे मे बंद कर दूंगा.

बटूक : हेहेहे मे मे तो मजाक कर रहा था. आपने तो सच मान लिया.

राज : महेर... महेर... कहा हो तुम ठीक तो हो ना.

काला बादशाह : अच्छा तो साथ मे तुम भी चले आये अच्छा कीया. अब दोनो यही पे दफन रहोगे.

राज : ये तुम्हारी गलत फेमि है काले बादशाह. क्यू की तुम मुझे जानते नही हो.

काला बादशाह : बटूक दिखा अपना कारनामा. ताकी इनको भी पता चले. की वो लोग कहा आकर क्या बोल रहे है.

प्रणाली : अरे राहुल बेटा जाओ ना. देखो अभी तक उन लोगो का कोई अता पता नही है.

राहुल : हा मम्मी देखता हू.

महेश : वैसे काफी वक़्त हो चुका है. भाग्यवान आप कितना इन्तज़ार करोगे.

प्रणाली : वैसे बात तो सही कह रहे हो. लेकिन इन्तज़ार के अलावा. औए कोई चारा भी तो नही है.

दिव्या : राहुल आप खूद जाओ ना. और जाकर पता करो की आखिर कार क्या हुआ है. महेर को कोई घबराने वाली बात तो नही है ना.

आगे जान्ने के लिये पढते रहे प्यार का ज़ेहेर और जुदे रहे मेरे साथ