BEMEL - 30 in Hindi Fiction Stories by Shwet Kumar Sinha books and stories PDF | बेमेल - 30

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बेमेल - 30

.....मुखिया के मुख से श्यामा के लिए अपमानजनक बातें सुन भीड़ में खड़ी औरतें एक सूर में उसपर टूट पड़ी।
“ओ मुखिया, किसी औरत पर कोई तोहमत लगाने से पहले एकबार अपने गिरेबान में झांककर देख ले! सब पता है हमें कि तू गांव की बहू-बेटियों पर गंदी निगाह रखता है! श्यामा काकी के बारे में एक शब्द भी बोला तो तेरा मुंह नोच लुंगी! ये श्यामा काकी ही हैं जिन्होने खुद की परवाह किए बगैर पूरे गांव की मदद उस समय की, जब लोग अपने घर से बाहर निकलने में भी डरते हैं! और इनके साथ जो भी हुआ उसके असली कसुरवार को उसके करणी की सजा मिल गई! हमलोग तेरे पास आज जिस बात के लिए जमा हुए हैं! उसका इंसाफ नहीं कर सकता तो तू इस गांव का मुखिया होने के लायक नहीं है!!”- औरतों की झुंड ने तनकर कहा तो मुखिया ने अपने पैर पीछे खींच लिये! औरतों के मुंह से मुखिया की करनी सुनकर उसकी पत्नी से भी रहा न गया और वह भी तुनककर भीड़ में औरतों के बीच बैठी श्यामा के पास आकर खड़ी हो गई। मुखिया अब भीड़ में अकेला रह गया था और मौके की नजाकत को उसने भांप लिया।
“अरे पहले तुमलोग शांत हो जाओ! पूरी बात तो बताओ आखिर हुआ क्या है! तभी तो मैं कुछ कहूं या करूं!”- मुखिया ने आडम्बरपूर्ण सहानुभूति दिखाते हुए कहा।
भीड़ ने अपने बीच मौजुद हवेली के मुस्टंडों को आगे कर दिया जिन्होने सारी बातों से मुखिया को अवगत कराया और अपनी गलती भी कबूली। सारा मामला जानकर भीड़ के सामने खड़े मुखिया के होश उड़ गए। उसकी तो बोलती बंद हो चुकी थी जैसे जुबान कहीं भीतर ही अटक गए हो। आखिर वह बोलता भी क्या! वह गांव का मुखिया कम और हवेलीवालों की रहमत पर पलने वाला पालतू कुत्ता ज्यादा था जिसे अब अपने मालिक पर ही भौंकने की बारी आयी था! फिर उसकी बीवी भी आज उसका साथ छोड़कर गांववालों के साथ जा खड़ी हुई थी!
“द द देखो! हवेलीवालों से झगड़ा मोल लेने से पहले सोच लो! वे सब बहुत उंची पहुंचवाले और उंचे रसुखवाले हैं!”- मुखिया ने अटकते हुए गांववालों से मान-मनौवल करने की सोची। पर उसकी सिट्टीपिट्टी तब गुम हो गई जब भीड़ में से आगे बढ़कर उसकी पत्नी की आवाज आयी।
“मुखिया जी, अगर हवेलीवाले इतने ही रसुखदार हैं और उनकी पहुंच अगर इतनी ही ऊपर तक है तो क्यूं पूरा गांव आज महामारी की चपेट में है? आखिर क्यूं पूरा गांव आज भूखे मरने को मजबूर है!”- मुखिया की पत्नी ने अपने ही पति से सवाल किया जिसका मुखिया के पास कोई जवाब न था।
“सही कह रही है मुखियाईन! हम गांववालों की तरफ से श्यामा काकी ने हवेलीवालों के आगे मदद की गुहार लगायी थी। पर बदले में क्या मिला?? उनलोगों ने इन्हे दुत्कार कर भगा दिया!”- भीड़ में से आवाज आयी।
“हम कुछ नहीं जानते! आप चलो हवेली और वो भी अभी! फैसला आज होगा, इसी वक़्त होगा! नहीं तो हम तुम्हे भी नहीं छोड़ने वाले मुखिया जी!! अगर तुम्हे हवेली जाने से डर लगता है तो ये गांव छोड़कर चले जाओ हमेशा के लिए!! अब तुम्हे क्या करना है ये सोचकर बता दो! हमसब यहीं तुम्हारे फैसले के इंतजार में खड़े है!!”- भीड़ ने एकसूर में कहा।
मुखिया के पास अब करो या मरो वाली हालत आन खड़ी हुई थी। जहाँ एक तरफ उसकी पत्नी पलड़ा बदलकर गांववालों के गुट में जा मिली थी, वहीं दूसरी तरफ गांववाले उसे गांव से निकाल-बाहर करने पर तूले थे।
“अच्छा ठीक है, चलो! आज एक मुखिया अपना फैसला सुनाएगा!”- मुखिया ने कहा और उसके चेहरे पर इमानदारी की एक हल्की झलक उभरी जो भीड़ के बीच खड़ी उसकी पत्नी की नज़रों से बच न सका।
मुखिया की अगुवाई में पूरा गांव फिर हवेली की तरफ बढ़ चला। यही नहीं मुखिया ने अपने गलत व्यवहार के लिए श्यामा से माफी भी मांगी। कुछ ही देर में पूरी भीड़ हवेली के बाहर खड़ी थी।
बाहर का शोर-शराबा और जोर-जोर से हवेली के फाटक पीटने की आवाज सुनकर हवेली के भीतर मौजुद लोगों की आंखें खुल गई थी।
“राम सिंह, हरिया?? कहाँ मर गए सबके सब!! जाकर पता करो, ये इतनी रात को बाहर कौन फाटक पीट रहा है! ये बाहर कैसा शोर-शराबा मचा है!! निट्ठले हो गए हैं सबके सब!!”- नंदा के पति ने कहा फिर खूद ही घर के मुख्य दरवाजे की तरफ बढ़ने लगा। पीछे-पीछे घर के बाकी सदस्य भी उसके साथ थे।
“क्या है?? ये इतनी रात गए क्या तमाशा लगा रखा है तुम सबने?? न खुद सोते हो, न हमें चैन से सोने देते हो!!”- नंदा ने पति ने हवेली के बाहर भीड़ में आगे खड़े मुखिया से कहा।
“हुजुर, आपके लिए बेहतर होगा कि आज हमारी बात शांति से सुने या फिर किसी अनहोनी के लिए तैयार रहें!”- मुखिया ने डरकर ही सही लेकिन अपनी बात रखी।
“मुखिया!! जबान सम्भालकर बात कर, नहीं तो तेरी ज़ुबान अभी के अभी यहीं काट डालुंगा!”- नंदा के पति ने आंखें तरेरते हुए कहा।
“ज़ुबान किसकी कटेगी, ये अभी पता चल जाएगा!” – मुखिया के पीछे खड़े उदय ने कहा।
“क्या बक्क रहा है!! औकात में रहकर बात कर!!!”- नंदा के पति ने दांत पीसते हुए कहा।
“अरे हुआ क्या है?? कोई बताएगा भी!! आखिर कौन सा तूफान आ खड़ा हुआ जो इतनी रात गए यहाँ आकर तुमसब शोर मचा रहे हो!!” – अपने पति को पीछे करके हवेली के भीतर खड़ी नंदा ने आगे आकर पुछा फिर भीड़ में खड़ी श्यामा को देख उसके भौवें तन गए। ….